hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • एक जुलूस के साथ – साथ - 3 - अंतिम भाग

    एक जुलूस के साथ – साथ नीला प्रसाद (3) मैं अगली क्लास में नहीं गई। पेड़ के तने से...

  • खेमा

    खेमा बाबा के संग पहली बार किस्सा खड़ा तो किया था मैंने उन्नीस सौ पैंसठ में मगर उस...

  • निर्वाण - 3 - अंतिम भाग

    निर्वाण (3) भगवान अफरोदित के प्राचीन मंदिर के गलियारे में यूलिया अपने सर पर तारो...

एक जुलूस के साथ – साथ - 3 - अंतिम भाग By Neela Prasad

एक जुलूस के साथ – साथ नीला प्रसाद (3) मैं अगली क्लास में नहीं गई। पेड़ के तने से सटी खड़ी कुछ सोचने की कोशिश करती रही पर दिमाग शून्य था। सुजाता मुझे देख मुस्कुराई। ‘तुम उन लोगों में...

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लौट आओ तुम... ! - 1 By Zakia Zubairi

लौट आओ तुम... ! ज़किया ज़ुबैरी (1) “बीबी... ! कहाँ हैं आप... !” ''मैं नीचे हूं आपा... ड्राइंग रूम में।'' “क्या कर रही होगी...शायद... सफ़ाई कर रही होगी...! ” आपा ने...

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मैं वही हूँ! - 1 By Jaishree Roy

मैं वही हूँ! (1) मैं नया था यहाँ। नई-नई नौकरी ले कर आया था। इलाके की सभी पुरानी और ऐतिहासिक इमारतों की देख-रेख और मरम्मत की ज़िम्मेदारी थी मुझ पर। काम आसान तो नहीं था मगर मुझे पसंद...

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फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 1 By Sarvesh Saxena

मोबाइल की घंटी कब से बजे जा रही थी, मोहित हाथ धोते हुए अपने आप से बोला, “अरे भाई बस आया..” | मोबाइल उठाते ही उधर से आवाज आई, “अबे कहां रहता है तू ? कब से फोन कर रहा हूं ..” मोहित -...

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खेमा By Deepak sharma

खेमा बाबा के संग पहली बार किस्सा खड़ा तो किया था मैंने उन्नीस सौ पैंसठ में मगर उसकी तीक्ष्णता आज भी मेरे अन्दर हाथ-पैर मारती है और लंबे डग भर कर मैं समय लांघ जाता हूँ... लांघ रहा हू...

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होने से न होने तक - 3 By Sumati Saxena Lal

होने से न होने तक 3. दूसरे दिन मैं सारे सर्टिफिकेट्स की प्रतिलिपि लेकर डिपार्टमैंण्ट गई थी। उन पत्रों पर सरसरी निगाह डाल कर हैड आफ द डिपार्टमैण्ट डाक्टर अवस्थी ने उन पर दस्तख़त कर द...

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मेरे हिस्से की धूप - 3 - अंतिम भाग By Zakia Zubairi

मेरे हिस्से की धूप ज़किया ज़ुबैरी (3) अंकल जी की आवाज़ जैसे किसी गहरे कुंएँ में से बाहर आई, "अच्छा! " उन्होंने कह तो दिया, परन्तु लगा जैसे कुएँ में झांकते हुए गहराई से आवाज़ गूँज क...

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भीड़ में - 1 By Roop Singh Chandel

भीड़ में (1) सुनकर चेहरा खिल उठा था उनका. उम्र से संघर्ष करती झुर्रियों की लकीरें भाग्य रेखाओं की भांति उभर आई थीं. आंखें प्रह्लाद पर टिकाकर पूछा, “कहां तय की लल्लू ने शादी?” “आपको...

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निर्वाण - 3 - अंतिम भाग By Jaishree Roy

निर्वाण (3) भगवान अफरोदित के प्राचीन मंदिर के गलियारे में यूलिया अपने सर पर तारों का मुकुट पहने सालों से बैठी है मगर अब तक उसे किसी पुरुष ने पैसे दे कर नहीं खरीदा है क्योंकि वह अन्...

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love in curfew By Ashish Garg Raisahab

वो दिन २२ मार्च 2020 दिन रविवार मैं घर पर ही था, मैं तो क्या भारत के सभी लोग घरो में ही थे, वजह तो आप सब को पता ही है फिर भी मैं बता देता हूँ कोरोना वायरस के चलते पुरे भारत में मोद...

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उधड़ा हुआ स्वेटर - 4 - अंतिम भाग By Sudha Arora

उधड़ा हुआ स्वेटर सुधा अरोड़ा (4) ‘‘सॉरी!’’ उसने माफी माँगी, पर शब्द बुदबुदाहट में सिमट कर रह गए. बाएँ हाथ की उँगलियों ने उठकर धीरे से दूसरी कुर्सी की ओर इशारा किया- ‘‘बैठ जाइए प्लीज़!...

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हर्ज़ाना - 4 - अंतिम भाग By Anjali Deshpande

हर्ज़ाना अंजली देशपांडे (4) “फिर भी ऐसा ही एक केस है जिसे लेने का मुझे अब बहुत ही अफ़सोस होता है. शायद अफ़सोस सही लफ्ज़ नहीं है. शायद मुझे पश्चाताप होता है. यह केस है भोपाल के गैस काण्...

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बिद्दा बुआ - 2 - अंतिम भाग By Roop Singh Chandel

बिद्दा बुआ (2) और सच ही सुबह गोपाल बिलकुल चंगा था. बुखार गायब था. अब तो उनकी दवा के गुण गांव में घर-घर गाये जाने लगे. उस दिन से वे केवल गोपाल की ही बुआ नहीं, सारे गांव की बुआ हो गय...

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मेरे दुःख की दवा करे कोई By Anwar Suhail

फिर वही रफ़्तार बेढंगी--- आटा-चक्की के मोटर बहुत शोर करता है। लगता है उसकी बियरिंग खराब हो गई है। मोटर और चक्की के बीच तेज़ी से घूमते बेल्ट से उठता ‘खटपिट खटपिट’ का शोर सलीमा का...

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गलतफहमी By Namita Gupta

!! गलतफहमी !! कल्याण दास एक धनी व्यक्ति थे । उनका व्यवसाय बहुत ही अच्छा चलता था । उनके पास किसी चीज की कोई कमी नहीं थी , कमी थी तो सिर्फ औलाद की । अनेक प्रकार से...

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कुकरा कथा By Kailash Banwasi

कुकरा कथा कैलाश बनवासी अब उनका बिहान तो तब है जब हांडा परिवार का बिहान हो. भले ही सुरुज देवता पूरब कभी का नहाक चुके हों. हमेशा की तरह, आज दिन चढ़ने पर उनकी नींद खुली. हांडा साहब की...

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इकबाल भाग - २ By Afzal Malla

फिर देखा के इक़बाल थोड़ा उदास था ओर कालू भी थोड़ा हैरान क्योकि इक़बाल की आखरी ओवर उसने खेली उसे पता नही लग रहा था की उस ओवर में उसको इतनी तेजी कैसे मील वो थोड़ा डर भी गया था फिर दोनों...

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शेष विहार By Nirdesh Nidhi

शेष विहार मैं समय हूँ । मौन रहकर युगों को आते जाते देखना मेरे लिए एक सामान्य प्रक्रिया है अपनी अनुभवी आँखों से मैं सिर्फ देख सकता हूँ । अच्छे बुरे किसी भी परिवर्तन को रोक पाना मेरे...

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सबसे बड़ा नशा By अमरदीप कुमार

पुराने ज़माने में युद्ध के पहले हाथियों को सोमरस का पान कराया जाता था।उस सोमरस में श्रेष्ठ नशीला पदार्थ घोला जाता था भारी मात्रा में।इन सब प्रक्रियाओं के बाद हाथी पागल हो जाते थे।पा...

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रात का सूरजमुखी - 4 By S Bhagyam Sharma

रात का सूरजमुखी अध्याय 4 डॉक्टर कामिनी अगले रोगी का इंतजार कर रही थी। कल्पना उस दरवाजे को धकेल कर अंदर आई। "नमस्ते डॉक्टर !" "नमस्कार ! बैठिएगा-"---कुर्सी को दिखाते हुए बोली। कल्पन...

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बेचारी ईडियट... ! - 2 - अंतिम भाग By Zakia Zubairi

बेचारी ईडियट... ! ज़किया ज़ुबैरी (2) जिम मार्शल छोटे से क़द का लाल टाई लगाए... यह लाल रंग की टाई ही उसकी राजनीतिक पार्टी की प्रतीक थी वरना व्यवहार तो उसका नादिरशाह जैसा था। वो ग़ुस...

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पी.के. - 4 - अंतिम भाग By Roop Singh Chandel

पी.के. (4) सुमन और डॉ. तनेजा की मुलाकातें बढ़ने लगी थीं. सुमन के लाइब्रेरी जाना शुरू करने के बाद वह घर के बजाय उसके ऑफिस में मिलने जाने लगा था. पीके लंच के लिए प्रति दिन घर जाता था...

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दहलीज पर संवाद By Sudha Arora

दहलीज पर संवाद अंधेरी डयोढ़ी को पार कर दोनों शिथिल आकृतियां जीने की तरफ बढ़ती हैं। पुरानी चप्पलों की धीमी चरमराहट के साथ-साथ सीमेंट के फर्श पर छड़ी के बार-बार टिकाए जाने का अपेक्षा...

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उसकी वापसी By Kailash Banwasi

उसकी वापसी कैलाश बनवासी मैं यहाँ नहीं रहना चाहती! बिलकुल भी नहीं रहना चाहती!ये जगह बिल्कुल भी अच्छी नहीं है!पिछले तीन दिन से, जब से मुझे होश आया है, मम्मी से बस यही जिद करती हूँ कि...

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गिनी पिग्स - 3 - अंतिम भाग By Neelam Kulshreshtha

गिनी पिग्स नीलम कुलश्रेष्ठ (3) "देखो दुनियां में अच्छे लोगों की भी कमी नहीं है. ये मीडिया या एक्टिविस्ट न हों तो हम लोग तो इन भयानक अपराधों को जान भी नहीं सकते. " हर दिन इस दुःख पर...

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नाम में क्या रखा है - 3 - अंतिम भाग By Vandana Gupta

नाम में क्या रखा है (3) “काश ! ये हमारे जीवन का सच होता निशि.यूँ लगा जैसे किसी ने हमारी कहानी लिख दी हो. तुम्हारी अस्वीकार्यता और मेरी चाहत के बीच एक पुल का निर्माण किया हो. निशि ज...

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एक जुलूस के साथ – साथ - 3 - अंतिम भाग By Neela Prasad

एक जुलूस के साथ – साथ नीला प्रसाद (3) मैं अगली क्लास में नहीं गई। पेड़ के तने से सटी खड़ी कुछ सोचने की कोशिश करती रही पर दिमाग शून्य था। सुजाता मुझे देख मुस्कुराई। ‘तुम उन लोगों में...

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लौट आओ तुम... ! - 1 By Zakia Zubairi

लौट आओ तुम... ! ज़किया ज़ुबैरी (1) “बीबी... ! कहाँ हैं आप... !” ''मैं नीचे हूं आपा... ड्राइंग रूम में।'' “क्या कर रही होगी...शायद... सफ़ाई कर रही होगी...! ” आपा ने...

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मैं वही हूँ! - 1 By Jaishree Roy

मैं वही हूँ! (1) मैं नया था यहाँ। नई-नई नौकरी ले कर आया था। इलाके की सभी पुरानी और ऐतिहासिक इमारतों की देख-रेख और मरम्मत की ज़िम्मेदारी थी मुझ पर। काम आसान तो नहीं था मगर मुझे पसंद...

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फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 1 By Sarvesh Saxena

मोबाइल की घंटी कब से बजे जा रही थी, मोहित हाथ धोते हुए अपने आप से बोला, “अरे भाई बस आया..” | मोबाइल उठाते ही उधर से आवाज आई, “अबे कहां रहता है तू ? कब से फोन कर रहा हूं ..” मोहित -...

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खेमा By Deepak sharma

खेमा बाबा के संग पहली बार किस्सा खड़ा तो किया था मैंने उन्नीस सौ पैंसठ में मगर उसकी तीक्ष्णता आज भी मेरे अन्दर हाथ-पैर मारती है और लंबे डग भर कर मैं समय लांघ जाता हूँ... लांघ रहा हू...

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होने से न होने तक - 3 By Sumati Saxena Lal

होने से न होने तक 3. दूसरे दिन मैं सारे सर्टिफिकेट्स की प्रतिलिपि लेकर डिपार्टमैंण्ट गई थी। उन पत्रों पर सरसरी निगाह डाल कर हैड आफ द डिपार्टमैण्ट डाक्टर अवस्थी ने उन पर दस्तख़त कर द...

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मेरे हिस्से की धूप - 3 - अंतिम भाग By Zakia Zubairi

मेरे हिस्से की धूप ज़किया ज़ुबैरी (3) अंकल जी की आवाज़ जैसे किसी गहरे कुंएँ में से बाहर आई, "अच्छा! " उन्होंने कह तो दिया, परन्तु लगा जैसे कुएँ में झांकते हुए गहराई से आवाज़ गूँज क...

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भीड़ में - 1 By Roop Singh Chandel

भीड़ में (1) सुनकर चेहरा खिल उठा था उनका. उम्र से संघर्ष करती झुर्रियों की लकीरें भाग्य रेखाओं की भांति उभर आई थीं. आंखें प्रह्लाद पर टिकाकर पूछा, “कहां तय की लल्लू ने शादी?” “आपको...

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निर्वाण - 3 - अंतिम भाग By Jaishree Roy

निर्वाण (3) भगवान अफरोदित के प्राचीन मंदिर के गलियारे में यूलिया अपने सर पर तारों का मुकुट पहने सालों से बैठी है मगर अब तक उसे किसी पुरुष ने पैसे दे कर नहीं खरीदा है क्योंकि वह अन्...

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love in curfew By Ashish Garg Raisahab

वो दिन २२ मार्च 2020 दिन रविवार मैं घर पर ही था, मैं तो क्या भारत के सभी लोग घरो में ही थे, वजह तो आप सब को पता ही है फिर भी मैं बता देता हूँ कोरोना वायरस के चलते पुरे भारत में मोद...

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उधड़ा हुआ स्वेटर - 4 - अंतिम भाग By Sudha Arora

उधड़ा हुआ स्वेटर सुधा अरोड़ा (4) ‘‘सॉरी!’’ उसने माफी माँगी, पर शब्द बुदबुदाहट में सिमट कर रह गए. बाएँ हाथ की उँगलियों ने उठकर धीरे से दूसरी कुर्सी की ओर इशारा किया- ‘‘बैठ जाइए प्लीज़!...

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हर्ज़ाना - 4 - अंतिम भाग By Anjali Deshpande

हर्ज़ाना अंजली देशपांडे (4) “फिर भी ऐसा ही एक केस है जिसे लेने का मुझे अब बहुत ही अफ़सोस होता है. शायद अफ़सोस सही लफ्ज़ नहीं है. शायद मुझे पश्चाताप होता है. यह केस है भोपाल के गैस काण्...

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बिद्दा बुआ - 2 - अंतिम भाग By Roop Singh Chandel

बिद्दा बुआ (2) और सच ही सुबह गोपाल बिलकुल चंगा था. बुखार गायब था. अब तो उनकी दवा के गुण गांव में घर-घर गाये जाने लगे. उस दिन से वे केवल गोपाल की ही बुआ नहीं, सारे गांव की बुआ हो गय...

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मेरे दुःख की दवा करे कोई By Anwar Suhail

फिर वही रफ़्तार बेढंगी--- आटा-चक्की के मोटर बहुत शोर करता है। लगता है उसकी बियरिंग खराब हो गई है। मोटर और चक्की के बीच तेज़ी से घूमते बेल्ट से उठता ‘खटपिट खटपिट’ का शोर सलीमा का...

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गलतफहमी By Namita Gupta

!! गलतफहमी !! कल्याण दास एक धनी व्यक्ति थे । उनका व्यवसाय बहुत ही अच्छा चलता था । उनके पास किसी चीज की कोई कमी नहीं थी , कमी थी तो सिर्फ औलाद की । अनेक प्रकार से...

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कुकरा कथा By Kailash Banwasi

कुकरा कथा कैलाश बनवासी अब उनका बिहान तो तब है जब हांडा परिवार का बिहान हो. भले ही सुरुज देवता पूरब कभी का नहाक चुके हों. हमेशा की तरह, आज दिन चढ़ने पर उनकी नींद खुली. हांडा साहब की...

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इकबाल भाग - २ By Afzal Malla

फिर देखा के इक़बाल थोड़ा उदास था ओर कालू भी थोड़ा हैरान क्योकि इक़बाल की आखरी ओवर उसने खेली उसे पता नही लग रहा था की उस ओवर में उसको इतनी तेजी कैसे मील वो थोड़ा डर भी गया था फिर दोनों...

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शेष विहार By Nirdesh Nidhi

शेष विहार मैं समय हूँ । मौन रहकर युगों को आते जाते देखना मेरे लिए एक सामान्य प्रक्रिया है अपनी अनुभवी आँखों से मैं सिर्फ देख सकता हूँ । अच्छे बुरे किसी भी परिवर्तन को रोक पाना मेरे...

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पुराने ज़माने में युद्ध के पहले हाथियों को सोमरस का पान कराया जाता था।उस सोमरस में श्रेष्ठ नशीला पदार्थ घोला जाता था भारी मात्रा में।इन सब प्रक्रियाओं के बाद हाथी पागल हो जाते थे।पा...

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रात का सूरजमुखी - 4 By S Bhagyam Sharma

रात का सूरजमुखी अध्याय 4 डॉक्टर कामिनी अगले रोगी का इंतजार कर रही थी। कल्पना उस दरवाजे को धकेल कर अंदर आई। "नमस्ते डॉक्टर !" "नमस्कार ! बैठिएगा-"---कुर्सी को दिखाते हुए बोली। कल्पन...

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बेचारी ईडियट... ! - 2 - अंतिम भाग By Zakia Zubairi

बेचारी ईडियट... ! ज़किया ज़ुबैरी (2) जिम मार्शल छोटे से क़द का लाल टाई लगाए... यह लाल रंग की टाई ही उसकी राजनीतिक पार्टी की प्रतीक थी वरना व्यवहार तो उसका नादिरशाह जैसा था। वो ग़ुस...

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पी.के. - 4 - अंतिम भाग By Roop Singh Chandel

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दहलीज पर संवाद By Sudha Arora

दहलीज पर संवाद अंधेरी डयोढ़ी को पार कर दोनों शिथिल आकृतियां जीने की तरफ बढ़ती हैं। पुरानी चप्पलों की धीमी चरमराहट के साथ-साथ सीमेंट के फर्श पर छड़ी के बार-बार टिकाए जाने का अपेक्षा...

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उसकी वापसी By Kailash Banwasi

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गिनी पिग्स - 3 - अंतिम भाग By Neelam Kulshreshtha

गिनी पिग्स नीलम कुलश्रेष्ठ (3) "देखो दुनियां में अच्छे लोगों की भी कमी नहीं है. ये मीडिया या एक्टिविस्ट न हों तो हम लोग तो इन भयानक अपराधों को जान भी नहीं सकते. " हर दिन इस दुःख पर...

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नाम में क्या रखा है - 3 - अंतिम भाग By Vandana Gupta

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