hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • अँधेरे का गणित - 2

    अँधेरे का गणित (कहानी पंकज सुबीर) (2) ख़ान कब उसके अँधेरों से जुड़ गया था उसे भी...

  • होने से न होने तक - 8

    होने से न होने तक 8. बुआ का चेहरा उतर गया था किन्तु उन्होने उस बात पर आगे कोई बह...

  • भीड़ में - 6

    भीड़ में (6) “बाऊ जी बुरा न मानो तो एक गल कवां---“मंजीत चेहरे पर मुस्कान ला बोला,...

अँधेरे का गणित - 2 By PANKAJ SUBEER

अँधेरे का गणित (कहानी पंकज सुबीर) (2) ख़ान कब उसके अँधेरों से जुड़ गया था उसे भी नहीं पता। टॉकीज़ में ख़ान से मिलकर आने के बाद अक्सर वो आइने के उस तरफ अनावरित भी नहीं होता था, जैसा आ...

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होने से न होने तक - 8 By Sumati Saxena Lal

होने से न होने तक 8. बुआ का चेहरा उतर गया था किन्तु उन्होने उस बात पर आगे कोई बहस नहीं की थी। वे वैसे भी आण्टी के साथ विवाद में नही पड़तीं। यश ने कुछ परिहास किया था। आण्टी के चेहरे...

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सांकल - 2 By Zakia Zubairi

सांकल ज़किया ज़ुबैरी (2) नख़रे तो सभी उठवाते थे क्योंकी उसका कुसूर था पति का कहना मानना और हर तेहरवें महीने एक नया सा प्यारा सा मॉडल पैदा कर देना। बेटे की बारी में भी सीमा को मेनेज...

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भीड़ में - 6 By Roop Singh Chandel

भीड़ में (6) “बाऊ जी बुरा न मानो तो एक गल कवां---“मंजीत चेहरे पर मुस्कान ला बोला, उन्हें अच्छा लगा था कि उस दिन जैसे रुखाई उसमें न थी---’शायद’ यह मेरी विवशता समझ रहा है. उन्होंने सो...

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मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन - 3 By Neelima Sharma

क्वारंटाइन...लॉक डाउन...कोविड 19... कोरोना के नाम रहेगी यह सदी। हम सब इस समय एक चक्र के भीतर है...

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आवाज़ों वाली गली By Kavita Sonsi

आवाज़ों वाली गली कहानी से हकीकत में ढले थे, हकीकत से कहानी हो गये हैं. (राजेश रेड्डी) वह एक शहर था, सचमुच में कहें तो एक कस्बा. पर तब मेरा मन पूरी शिद्दत से उसे शहर ही मानता था. शहर...

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नो ! By Kailash Banwasi

‘नो’! कैलाश बनवासी ‘‘प्रभा, लोन वाली फाइल का अपडेट करके जाना। ...ये आगे भेजना है। ’’ अविनाश सर ने जब अपने सूखे लहजे में कहा तो उससे कुछ कहते नहीं बना। बोस की कैसे हुक्मउदुली करे वह...

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कुबेर - 23 By Hansa Deep

कुबेर डॉ. हंसा दीप 23 भारतीयों के इस बाज़ार को देखते भारत की बहुत याद आती। हालांकि इन सब नयी व्यस्तताओं के बीच भी मैरी से बात बराबर हो रही थी। जीवन-ज्योत के बारे में हर छोटी-बड़ी ज...

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भगतसिंह By Bhavin Jasani

यह नारा जिसने दिया वो भगतसिंह के बारे मे आज कुछ लिखने का मन है मे आज उसके बारे मे एक पुस्तक पढ़ रहा तब सच मे मैं हैरान रह गया की कोय इंसान इतनी हद तक देश के लिए मर मिटने का जस्बा कै...

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आग. By SR Harnot

आग एस आर हरनोट शास्त्री वेदराम आज जैसे ही कुर्सी पर बैठने लगे तीसरी कक्षा के एक बच्चे बादिर ने उनसे पूछ लिया, गुरू जी! गुरू जी! हिन्दू क्या होता है.....? उन्हें एक पल के लिए लगा, क...

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लावण्या एक विजेता By Nirdesh Nidhi

लावण्या एक विजेता उस दिन लावण्या मैडम जी ने अपने अंगरक्षक बलदेव को अपने घर उसका हिसाब चुकता करने के लिए बुलाया था । उसके अंदर आने पर मैडम जी ने दरवाजा बंद करने के लिए कह कर उसे अपन...

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पौधे से कहो, मेरे जन्मदिन पर फूल दे - 3 - अंतिम भाग By Neela Prasad

पौधे से कहो, मेरे जन्मदिन पर फूल दे नीला प्रसाद (3) हां, वह एक कविता ही है जिसे उसके माता- पिता मिलकर लिख रहे है. धीरे- धीरे बड़ी हो रही है यह कविता.. ज्यादा मीनिंगफुल होती जा रही...

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मैं वही हूँ! - 4 - अंतिम भाग By Jaishree Roy

मैं वही हूँ! (4) “दीपेन! तुम्हें मेरा नाम किसने बताया? मेरा सर चकराने-सा लगा था। वह अचानक पलट कर देखी थी, उस समय उसकी नश्वार पुतलियों में हंसी की सुनहली झिलमिल थी- क्यों, तुम्हीं न...

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किस्मत - भाग-१ By Anil Sainger

मैं रोज की तरह मेट्रो स्टेशन अभी पहुंचा ही था कि सामने से मेट्रो आती दिखी | मैंने जल्दी से अपने कानों में इयरफोन ठूंसा और ट्रेन का दरवाज़ा खुलते ही डब्बे में घुस गया | किस्मत अच्छी...

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पश्चाताप By Renu Gupta

पश्चाताप रात के बारह बज रहे थे, लेकिन राधारमण जी की आंखों से नींद मानो कोसों दूर थी। पलंग पर बड़ी बेचैनी से वह करवटें बदल रहे थे। घर में वह बिल्कुल अकेले थे। पत्नी लोला स्थानीय...

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अंतिम संस्कार By Amitabh Mishra

अंतिम संस्कार यह कोई बहुत पुरानी बात नहीं है पर पिछले कुछ थोड़ेही समय में माहौल इतना बदल चुका है कि अभी कुछ बरस पहले ही की बात ऐसीलगती है कि मानो वह बहुत पुरानी बात हो।...

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गुमशुदा चाँद की वापसी By Govind Sen

गुमशुदा चाँद की वापसी गोविन्द सेन धरती पुत्र जी दसवीं क्लास में घुसे हुए थे। दो पीरियड हो चुके थे। लेकिन अभी भी वे बच्चों को छोड़ने के मूड में नहीं थे । लघु विश्रान्ति भी हो चुकी थी...

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कूचाए नीमकश By Pratyaksha Sinha

कूचाए नीमकश दरख़्त के सुर्ख पत्ते अचानक आये हवा के झोंके से गिरते हैं । धीमे धीमे तैरते लहराते, एक के बाद एक । सब जो खड़े हैं, फ़र्रूखज़ाद, नुसरा बी, हमदू, कुबरा, हुमरा, अफ़सान, रसूल ब...

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फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 2 By Sarvesh Saxena

कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि मांजेश, मोहित, अर्पित और आफताब अच्छे दोस्त हैं और सारे कल रात मिलने का प्लान बनाते हैं |अब आगे.... “अरे बेटा मोहित... नाश्ता तो करता जा, दो मि...

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अन्तिम हस्ताक्षर By Husn Tabassum nihan

अन्तिम हस्ताक्षर अभी जगदीश जी के रिटायरमेंट में दो महीने बाकी थे और स्टाफ के लोग थे कि पहले से ही उनसे विदाई टोन में बतियाने लगे थे, गोया कि- ‘‘और जगदीश भाई....अब क्या इरादा है ?‘‘...

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जमा-मनफ़ी By Deepak sharma

जमा-मनफ़ी पपा के दफ़्तर पहुँचते-पहुँचते मुझे चार बज जाते हैं| वे अपने ड्राइंगरूम एरिया के कम्प्यूटर पर बैठे हैं| अपनी निजी सेक्रेटरी, रम्भा के साथ| दोनों खिलखिला रहे हैं| “रम्भा से आ...

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लौट आओ तुम... ! - 3 - अंतिम भाग By Zakia Zubairi

लौट आओ तुम... ! ज़किया ज़ुबैरी (3) आपा बिस्तर से निकलीं और सीधी शावर में जाते जाते बीबी से कहा, “मुझे भी आंवला शिकाकाई ला दो, बाल धोने हैं। और हां साबजी का नुस्ख़ा भी मुझे दे दो। म...

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बेवा By Kumar Gourav

"हम पता लगते ही ख़बर देंगे" सेना मुख्यालय के तीन दिन में तीस चक्कर लगाने के बाद जब एक क्लर्क ने जवाब दिया तो प्रतिवाद करने लायक उसके पास कोई तर्क नहीं था। हाथों में बेटी की हथेली...

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ऑपोज़िट कलर्स By Shobhana Shyam

ऑपोज़िट कलर्स "भैया कोई नई किताब आयी है क्या आर्ट में ?""हैं न ये देखिये ! भुवन पुरोहित जी की नयी सीरीज़ आयी है| जल-रंग, तैल-चित्र, एक्रिलिक, मिक्स मीडिया, टैम्परा, बास-रिलीफ, एनाटॉ...

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अंतिम सांझ का दर्द By Pawan Chauhan

अंतिम सांझ का दर्द आज पिंकी को मरे पांच दिन हो चुके थे लेकिन अमित और सुमित अभी तक घर नहीं पहुंचे थे। खेत की मेढ़ पर बैठा बसंतु बार-बार यह सोचकर दुखी हो जाता था कि क्या उसके अपने बेट...

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तारों पर झूलती जिन्दगी By Chaya Agarwal

कहानी- तारों पर झूलती जिन्दगीवो दुबली -पतली, प्यारी, नन्ही सी बच्ची भागती हुई आई और माँ के सीने से लिपट कर कहने लगी - "माँ मुझे रिंग में जाने से रोक लो। कल जब गटटू ने मुझे हवा में...

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दोहराव By Kailash Banwasi

दोहराव कैलाश बनवासी हड्डियों का ढाँचा यानी बाप,इन दिनों फिर बेतरह बौखलाया हुआ रहता है. संकी तो वह पैदाइशी है.और आजकल बात-बेबात उसका गुस्सा सातवें आसमान की हद पार कर जाता है.बेवजह ह...

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ब्याह ??? - 2 - अंतिम भाग By Vandana Gupta

ब्याह ??? (2) “ मौसी, आज सारी दुनिया के लिए मैं ही गुनहगार बना दी गयी मगर यदि आप सत्य जानतीं तो कभी ऐसा न कहतीं बल्कि उस पूरे परिवार से घृणा करतीं ऐसे लोग समाज पर बोझ हुआ करते हैं...

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एक जुलूस के साथ – साथ - 2 By Neela Prasad

एक जुलूस के साथ – साथ नीला प्रसाद (2) लतादी कौन हैं? उनके पास इतनी ताकत कैसे है?? अगर वे जी.वी के विरोध में हैं तो फिर इस हॉस्टल से निकाल क्यों नहीं दी जातीं?, इन सारे सवालों के जव...

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अनबीता व्यतीत By Husn Tabassum nihan

अनबीता व्यतीत ‘‘जाने क्यूँ लगता है कि मैं किसी अजनबी देश में हूँ जहाँ मेरा पासपोर्ट खो गया है। अजब उहापोह की स्थिति आंतर्नाद का अलम है कि कहाँ जाऊँ...कहाँ चली जाऊँ...।‘‘ रश्मि ने न...

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अँधेरे का गणित - 2 By PANKAJ SUBEER

अँधेरे का गणित (कहानी पंकज सुबीर) (2) ख़ान कब उसके अँधेरों से जुड़ गया था उसे भी नहीं पता। टॉकीज़ में ख़ान से मिलकर आने के बाद अक्सर वो आइने के उस तरफ अनावरित भी नहीं होता था, जैसा आ...

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होने से न होने तक - 8 By Sumati Saxena Lal

होने से न होने तक 8. बुआ का चेहरा उतर गया था किन्तु उन्होने उस बात पर आगे कोई बहस नहीं की थी। वे वैसे भी आण्टी के साथ विवाद में नही पड़तीं। यश ने कुछ परिहास किया था। आण्टी के चेहरे...

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सांकल - 2 By Zakia Zubairi

सांकल ज़किया ज़ुबैरी (2) नख़रे तो सभी उठवाते थे क्योंकी उसका कुसूर था पति का कहना मानना और हर तेहरवें महीने एक नया सा प्यारा सा मॉडल पैदा कर देना। बेटे की बारी में भी सीमा को मेनेज...

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भीड़ में - 6 By Roop Singh Chandel

भीड़ में (6) “बाऊ जी बुरा न मानो तो एक गल कवां---“मंजीत चेहरे पर मुस्कान ला बोला, उन्हें अच्छा लगा था कि उस दिन जैसे रुखाई उसमें न थी---’शायद’ यह मेरी विवशता समझ रहा है. उन्होंने सो...

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मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन - 3 By Neelima Sharma

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आवाज़ों वाली गली By Kavita Sonsi

आवाज़ों वाली गली कहानी से हकीकत में ढले थे, हकीकत से कहानी हो गये हैं. (राजेश रेड्डी) वह एक शहर था, सचमुच में कहें तो एक कस्बा. पर तब मेरा मन पूरी शिद्दत से उसे शहर ही मानता था. शहर...

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कुबेर - 23 By Hansa Deep

कुबेर डॉ. हंसा दीप 23 भारतीयों के इस बाज़ार को देखते भारत की बहुत याद आती। हालांकि इन सब नयी व्यस्तताओं के बीच भी मैरी से बात बराबर हो रही थी। जीवन-ज्योत के बारे में हर छोटी-बड़ी ज...

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यह नारा जिसने दिया वो भगतसिंह के बारे मे आज कुछ लिखने का मन है मे आज उसके बारे मे एक पुस्तक पढ़ रहा तब सच मे मैं हैरान रह गया की कोय इंसान इतनी हद तक देश के लिए मर मिटने का जस्बा कै...

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आग. By SR Harnot

आग एस आर हरनोट शास्त्री वेदराम आज जैसे ही कुर्सी पर बैठने लगे तीसरी कक्षा के एक बच्चे बादिर ने उनसे पूछ लिया, गुरू जी! गुरू जी! हिन्दू क्या होता है.....? उन्हें एक पल के लिए लगा, क...

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लावण्या एक विजेता By Nirdesh Nidhi

लावण्या एक विजेता उस दिन लावण्या मैडम जी ने अपने अंगरक्षक बलदेव को अपने घर उसका हिसाब चुकता करने के लिए बुलाया था । उसके अंदर आने पर मैडम जी ने दरवाजा बंद करने के लिए कह कर उसे अपन...

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पौधे से कहो, मेरे जन्मदिन पर फूल दे - 3 - अंतिम भाग By Neela Prasad

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मैं वही हूँ! (4) “दीपेन! तुम्हें मेरा नाम किसने बताया? मेरा सर चकराने-सा लगा था। वह अचानक पलट कर देखी थी, उस समय उसकी नश्वार पुतलियों में हंसी की सुनहली झिलमिल थी- क्यों, तुम्हीं न...

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पश्चाताप By Renu Gupta

पश्चाताप रात के बारह बज रहे थे, लेकिन राधारमण जी की आंखों से नींद मानो कोसों दूर थी। पलंग पर बड़ी बेचैनी से वह करवटें बदल रहे थे। घर में वह बिल्कुल अकेले थे। पत्नी लोला स्थानीय...

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अंतिम संस्कार By Amitabh Mishra

अंतिम संस्कार यह कोई बहुत पुरानी बात नहीं है पर पिछले कुछ थोड़ेही समय में माहौल इतना बदल चुका है कि अभी कुछ बरस पहले ही की बात ऐसीलगती है कि मानो वह बहुत पुरानी बात हो।...

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गुमशुदा चाँद की वापसी गोविन्द सेन धरती पुत्र जी दसवीं क्लास में घुसे हुए थे। दो पीरियड हो चुके थे। लेकिन अभी भी वे बच्चों को छोड़ने के मूड में नहीं थे । लघु विश्रान्ति भी हो चुकी थी...

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कूचाए नीमकश By Pratyaksha Sinha

कूचाए नीमकश दरख़्त के सुर्ख पत्ते अचानक आये हवा के झोंके से गिरते हैं । धीमे धीमे तैरते लहराते, एक के बाद एक । सब जो खड़े हैं, फ़र्रूखज़ाद, नुसरा बी, हमदू, कुबरा, हुमरा, अफ़सान, रसूल ब...

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अन्तिम हस्ताक्षर अभी जगदीश जी के रिटायरमेंट में दो महीने बाकी थे और स्टाफ के लोग थे कि पहले से ही उनसे विदाई टोन में बतियाने लगे थे, गोया कि- ‘‘और जगदीश भाई....अब क्या इरादा है ?‘‘...

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जमा-मनफ़ी By Deepak sharma

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लौट आओ तुम... ! - 3 - अंतिम भाग By Zakia Zubairi

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अंतिम सांझ का दर्द By Pawan Chauhan

अंतिम सांझ का दर्द आज पिंकी को मरे पांच दिन हो चुके थे लेकिन अमित और सुमित अभी तक घर नहीं पहुंचे थे। खेत की मेढ़ पर बैठा बसंतु बार-बार यह सोचकर दुखी हो जाता था कि क्या उसके अपने बेट...

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तारों पर झूलती जिन्दगी By Chaya Agarwal

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दोहराव By Kailash Banwasi

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ब्याह ??? - 2 - अंतिम भाग By Vandana Gupta

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एक जुलूस के साथ – साथ - 2 By Neela Prasad

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अनबीता व्यतीत ‘‘जाने क्यूँ लगता है कि मैं किसी अजनबी देश में हूँ जहाँ मेरा पासपोर्ट खो गया है। अजब उहापोह की स्थिति आंतर्नाद का अलम है कि कहाँ जाऊँ...कहाँ चली जाऊँ...।‘‘ रश्मि ने न...

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