hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • दास्ताँ ए दर्द ! - 7

    दास्ताँ ए दर्द ! 7 इस बार प्रज्ञा अप्रेल माह के अंत में इंग्लैण्ड पहुँची थी, उ...

  • दिल से मिले दिल

    "मै मॉ बनने वाली हूं"।ज्यो हीी संदीप ने मोबाइल हाथ मे लिया, उसकी नजर जूूूलिया क...

  • गिनी पिग्स - 2

    गिनी पिग्स नीलम कुलश्रेष्ठ (2) जब एक प्रखर युवा की मौत होती है तो वह इमारत रोती...

दास्ताँ ए दर्द ! - 7 By Pranava Bharti

दास्ताँ ए दर्द ! 7 इस बार प्रज्ञा अप्रेल माह के अंत में इंग्लैण्ड पहुँची थी, उसे आश्चर्य हुआ लंबे, नंगे पेड़ों को देखकर जो रीता ने बताया था, जिन्होंने हाल ही में अपने वस्त्र उतार...

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दिल से मिले दिल By Kishanlal Sharma

"मै मॉ बनने वाली हूं"।ज्यो हीी संदीप ने मोबाइल हाथ मे लिया, उसकी नजर जूूूलिया के मैैसेज पर पडी।भारत से जाने के इतने दिनो बाद?जूलिया का नाम पढते ही उसकी ऑखो मे चमक आ गई।चेहरा ऐस...

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गिनी पिग्स - 2 By Neelam Kulshreshtha

गिनी पिग्स नीलम कुलश्रेष्ठ (2) जब एक प्रखर युवा की मौत होती है तो वह इमारत रोती है, वह कॉलॉनी रोती है. शहर का वह हर कोना रोता है जिससे वह युवा जुडा होता है --------- आधा घंटा बाद ब...

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कुबेर - 11 By Hansa Deep

कुबेर डॉ. हंसा दीप 11 अभी तक इतने सालों बाद भी जो दिल के क़रीब था वह क़रीब ही रहा, कभी दूर हुआ ही नहीं था। वही महक रौशनी की तरह परावर्तित होकर बार-बार आती थी उसके समीप। उसके कानों...

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आओ थेरियों - 4 By Pradeep Shrivastava

आओ थेरियों प्रदीप श्रीवास्तव भाग 4 मैं बार-बार वह ताकत, वह साधन ढूंढ़ती मनू जिससे इस शोषण का प्रतिकार कर सकूं। रोक सकूं। मगर हर तरफ घुप्प अंधेरा मिलता। कोई एक सेकेंड को भी साथ देने...

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बस एक कदम... - 3 - अंतिम भाग By Zakia Zubairi

बस एक कदम.... ज़किया ज़ुबैरी (3) फिर सोचती है, “शायद मैं आलसी हूं।... हां मैं हूं आलसी! ऐशो आराम की आदी हो गई हूं। मां बाप ने जैसे एक मखमल के डिब्बे में संभाल कर रखा। यहां भी कालीन...

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मां बाप का देना क्या बच्चे दे पाते हैं By Satish Sardana Kumar

भाग-भाग कर बस स्टैंड पहुँच गया हूँ।रात को बारिश हुई थी।जल-थल हो रहा है।सत्तर से उपर की उम्र है।गलियों में अंधेरा था।पूरा दिखाई नहीं देता।किसी खड्डे में पांव पड़ गया।दुःख रहा है टखना...

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मिलन By राज कुमार कांदु

अमर ने पहली बार उसे देखा तो देखता ही रह गया था । सफ़ेद सूट के साथ ही शुभ्र धवल दुपट्टा उसकी खूबसूरती में चार चाँद लगा रहा था। हवा के तेज झोंके की तरह आई और उसे अपने प्रेम रस में डूब...

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मेगा 325 - 11 - अंतिम भाग By Harish Kumar Amit

मेगा 325 हरीश कुमार 'अमित' (11) कुछ दिनों बाद शाम के समय शशांक अपने कमरे में बैठा टी.वी. देख रहा था. अचानक उसकी नज़र खिड़की के बाहर पड़ी तो उसे कुछ उड़ता हुआ नज़र आया. उड़ती हुई...

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क्रान्तिकारी - 3 By Roop Singh Chandel

क्रान्तिकारी (3) कितने ही दिनों तक यह सिलसिला चलता रहा. शांतनु बच्चा बाबू के घर के निरन्तर चक्कर लगाता रहा और 'भाग्यवती कॉलेज' में उसके तदर्थ नियुक्ति की अवधि वर्ष दर वर्ष...

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छोटी सी भूल ? - 2 - अंतिम भाग By Vandana Gupta

छोटी सी भूल ? (2) “ जानते हो डैड मॉम, आप दोनों को देखकर अक्सर सोचा करती थी कि जोड़ी हो तो आप दोनों जैसी, मेड फॉर इच अदर.........और फिर डैड मैंने हमेशा आपको ही अपना आइडियल माना है, आ...

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जड़ें By Nasira Sharma

जड़ें ”इंडिया---इंडिया---कैसा होगा इंडिया|“ गुलशन ने बहते आँसुओं को पोंछते हुए अपनी नीग्रो आया से पूछा।”अच्छा, बहुत अच्छा।“ नीग्रो आया ने उसके आँसू पोंछकर चट-चट उसके दोनों गालों का...

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जनाब सलीम लँगड़े और श्रीमती शीला देवी की जवानी - 3 - अंतिम भाग By PANKAJ SUBEER

जनाब सलीम लँगड़े और श्रीमती शीला देवी की जवानी (कहानी पंकज सुबीर) (3) उसके बाद की बरसात श्रीमती शीला देवी के लिए वैसी नहीं रही, जैसी कष्टदायक उस दिन के पहले थी। अब बरसात में ठंडक आ...

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एहसास का दंश By Krishna manu

कहानी एहसास का दंश#लोहे का भारी गेट ठेलकर अंदर कदम रखते ही बंगले के माथे पर खुदे अक्षरों पर मेरी निगाहें टिक गयीं ।-&...

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बहू आई है तो By Satish Sardana Kumar

वह आज की आखिरी क्लास खत्म करके धीरे धीरे चला आ रहा था।कितना खराब गुजरा था आज का दिन।शुक्र है स्कूल में उसका यह आखिरी साल था।उसके बाद उसने इस सड़े से शहर में रहना ही नहीं।किसी अच्छी...

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'कूक' की ज़रूरत By Mohit Trendster

नीलिमा पीलीभीत में एक निजी स्कूल की शिक्षिका थी। खाली समय में वह अपने परिवार और सहकर्मियों के साथ “कूक” नाम की एक एनजीओ भी चलाती थी। इस स्वयंसेवी संस्था का मुख्य उद्देश्य उत्तर भार...

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साँझ का साथी By Chaya Agarwal

कहानी - साँझ का साथी-पापा, यह क्या किया आपने ? इतना बड़ा धोखा, वह भी अपने बच्चों के साथ क्यों किया आपने ऐसा? आख़िर क्या कमी थी हमारे प्यार में, हमारी देखभाल में, जो आपने ऐसा कदम...

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ढीठ मुस्कुराहटें... - 2 - अंतिम भाग By Zakia Zubairi

ढीठ मुस्कुराहटें... ज़किया ज़ुबैरी (2) “अरे भाभी जी, आप!.. नमस्ते।” रानी को बैठक की ओर आते हुए देख कर इन्सपेक्टर खड़ा हो गया। “अच्छा सर जी मैं चला; रिपोर्ट देता रहूंगा।” रानी ने चे...

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वी आर ईडियट्स By Rochika Sharma

वी आर ईडियट्स “पापा आप मुझे बस स्टॉप पर छोड़ दीजिये न प्लीज़” रोहन ने अपने शू लेस बांधे और लिफ्ट के बाहर खड़ा हो गया । “अरे ! तुम यहाँ कैसे कॉलेज में छुट्टियां हैं क्या” पड़ोस के मिस्ट...

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आदमखोर - 2 - अंतिम भाग By Roop Singh Chandel

आदमखोर (2) "लम्बरदार, आप----?" साश्चर्य उसने पूछा. "कौ---कौ----कौन---?" "मैं हूं सरजू, लम्बरदर!" "स----स----स---र---- जू----ग----ग----- जब-----ठण्ड ----है----. लगता है----प्राण निक...

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दास्ताँ ए दर्द ! - 7 By Pranava Bharti

दास्ताँ ए दर्द ! 7 इस बार प्रज्ञा अप्रेल माह के अंत में इंग्लैण्ड पहुँची थी, उसे आश्चर्य हुआ लंबे, नंगे पेड़ों को देखकर जो रीता ने बताया था, जिन्होंने हाल ही में अपने वस्त्र उतार...

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दिल से मिले दिल By Kishanlal Sharma

"मै मॉ बनने वाली हूं"।ज्यो हीी संदीप ने मोबाइल हाथ मे लिया, उसकी नजर जूूूलिया के मैैसेज पर पडी।भारत से जाने के इतने दिनो बाद?जूलिया का नाम पढते ही उसकी ऑखो मे चमक आ गई।चेहरा ऐस...

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गिनी पिग्स - 2 By Neelam Kulshreshtha

गिनी पिग्स नीलम कुलश्रेष्ठ (2) जब एक प्रखर युवा की मौत होती है तो वह इमारत रोती है, वह कॉलॉनी रोती है. शहर का वह हर कोना रोता है जिससे वह युवा जुडा होता है --------- आधा घंटा बाद ब...

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कुबेर - 11 By Hansa Deep

कुबेर डॉ. हंसा दीप 11 अभी तक इतने सालों बाद भी जो दिल के क़रीब था वह क़रीब ही रहा, कभी दूर हुआ ही नहीं था। वही महक रौशनी की तरह परावर्तित होकर बार-बार आती थी उसके समीप। उसके कानों...

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आओ थेरियों - 4 By Pradeep Shrivastava

आओ थेरियों प्रदीप श्रीवास्तव भाग 4 मैं बार-बार वह ताकत, वह साधन ढूंढ़ती मनू जिससे इस शोषण का प्रतिकार कर सकूं। रोक सकूं। मगर हर तरफ घुप्प अंधेरा मिलता। कोई एक सेकेंड को भी साथ देने...

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बस एक कदम... - 3 - अंतिम भाग By Zakia Zubairi

बस एक कदम.... ज़किया ज़ुबैरी (3) फिर सोचती है, “शायद मैं आलसी हूं।... हां मैं हूं आलसी! ऐशो आराम की आदी हो गई हूं। मां बाप ने जैसे एक मखमल के डिब्बे में संभाल कर रखा। यहां भी कालीन...

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मां बाप का देना क्या बच्चे दे पाते हैं By Satish Sardana Kumar

भाग-भाग कर बस स्टैंड पहुँच गया हूँ।रात को बारिश हुई थी।जल-थल हो रहा है।सत्तर से उपर की उम्र है।गलियों में अंधेरा था।पूरा दिखाई नहीं देता।किसी खड्डे में पांव पड़ गया।दुःख रहा है टखना...

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मिलन By राज कुमार कांदु

अमर ने पहली बार उसे देखा तो देखता ही रह गया था । सफ़ेद सूट के साथ ही शुभ्र धवल दुपट्टा उसकी खूबसूरती में चार चाँद लगा रहा था। हवा के तेज झोंके की तरह आई और उसे अपने प्रेम रस में डूब...

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मेगा 325 - 11 - अंतिम भाग By Harish Kumar Amit

मेगा 325 हरीश कुमार 'अमित' (11) कुछ दिनों बाद शाम के समय शशांक अपने कमरे में बैठा टी.वी. देख रहा था. अचानक उसकी नज़र खिड़की के बाहर पड़ी तो उसे कुछ उड़ता हुआ नज़र आया. उड़ती हुई...

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क्रान्तिकारी - 3 By Roop Singh Chandel

क्रान्तिकारी (3) कितने ही दिनों तक यह सिलसिला चलता रहा. शांतनु बच्चा बाबू के घर के निरन्तर चक्कर लगाता रहा और 'भाग्यवती कॉलेज' में उसके तदर्थ नियुक्ति की अवधि वर्ष दर वर्ष...

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छोटी सी भूल ? - 2 - अंतिम भाग By Vandana Gupta

छोटी सी भूल ? (2) “ जानते हो डैड मॉम, आप दोनों को देखकर अक्सर सोचा करती थी कि जोड़ी हो तो आप दोनों जैसी, मेड फॉर इच अदर.........और फिर डैड मैंने हमेशा आपको ही अपना आइडियल माना है, आ...

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जड़ें ”इंडिया---इंडिया---कैसा होगा इंडिया|“ गुलशन ने बहते आँसुओं को पोंछते हुए अपनी नीग्रो आया से पूछा।”अच्छा, बहुत अच्छा।“ नीग्रो आया ने उसके आँसू पोंछकर चट-चट उसके दोनों गालों का...

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जनाब सलीम लँगड़े और श्रीमती शीला देवी की जवानी - 3 - अंतिम भाग By PANKAJ SUBEER

जनाब सलीम लँगड़े और श्रीमती शीला देवी की जवानी (कहानी पंकज सुबीर) (3) उसके बाद की बरसात श्रीमती शीला देवी के लिए वैसी नहीं रही, जैसी कष्टदायक उस दिन के पहले थी। अब बरसात में ठंडक आ...

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एहसास का दंश By Krishna manu

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बहू आई है तो By Satish Sardana Kumar

वह आज की आखिरी क्लास खत्म करके धीरे धीरे चला आ रहा था।कितना खराब गुजरा था आज का दिन।शुक्र है स्कूल में उसका यह आखिरी साल था।उसके बाद उसने इस सड़े से शहर में रहना ही नहीं।किसी अच्छी...

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'कूक' की ज़रूरत By Mohit Trendster

नीलिमा पीलीभीत में एक निजी स्कूल की शिक्षिका थी। खाली समय में वह अपने परिवार और सहकर्मियों के साथ “कूक” नाम की एक एनजीओ भी चलाती थी। इस स्वयंसेवी संस्था का मुख्य उद्देश्य उत्तर भार...

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साँझ का साथी By Chaya Agarwal

कहानी - साँझ का साथी-पापा, यह क्या किया आपने ? इतना बड़ा धोखा, वह भी अपने बच्चों के साथ क्यों किया आपने ऐसा? आख़िर क्या कमी थी हमारे प्यार में, हमारी देखभाल में, जो आपने ऐसा कदम...

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ढीठ मुस्कुराहटें... - 2 - अंतिम भाग By Zakia Zubairi

ढीठ मुस्कुराहटें... ज़किया ज़ुबैरी (2) “अरे भाभी जी, आप!.. नमस्ते।” रानी को बैठक की ओर आते हुए देख कर इन्सपेक्टर खड़ा हो गया। “अच्छा सर जी मैं चला; रिपोर्ट देता रहूंगा।” रानी ने चे...

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आदमखोर - 2 - अंतिम भाग By Roop Singh Chandel

आदमखोर (2) "लम्बरदार, आप----?" साश्चर्य उसने पूछा. "कौ---कौ----कौन---?" "मैं हूं सरजू, लम्बरदर!" "स----स----स---र---- जू----ग----ग----- जब-----ठण्ड ----है----. लगता है----प्राण निक...

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