hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • चैन

    ऐसी ही एक अंजान सी बुझी बुझी सी शाम को वह अपने घर से निकल कर बाहर सड़क पर आ गयी थ...

  • द टाइम्स ऑफ इशरत (पत्र शैली)

    मैं रमिया बिहाऱ प्रवास के दौरान दोस्तो को पत्र लिखता रहता था क्योंकि तब मोबाइल...

  • जादू की छड़ी

    मैं उन दिनों अपनी दीदी के यहां गई थी। जीजाजी अॅाफिसर थे। गाड़ी बंगला मिला हुआ था।...

चैन By Pritpal Kaur

ऐसी ही एक अंजान सी बुझी बुझी सी शाम को वह अपने घर से निकल कर बाहर सड़क पर आ गयी थी. उसे नहीं पता था कि उसे कहाँ जाना है. वह तो बस घर से निकल आयी थी. उस घर से, जहाँ जाते हुए उसका मन...

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प्रश्न-कुंडली By Geeta Shri

प्रेम, खौफ, धोखा, दुनिया, रचना, सपना, आकांक्षा, डर, प्रकृति, पानी, बारिश, धूप, बादल, आकाश, पृथ्वी, सौंदर्य, शोख, चंचल, दिल, कविता, लय, गीत, मंदिर, देवता, आशा...
वह कागज पर लिखती च...

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परिणीता - 8 By Sarat Chandra Chattopadhyay

लगभग तीन माह बाद, गुरुचरण बाबू मलिन मुख नवीन बाबू के यहाँ आकर फर्श पर बैठने ही वाले थे कि नवीन बाबू ने बड़े जोर से डांटकर कहा- ‘न न,न, यहाँ पर नहीं, उघर उस चौकी पर जाकर बैठो। मैं इ...

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परी....! By Sapna Singh

वह आंखे फाड़-फाड़ कर चारों ओर देख रही थी । . कुछ देर तो लगा था । आंखे चुधियां सी गई हैं । ऐसी रोशनी .. ऐसी सजावट सिर्फ टी.वी. सीरीयलों में देखा था। यहां सबकुछ वैसा ही तो था। वैसी ही...

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एक कारीगर की ख़ामोशी By Arpan Kumar

“भला इतने महँगे वार्डरोब बनवाने की क्या ज़रूरत है हरिराम?” अपने खर्चे से कुछ उकताया हुआ मैंने उससे साफ-साफ पूछा।
“जिनके पास पैसे कम हैं, वे अपने घरों में लोहे की कोई अलमारी लाकर रख...

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कराहती सांझ By Rajesh Bhatnagar

आज राजन की बीमारी को पूरे आठ माह हो चुके थे । जबसे डाक्टरों ने राजन को एड्स होने की संभावना बताई थी तब से ही उसके निकट के रिष्तेदार, अड़ौसी-पड़ौसी कार्यालय के साथी ही नहीं स्वयं उसकी...

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आखर चौरासी - 37 By Kamal

सतनाम बताए जा रहा था, ‘‘वैसे हालात में आस-पडोस के बाकी लोग तो तमाशबीन बने चुपचाप रहे, लेकिन पड़ोस में रहने वाला वह गबरु नौजवान लड़का अपने घर से निकल आया। उसके हाथ में लोहे का एक रॉड...

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दिन के आरे बारे और रात के दिया बारे By Vikash Raj

बचपन में जब भी मैं मां के उम्मीद से ज्यादा पैसा खर्च करता तो मेरी हमेशा एक कहावत कहा करती थी 'दिन के आरे बारे और रात के दिया बारे ' । जिसका अर्थ होता है घर में चूल्हा जला...

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द टाइम्स ऑफ इशरत (पत्र शैली) By इशरत हिदायत ख़ान

मैं रमिया बिहाऱ प्रवास के दौरान दोस्तो को पत्र लिखता रहता था क्योंकि तब मोबाइल की सुविधा नही थी। यह आपको विचित्र लग सकता है कि मैं अपनेपत्र अक्सर अखबार के रूप में लिखता था। इस अखब...

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नया उजाला By Dr. Vandana Gupta

वह बहुत देर से कीचैन हाथ में लिए बैठा था। वह कोई ऐसा वैसा कीचैन नहीं था, बहुत स्पेशल था, कॉलेज के आखिरी दिन अविका ने दिया था। अविका और अवनीश दोनों प्रेमी युगल के रूप में पूरे...

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चहुँ और प्रेम By राज बोहरे

रात में सोते हुए जागने की बीमारी है मुझे। बरसते पानी की ‘टप्प टप्प‘ ध्वनि के बावजूद जब अहाते के बाहरी दरवाजे की कुण्डी खड़की, तो मेरी नींद टूट गई। दो जोड़ी पैर बैठक के दरवाजे तक आत...

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लाइफ़ @ ट्विस्ट एन्ड टर्न. कॉम - 14 By Neelam Kulshreshtha

`` निशी की शादी को बरस ही कितने हुये थे जो विहान --------। `` दामिनी ने उसाँस लेते हुये निशी के साथ जो गुज़री थी, उस चलती हुई कहानी में व्यवधान डाला ।
कावेरी भी आश्चर्य कर उठी, ``...

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तुमने कहा था न By Sapna Singh

अमिता दी लगातार फोन कर रही थी...... तबसे, जबसे उनकी बेटी की शादी तय हुई थी..... जरूर आना है ..... की रट्ट....पहले डेट नवम्बर में फिक्स हुई थी .....पर टलते टलते अब जाकर मई में फाइनल...

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जड़ें By Upasna Siag

परमेश्वरी विवाह के एक दिन पहले की रात को अपने बाबा के पिछवाड़े के आँगन में लगे हरसिंगार के पेड़ के नीचे खड़ी थी। मानों उसकी खुशबू एक साथ ही अपने अन्दर समाहित कर लेना चाहती थी। रह -...

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भले आदमी! By Arpan Kumar

“अरे मत पूछो यार, वह बहुत घटिया आदमी था...” एक भला आदमी दूसरे भले आदमी से रात्रि के यही कोई पौने नौ बजे दक्षिणी दिल्ली के एक बस-स्टैंड पर बैठा अपनी टाँगें झुलाते हुए और मूँगफली के...

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डुबकी By Geeta Shri

वह लौट रही है अपने घर, मन में तरह तरह की शंकाएं, आशंकाएं लिए। क्या होगा जब वह घर लौटेगी। हरीश कितना खुश होगा। गुड्डी, चिंटू तो खुशी के मारे पागल न हो जाएं। कितना आहलादकारी क्षण होग...

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जादू की छड़ी By Sapna Singh

मैं उन दिनों अपनी दीदी के यहां गई थी। जीजाजी अॅाफिसर थे। गाड़ी बंगला मिला हुआ था। लिहाजा छुट्टियां बिताने की इससे बेहतर और कौन सी जगह हो सकती थी।
दीदी शादी के बाद अफसरी मिजाज वाली...

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चैन By Pritpal Kaur

ऐसी ही एक अंजान सी बुझी बुझी सी शाम को वह अपने घर से निकल कर बाहर सड़क पर आ गयी थी. उसे नहीं पता था कि उसे कहाँ जाना है. वह तो बस घर से निकल आयी थी. उस घर से, जहाँ जाते हुए उसका मन...

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प्रश्न-कुंडली By Geeta Shri

प्रेम, खौफ, धोखा, दुनिया, रचना, सपना, आकांक्षा, डर, प्रकृति, पानी, बारिश, धूप, बादल, आकाश, पृथ्वी, सौंदर्य, शोख, चंचल, दिल, कविता, लय, गीत, मंदिर, देवता, आशा...
वह कागज पर लिखती च...

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परिणीता - 8 By Sarat Chandra Chattopadhyay

लगभग तीन माह बाद, गुरुचरण बाबू मलिन मुख नवीन बाबू के यहाँ आकर फर्श पर बैठने ही वाले थे कि नवीन बाबू ने बड़े जोर से डांटकर कहा- ‘न न,न, यहाँ पर नहीं, उघर उस चौकी पर जाकर बैठो। मैं इ...

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परी....! By Sapna Singh

वह आंखे फाड़-फाड़ कर चारों ओर देख रही थी । . कुछ देर तो लगा था । आंखे चुधियां सी गई हैं । ऐसी रोशनी .. ऐसी सजावट सिर्फ टी.वी. सीरीयलों में देखा था। यहां सबकुछ वैसा ही तो था। वैसी ही...

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एक कारीगर की ख़ामोशी By Arpan Kumar

“भला इतने महँगे वार्डरोब बनवाने की क्या ज़रूरत है हरिराम?” अपने खर्चे से कुछ उकताया हुआ मैंने उससे साफ-साफ पूछा।
“जिनके पास पैसे कम हैं, वे अपने घरों में लोहे की कोई अलमारी लाकर रख...

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कराहती सांझ By Rajesh Bhatnagar

आज राजन की बीमारी को पूरे आठ माह हो चुके थे । जबसे डाक्टरों ने राजन को एड्स होने की संभावना बताई थी तब से ही उसके निकट के रिष्तेदार, अड़ौसी-पड़ौसी कार्यालय के साथी ही नहीं स्वयं उसकी...

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आखर चौरासी - 37 By Kamal

सतनाम बताए जा रहा था, ‘‘वैसे हालात में आस-पडोस के बाकी लोग तो तमाशबीन बने चुपचाप रहे, लेकिन पड़ोस में रहने वाला वह गबरु नौजवान लड़का अपने घर से निकल आया। उसके हाथ में लोहे का एक रॉड...

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दिन के आरे बारे और रात के दिया बारे By Vikash Raj

बचपन में जब भी मैं मां के उम्मीद से ज्यादा पैसा खर्च करता तो मेरी हमेशा एक कहावत कहा करती थी 'दिन के आरे बारे और रात के दिया बारे ' । जिसका अर्थ होता है घर में चूल्हा जला...

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द टाइम्स ऑफ इशरत (पत्र शैली) By इशरत हिदायत ख़ान

मैं रमिया बिहाऱ प्रवास के दौरान दोस्तो को पत्र लिखता रहता था क्योंकि तब मोबाइल की सुविधा नही थी। यह आपको विचित्र लग सकता है कि मैं अपनेपत्र अक्सर अखबार के रूप में लिखता था। इस अखब...

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नया उजाला By Dr. Vandana Gupta

वह बहुत देर से कीचैन हाथ में लिए बैठा था। वह कोई ऐसा वैसा कीचैन नहीं था, बहुत स्पेशल था, कॉलेज के आखिरी दिन अविका ने दिया था। अविका और अवनीश दोनों प्रेमी युगल के रूप में पूरे...

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चहुँ और प्रेम By राज बोहरे

रात में सोते हुए जागने की बीमारी है मुझे। बरसते पानी की ‘टप्प टप्प‘ ध्वनि के बावजूद जब अहाते के बाहरी दरवाजे की कुण्डी खड़की, तो मेरी नींद टूट गई। दो जोड़ी पैर बैठक के दरवाजे तक आत...

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लाइफ़ @ ट्विस्ट एन्ड टर्न. कॉम - 14 By Neelam Kulshreshtha

`` निशी की शादी को बरस ही कितने हुये थे जो विहान --------। `` दामिनी ने उसाँस लेते हुये निशी के साथ जो गुज़री थी, उस चलती हुई कहानी में व्यवधान डाला ।
कावेरी भी आश्चर्य कर उठी, ``...

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तुमने कहा था न By Sapna Singh

अमिता दी लगातार फोन कर रही थी...... तबसे, जबसे उनकी बेटी की शादी तय हुई थी..... जरूर आना है ..... की रट्ट....पहले डेट नवम्बर में फिक्स हुई थी .....पर टलते टलते अब जाकर मई में फाइनल...

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जड़ें By Upasna Siag

परमेश्वरी विवाह के एक दिन पहले की रात को अपने बाबा के पिछवाड़े के आँगन में लगे हरसिंगार के पेड़ के नीचे खड़ी थी। मानों उसकी खुशबू एक साथ ही अपने अन्दर समाहित कर लेना चाहती थी। रह -...

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भले आदमी! By Arpan Kumar

“अरे मत पूछो यार, वह बहुत घटिया आदमी था...” एक भला आदमी दूसरे भले आदमी से रात्रि के यही कोई पौने नौ बजे दक्षिणी दिल्ली के एक बस-स्टैंड पर बैठा अपनी टाँगें झुलाते हुए और मूँगफली के...

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डुबकी By Geeta Shri

वह लौट रही है अपने घर, मन में तरह तरह की शंकाएं, आशंकाएं लिए। क्या होगा जब वह घर लौटेगी। हरीश कितना खुश होगा। गुड्डी, चिंटू तो खुशी के मारे पागल न हो जाएं। कितना आहलादकारी क्षण होग...

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जादू की छड़ी By Sapna Singh

मैं उन दिनों अपनी दीदी के यहां गई थी। जीजाजी अॅाफिसर थे। गाड़ी बंगला मिला हुआ था। लिहाजा छुट्टियां बिताने की इससे बेहतर और कौन सी जगह हो सकती थी।
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