hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • कुबेर - 6

    कुबेर डॉ. हंसा दीप 6 गुप्ता जी के ढाबे पर एक बेरंग चिट्ठी की तरह लौट आया वह। सेठ...

  • मौत का उत्सव

    मौत का उत्सवदो दिन से हर न्यूज चैनल पर उमा देवी की चर्चा हो...

  • भूत बाधा हवन बनाम एक्सोरसिस्म

    पुणे से कुछ दूर एक वीरान सी बस्ती में लगभग आधा दर्जन परिवार रहते थे। वहां दो पड़ो...

कुबेर - 6 By Hansa Deep

कुबेर डॉ. हंसा दीप 6 गुप्ता जी के ढाबे पर एक बेरंग चिट्ठी की तरह लौट आया वह। सेठजी को बताया माँ-बाबू के बारे में तो वे भी उदास हुए। धन्नू का उतरा चेहरा उन्हें सब कुछ बता रहा था। क्...

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पत्ते झड़ने का मौसम By Vandana Gupta

पत्ते झड़ने का मौसम पत्ते झड़ने का मौसम है मगर उम्र के चिन्ह नदारद. एक जवान का दिल और सेहत सुभान अल्लाह. उमंगों का सागर ठाठें मारता अंगड़ाईयाँ भरता जवानी के जोश से भरपूर. ऐसा व्यक्तित...

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मौत का उत्सव By Meenakshi Singh

मौत का उत्सवदो दिन से हर न्यूज चैनल पर उमा देवी की चर्चा हो रही है। हर बहस के केन्द्र में उनका नाम है। सत्तारूढ़ पार्टी और विपक्ष में जुबानी जंग छिड़ी हुई है।...

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सर्जिकल स्ट्राइक By bharat Thakur

कोमल की सिसकियां पूरे कमरे में गूंज रही थी। निवेदिता ने उसका हाथ धरा और आंखों से ही उसे सांत्वना देने लगी। कौशल्या वही पास खड़ी निवेदिता और कोमल को देख रही थी, पर एक शब्द न बोली। वह...

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बीस साल बाद By Satish Sardana Kumar

बस रुकी तो वह ख्यालों की दुनिया से बाहर आया।"जेल!जेल!!"कंडक्टर कह रहा था।उसे याद आया कि उसे यो इसी स्टैंड पर उतरना था।एकदम वह अपनी सीट से उठा और लपक कर बस से बाहर!हाउसिंग बोर्ड कॉल...

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सरहद के इस पार By Nasira Sharma

सरहद के इस पार खपरैल तड़ातड़ कच्चे आँगन में गिरकर टूट रही थी। मगर किसी में हिम्मत नहीं थी कि आँगन में निकलकर या फिर दालान से ही रेहान को आवाज़ देकर मना करता। अम्मा को दौरा पड़ गया...

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राय साहब की चौथी बेटी - 19 - अंतिम भाग By Prabodh Kumar Govil

राय साहब की चौथी बेटी प्रबोध कुमार गोविल 19 चाहे अम्मा अब किसी को पहचानें या नहीं पहचानें लेकिन कुछ दिन दोनों बेटियों के साथ रहने पर उनके चेहरे पर कुछ रौनक ज़रूर आ गई। बेटियां सुबह...

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चौपाल By Rajesh Kumar

चौपाल शब्द बीते समय में बहुत मायने रखता था। अब ये महज़ किताबी शब्द बनकर रह गया है। जब कभी कहीं पर कुछ बुजुर्ग लोग बैठे हो जिन्होंने चौपाल पर अपनी जिंदगी के कुछ पल बिताए हो, तब उनके...

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सवाल By Dr pradeep Upadhyay

सवाल उसे अपना बीता कल याद आ रहा था जब लोग उसके भाग्य से ईर्ष्या करते थे। शादी के बाद वह बड़े-बड़े बंगलों में रही ,उसके पति दीपक बड़े सरकारी अफसर जो थे।इसलिए जहाँ भी ट्रांसफर होकर गये...

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भूत बाधा हवन बनाम एक्सोरसिस्म By Mohit Trendster

पुणे से कुछ दूर एक वीरान सी बस्ती में लगभग आधा दर्जन परिवार रहते थे। वहां दो पड़ोस के पुराने घरों में कई सालों से दो भूत रहते थे। एक का नाम था विनायक और दूसरी थी क्रिस्टीन। दोनों बड़...

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शर्मिंदगी By Satish Sardana Kumar

हमारा बाजीगरों का मोहल्ला था।बाजीगर मतलब नट!हालांकि हम लोग खुद को उनसे ऊंची जाति का समझते।नट दो बांसों के बीच तनी हुई रस्सी पर संतुलन बैठाकर चलने का खेल दिखाने वाले।रमल के पांसों स...

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वह लडकी By Kishanlal Sharma

"जानेमन नाज़ुक पैरों पर कयो जुल्म ढा रही हो?बंदा हाजिर है,खिदमत करने को"राजूू स्ककूूटर पर इरा के पीछे चलता, जो उसके मन मे आ रहा था।बके जा रहा था।इरा उसकी बातों को अनसुनीी करके गर्द...

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आखिर कब तक ... ... बडा आदमी By The Real Ghost

इस बार सर्दी पिछले सालों की अपेक्षा कुछ ज्यादा थी परन्तु अब सर्दी के आखिरी दिन चल रहे थे इसीलिए मौसम सुहावना था ऑफिस से भी लगातार तीन दिन की छुट्टी जैसे सोने पे सुहागा | एक छुट्टी...

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एक थी रतना By Nisha Nandini Gupta

एक थी रतना आज भी मुझे अच्छी तरह याद है वो समय था दुर्गापूजा की अष्टमी का । जब रतना मेरी जिंदगी में आई थी । यही कोई शाम के छह- सात बजे का समय था, अंधेरा हो गया था । यूँ भी असम में ज...

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इस दश्‍त में एक शहर था - 21 - अंतिम भाग By Amitabh Mishra

इस दश्‍त में एक शहर था अमिताभ मिश्र (21) ये कोई बहुत ज्यादा समय नहीं हुआ है जब इस परिवार की साझा जमीन हुआ करती थी। तकरीबन सात एकड़ के आसपास जिसमें एक जंगल था बकायदा बबूल, खजूर, कबीट...

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मूक प्रेम By Nisha Nandini Gupta

मूक प्रेम (कहानी) आज लगभग एक साल हो गया उसको देखते हुए वह प्रति दिन प्रातः काल ठीक आठ चालीस पर उसके घर के सामने से गुजरता था कुछ देर रूकता उसे देखता फिर लाठी ठक ठकाता हुआ चल देता ।...

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तंज़ By Mohit Trendster

घरेलू बिजली उपकरण बनाने वाली कंपनी के बिक्री विभाग में लगे नदीम का समय अक्सर सफर में बीतता था। ट्रेन में समय काटने के लिए वह अक्सर आस-पास यात्रियों से बातों में मशगूल हो जाता। कभी...

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योगिनी - 18 By Mahesh Dewedy

योगिनी 18 (पुनरावतरण) बर्फ़ीला तूफ़ान थम चुका था और आकाश में बादल छंटने लगे थे. बादलों के बीच से कहीं कहीं तारे भी दिखाई देने लगे थे. हिमपात इतना अधिक हुआ था कि उन नक्षत्रों के टिमटि...

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कौन दिलों की जाने! - 43 - अंतिम भाग By Lajpat Rai Garg

कौन दिलों की जाने! तिरतालीस अप्रैल के दूसरे सप्ताह का एक दिन। सुबह मंद—मंद समीर बह रही थी। बेड छोड़ने तथा नित्यकर्म से निवृत होकर आलोक और रानी लॉन में झूले पर बैठे मॉर्निंग टी की चु...

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कुबेर - 6 By Hansa Deep

कुबेर डॉ. हंसा दीप 6 गुप्ता जी के ढाबे पर एक बेरंग चिट्ठी की तरह लौट आया वह। सेठजी को बताया माँ-बाबू के बारे में तो वे भी उदास हुए। धन्नू का उतरा चेहरा उन्हें सब कुछ बता रहा था। क्...

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पत्ते झड़ने का मौसम By Vandana Gupta

पत्ते झड़ने का मौसम पत्ते झड़ने का मौसम है मगर उम्र के चिन्ह नदारद. एक जवान का दिल और सेहत सुभान अल्लाह. उमंगों का सागर ठाठें मारता अंगड़ाईयाँ भरता जवानी के जोश से भरपूर. ऐसा व्यक्तित...

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मौत का उत्सव By Meenakshi Singh

मौत का उत्सवदो दिन से हर न्यूज चैनल पर उमा देवी की चर्चा हो रही है। हर बहस के केन्द्र में उनका नाम है। सत्तारूढ़ पार्टी और विपक्ष में जुबानी जंग छिड़ी हुई है।...

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सर्जिकल स्ट्राइक By bharat Thakur

कोमल की सिसकियां पूरे कमरे में गूंज रही थी। निवेदिता ने उसका हाथ धरा और आंखों से ही उसे सांत्वना देने लगी। कौशल्या वही पास खड़ी निवेदिता और कोमल को देख रही थी, पर एक शब्द न बोली। वह...

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बीस साल बाद By Satish Sardana Kumar

बस रुकी तो वह ख्यालों की दुनिया से बाहर आया।"जेल!जेल!!"कंडक्टर कह रहा था।उसे याद आया कि उसे यो इसी स्टैंड पर उतरना था।एकदम वह अपनी सीट से उठा और लपक कर बस से बाहर!हाउसिंग बोर्ड कॉल...

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सरहद के इस पार By Nasira Sharma

सरहद के इस पार खपरैल तड़ातड़ कच्चे आँगन में गिरकर टूट रही थी। मगर किसी में हिम्मत नहीं थी कि आँगन में निकलकर या फिर दालान से ही रेहान को आवाज़ देकर मना करता। अम्मा को दौरा पड़ गया...

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राय साहब की चौथी बेटी - 19 - अंतिम भाग By Prabodh Kumar Govil

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चौपाल By Rajesh Kumar

चौपाल शब्द बीते समय में बहुत मायने रखता था। अब ये महज़ किताबी शब्द बनकर रह गया है। जब कभी कहीं पर कुछ बुजुर्ग लोग बैठे हो जिन्होंने चौपाल पर अपनी जिंदगी के कुछ पल बिताए हो, तब उनके...

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सवाल By Dr pradeep Upadhyay

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पुणे से कुछ दूर एक वीरान सी बस्ती में लगभग आधा दर्जन परिवार रहते थे। वहां दो पड़ोस के पुराने घरों में कई सालों से दो भूत रहते थे। एक का नाम था विनायक और दूसरी थी क्रिस्टीन। दोनों बड़...

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हमारा बाजीगरों का मोहल्ला था।बाजीगर मतलब नट!हालांकि हम लोग खुद को उनसे ऊंची जाति का समझते।नट दो बांसों के बीच तनी हुई रस्सी पर संतुलन बैठाकर चलने का खेल दिखाने वाले।रमल के पांसों स...

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वह लडकी By Kishanlal Sharma

"जानेमन नाज़ुक पैरों पर कयो जुल्म ढा रही हो?बंदा हाजिर है,खिदमत करने को"राजूू स्ककूूटर पर इरा के पीछे चलता, जो उसके मन मे आ रहा था।बके जा रहा था।इरा उसकी बातों को अनसुनीी करके गर्द...

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एक थी रतना By Nisha Nandini Gupta

एक थी रतना आज भी मुझे अच्छी तरह याद है वो समय था दुर्गापूजा की अष्टमी का । जब रतना मेरी जिंदगी में आई थी । यही कोई शाम के छह- सात बजे का समय था, अंधेरा हो गया था । यूँ भी असम में ज...

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मूक प्रेम By Nisha Nandini Gupta

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योगिनी - 18 By Mahesh Dewedy

योगिनी 18 (पुनरावतरण) बर्फ़ीला तूफ़ान थम चुका था और आकाश में बादल छंटने लगे थे. बादलों के बीच से कहीं कहीं तारे भी दिखाई देने लगे थे. हिमपात इतना अधिक हुआ था कि उन नक्षत्रों के टिमटि...

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कौन दिलों की जाने! - 43 - अंतिम भाग By Lajpat Rai Garg

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