hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • जीजीविषा - 2

    उसकी जेब में केवल चालिस रुपये बचे थे और बचा था ट्रेन पकड़ने से पहले का बहुत सारा...

  • निगरानी

    निगरानी ट्रेन रवाना होने तक रमाकांत चिंतित थे । पूरी बोगी लगभग खाली, महिला यात्र...

  • ये इश्क न था

    ये इश्क न था एक सामाजिक मुद्दे पर लिखी कहानी है जो एक ऐसी लड़की छाया की है कहान...

जीजीविषा - 2 By KAMAL KANT LAL

उसकी जेब में केवल चालिस रुपये बचे थे और बचा था ट्रेन पकड़ने से पहले का बहुत सारा समय. रात होने तक टिकट के लिए क्या जुगत भिड़ाई जाए यही सोचता हुआ वह स्टेशन से बाहर निकल कर सामने टैक...

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निगरानी By Santosh Srivastav

निगरानी ट्रेन रवाना होने तक रमाकांत चिंतित थे । पूरी बोगी लगभग खाली, महिला यात्री तो एक भी नहीं। लेकिन उन्होंने बेटी सोनल के सामने अपनी चिंता प्रकट नहीं होने दी । दिलासा देते रहे "...

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ये इश्क न था By Prahlad Pk Verma

ये इश्क न था एक सामाजिक मुद्दे पर लिखी कहानी है जो एक ऐसी लड़की छाया की है कहानी जों एक लड़के कुलदीप से प्यार करती है लेकिन जब वह 12th क्लास में दूसरी स्कूल में चली जाती है और उसक...

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ढीठ मुस्कुराहटें... - 1 By Zakia Zubairi

ढीठ मुस्कुराहटें... ज़किया ज़ुबैरी (1) “अरे भई रानी मेरी एड़ी को गुदगुदा क्यों रही हो... क्या करती हो भई... ये क्या हो रहा है... यह गीला गीला क्या है... अरे अब तो जलन भी हो रही है....

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आदमखोर - 1 By Roop Singh Chandel

आदमखोर (1) भूरे - काले बादलों का समूह अचानक पश्चिमी क्षितिज में उभरने लगा. सरजुआ के हाथ रुक गये. हंसिया नीचे रखकर वह ऊपर की ओर देखने लगा. हवा का बहाव तेज होता जा रहा था. भूरे बादलो...

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ख़ुशबू का रंग By Nasira Sharma

ख़ुशबू का रंग परिन्दों के लौटने का मौसम आ गया है। बफ़र् पिघल-पिघल कर पहाड़ों के दामन पर जमा हो गई है और जज्मीन नन्ही-नन्ही हरी कोंपलों से भर गई है। मगर मैं वहीं उसी तरह खड़ी हूँ। तुम्...

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कतरा भर रूमानियत By Dr Vinita Rahurikar

कतरा भर रूमानियत घर के सभी कामों से फुरसत पाकर चित्रा ने अपना मोबाईल उठाया और फेसबुक खोलकर बैठ गयी. पहले दोपहर भर समय काटने का साधन उपन्यास, कहानियाँ हुआ करते थे, फिर टीवी सीरियल आ...

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जीत में हार By Annada patni

जीत में हार अन्नदा पाटनी अस्पताल में आज मरीज़ कम थे । कॉफ़ी रूम में सब डाक्टर्स कॉफ़ी पीने आ बैठे । कॉफ़ी और बिस्कुट के साथ बात-चीत का दौर भी चल पड़ा । डॉ. माथुर बोले," पता है आप स...

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बूढ़े बरगद के पार By Mohit Trendster

संतुष्टि की कोई तय परिभाषा नहीं होती। बच्चा कुदरत में रोज़ दोहराये जाने वाली बात को अपने जीवन में पहली बार देख कर संतुष्ट हो सकता है, वहीं अवसाद से जूझ रहे प्रौढ़ को दुनिया की सबसे क...

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रोटी By Rajesh Kumar

"रोटी" जिसके लिए हर आदमी रातदिन मेहनत करता है चाहें वो करोड़पति हो या एक समय भूखा सोने वाला। रोटी यानी भूख मिटाने के लिए भोजन। कुछ लोगों के लिए रोटी में सैकड़ो तरह के व्यंजन पकवान हो...

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कच्चा गोश्त - 2 - अंतिम भाग By Zakia Zubairi

कच्चा गोश्त ज़किया ज़ुबैरी (2) यही सब सोचती मीना घर की ओर चली जा रही थी कि सामने से सब्बो मटकने की कोशिश कर रही थी। मीना के भीतर उसे देख कर एक उबाल सा उठा। लगता था प्रकृति जैसे उसक...

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तृष्णा By Chaya Agarwal

कहानी-----तृष्णा "मां हम कहां जा रहे हैं" नन्हे दीपू का का मासूम स्वर जब नीता के कानों में पड़ा। तो उसकी आंखें छलछला पड़ी, गला रुंध गया। पलटकर दीपू को देखा झट से उठ...

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चिड़िया उड़ गई फुर्र... By Dr Vinita Rahurikar

चिड़िया उड़ गई फुर्र... "अटकन-चटकन दही चटाकन कव्वा लाटा बनकर कांटा सुरू रुरु पानी आया चिड़िया उड़ गई फुर्र...." कहते ही निधि अपने दोनों हाथ सिर के ऊपर उठाकर जोर से किलकारियां मार क...

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कहा न कहा - 2 - अंतिम भाग By Arun Sabharwal

कहा न कहा (2) “ये देखो । मेरे चहीते का तोहफा।” पीटर ने खिल्ली उड़ाते कहा। “तुम इसे गुलदस्ता कहती हो ?” “पीटर प्लीज़, मत करो उपहास उसका”, सोचो जॉर्ज ने कितनी मेहनत की होगी सुबह-सुबह...

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शहर में घूमता हुआ आईना By Satish Sardana Kumar

चौक पर बस धीमे हुई और एक चौबीस वर्ष का नवयुवक कूदकर उतरा।उतरकर वह बाजार को जाती हुई सड़क के किनारे से तीन दुकान छोड़कर न्यूज़ पेपर एजेंट दीनबंधु एजेंसी में घुस गया।छोटे शहरों में ये ग...

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हलमा By Rajesh Kumar

वो समाज जिसे अनपढ़ और पिछड़ा समझता है,वे ही इस धरा को बचाने में अग्रणी भूमिका निभाते आए हैं और निभाएंगे भी।धर्मभूमि झाबुआ का पर्यावरण बचाने का अभियान:-सैंकड़ों ग्रामों के हजारों श्रमद...

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शून्य बटे सन्नाटा By Dr. Vandana Gupta

हवाईजहाज मेरे शहर की सीमा में पहुँच चुका था। सर्दियों में अंधेरा जल्दी घिर आता है। थोड़ी देर पहले नीले आसमान में प्रसरित सूर्यकनियों की स्वर्णिम रोशनी को स्याह अंधेरा अपनी आग...

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कुट्टी By Roop Singh Chandel

कुट्टी “यह आपको बहुत याद कर रही थी---आज खींच लायी---“ “बहुत अच्छा किया----“ मैंने मीनू को अपनी ओर खींच लिया और पास बैठाकर प्यार करने लगा. उसने एक जापानी गुड़िया पकड़ रखी थी. मैं उसे...

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इंटरव्यू By Ashish Dalal

कोट्स Newऑडियोमंचपढ़ेंप्रतियोगिताअधिक जानकारीलिखेंAshishWohoo!,Dear user,इंटरव्यूपसंद करें रेटइंटरव्यू© Ashish DalalChildren Stories 11 मिनट 290 18Content Ranking#785 in St...

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पराया कौन ??? By आयुषी सिंह

पुष्करसुबह 8 बजे" गुड मॉर्निंग विजय सर...... कैसे हैं? ""अरे भाई हम तो वैसे ही हैं जैसे रोज़ होते हैं आज जरा ज्यादा खुश हैं बस। "" सर आप अपने रिटायरमेंट पर खुश हैं....... ऐसा क्यों...

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डी एन ए' की गवाही By Shobhana Shyam

' सुहानी की आँखों से नींद इतनी दूर जा बैठी है, कि वो बुला-बुला कर थक गयी है| पलकों में ऐसे कांटे से उग आये हैं कि आँखों को ढकना भी नामुमकिन हो गया है। एक पल दिल में आक्रोश का ब...

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उनका नर्क By Roop Singh Chandel

उनका नर्क नाबदान के पास पहुंचकर उनकी कांपती टांगे ठिठक गयीं. गली में दूर तक पानी इकट्ठा हो गया था. बरसात थमे काफी देर हो चुकी थी, लेकिन छत और आंगन का पानी भक-भक की आवाज के साथ अभी...

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खाली मकान By Jaishree Roy

खाली मकान जयश्री रॉय इतनी सारी चीजें- महंगी घड़ी, परफ्यूम, साड़ियां, सुगर-ब्लड प्रेशर जांचने के यंत्र... कितने सारे महंगे उपहार ले आया है परिमल उसके लिये! अपराजिता इन्हें परे हटा कर...

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सोशल मीडिया और दरकते रिश्ते By Dr Monika Sharma

सोशल मीडिया और दरकते रिश्ते सोशल मीडिया पर मौजूदगी और व्यस्तता रिश्तों से समय और संवाद ही नहीं छीन रही बल्कि आपराधिक घटनाओं का कारण भी बन रही है | वैवाहिक बंधन में दूरियाँ लाने और...

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बड़े घर की बहू की हत्या By Prahlad Pk Verma

ये एक सामाजिक कहानी है जिसमें एक बड़े घर अपनी बहू को मार दिया जाता है क्योंकि जब उसका जेठ उसके साथ जबरदस्ती करता है तो वह उसका विरोध करती है तथा इसके खिलाफ केस करने की धमकी देती है...

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पोता आ गया था By Satish Sardana Kumar

पोता आ गया था।ताऊ ने दादी के सामने प्रण लिया था कि पितृहीन इस बालक को सदैव अपनी स्नेह छाया में रखूंगा और उसे पिता की कमी कभी महसूस नहीं होने दूंगा।दादा ने अपने खोए बेटे की प्रतिबिं...

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बाँसुरी के सुर By Sneh Goswami

बांसुरी के सुर सूर्यदेव की तंद्रा अभी टूटी नहीं थी । आसमान सुरमई रंग में रंगा था । पहली किरण ने धरती पर पहला पैर रखा ही था कि सुबह सुबह दरवाजे पर खटखट हुई । इतनी सुबह ! कौन हो...

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हे भगवान By Annada patni

हे भगवान अन्नदा पाटनी नई दिल्ली स्टेशन के प्लेटफ़ॉर्म पर गाड़ी खड़ी थी । खिड़की की तरफ़ एक बीस-बाईस साल का नौजवान बैठा था। खिड़की के बाहर से उस लड़के की माँ उदास खड़ी थी और रुक रुक...

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सरौता By Amitabh Mishra

सरौता अमिताभ मिश्र “ अरे अरे ये क्या कर रहे हैं।“ “ यह आपके सामान के साथ नहीं जा पाएगा।“ “ क्यों इसमें क्या दिक्कत है जी।“ “ माताजी ये अलाउड नहीं है। इसे बाहर निकालिए और समय मत बरब...

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दोषमुक्त By Sushma Tiwari

फोन की घंटी लगातार बजे जा रही है। और उसके साथ ही सुमन की घबराहट, "क्या करूँ उठाऊं की नहीं.. नहीं उठाऊंगी.. नहीं दे पाऊँगी अब और जवाब, क्या जाने अंजलि क्या सोच रही होगी मेरे बारे मे...

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उडा़न By Roop Singh Chandel

उडा़न मैं उसे पहचान नहीं पाया. तब, नितम्बों तक लहराते घने काले बाल थे उसके. बालों को वह खुला रखती, जो उसकी पीठ पर छाये रहते. नपे-तुले, लेकिन तेज कदमों से जब वह चलती तब साड़ी पर अठखे...

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अपने होने का एक दिन By Jaishree Roy

अपने होने का एक दिन आँख खुलने के बाद भी देर तक बिस्तर पर पड़ी रही थी। आज उठने की कोई जल्दी नहीं। रविवार है। घर में भी कोई नहीं। मनोज कल ऑफिस के काम से बाहर गए हैं। शाम तक लौटने की ब...

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अपना पता By Jaishree Roy

अपना पता संशोधित रात के निपट सन्नाटे में अपने घर के सामने खड़ा हूं, मगर अंदर जाने से पहले न जाने क्यों ठिठक गया हूँ। एक संक्षिप्त-से क्षण में जी चाहता है, उल्टे पैर लौट जाऊँ। क्यों...

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दो परिवारों की कथा By Satish Sardana Kumar

उसने घर के खुले दरवाजे में एक पैर रखा और अपना स्कूलबैग वहीं से इस अंदाज में उछलकर फेंका कि बैग आंगन को पार करता हुआ बरामदे में रखे तख़्त पर जाकर गिरा।उसे ऐसा करते देख उसकी मां ने द...

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वो करवट फेर कर सो गयी By Vijay Vibhor

राकेश और सरस्वती का विवाह बहुत कम उम्र में हो गया था । सच में तो कानून की दृष्टि से उनके विवाह की उम्र पूरी होने से कुछ पहले ही । दूसरा सच ये भी था कि शिक्षा प्राप्ति की जिस उम्र म...

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सच की तस्वीर By Chandresh Kumar Chhatlani

आनंद जी अनमने मन से हर तस्वीर को देखते जा रहे थे। विद्यालय के प्रिंसिपल महोदय उनके साथ थे और सारे विद्यार्थी सांस रोके इस प्रतीक्षा में थे कि, जिसकी बनाई तस्वीर को प्रथम पुरस्कार म...

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हम तुमसे ना कुछ कह पाये By महेश रौतेला

हम तुमसे ना कुछ कह पाये"हम तुमसे ना कुछ कह पायेतुम हमसे ना कुछ कह पाये--- फिल्म-जिद्दी।"एक लड़का ये गीत गा रहा था। मैं समाचार पत्र में एक समाचार पढ़ रहा था जिसमें लिखा था कि महाराष्ट...

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वायरस By अमरदीप कुमार

वायरस घाट की सीढ़ियों से गंगा के किनारे की ओर जा रहा था।आज भीखमंगे बहुत कम संख्या में कार्यरत थे।वहाँ उपस्थित भीखमंगों के चेहरे पर की अनगिनत आँखे बहुत चिंतित लग रही थी।हमने...

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आलेख - पकडुआ शादी ( Forced Marriage ) By S Sinha

आलेख - पकडुआ शादी ( Forced Marriage ) शायद मध्य एशिया और अफ्रीका के कुछ देशों - मॉल्डोवा , चेचेन्या , क्रिग्रीज़स्तान , रवांडा , इथिओपिया , केन्...

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कुबेर - 9 By Hansa Deep

कुबेर डॉ. हंसा दीप 9 स्कूल की यादें धन्नू के लिए एक दु:स्वप्न की तरह थीं लेकिन बुनियाद वहीं रखी गयी थी। फीस के पैसों की उगाही बार-बार उसके ज़ेहन को पढ़ाई-लिखाई से दूर रहने को मज़बू...

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जीजीविषा - 2 By KAMAL KANT LAL

उसकी जेब में केवल चालिस रुपये बचे थे और बचा था ट्रेन पकड़ने से पहले का बहुत सारा समय. रात होने तक टिकट के लिए क्या जुगत भिड़ाई जाए यही सोचता हुआ वह स्टेशन से बाहर निकल कर सामने टैक...

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निगरानी By Santosh Srivastav

निगरानी ट्रेन रवाना होने तक रमाकांत चिंतित थे । पूरी बोगी लगभग खाली, महिला यात्री तो एक भी नहीं। लेकिन उन्होंने बेटी सोनल के सामने अपनी चिंता प्रकट नहीं होने दी । दिलासा देते रहे "...

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ये इश्क न था By Prahlad Pk Verma

ये इश्क न था एक सामाजिक मुद्दे पर लिखी कहानी है जो एक ऐसी लड़की छाया की है कहानी जों एक लड़के कुलदीप से प्यार करती है लेकिन जब वह 12th क्लास में दूसरी स्कूल में चली जाती है और उसक...

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ढीठ मुस्कुराहटें... - 1 By Zakia Zubairi

ढीठ मुस्कुराहटें... ज़किया ज़ुबैरी (1) “अरे भई रानी मेरी एड़ी को गुदगुदा क्यों रही हो... क्या करती हो भई... ये क्या हो रहा है... यह गीला गीला क्या है... अरे अब तो जलन भी हो रही है....

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आदमखोर - 1 By Roop Singh Chandel

आदमखोर (1) भूरे - काले बादलों का समूह अचानक पश्चिमी क्षितिज में उभरने लगा. सरजुआ के हाथ रुक गये. हंसिया नीचे रखकर वह ऊपर की ओर देखने लगा. हवा का बहाव तेज होता जा रहा था. भूरे बादलो...

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ख़ुशबू का रंग By Nasira Sharma

ख़ुशबू का रंग परिन्दों के लौटने का मौसम आ गया है। बफ़र् पिघल-पिघल कर पहाड़ों के दामन पर जमा हो गई है और जज्मीन नन्ही-नन्ही हरी कोंपलों से भर गई है। मगर मैं वहीं उसी तरह खड़ी हूँ। तुम्...

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कतरा भर रूमानियत By Dr Vinita Rahurikar

कतरा भर रूमानियत घर के सभी कामों से फुरसत पाकर चित्रा ने अपना मोबाईल उठाया और फेसबुक खोलकर बैठ गयी. पहले दोपहर भर समय काटने का साधन उपन्यास, कहानियाँ हुआ करते थे, फिर टीवी सीरियल आ...

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जीत में हार By Annada patni

जीत में हार अन्नदा पाटनी अस्पताल में आज मरीज़ कम थे । कॉफ़ी रूम में सब डाक्टर्स कॉफ़ी पीने आ बैठे । कॉफ़ी और बिस्कुट के साथ बात-चीत का दौर भी चल पड़ा । डॉ. माथुर बोले," पता है आप स...

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बूढ़े बरगद के पार By Mohit Trendster

संतुष्टि की कोई तय परिभाषा नहीं होती। बच्चा कुदरत में रोज़ दोहराये जाने वाली बात को अपने जीवन में पहली बार देख कर संतुष्ट हो सकता है, वहीं अवसाद से जूझ रहे प्रौढ़ को दुनिया की सबसे क...

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रोटी By Rajesh Kumar

"रोटी" जिसके लिए हर आदमी रातदिन मेहनत करता है चाहें वो करोड़पति हो या एक समय भूखा सोने वाला। रोटी यानी भूख मिटाने के लिए भोजन। कुछ लोगों के लिए रोटी में सैकड़ो तरह के व्यंजन पकवान हो...

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कच्चा गोश्त - 2 - अंतिम भाग By Zakia Zubairi

कच्चा गोश्त ज़किया ज़ुबैरी (2) यही सब सोचती मीना घर की ओर चली जा रही थी कि सामने से सब्बो मटकने की कोशिश कर रही थी। मीना के भीतर उसे देख कर एक उबाल सा उठा। लगता था प्रकृति जैसे उसक...

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तृष्णा By Chaya Agarwal

कहानी-----तृष्णा "मां हम कहां जा रहे हैं" नन्हे दीपू का का मासूम स्वर जब नीता के कानों में पड़ा। तो उसकी आंखें छलछला पड़ी, गला रुंध गया। पलटकर दीपू को देखा झट से उठ...

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चिड़िया उड़ गई फुर्र... By Dr Vinita Rahurikar

चिड़िया उड़ गई फुर्र... "अटकन-चटकन दही चटाकन कव्वा लाटा बनकर कांटा सुरू रुरु पानी आया चिड़िया उड़ गई फुर्र...." कहते ही निधि अपने दोनों हाथ सिर के ऊपर उठाकर जोर से किलकारियां मार क...

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कहा न कहा - 2 - अंतिम भाग By Arun Sabharwal

कहा न कहा (2) “ये देखो । मेरे चहीते का तोहफा।” पीटर ने खिल्ली उड़ाते कहा। “तुम इसे गुलदस्ता कहती हो ?” “पीटर प्लीज़, मत करो उपहास उसका”, सोचो जॉर्ज ने कितनी मेहनत की होगी सुबह-सुबह...

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शहर में घूमता हुआ आईना By Satish Sardana Kumar

चौक पर बस धीमे हुई और एक चौबीस वर्ष का नवयुवक कूदकर उतरा।उतरकर वह बाजार को जाती हुई सड़क के किनारे से तीन दुकान छोड़कर न्यूज़ पेपर एजेंट दीनबंधु एजेंसी में घुस गया।छोटे शहरों में ये ग...

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हलमा By Rajesh Kumar

वो समाज जिसे अनपढ़ और पिछड़ा समझता है,वे ही इस धरा को बचाने में अग्रणी भूमिका निभाते आए हैं और निभाएंगे भी।धर्मभूमि झाबुआ का पर्यावरण बचाने का अभियान:-सैंकड़ों ग्रामों के हजारों श्रमद...

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हवाईजहाज मेरे शहर की सीमा में पहुँच चुका था। सर्दियों में अंधेरा जल्दी घिर आता है। थोड़ी देर पहले नीले आसमान में प्रसरित सूर्यकनियों की स्वर्णिम रोशनी को स्याह अंधेरा अपनी आग...

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कुट्टी By Roop Singh Chandel

कुट्टी “यह आपको बहुत याद कर रही थी---आज खींच लायी---“ “बहुत अच्छा किया----“ मैंने मीनू को अपनी ओर खींच लिया और पास बैठाकर प्यार करने लगा. उसने एक जापानी गुड़िया पकड़ रखी थी. मैं उसे...

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इंटरव्यू By Ashish Dalal

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पराया कौन ??? By आयुषी सिंह

पुष्करसुबह 8 बजे" गुड मॉर्निंग विजय सर...... कैसे हैं? ""अरे भाई हम तो वैसे ही हैं जैसे रोज़ होते हैं आज जरा ज्यादा खुश हैं बस। "" सर आप अपने रिटायरमेंट पर खुश हैं....... ऐसा क्यों...

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डी एन ए' की गवाही By Shobhana Shyam

' सुहानी की आँखों से नींद इतनी दूर जा बैठी है, कि वो बुला-बुला कर थक गयी है| पलकों में ऐसे कांटे से उग आये हैं कि आँखों को ढकना भी नामुमकिन हो गया है। एक पल दिल में आक्रोश का ब...

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उनका नर्क By Roop Singh Chandel

उनका नर्क नाबदान के पास पहुंचकर उनकी कांपती टांगे ठिठक गयीं. गली में दूर तक पानी इकट्ठा हो गया था. बरसात थमे काफी देर हो चुकी थी, लेकिन छत और आंगन का पानी भक-भक की आवाज के साथ अभी...

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खाली मकान By Jaishree Roy

खाली मकान जयश्री रॉय इतनी सारी चीजें- महंगी घड़ी, परफ्यूम, साड़ियां, सुगर-ब्लड प्रेशर जांचने के यंत्र... कितने सारे महंगे उपहार ले आया है परिमल उसके लिये! अपराजिता इन्हें परे हटा कर...

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सोशल मीडिया और दरकते रिश्ते By Dr Monika Sharma

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बड़े घर की बहू की हत्या By Prahlad Pk Verma

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पोता आ गया था By Satish Sardana Kumar

पोता आ गया था।ताऊ ने दादी के सामने प्रण लिया था कि पितृहीन इस बालक को सदैव अपनी स्नेह छाया में रखूंगा और उसे पिता की कमी कभी महसूस नहीं होने दूंगा।दादा ने अपने खोए बेटे की प्रतिबिं...

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बाँसुरी के सुर By Sneh Goswami

बांसुरी के सुर सूर्यदेव की तंद्रा अभी टूटी नहीं थी । आसमान सुरमई रंग में रंगा था । पहली किरण ने धरती पर पहला पैर रखा ही था कि सुबह सुबह दरवाजे पर खटखट हुई । इतनी सुबह ! कौन हो...

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हे भगवान By Annada patni

हे भगवान अन्नदा पाटनी नई दिल्ली स्टेशन के प्लेटफ़ॉर्म पर गाड़ी खड़ी थी । खिड़की की तरफ़ एक बीस-बाईस साल का नौजवान बैठा था। खिड़की के बाहर से उस लड़के की माँ उदास खड़ी थी और रुक रुक...

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सरौता By Amitabh Mishra

सरौता अमिताभ मिश्र “ अरे अरे ये क्या कर रहे हैं।“ “ यह आपके सामान के साथ नहीं जा पाएगा।“ “ क्यों इसमें क्या दिक्कत है जी।“ “ माताजी ये अलाउड नहीं है। इसे बाहर निकालिए और समय मत बरब...

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दोषमुक्त By Sushma Tiwari

फोन की घंटी लगातार बजे जा रही है। और उसके साथ ही सुमन की घबराहट, "क्या करूँ उठाऊं की नहीं.. नहीं उठाऊंगी.. नहीं दे पाऊँगी अब और जवाब, क्या जाने अंजलि क्या सोच रही होगी मेरे बारे मे...

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उडा़न By Roop Singh Chandel

उडा़न मैं उसे पहचान नहीं पाया. तब, नितम्बों तक लहराते घने काले बाल थे उसके. बालों को वह खुला रखती, जो उसकी पीठ पर छाये रहते. नपे-तुले, लेकिन तेज कदमों से जब वह चलती तब साड़ी पर अठखे...

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अपने होने का एक दिन By Jaishree Roy

अपने होने का एक दिन आँख खुलने के बाद भी देर तक बिस्तर पर पड़ी रही थी। आज उठने की कोई जल्दी नहीं। रविवार है। घर में भी कोई नहीं। मनोज कल ऑफिस के काम से बाहर गए हैं। शाम तक लौटने की ब...

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अपना पता By Jaishree Roy

अपना पता संशोधित रात के निपट सन्नाटे में अपने घर के सामने खड़ा हूं, मगर अंदर जाने से पहले न जाने क्यों ठिठक गया हूँ। एक संक्षिप्त-से क्षण में जी चाहता है, उल्टे पैर लौट जाऊँ। क्यों...

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दो परिवारों की कथा By Satish Sardana Kumar

उसने घर के खुले दरवाजे में एक पैर रखा और अपना स्कूलबैग वहीं से इस अंदाज में उछलकर फेंका कि बैग आंगन को पार करता हुआ बरामदे में रखे तख़्त पर जाकर गिरा।उसे ऐसा करते देख उसकी मां ने द...

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वो करवट फेर कर सो गयी By Vijay Vibhor

राकेश और सरस्वती का विवाह बहुत कम उम्र में हो गया था । सच में तो कानून की दृष्टि से उनके विवाह की उम्र पूरी होने से कुछ पहले ही । दूसरा सच ये भी था कि शिक्षा प्राप्ति की जिस उम्र म...

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सच की तस्वीर By Chandresh Kumar Chhatlani

आनंद जी अनमने मन से हर तस्वीर को देखते जा रहे थे। विद्यालय के प्रिंसिपल महोदय उनके साथ थे और सारे विद्यार्थी सांस रोके इस प्रतीक्षा में थे कि, जिसकी बनाई तस्वीर को प्रथम पुरस्कार म...

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हम तुमसे ना कुछ कह पाये By महेश रौतेला

हम तुमसे ना कुछ कह पाये"हम तुमसे ना कुछ कह पायेतुम हमसे ना कुछ कह पाये--- फिल्म-जिद्दी।"एक लड़का ये गीत गा रहा था। मैं समाचार पत्र में एक समाचार पढ़ रहा था जिसमें लिखा था कि महाराष्ट...

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वायरस By अमरदीप कुमार

वायरस घाट की सीढ़ियों से गंगा के किनारे की ओर जा रहा था।आज भीखमंगे बहुत कम संख्या में कार्यरत थे।वहाँ उपस्थित भीखमंगों के चेहरे पर की अनगिनत आँखे बहुत चिंतित लग रही थी।हमने...

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आलेख - पकडुआ शादी ( Forced Marriage ) By S Sinha

आलेख - पकडुआ शादी ( Forced Marriage ) शायद मध्य एशिया और अफ्रीका के कुछ देशों - मॉल्डोवा , चेचेन्या , क्रिग्रीज़स्तान , रवांडा , इथिओपिया , केन्...

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कुबेर - 9 By Hansa Deep

कुबेर डॉ. हंसा दीप 9 स्कूल की यादें धन्नू के लिए एक दु:स्वप्न की तरह थीं लेकिन बुनियाद वहीं रखी गयी थी। फीस के पैसों की उगाही बार-बार उसके ज़ेहन को पढ़ाई-लिखाई से दूर रहने को मज़बू...

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