hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


Languages
Categories
Featured Books
  • लाख़ बहाने

    पण्डित भगवानदास जी का भरापूरा परिवार है। परिवार में सात बेटे, बेटों की पत्नीयाँ।...

  • हट जा ताऊ पाछै नै

    हरियाणा में 'ताऊ' मात्र एक शब्द भर नहीं है, बल्कि बहुत सम्मानजनक सम्बोधन और सामा...

  • पलायन

    पलायन:फेसबुक पर किसी ने लिखा है, उत्तराखंड में जिला मुख्यालय से १६ किलोमीटर दूरी...

लाख़ बहाने By Vijay Vibhor

पण्डित भगवानदास जी का भरापूरा परिवार है। परिवार में सात बेटे, बेटों की पत्नीयाँ। पन्द्रह पोते-पोतियों की किलकारियों के संगीत से हर वक्त एक मनोहारी वातावरण घर में बना रहता है। पण्डि...

Read Free

वह लड़का By Dr pradeep Upadhyay

आज वह पन्द्रह वर्ष के बाद मुझसे मिलने आया था---हाथों में मिठाई का डिब्बा था।जैसे ही मैंने ड्राईंग रूम में प्रवेश किया, वह उठकर खड़ा हो गया, मेरे चरण स्पर्श करने लगा---मैंने रोकना चा...

Read Free

“उल्लेखनीय भारतीय संस्कृति जो भारत को अद्भुत बनाती हे” By Narendra Rajput

भारतीय संस्कृति का उल्लेख सिर्फ देश में नहीं विदेशों में भी किया जाता है। संस्कृति का मान सम्मान भारत में ही होता है जिसके कारण अन्य देश भी भारतीय संस्कृति के तरफ आकर्षित होते है।...

Read Free

राजनीति By Shikha Kaushik

शाम ढलने लगी थी .आधा नवम्बर बीत चुका था .सुहानी हवाओं में बर्फ की ठंडक घुलने लगी थी .शॉल ओढ़कर साहिल खिड़की से बाहर के नज़ारों को देखने लगा .डैडी के साथ कितनी ही बार उनके इस संसदीय...

Read Free

केशव एंड शर्मा - EP 071 - परेशान पिता By The Real Ghost

शर्मा : कैसे हैं केशव जीकेशव : नमस्कार शर्मा जी मैं अच्छा हूँ आप अपनी सुनाइएशर्मा : मैं भी अच्छा हूँकेशव : आइये कुछ देर शतरंज खेली जायेशर्मा : नहीं केशव जी आज वक़्त नहीं हैकेशव : कु...

Read Free

ग्रहण का दान By r k lal

“ग्रहण का दान” आर 0 के0 लाल रात चंद्रग्रहण था इसलिए आज सुबह- सुबह ही मोहल्ले की गलियों में भिक्षा मांगने वालों की तेज- तेज आवाजें आनी शुरू हो गईं थी। वे चिल्ला रहे...

Read Free

हट जा ताऊ पाछै नै By Vijay Vibhor

हरियाणा में 'ताऊ' मात्र एक शब्द भर नहीं है, बल्कि बहुत सम्मानजनक सम्बोधन और सामाजिक, पारिवारिक पदवी है। यहां तक किसी अनजान व्यक्ति से बात करनी होती है तो भी हमउम्र युवा “ताऊ आले” क...

Read Free

पलायन By महेश रौतेला

पलायन:फेसबुक पर किसी ने लिखा है, उत्तराखंड में जिला मुख्यालय से १६ किलोमीटर दूरी पर स्थित गाँव में केवल एक महिला रहती है। शाम होते ही वह घर में दुबक जाती है और गाँव में रात को गुलद...

Read Free

ऑनर किलिंग रूके कैसे ? By Shikha Kaushik

रणवीर का गुस्सा सांतवे आसमान पर पहुँच गया और कॉलेज की कैंटीन में उसने अपनी कुर्सी से खड़े होते हुए टेबिल की दूसरी तरफ सामने की कुर्सी पर बैठे सूरज के गाल पर जोरदार तमाचा जड़ दिया...

Read Free

मीठा मुँह By Shobhana Shyam

जैसे ही भात देने की रस्म पूरी कर विमल अपनी पत्नी, बेटा, बेटी, दामाद और अन्य परिवार जनों के साथ अपनी बहन संध्या के घर में प्रविष्ट हुए, घर की महिलाओं ने सब को आदर से बैठक में बि...

Read Free

घर - एक सत्य घटना By Afzal Malla

एक 60 साल का एक आदमी एक घर के सामने थोड़े दिनों से आकर रोज बैठा रहेता ओर उस घर को देखता राहेता ओर उस घर में रहता एक आदमी उसे रोज देखता ओर वो अंदर जाकर अपना काम करने लगता ऐसे ही होत...

Read Free

कौन दिलों की जाने! - 7 By Lajpat Rai Garg

कौन दिलों की जाने! सात प्रथम जनवरी, नववर्ष का प्रथम प्रभात धुंध या कोहरे का कहीं नामो—निशान नहीं था, जैसा कि इस मौसम में प्रायः हुआ करता है। आकाश में कहीं—कहीं बादलों के छोटे—छोटे...

Read Free

इस दश्‍त में एक शहर था - 5 By Amitabh Mishra

इस दश्‍त में एक शहर था अमिताभ मिश्र (5) अब जो दूसरी पत्नी की दो लड़कियां थीं वे बहुत ज़हीन, सुन्दर, पढ़ने लिखने में अव्वल और नौकरियां भी अच्छी मिली और उस दौर में जब लगभग अनिवार्य था व...

Read Free

चिंदी चिंदी सुख थान बराबर दुःख - 4 - अंतिम भाग By Divya Shukla

चिंदी चिंदी सुख थान बराबर दुःख (4) जब चार पैसे आने लगे तो सास को बहू भी याद आई | वह भी साल में एक दो चक्कर लगा ही लेती | उनको गलती का अहसास होने लगा था | पर कभी सीधे तो कहा नहीं ले...

Read Free

मुख़बिर - 19 By राज बोहरे

मुख़बिर राजनारायण बोहरे (19) चिट्ठी मैंने सुनाना आरंभ किया । हम लोग दोपहर को एक पेड़ के नीचे बैठे थे कि दूर से धोती कुर्ता पहने बड़े से पग्गड़ वाला एक आदमी आता दिखा । बागी सतर्क हो गय...

Read Free

ठहरी हुई धूप By Kailash Banwasi

ठहरी हुई धूप कैलाश बनवासी हमेशा की तरह मम्मी ने ही जगाया था—ए-ए–s s s ई सीटू ! उठो ! ऊँ s s s अ.... वह नींद में कुनमुनाया. --ओए उट्ठ ! सकूल नी जाणा तैनूं ? आँ.. अ... ? सीटू हड़बड़ाकर...

Read Free

राहबाज - 8 By Pritpal Kaur

निम्मी की राह्गिरी (8) मैं प्यार हूँ मैं ठन्डे पानी से नहाती हूँ हर रोज़. पानी की धार तेज़ी के साथ मेरे सामने रखी बाल्टी को भर रही है. मैं मग भर-भर कर खुद पर डालती चली जाती हूँ. बदन...

Read Free

भगवान की भूल - 9 - अंतिम भाग By Pradeep Shrivastava

भगवान की भूल प्रदीप श्रीवास्तव भाग-9 मैंने हर बाधा का रास्ता निकाला और सारी रस्में पूरी कीं। सिर भी मुंडवा दिया। मैं वहां हर किसी के लिए एक अजूबा थी और अजूबा कर रही थी। मौसी का लड़क...

Read Free

कमरा नंबर 103 By Sudha Om Dhingra

कमरा नंबर 103 सुधा ओम ढींगरा बार्नज़ हस्पताल के कमरा नम्बर 103 में प्रवेश करते ही, नर्सें टैरी और ऐमी पिंजरे से छूटे पक्षियों सी चहचहाने लगती हैं और यह कमरा उन्हें खुले आकाश सा लगत...

Read Free

जादू टूटता है By Kailash Banwasi

जादू टूटता है कैलाश बनवासी ‘‘सर, क्या मैं अंदर आ सकता हूँ ?’’ प्रिंसिपल ने स्कूल के फंड से पैसे बैंक जाकर निकलवाने के लिए मुझे अपने कक्ष में बुलवाया था। प्राचार्य चेक साइन कर चुके...

Read Free

ब्राह्मण की बेटी - 12 - अंतिम भाग By Sarat Chandra Chattopadhyay

ब्राह्मण की बेटी शरतचंद्र चट्टोपाध्याय प्रकरण - 12 अगहन महीने में आज के दिन बाद बहुत समय तक विवाह का शुभ मुहूर्त न निकलने के कारण आज दिन-भर चारों ओर शहनाई का मधुर नाद कानों में पड़...

Read Free

छठवें वेतनमान समय में एक दो कौड़ी का आदमी! By Kailash Banwasi

छठवें वेतनमान समय में एक दो कौड़ी का आदमी! कैलाश बनवासी संतोष अपनी माँ को लेकर बस से जामुल गया था,डॉक्टर चांदवानी के यहाँ। वहाँ से उनकी जाँच कराने के बाद अपने गाँव करेली लौट आया। अच...

Read Free

कृतज्ञता के आंसू By Dr Narendra Shukl

‘नीना , तुम तैयार हो ? विपिन ने टाई की गांठ को ठीक करते हुये कहा । ‘ हां नील , आई एम रैडडी । बालों में कंघी फिराते हुये नीना ने कहा ।‘ ‘भई , जल्दी करो । मुझे देर हो रही है । पार्टी...

Read Free

उस घर में एक दिन By Kailash Banwasi

उस घर में एक दिन कैलाश बनवासी पहली बार ! सचमुच पहलीबार इतना बड़ा और इतना नामी शहर देख रहा था मैं. मेरी दीदी भी पहली दफे देख रही थी. शायद हर बड़े शहर का अपना एक अलग आकर्षण होता है! उस...

Read Free

लाख़ बहाने By Vijay Vibhor

पण्डित भगवानदास जी का भरापूरा परिवार है। परिवार में सात बेटे, बेटों की पत्नीयाँ। पन्द्रह पोते-पोतियों की किलकारियों के संगीत से हर वक्त एक मनोहारी वातावरण घर में बना रहता है। पण्डि...

Read Free

वह लड़का By Dr pradeep Upadhyay

आज वह पन्द्रह वर्ष के बाद मुझसे मिलने आया था---हाथों में मिठाई का डिब्बा था।जैसे ही मैंने ड्राईंग रूम में प्रवेश किया, वह उठकर खड़ा हो गया, मेरे चरण स्पर्श करने लगा---मैंने रोकना चा...

Read Free

“उल्लेखनीय भारतीय संस्कृति जो भारत को अद्भुत बनाती हे” By Narendra Rajput

भारतीय संस्कृति का उल्लेख सिर्फ देश में नहीं विदेशों में भी किया जाता है। संस्कृति का मान सम्मान भारत में ही होता है जिसके कारण अन्य देश भी भारतीय संस्कृति के तरफ आकर्षित होते है।...

Read Free

राजनीति By Shikha Kaushik

शाम ढलने लगी थी .आधा नवम्बर बीत चुका था .सुहानी हवाओं में बर्फ की ठंडक घुलने लगी थी .शॉल ओढ़कर साहिल खिड़की से बाहर के नज़ारों को देखने लगा .डैडी के साथ कितनी ही बार उनके इस संसदीय...

Read Free

केशव एंड शर्मा - EP 071 - परेशान पिता By The Real Ghost

शर्मा : कैसे हैं केशव जीकेशव : नमस्कार शर्मा जी मैं अच्छा हूँ आप अपनी सुनाइएशर्मा : मैं भी अच्छा हूँकेशव : आइये कुछ देर शतरंज खेली जायेशर्मा : नहीं केशव जी आज वक़्त नहीं हैकेशव : कु...

Read Free

ग्रहण का दान By r k lal

“ग्रहण का दान” आर 0 के0 लाल रात चंद्रग्रहण था इसलिए आज सुबह- सुबह ही मोहल्ले की गलियों में भिक्षा मांगने वालों की तेज- तेज आवाजें आनी शुरू हो गईं थी। वे चिल्ला रहे...

Read Free

हट जा ताऊ पाछै नै By Vijay Vibhor

हरियाणा में 'ताऊ' मात्र एक शब्द भर नहीं है, बल्कि बहुत सम्मानजनक सम्बोधन और सामाजिक, पारिवारिक पदवी है। यहां तक किसी अनजान व्यक्ति से बात करनी होती है तो भी हमउम्र युवा “ताऊ आले” क...

Read Free

पलायन By महेश रौतेला

पलायन:फेसबुक पर किसी ने लिखा है, उत्तराखंड में जिला मुख्यालय से १६ किलोमीटर दूरी पर स्थित गाँव में केवल एक महिला रहती है। शाम होते ही वह घर में दुबक जाती है और गाँव में रात को गुलद...

Read Free

ऑनर किलिंग रूके कैसे ? By Shikha Kaushik

रणवीर का गुस्सा सांतवे आसमान पर पहुँच गया और कॉलेज की कैंटीन में उसने अपनी कुर्सी से खड़े होते हुए टेबिल की दूसरी तरफ सामने की कुर्सी पर बैठे सूरज के गाल पर जोरदार तमाचा जड़ दिया...

Read Free

मीठा मुँह By Shobhana Shyam

जैसे ही भात देने की रस्म पूरी कर विमल अपनी पत्नी, बेटा, बेटी, दामाद और अन्य परिवार जनों के साथ अपनी बहन संध्या के घर में प्रविष्ट हुए, घर की महिलाओं ने सब को आदर से बैठक में बि...

Read Free

घर - एक सत्य घटना By Afzal Malla

एक 60 साल का एक आदमी एक घर के सामने थोड़े दिनों से आकर रोज बैठा रहेता ओर उस घर को देखता राहेता ओर उस घर में रहता एक आदमी उसे रोज देखता ओर वो अंदर जाकर अपना काम करने लगता ऐसे ही होत...

Read Free

कौन दिलों की जाने! - 7 By Lajpat Rai Garg

कौन दिलों की जाने! सात प्रथम जनवरी, नववर्ष का प्रथम प्रभात धुंध या कोहरे का कहीं नामो—निशान नहीं था, जैसा कि इस मौसम में प्रायः हुआ करता है। आकाश में कहीं—कहीं बादलों के छोटे—छोटे...

Read Free

इस दश्‍त में एक शहर था - 5 By Amitabh Mishra

इस दश्‍त में एक शहर था अमिताभ मिश्र (5) अब जो दूसरी पत्नी की दो लड़कियां थीं वे बहुत ज़हीन, सुन्दर, पढ़ने लिखने में अव्वल और नौकरियां भी अच्छी मिली और उस दौर में जब लगभग अनिवार्य था व...

Read Free

चिंदी चिंदी सुख थान बराबर दुःख - 4 - अंतिम भाग By Divya Shukla

चिंदी चिंदी सुख थान बराबर दुःख (4) जब चार पैसे आने लगे तो सास को बहू भी याद आई | वह भी साल में एक दो चक्कर लगा ही लेती | उनको गलती का अहसास होने लगा था | पर कभी सीधे तो कहा नहीं ले...

Read Free

मुख़बिर - 19 By राज बोहरे

मुख़बिर राजनारायण बोहरे (19) चिट्ठी मैंने सुनाना आरंभ किया । हम लोग दोपहर को एक पेड़ के नीचे बैठे थे कि दूर से धोती कुर्ता पहने बड़े से पग्गड़ वाला एक आदमी आता दिखा । बागी सतर्क हो गय...

Read Free

ठहरी हुई धूप By Kailash Banwasi

ठहरी हुई धूप कैलाश बनवासी हमेशा की तरह मम्मी ने ही जगाया था—ए-ए–s s s ई सीटू ! उठो ! ऊँ s s s अ.... वह नींद में कुनमुनाया. --ओए उट्ठ ! सकूल नी जाणा तैनूं ? आँ.. अ... ? सीटू हड़बड़ाकर...

Read Free

राहबाज - 8 By Pritpal Kaur

निम्मी की राह्गिरी (8) मैं प्यार हूँ मैं ठन्डे पानी से नहाती हूँ हर रोज़. पानी की धार तेज़ी के साथ मेरे सामने रखी बाल्टी को भर रही है. मैं मग भर-भर कर खुद पर डालती चली जाती हूँ. बदन...

Read Free

भगवान की भूल - 9 - अंतिम भाग By Pradeep Shrivastava

भगवान की भूल प्रदीप श्रीवास्तव भाग-9 मैंने हर बाधा का रास्ता निकाला और सारी रस्में पूरी कीं। सिर भी मुंडवा दिया। मैं वहां हर किसी के लिए एक अजूबा थी और अजूबा कर रही थी। मौसी का लड़क...

Read Free

कमरा नंबर 103 By Sudha Om Dhingra

कमरा नंबर 103 सुधा ओम ढींगरा बार्नज़ हस्पताल के कमरा नम्बर 103 में प्रवेश करते ही, नर्सें टैरी और ऐमी पिंजरे से छूटे पक्षियों सी चहचहाने लगती हैं और यह कमरा उन्हें खुले आकाश सा लगत...

Read Free

जादू टूटता है By Kailash Banwasi

जादू टूटता है कैलाश बनवासी ‘‘सर, क्या मैं अंदर आ सकता हूँ ?’’ प्रिंसिपल ने स्कूल के फंड से पैसे बैंक जाकर निकलवाने के लिए मुझे अपने कक्ष में बुलवाया था। प्राचार्य चेक साइन कर चुके...

Read Free

ब्राह्मण की बेटी - 12 - अंतिम भाग By Sarat Chandra Chattopadhyay

ब्राह्मण की बेटी शरतचंद्र चट्टोपाध्याय प्रकरण - 12 अगहन महीने में आज के दिन बाद बहुत समय तक विवाह का शुभ मुहूर्त न निकलने के कारण आज दिन-भर चारों ओर शहनाई का मधुर नाद कानों में पड़...

Read Free

छठवें वेतनमान समय में एक दो कौड़ी का आदमी! By Kailash Banwasi

छठवें वेतनमान समय में एक दो कौड़ी का आदमी! कैलाश बनवासी संतोष अपनी माँ को लेकर बस से जामुल गया था,डॉक्टर चांदवानी के यहाँ। वहाँ से उनकी जाँच कराने के बाद अपने गाँव करेली लौट आया। अच...

Read Free

कृतज्ञता के आंसू By Dr Narendra Shukl

‘नीना , तुम तैयार हो ? विपिन ने टाई की गांठ को ठीक करते हुये कहा । ‘ हां नील , आई एम रैडडी । बालों में कंघी फिराते हुये नीना ने कहा ।‘ ‘भई , जल्दी करो । मुझे देर हो रही है । पार्टी...

Read Free

उस घर में एक दिन By Kailash Banwasi

उस घर में एक दिन कैलाश बनवासी पहली बार ! सचमुच पहलीबार इतना बड़ा और इतना नामी शहर देख रहा था मैं. मेरी दीदी भी पहली दफे देख रही थी. शायद हर बड़े शहर का अपना एक अलग आकर्षण होता है! उस...

Read Free