hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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कौन दिलों की जाने! - 36 By Lajpat Rai Garg

कौन दिलों की जाने! छत्तीस 28 नवम्बर रानी अभी नींद में ही थी कि उसके मोबाइल की घंटी बजी। रानी ने फोन ऑन किया। उधर से आवाज़़ आई — ‘रानी लगता है, सपनों में खोई हुई थी! कितनी देर से रिं...

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दो अजनबी और वो आवाज़ - 15 - अंतिम भाग By Pallavi Saxena

दो अजनबी और वो आवाज़ भाग-15 तुम्हें ऐसा इसलिए लग रहा है कि तुम्हें कुछ याद नहीं है। लेकिन अब मैं तुम्हें कैसे याद दिलाऊँ की हम कौन है हम “दो अजनबी” नहीं है प्रिय...हम तो दो जिस्म एक...

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जूठन By Chaya Agarwal

कहानी - जूठनकभी-कभी जीवन में इतने उतार -चढ़ाव दिखाई देते हैं, लगता है जैसे गमों का सारा समंदर ही, भीतर समा गया हो। कभी उथला, कभी गहरा जैसा भी हो, चुभन का दर्द गहराता ही जाता है, और...

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बड़ी माँ By Nisha Nandini Gupta

बड़ी माँ यह कहानी एक माँ की जुबानी है। हम सब उनको बड़ी माँ कहते हैं । मेरा उनसे प्रेम का रिश्ता है। मैं अक्सर उनके पास जाकर घंटों उनसे बातें करती हूँ। आज तक उनके मुंह से आह या दुख...

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आषाढ़ का फिर वही एक दिन - 3 - अंतिम भाग By PANKAJ SUBEER

आषाढ़ का फिर वही एक दिन (कहानी: पंकज सुबीर) (3) फाइलें साइन होने के बाद भार्गव बाबू तुरंत बाहर आ गये हैं । अब वे अपनी कुसी पर वापस बैठ गये हैं, जहाँ अब कुछ भीड़ सी हो रही है । ‘आप...

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अंतिम यात्रा By Satish Sardana Kumar

जामा मस्जिद की सीढ़ियों पर तहबाजारी लगाते हुए इतने साल गुजर गए।कितने राजा आए और चले गए।नेहरू जैसा दयानतदार शख्स न कभी आया न आएगा।उसकी लड़की इंदिरा गांधी एक अहंकारी शासक से ज्यादा कु...

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दुर्घटना  By Jyoti Prakash Rai

हम अभी रस्ते पर निकले ही थे कि एक कार तेजी से आगे कि ओर निकली उसकी गति इतनी अधिक थी की मेरी आँखे ठीक से देख भी नहीं पायी और वह कार आँखों से ओझल हो गयी, मै दोस्तों के साथ अपनी - अपन...

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एकान्त नहीं अकेलापन By Dr. Vandana Gupta

देखते ही देखते बादलों ने सूरज को अपनी आगोश में ले लिया। अंधेरा छा गया, बादलों की गर्जन सुनाई देने लगी। घनघोर काली घटा छा गयी।इधर एक घटा उसके मन के भीतर भी छा रही थी, अंधकार बढ़ता ही...

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व्हाट्स- एप नंबर By Vinita Shukla

कैलेंडर मानों मुंह चिढ़ा रहा है; घोषणा कर रहा है कि मिली का जन्मदिन है. रहरहकर उसकी यादें मुझे घेरने लगी हैं. मैं अपने दिलोदिमाग से, उन्हें बुहारकर, हटा देना चाहती हूँ. किन्तु कैसे...

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अपने–अपने ईश्वर By Vandana Bajpai

अपने–अपने ईश्वर उस समय मैं शायद ढाई या तीन साल की बच्ची थी| जब घर के मंदिर में माँ को पूजा करते देख पूछती थी| मंदिर में रखी मूर्तियों को माँ स्नान करातीं, भोग लगा तीं, धूप –दीप दिख...

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राय साहब की चौथी बेटी - 11 By Prabodh Kumar Govil

राय साहब की चौथी बेटी प्रबोध कुमार गोविल 11 राय साहब गुलाब राय ने बचपन से ही बच्चों को एक बात की तालीम बहुत असरदार तरीके से दी थी। वो कहते थे कि हमारे पास ज्ञान, पैसा, संपत्ति, संब...

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इस दश्‍त में एक शहर था - 17 By Amitabh Mishra

इस दश्‍त में एक शहर था अमिताभ मिश्र (17) यह संयुक्त परिवारों में अकसर होता था कि दो पीढ़ी लगभग एकसाथ अपना कैरियर शुरू कर रहीं होतीं थी। यहां भी तिक्कू चाचा के कैरियर के संवरते संवरत...

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इल्ज़ाम By Shobhana Shyam

सुबह से घर में एक अफरा तफरी का सा माहौल था । दो महीने छोटे बेटे के घर रहने के बाद, आज बाबूजी दो-तीन महीने के लिए यहाँ यानि बड़े बेटे के पास आने वाले हैं ।दो महीने से बंद रखी हिदायतो...

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चाभी By bharat Thakur

"पड़ोसी की रात मौत हो गयी है, एक बार उनकी लकड़ी में चले जाना!" सुबह हुई ही नही थी कि विनय के कानों पर उसकी माँ सुहासिनी की आवाज पड़ी। विनय की उम्र लगभग अठारह वर्ष की हो गयी थी। इससे प...

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मंजूषा By Pushp Saini

कहानी -- मंजूषा✍?उसकी आँखें और मुस्कराहट हमेशा से इतनी रहस्यमयी नहीं थी लेकिन जबसे उनके कमरे में वह जड़ाऊ पिटारा आया था तब से वह खुद भी रहस्यमयी हो गई थी ।सभी जानते थे कि वह उस पिट...

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एक अजनबी शाम का अफसाना By Raj Gopal S Verma

अजनबी…तुम जाने पहचाने से… लगते हो… ये बड़ी अजीब सी बात है...! समिधा गुनगुना रही थी. मन मे क्या था कौन जाने, पर रोमांच तो था ही. क्यों न हो! आज की खुशनुमा शाम का आगाज़ जो हो चला था....

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एहसानों की कीमत By Divya Sharma

आज पूरे दो साल बाद वह वापस उस घर की दहलीज पर लौटी थी।कभी इस घर में अरमानों को मन में बहाए दुल्हन के वेश में आई थी।दो साल, दो साल तक खुद को तलाशती सीमा आज फिर से वहीं थी।उसके हाथों...

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तीसरा मोर्चा By Nasira Sharma

तीसरा मोर्चा सारा मोहल्ला साँय-साँय कर रहा था। रहमान को राहुल कहीं नज'र नहीं आया। वह कुछ देर परेशान-सा राहुल के घर के सामने खड़ा रहा, फि़र जाने कैसे उसे इस सन्नाटे से भय लगने लग...

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कुर्सी अभी भी खाली है.. By Madhu Arora

....कुर्सी अभी भी खाली है.... यह अभय भी एक अजीब शख्‍स़ हैं। एक ही इंसान के इतने मुखौटे, उसके व्‍यक्‍तित्‍व की इतनी पर्तें कैसे हो सकती हैं? उसका अच्‍छा ख़ासा क़द याने छ: फुट। उम्र...

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योगिनी - 9 By Mahesh Dewedy

योगिनी 9 ‘‘हाय! ह्वेयर आर यू फ्रा़म’’ दीवान मार्केट से लौटकर मीता जब अपने कमरे का ताला खोल रही थी, तभी पीछे से एक गोरी अधेड़ महिला की चहकती सी आवाज़ आई। मीता के ‘‘आय ऐम फ्रा़म इंडिया...

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संन्यासी By Jitendra Shivhare

*संन्यासी-कहानी* *व* ह लगातार गौतम महाराज पर किचड़ उछाल रहा था। महाराज के शिष्य क्रोधित थे। उन्हें मात्र महाराज की अनुमति चाहिए थी। इतने में ही वे उस युवक की जीवनलीला समाप्त कर सकते...

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ततइया - 3 - अंतिम भाग By Nasira Sharma

ततइया (3) ”नहा-धोकर भोर में ही तैयार हो जाया कर, सारा दिन लोग आते-जाते हैं, अच्छा नहीं लगता बहू !“शन्नो उल्टे पैर कोठरी में वापस चली गई। बारिन का चेहरा पीला चड़ गया। सिल्लो ने गटागट...

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रिमोट से चलने वाला गुड्डा - 3 - अंतिम भाग By Mazkoor Alam

रिमोट से चलने वाला गुड्डा मज्कूर आलम (3) वह व्यंग्यात्मक अंदाज में मुस्कुराई- ठीक कहते हो... आजकल तो रिश्तों पर भी आत्मघाती हमले होते हैं। एक बार फिर असलम मुंह फाड़े एकटक उसकी ओर द...

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कौन दिलों की जाने! - 36 By Lajpat Rai Garg

कौन दिलों की जाने! छत्तीस 28 नवम्बर रानी अभी नींद में ही थी कि उसके मोबाइल की घंटी बजी। रानी ने फोन ऑन किया। उधर से आवाज़़ आई — ‘रानी लगता है, सपनों में खोई हुई थी! कितनी देर से रिं...

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दो अजनबी और वो आवाज़ - 15 - अंतिम भाग By Pallavi Saxena

दो अजनबी और वो आवाज़ भाग-15 तुम्हें ऐसा इसलिए लग रहा है कि तुम्हें कुछ याद नहीं है। लेकिन अब मैं तुम्हें कैसे याद दिलाऊँ की हम कौन है हम “दो अजनबी” नहीं है प्रिय...हम तो दो जिस्म एक...

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जूठन By Chaya Agarwal

कहानी - जूठनकभी-कभी जीवन में इतने उतार -चढ़ाव दिखाई देते हैं, लगता है जैसे गमों का सारा समंदर ही, भीतर समा गया हो। कभी उथला, कभी गहरा जैसा भी हो, चुभन का दर्द गहराता ही जाता है, और...

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बड़ी माँ By Nisha Nandini Gupta

बड़ी माँ यह कहानी एक माँ की जुबानी है। हम सब उनको बड़ी माँ कहते हैं । मेरा उनसे प्रेम का रिश्ता है। मैं अक्सर उनके पास जाकर घंटों उनसे बातें करती हूँ। आज तक उनके मुंह से आह या दुख...

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आषाढ़ का फिर वही एक दिन - 3 - अंतिम भाग By PANKAJ SUBEER

आषाढ़ का फिर वही एक दिन (कहानी: पंकज सुबीर) (3) फाइलें साइन होने के बाद भार्गव बाबू तुरंत बाहर आ गये हैं । अब वे अपनी कुसी पर वापस बैठ गये हैं, जहाँ अब कुछ भीड़ सी हो रही है । ‘आप...

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अंतिम यात्रा By Satish Sardana Kumar

जामा मस्जिद की सीढ़ियों पर तहबाजारी लगाते हुए इतने साल गुजर गए।कितने राजा आए और चले गए।नेहरू जैसा दयानतदार शख्स न कभी आया न आएगा।उसकी लड़की इंदिरा गांधी एक अहंकारी शासक से ज्यादा कु...

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दुर्घटना  By Jyoti Prakash Rai

हम अभी रस्ते पर निकले ही थे कि एक कार तेजी से आगे कि ओर निकली उसकी गति इतनी अधिक थी की मेरी आँखे ठीक से देख भी नहीं पायी और वह कार आँखों से ओझल हो गयी, मै दोस्तों के साथ अपनी - अपन...

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एकान्त नहीं अकेलापन By Dr. Vandana Gupta

देखते ही देखते बादलों ने सूरज को अपनी आगोश में ले लिया। अंधेरा छा गया, बादलों की गर्जन सुनाई देने लगी। घनघोर काली घटा छा गयी।इधर एक घटा उसके मन के भीतर भी छा रही थी, अंधकार बढ़ता ही...

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व्हाट्स- एप नंबर By Vinita Shukla

कैलेंडर मानों मुंह चिढ़ा रहा है; घोषणा कर रहा है कि मिली का जन्मदिन है. रहरहकर उसकी यादें मुझे घेरने लगी हैं. मैं अपने दिलोदिमाग से, उन्हें बुहारकर, हटा देना चाहती हूँ. किन्तु कैसे...

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अपने–अपने ईश्वर By Vandana Bajpai

अपने–अपने ईश्वर उस समय मैं शायद ढाई या तीन साल की बच्ची थी| जब घर के मंदिर में माँ को पूजा करते देख पूछती थी| मंदिर में रखी मूर्तियों को माँ स्नान करातीं, भोग लगा तीं, धूप –दीप दिख...

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राय साहब की चौथी बेटी - 11 By Prabodh Kumar Govil

राय साहब की चौथी बेटी प्रबोध कुमार गोविल 11 राय साहब गुलाब राय ने बचपन से ही बच्चों को एक बात की तालीम बहुत असरदार तरीके से दी थी। वो कहते थे कि हमारे पास ज्ञान, पैसा, संपत्ति, संब...

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इस दश्‍त में एक शहर था - 17 By Amitabh Mishra

इस दश्‍त में एक शहर था अमिताभ मिश्र (17) यह संयुक्त परिवारों में अकसर होता था कि दो पीढ़ी लगभग एकसाथ अपना कैरियर शुरू कर रहीं होतीं थी। यहां भी तिक्कू चाचा के कैरियर के संवरते संवरत...

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इल्ज़ाम By Shobhana Shyam

सुबह से घर में एक अफरा तफरी का सा माहौल था । दो महीने छोटे बेटे के घर रहने के बाद, आज बाबूजी दो-तीन महीने के लिए यहाँ यानि बड़े बेटे के पास आने वाले हैं ।दो महीने से बंद रखी हिदायतो...

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मंजूषा By Pushp Saini

कहानी -- मंजूषा✍?उसकी आँखें और मुस्कराहट हमेशा से इतनी रहस्यमयी नहीं थी लेकिन जबसे उनके कमरे में वह जड़ाऊ पिटारा आया था तब से वह खुद भी रहस्यमयी हो गई थी ।सभी जानते थे कि वह उस पिट...

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एक अजनबी शाम का अफसाना By Raj Gopal S Verma

अजनबी…तुम जाने पहचाने से… लगते हो… ये बड़ी अजीब सी बात है...! समिधा गुनगुना रही थी. मन मे क्या था कौन जाने, पर रोमांच तो था ही. क्यों न हो! आज की खुशनुमा शाम का आगाज़ जो हो चला था....

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एहसानों की कीमत By Divya Sharma

आज पूरे दो साल बाद वह वापस उस घर की दहलीज पर लौटी थी।कभी इस घर में अरमानों को मन में बहाए दुल्हन के वेश में आई थी।दो साल, दो साल तक खुद को तलाशती सीमा आज फिर से वहीं थी।उसके हाथों...

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तीसरा मोर्चा By Nasira Sharma

तीसरा मोर्चा सारा मोहल्ला साँय-साँय कर रहा था। रहमान को राहुल कहीं नज'र नहीं आया। वह कुछ देर परेशान-सा राहुल के घर के सामने खड़ा रहा, फि़र जाने कैसे उसे इस सन्नाटे से भय लगने लग...

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कुर्सी अभी भी खाली है.. By Madhu Arora

....कुर्सी अभी भी खाली है.... यह अभय भी एक अजीब शख्‍स़ हैं। एक ही इंसान के इतने मुखौटे, उसके व्‍यक्‍तित्‍व की इतनी पर्तें कैसे हो सकती हैं? उसका अच्‍छा ख़ासा क़द याने छ: फुट। उम्र...

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योगिनी - 9 By Mahesh Dewedy

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संन्यासी By Jitendra Shivhare

*संन्यासी-कहानी* *व* ह लगातार गौतम महाराज पर किचड़ उछाल रहा था। महाराज के शिष्य क्रोधित थे। उन्हें मात्र महाराज की अनुमति चाहिए थी। इतने में ही वे उस युवक की जीवनलीला समाप्त कर सकते...

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ततइया - 3 - अंतिम भाग By Nasira Sharma

ततइया (3) ”नहा-धोकर भोर में ही तैयार हो जाया कर, सारा दिन लोग आते-जाते हैं, अच्छा नहीं लगता बहू !“शन्नो उल्टे पैर कोठरी में वापस चली गई। बारिन का चेहरा पीला चड़ गया। सिल्लो ने गटागट...

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रिमोट से चलने वाला गुड्डा - 3 - अंतिम भाग By Mazkoor Alam

रिमोट से चलने वाला गुड्डा मज्कूर आलम (3) वह व्यंग्यात्मक अंदाज में मुस्कुराई- ठीक कहते हो... आजकल तो रिश्तों पर भी आत्मघाती हमले होते हैं। एक बार फिर असलम मुंह फाड़े एकटक उसकी ओर द...

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