hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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ब्राह्मण की बेटी - 8 By Sarat Chandra Chattopadhyay

ब्राह्मण की बेटी शरतचंद्र चट्टोपाध्याय प्रकरण - 8 पूजा पाठ तथा सात्विक जलपान से निवृत्त होकर नीचे उत्तर आये धर्मावतार गोलोक चटर्जी किसी कार्यवश बाहर निकल ही रहे थे कि कुछ याद आ जान...

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देखत जग बौराना, झूठे जग पतियाना……… By Vijay Vibhor

पांच सौ साल पहले कबीर ने साधु को पहचानने की यह निशानी बताई थी – “साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय, सार-सार को गहि रहै, थोथा देई उड़ाय॥” त्याग, संयम, सादगी और सहजता को साधुता की कसौटी...

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आग में गर्मी कम क्यों है ? By Sudha Om Dhingra

आग में गर्मी कम क्यों है ? सुधा ओम ढींगरा अंत्येष्टि गृह के कोने में फ़र्श पर वह दीवार के सहारे बैठी अपनी हथेलियों को देख रही है... हर सुबह यही तो होता है....... बचपन में माँ ने कह...

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भगवान की भूल - 4 By Pradeep Shrivastava

भगवान की भूल प्रदीप श्रीवास्तव भाग-4 जैसे कॉलेज के दिनों की ही बातें लूं। अपनी मित्र गीता यादव को मैं तब फूटी आंखों देखना पसंद नहीं करती थी। क्योंकि वह लंबी-चौड़ी पहलवान सी थी। मुझे...

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राहबाज - 3 By Pritpal Kaur

मेरी राहिगिरी (3) फ्लिंग का नतीजा निम्मी सो चुकी थी. बच्चे ज़ाहिर है अपने अपने कमरों में थे. सो ही चुके थे वे भी. निम्मी ने मेरी हलचल पर एक बार आँख खोल कर मुझे देखा था फिर करवट बदल...

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केशव एंड शर्मा - : EP 080 - Encounter By The Real Ghost

Keshav & Sharma is a cartoon series originally started by Men's HUB & Daaman Welfare Society with the help of Volunteers. Mr. Diljeet & Mr. Anupam Dubey are main artists of the...

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इस दश्‍त में एक शहर था - 1 By Amitabh Mishra

इस दश्‍त में एक शहर था अमिताभ मिश्र स्‍वतंत्र भारत की सबसे बड़ी परिघटना संयुक्‍त परिवारों का टूटना और एकल परिवार का बनना है गजानन माधव मुक्तिबोध प्रस्तावना या भूमिका (इतिहास और भूगो...

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कौन दिलों की जाने! - 1 By Lajpat Rai Garg

कौन दिलों की जाने! एक दीपावली के पश्चात्‌ शादी—विवाह के लिये शुभ मुहूर्त आरम्भ हो जाता है। नवम्बर मास के अन्तिम दिनों में ‘महफिल' बैंक्वट, जो सम्भवतः ट्राईसिटी का सबसे बढ़िया व...

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उमस By Kailash Banwasi

उमस कैलाश बनवासी तांगेवाले ने घोड़े की लगाम खींच दी।तांगा रूक गया।जाने किस हड़बड़ी में पहले माँ नीचे उतरी।सूटकेस भी माँ ने संभाल लिया।तांगेवाले की ओर बढ़कर पूछा—कित्ता पैसा हुआ? —दो रू...

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मुक्ति By Renu Gupta

मौलश्री आज बेहद गमगीन थी। सांझ का सुरमई अंधेरा धीरे धीरे गहराने लगा था। जैसे जैसे रात्रि की कालिमा अपने पंख फैला रही थी, मौलश्री के अन्त:स्थल में अंतहीन निराशा का बियाबान शून्य पसर...

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इस समय चिड़ियों के बारे में By Kailash Banwasi

इस समय चिड़ियों के बारे में कैलाश बनवासी दीवाली का दिन था। ग्यारह बजने को आ रहे थे और मैं अपना बाजार जाना टाले हुआ था। लेकिन अब ज्यादा देर तक टालना संभव नहीं था। पत्नी के नाराज़ हो ज...

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स्पर्श By Bharti Kumari

कहानीस्पर्शविक्रम की नींद छोटे बच्चे के रोने की आवाज से खुली। आश्चर्य हुआ कि इतनी सुबह कौन आ गया? कमरे से बाहर निकला तो हॉल में एक-डेढ़ साल की बच्ची रो रही थी। गोरी चिट्टी सी बच्ची...

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चुपचाप By Satish Sardana Kumar

कहानीभोपाल एक्सप्रेस बड़ी रफ़्तार से पटरियों पर दौड़ी चली जा रही थी।ट्रैन के ए सी कोच में लेटी चालीस वर्ष की बेहद खूबसूरत गृहिणी वृंदा,जिसने अपना यौवन, लावण्य और देहयष्टि बड़े अतिरिक...

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जीवनसंध्या By Renu Gupta

'पापा, डाइनिंग रूम में आजाओ, आपका नाश्ता लग गया है. सबके साथ नाश्ता करलो, नहीं तो बाद में कहोगे, मुझे किसी ने नाश्ते के लिए नहीं बुलाया,' वर्मा साहब की सबसे बड़ी बहू मन्नत न...

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तोरा मन दर्पण कहलाये By Rita Gupta

दो बहनें, न कोई बड़ी न कोई छोटी। दरअसल जुड़वां, मालविका और मधुलिका। एक सी शक्लें, कद काठी और रंगत। बचपन में माँ ने खूब गलतियां की होंगी इन्हे पालने में। एक सी दिखने वाली इन बच्चियों...

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संयोग से हुआ रिश्ता By एमके कागदाना

् मैं वो दिन कैसे भूल सकती थी । जिस दिन ने मेरी रातों की नींद उड़ा दी थी। वह दिन फिर से मेरी आंखों के सामने तैर गया। जब मैं अपनी बूआ के घर बूआ की बेटी की शादी मे आई थी। और सरजीत अप...

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विद्रोहिणी - 14 - अंतिम भाग By Brijmohan sharma

श्यामा का परिवार बड़े लंबे समय से जाति से निष्कासित था। मोहन ने अपने परिवार का नाम फिर से जाति में जुड़वाने के लिए अनेक प्रयत्न किए लेकिन उन्हे सफलता नहीं मिली। बाद में उसे मालूम पड़ा...

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मुट्ठी भर आसमां By Renu Gupta

केतकी बेहद खिन्नता का अनुभव कर रही थी. सामने के घर से आती शहनाई की मधुर स्वरलहरी भी आज उसे अप्रिय लग रही थी. मनन से विवाह के लिए ना कर तम्मा ने उसे निराश कर दिया था. बार बार एक कसक...

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बिराज बहू - 15 - अंतिम भाग By Sarat Chandra Chattopadhyay

पूंटी अपने भाई नीलाम्बर को एक पल भी चैन से नहीं बैठने देती थी। पूजा के दिनों से लेकर पूस के अन्त तक वे शहर-दर-शहर और एक तीर्थ से दूसरे तीर्थ घूमते रहे। वह अभी नवयौवना थी। उसके शरीर...

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स्टार्ट अप By Bharti Kumari

मुझे उसके हाव - भाव वैसे नहीं लगे जैसा मैं सोच कर गया था और उसका कमरा भी कोठे वाली जैसा नहीं। कमरे में टीवी, फ्रिज और एसी भी। जिस आत्मविश्वास से वो कांच के गिलास में पानी करते पर र...

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व्यर्थ जीवन By Satish Sardana Kumar

सिर्फ बीस साल पहले मैं एक ताकतवर शख्स था।मेरा बेटा मेरे साथ था।मेरा पहलवान बेटा, मेरा शारीरिक ताकत से लबालब,ठोस शरीर लिए मेरा बेटा मुझे जीसस ने दिया था।क्या नहीं चलाना जानता था वह।...

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कैरियर By Dr Fateh Singh Bhati

वो रात्रि एक बजे घर पहुंची | स्मरण हो आया कि बेटी से बात करनी थी पर अब वहां तो रात के तीन बज रहे होंगे | इस समय बात करूँ या ना ? दिन में उसका फ़ोन आया था | कितना चहक रही थी ? चहकती...

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मां मैं आ रहा हूं By Saroj Prajapati

इस यंत्र पर मेरी धड़कनों को घटते बढ़ते देख डॉक्टर मेरे जीवन का अनुमान लगा रहे थे।पर उन्हें क्या पता मुझमें जब जीने कि चाह ही नहीं बची तो इन सब उपकर्मों से क्या लाभ। अब तो वह घड़ी ध...

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नियति By Renu Gupta

पलाश......... पलाश........कहाँ जा रहे हो?.........अपनी केया को बीच राह में छोड़ कर..........वापिस आजाओ.........मत जाओ मुझसे दूर......पलाश........और एक ह्रदय विदारक चीख के साथ पलाश क...

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वर्दी By Govind Sen

ठो...ठो...ठो...। मकान की नींव हिलने लगती है। दीवारें काँपने लगती हैं। बाबूजी के मुख से पड़ोसी के लिए गालियाँ फूटने लगती है। ’ठोकी-ठोकी नऽ भीतड़ो ओदार दगा रे भई।’ माँ कुढ़ने लगती है। म...

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दीवारें तो साथ हैं - 3 - अंतिम भाग By Pradeep Shrivastava

‘देखो अगर तुम्हारी बात मान लें कि चलो लड़की के घर खाने पीने रहने में कोई संकोच हिचक नहीं करनी चाहिए। आखिर वह भी अपनी ही संतान है। मेरी समझ में लड़की की मदद तभी लेनी चाहिए जब कोई और र...

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बयरी माँ By Govind Sen

बयरी माँ गुजर गईं ।
उनके न रहने की खबर से धक्का सा लगा । यह खबर भी सीधे-सीधे नहीं मिली थी । अनायास गाँव का एक मित्र मिला था । बातों ही बातों में उसने बयरी माँ की मृत्यु का जिक्र क...

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कहाँ जाना है, कहाँ जा रहे हैं? By Vijay Vibhor

आधुनिक मध्यम वर्गीय परिवारों में इतनी-सी सम्पन्नता तो आ ही गयी है कि वह विज्ञापनों से प्रभावित होकर बाजार के हवाले हो जाते हैं और अपने बच्चों को हर वह चीज/सुविधा उपलब्ध करवाना चाहत...

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ब्राह्मण की बेटी - 8 By Sarat Chandra Chattopadhyay

ब्राह्मण की बेटी शरतचंद्र चट्टोपाध्याय प्रकरण - 8 पूजा पाठ तथा सात्विक जलपान से निवृत्त होकर नीचे उत्तर आये धर्मावतार गोलोक चटर्जी किसी कार्यवश बाहर निकल ही रहे थे कि कुछ याद आ जान...

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देखत जग बौराना, झूठे जग पतियाना……… By Vijay Vibhor

पांच सौ साल पहले कबीर ने साधु को पहचानने की यह निशानी बताई थी – “साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय, सार-सार को गहि रहै, थोथा देई उड़ाय॥” त्याग, संयम, सादगी और सहजता को साधुता की कसौटी...

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आग में गर्मी कम क्यों है ? By Sudha Om Dhingra

आग में गर्मी कम क्यों है ? सुधा ओम ढींगरा अंत्येष्टि गृह के कोने में फ़र्श पर वह दीवार के सहारे बैठी अपनी हथेलियों को देख रही है... हर सुबह यही तो होता है....... बचपन में माँ ने कह...

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भगवान की भूल - 4 By Pradeep Shrivastava

भगवान की भूल प्रदीप श्रीवास्तव भाग-4 जैसे कॉलेज के दिनों की ही बातें लूं। अपनी मित्र गीता यादव को मैं तब फूटी आंखों देखना पसंद नहीं करती थी। क्योंकि वह लंबी-चौड़ी पहलवान सी थी। मुझे...

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राहबाज - 3 By Pritpal Kaur

मेरी राहिगिरी (3) फ्लिंग का नतीजा निम्मी सो चुकी थी. बच्चे ज़ाहिर है अपने अपने कमरों में थे. सो ही चुके थे वे भी. निम्मी ने मेरी हलचल पर एक बार आँख खोल कर मुझे देखा था फिर करवट बदल...

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केशव एंड शर्मा - : EP 080 - Encounter By The Real Ghost

Keshav & Sharma is a cartoon series originally started by Men's HUB & Daaman Welfare Society with the help of Volunteers. Mr. Diljeet & Mr. Anupam Dubey are main artists of the...

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इस दश्‍त में एक शहर था - 1 By Amitabh Mishra

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उमस By Kailash Banwasi

उमस कैलाश बनवासी तांगेवाले ने घोड़े की लगाम खींच दी।तांगा रूक गया।जाने किस हड़बड़ी में पहले माँ नीचे उतरी।सूटकेस भी माँ ने संभाल लिया।तांगेवाले की ओर बढ़कर पूछा—कित्ता पैसा हुआ? —दो रू...

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मुक्ति By Renu Gupta

मौलश्री आज बेहद गमगीन थी। सांझ का सुरमई अंधेरा धीरे धीरे गहराने लगा था। जैसे जैसे रात्रि की कालिमा अपने पंख फैला रही थी, मौलश्री के अन्त:स्थल में अंतहीन निराशा का बियाबान शून्य पसर...

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इस समय चिड़ियों के बारे में By Kailash Banwasi

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स्पर्श By Bharti Kumari

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चुपचाप By Satish Sardana Kumar

कहानीभोपाल एक्सप्रेस बड़ी रफ़्तार से पटरियों पर दौड़ी चली जा रही थी।ट्रैन के ए सी कोच में लेटी चालीस वर्ष की बेहद खूबसूरत गृहिणी वृंदा,जिसने अपना यौवन, लावण्य और देहयष्टि बड़े अतिरिक...

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तोरा मन दर्पण कहलाये By Rita Gupta

दो बहनें, न कोई बड़ी न कोई छोटी। दरअसल जुड़वां, मालविका और मधुलिका। एक सी शक्लें, कद काठी और रंगत। बचपन में माँ ने खूब गलतियां की होंगी इन्हे पालने में। एक सी दिखने वाली इन बच्चियों...

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संयोग से हुआ रिश्ता By एमके कागदाना

् मैं वो दिन कैसे भूल सकती थी । जिस दिन ने मेरी रातों की नींद उड़ा दी थी। वह दिन फिर से मेरी आंखों के सामने तैर गया। जब मैं अपनी बूआ के घर बूआ की बेटी की शादी मे आई थी। और सरजीत अप...

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विद्रोहिणी - 14 - अंतिम भाग By Brijmohan sharma

श्यामा का परिवार बड़े लंबे समय से जाति से निष्कासित था। मोहन ने अपने परिवार का नाम फिर से जाति में जुड़वाने के लिए अनेक प्रयत्न किए लेकिन उन्हे सफलता नहीं मिली। बाद में उसे मालूम पड़ा...

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केतकी बेहद खिन्नता का अनुभव कर रही थी. सामने के घर से आती शहनाई की मधुर स्वरलहरी भी आज उसे अप्रिय लग रही थी. मनन से विवाह के लिए ना कर तम्मा ने उसे निराश कर दिया था. बार बार एक कसक...

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बिराज बहू - 15 - अंतिम भाग By Sarat Chandra Chattopadhyay

पूंटी अपने भाई नीलाम्बर को एक पल भी चैन से नहीं बैठने देती थी। पूजा के दिनों से लेकर पूस के अन्त तक वे शहर-दर-शहर और एक तीर्थ से दूसरे तीर्थ घूमते रहे। वह अभी नवयौवना थी। उसके शरीर...

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मुझे उसके हाव - भाव वैसे नहीं लगे जैसा मैं सोच कर गया था और उसका कमरा भी कोठे वाली जैसा नहीं। कमरे में टीवी, फ्रिज और एसी भी। जिस आत्मविश्वास से वो कांच के गिलास में पानी करते पर र...

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सिर्फ बीस साल पहले मैं एक ताकतवर शख्स था।मेरा बेटा मेरे साथ था।मेरा पहलवान बेटा, मेरा शारीरिक ताकत से लबालब,ठोस शरीर लिए मेरा बेटा मुझे जीसस ने दिया था।क्या नहीं चलाना जानता था वह।...

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वो रात्रि एक बजे घर पहुंची | स्मरण हो आया कि बेटी से बात करनी थी पर अब वहां तो रात के तीन बज रहे होंगे | इस समय बात करूँ या ना ? दिन में उसका फ़ोन आया था | कितना चहक रही थी ? चहकती...

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पलाश......... पलाश........कहाँ जा रहे हो?.........अपनी केया को बीच राह में छोड़ कर..........वापिस आजाओ.........मत जाओ मुझसे दूर......पलाश........और एक ह्रदय विदारक चीख के साथ पलाश क...

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वर्दी By Govind Sen

ठो...ठो...ठो...। मकान की नींव हिलने लगती है। दीवारें काँपने लगती हैं। बाबूजी के मुख से पड़ोसी के लिए गालियाँ फूटने लगती है। ’ठोकी-ठोकी नऽ भीतड़ो ओदार दगा रे भई।’ माँ कुढ़ने लगती है। म...

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‘देखो अगर तुम्हारी बात मान लें कि चलो लड़की के घर खाने पीने रहने में कोई संकोच हिचक नहीं करनी चाहिए। आखिर वह भी अपनी ही संतान है। मेरी समझ में लड़की की मदद तभी लेनी चाहिए जब कोई और र...

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बयरी माँ By Govind Sen

बयरी माँ गुजर गईं ।
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आधुनिक मध्यम वर्गीय परिवारों में इतनी-सी सम्पन्नता तो आ ही गयी है कि वह विज्ञापनों से प्रभावित होकर बाजार के हवाले हो जाते हैं और अपने बच्चों को हर वह चीज/सुविधा उपलब्ध करवाना चाहत...

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