hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


Languages
Categories
Featured Books
  • पीताम्बरी - 5 - Last Part

    आज सुबह से ही पीतो बेटे की प्रतीक्षा कर रही थी, अंशुमन का फोन आ गया था कि वह घर...

  • मुट्ठी भर सुख के लिए

    आज अजीब-सी बेचैनी प्रकाष के दिल में दिन भर कुलबुलाती रही । ना लंच किया, ना किसी...

  • भूत-खेली

    गाछी अगोरते अगोरते आंखें दुखने लगी हैं घूरना की और और टांगे भी। कौन चोर छौरा- छौ...

पीताम्बरी - 5 - Last Part By Meena Pathak

आज सुबह से ही पीतो बेटे की प्रतीक्षा कर रही थी, अंशुमन का फोन आ गया था कि वह घर आ रहा है बाहर जीप रुकने की आवाज सुन कर पीतो बाहर की ओर दौड़ी अंशुमन जीप से उतर कर उसकी तरफ़ बढ़ रहा...

Read Free

झिरी - 2 By प्रियंका गुप्ता

बत्ती फिर जला तेज़ी से वो दरवाज़े की ओर लपका। कुंडी खोल दरवाज़े को खींचा तो याद आया, वो तो बाहर से बन्द था। उसे पहली बार भाभी पर दिल से गुस्सा आया...। अपना तो मज़ाक हो गया, यहाँ जान पर...

Read Free

मुट्ठी भर सुख के लिए By Rajesh Bhatnagar

आज अजीब-सी बेचैनी प्रकाष के दिल में दिन भर कुलबुलाती रही । ना लंच किया, ना किसी से बात और ना ही कोई फाईल ही निपटाई । बस शून्य मस्तिष्क लिये सिगरेट के धुंएॅ को निगलता रहा । रोज़-रोज़...

Read Free

आखर चौरासी - 2 By Kamal

जगदीश, राजकिशोर और विक्रम तीनों हॉस्टल मेस के बरामदे में खम्भों के पीछे खड़े स्टीवेंशन ब्लॉक पर नजर रखे थे। व गुरनाम का कमरा था। बीच-बीच में जगदीश अपनी जगह से झाँकते हुए सामने देख क...

Read Free

डेमोकिरेसी.. By Manish Vaidya

आषाढ़ महीने की तेज हवाओं की तरह यह बात कुछ ही देर में पूरे इलाके में फ़ैल गई थी. प्रधानमंत्री इस इलाके का जायजा लेने आ रहे हैं. पहली बार हरिया ने सुना तो उसे भरोसा ही नहीं हुआ. चुनाव...

Read Free

भूत-खेली By Geeta Shri

गाछी अगोरते अगोरते आंखें दुखने लगी हैं घूरना की और और टांगे भी। कौन चोर छौरा- छौरी के पीछे भागे। मुस्किल है मुसहर टोला के छौरा सबसे टिकोला बचा लेना। घूरना सबके पीछे चिचियाता हुआ भा...

Read Free

मासूम की मौत का गुनहगार कौन ? By NR Omprakash Saini

मासूम की मौत का गुनहगार कौन ?लेखक – एन आर ओमप्रकाश । समीर को रात 9 बजे एक अनजान नंबर से व्हाट्स अप मैसेज मिलता हैं हाय समीर, कैसे हो?समीर उत्तर देता हुआ – हैलो, मैं ठीक हूँ, आप कौन...

Read Free

जहां से चले थे... By Rajesh Bhatnagar

लुहार बस्ती में हर झोंपड़े में कल होने वाली रैली में चलने की चर्चाएं गर्म थीं । तीन-चार दिन से यहां रोज़ कारें चक्कर लगा रहीं थीं । पहले दिन जब वे लोग आए थे तो बस्ती की सभी औरतें, बच...

Read Free

लाइफ़ @ ट्विस्ट एन्ड टर्न. कॉम - 6 By Neelam Kulshreshtha

माली कुछ दिनों के लिए परिवार सहित अपने गॉंव गया है। । दामिनी लॉन में पाइप से पौधों को पानी दे रही थी। मीशा गार्डन चेयर पर बैठी टैब पर कुछ सर्च कर रही है। किसी ने दामिनी के पीछे से...

Read Free

काम वाली की कमाई By r k lal

काम वाली की कमाईआर 0 के 0 लालअजी सुनती हो, अपने पड़ोस के फ्लैट में शर्मा जी आ गए हैं। वह फ्लैट उन्हीं का है, बहुत पहले खरीदा था। चूंकि रेलवे में बहुत बड़े अधिकारी थे इसलिए उन्हें व...

Read Free

कहानी ऐसे थोड़े न लिखी जाती है... - 2 By प्रियंका गुप्ता

निर्मल बाहर क्या गया, मानो मेरी आत्मा ले गया...। दिन काटे नहीं कटता था...। माँ भी बहुत खालीपन महसूस करने लगी थी, पर अब मेरे ब्याह की चिन्ता उन्हें इस कदर सताने लगी थी कि उसकी माथाप...

Read Free

घडीसाज़ By Manish Vaidya

“कौन-सा ... कौन-सा समय होता है घडीसाज़ का।“ उसने चश्मे के अंदर अपनी कंजी और मिरमिरी-सी आँखों से घूरते हुए दार्शनिक अंदाज़ में सीधे मेरी ओर उछाला था यह सवाल।
मैं कतई तैयार नहीं था ऐस...

Read Free

बैगिन नदी By Geeta Shri

सुबह से अन्ना की आंधी आई हुई है। सुना है, देशभर से अन्ना समर्थक रामलीला ग्राउंड पर जुडऩे वाले है। सारे टी वी चैनल चीख-चीखकर घोषणा कर रहे हैं।
“ये देखिए... लोगों का हुजुम उमड़ा चला...

Read Free

असली आज़ादी वाली आज़ादी (भाग-८) By devendra kushwaha

भाग 7 से आगे- चौहान साहब चीख रहे थे और ऐसा चीख रहे थे जैसे आसमान को ही हिला के रख देंगे। पूरा गांव इकठ्ठा हो चुका था। सभी छोटे बड़े, ऊंचे नीचे और गांव के अन्य सम्माननीय और बिना सम्म...

Read Free

पत्थर के लोग By Rajesh Bhatnagar

उसकी सबसे बड़ी समस्या यह है कि वह भावुक, संवेदनषील और कवि हृदय व्यक्ति है । कोई भी घटना उसके अन्तर्मन को झकझोर देती है । रात-रात भर वह उसके पीछे जागता है । खोया खोया-सा मनन करता है,...

Read Free

राह से भटकी जिंदगी By Monty Khandelwal

जब बचपना होता है | तो बच्चा क्या-क्या ख्वाब नहीं देखता है | राजू भी उन मेसे एक था वो भी अपने दोस्तों केे जैसे पैसे वाला बनना चाहता था | तो वोभी उन्ही के साथ घूमता फिरता रहता था |...

Read Free

प्रिया की डायरी By vandana A dubey

"प्रिया...रूमाल कहां रख दिये? एक भी नहीं मिल रहा."" अरे! मेरा चश्मा कहाँ है? कहा रख दिया उठा के?"" टेबल पर मेरी एक फ़ाइल रखी थी, कहाँ रख दी सहेज के?"दौड़ के रूमाल दिया प्रिया ने.गि...

Read Free

स्पा पार्लर का सुख By r k lal

स्पा पार्लर का सुखआर 0 के0 लालतरुण और रवि गहरे दोस्त थे। दोनों सुख- दुख में एक दूसरे का साथ देते थे। तरुण ने कहा, - "मेरी पत्नी ब्यूटी पार्लर जाती है। हर महीने मेरी कमाई का एक बड़...

Read Free

कभी यूँ भी तो हो... - 2 By प्रियंका गुप्ता

दो-तीन दिनो तक मेरी हिम्मत ही नहीं हुई थी सागर को फोन करने की...फिर आखिरकार फोन कर ही दिया। उसने फोन उठाया भी...बात भी की...। नाराज़ तो था, पर जाहिर नहीं कर रहा था...। न ही फोन काटन...

Read Free

सैलाब - 28 By Lata tejeswar renuka

अपना दर्द किसको भला कह सकती है। कुछ दिन तक जो हमदर्द बन कर साथ खड़े थे लेकिन कोर्ट की कार्यवाही में वे भी साथ छोड़ दिये। कोई कितने दिनों तक साथ चलता सब एक एक कर अपने कामों में व्यस्त...

Read Free

पीताम्बरी - 5 - Last Part By Meena Pathak

आज सुबह से ही पीतो बेटे की प्रतीक्षा कर रही थी, अंशुमन का फोन आ गया था कि वह घर आ रहा है बाहर जीप रुकने की आवाज सुन कर पीतो बाहर की ओर दौड़ी अंशुमन जीप से उतर कर उसकी तरफ़ बढ़ रहा...

Read Free

झिरी - 2 By प्रियंका गुप्ता

बत्ती फिर जला तेज़ी से वो दरवाज़े की ओर लपका। कुंडी खोल दरवाज़े को खींचा तो याद आया, वो तो बाहर से बन्द था। उसे पहली बार भाभी पर दिल से गुस्सा आया...। अपना तो मज़ाक हो गया, यहाँ जान पर...

Read Free

मुट्ठी भर सुख के लिए By Rajesh Bhatnagar

आज अजीब-सी बेचैनी प्रकाष के दिल में दिन भर कुलबुलाती रही । ना लंच किया, ना किसी से बात और ना ही कोई फाईल ही निपटाई । बस शून्य मस्तिष्क लिये सिगरेट के धुंएॅ को निगलता रहा । रोज़-रोज़...

Read Free

आखर चौरासी - 2 By Kamal

जगदीश, राजकिशोर और विक्रम तीनों हॉस्टल मेस के बरामदे में खम्भों के पीछे खड़े स्टीवेंशन ब्लॉक पर नजर रखे थे। व गुरनाम का कमरा था। बीच-बीच में जगदीश अपनी जगह से झाँकते हुए सामने देख क...

Read Free

डेमोकिरेसी.. By Manish Vaidya

आषाढ़ महीने की तेज हवाओं की तरह यह बात कुछ ही देर में पूरे इलाके में फ़ैल गई थी. प्रधानमंत्री इस इलाके का जायजा लेने आ रहे हैं. पहली बार हरिया ने सुना तो उसे भरोसा ही नहीं हुआ. चुनाव...

Read Free

भूत-खेली By Geeta Shri

गाछी अगोरते अगोरते आंखें दुखने लगी हैं घूरना की और और टांगे भी। कौन चोर छौरा- छौरी के पीछे भागे। मुस्किल है मुसहर टोला के छौरा सबसे टिकोला बचा लेना। घूरना सबके पीछे चिचियाता हुआ भा...

Read Free

मासूम की मौत का गुनहगार कौन ? By NR Omprakash Saini

मासूम की मौत का गुनहगार कौन ?लेखक – एन आर ओमप्रकाश । समीर को रात 9 बजे एक अनजान नंबर से व्हाट्स अप मैसेज मिलता हैं हाय समीर, कैसे हो?समीर उत्तर देता हुआ – हैलो, मैं ठीक हूँ, आप कौन...

Read Free

जहां से चले थे... By Rajesh Bhatnagar

लुहार बस्ती में हर झोंपड़े में कल होने वाली रैली में चलने की चर्चाएं गर्म थीं । तीन-चार दिन से यहां रोज़ कारें चक्कर लगा रहीं थीं । पहले दिन जब वे लोग आए थे तो बस्ती की सभी औरतें, बच...

Read Free

लाइफ़ @ ट्विस्ट एन्ड टर्न. कॉम - 6 By Neelam Kulshreshtha

माली कुछ दिनों के लिए परिवार सहित अपने गॉंव गया है। । दामिनी लॉन में पाइप से पौधों को पानी दे रही थी। मीशा गार्डन चेयर पर बैठी टैब पर कुछ सर्च कर रही है। किसी ने दामिनी के पीछे से...

Read Free

काम वाली की कमाई By r k lal

काम वाली की कमाईआर 0 के 0 लालअजी सुनती हो, अपने पड़ोस के फ्लैट में शर्मा जी आ गए हैं। वह फ्लैट उन्हीं का है, बहुत पहले खरीदा था। चूंकि रेलवे में बहुत बड़े अधिकारी थे इसलिए उन्हें व...

Read Free

कहानी ऐसे थोड़े न लिखी जाती है... - 2 By प्रियंका गुप्ता

निर्मल बाहर क्या गया, मानो मेरी आत्मा ले गया...। दिन काटे नहीं कटता था...। माँ भी बहुत खालीपन महसूस करने लगी थी, पर अब मेरे ब्याह की चिन्ता उन्हें इस कदर सताने लगी थी कि उसकी माथाप...

Read Free

घडीसाज़ By Manish Vaidya

“कौन-सा ... कौन-सा समय होता है घडीसाज़ का।“ उसने चश्मे के अंदर अपनी कंजी और मिरमिरी-सी आँखों से घूरते हुए दार्शनिक अंदाज़ में सीधे मेरी ओर उछाला था यह सवाल।
मैं कतई तैयार नहीं था ऐस...

Read Free

बैगिन नदी By Geeta Shri

सुबह से अन्ना की आंधी आई हुई है। सुना है, देशभर से अन्ना समर्थक रामलीला ग्राउंड पर जुडऩे वाले है। सारे टी वी चैनल चीख-चीखकर घोषणा कर रहे हैं।
“ये देखिए... लोगों का हुजुम उमड़ा चला...

Read Free

असली आज़ादी वाली आज़ादी (भाग-८) By devendra kushwaha

भाग 7 से आगे- चौहान साहब चीख रहे थे और ऐसा चीख रहे थे जैसे आसमान को ही हिला के रख देंगे। पूरा गांव इकठ्ठा हो चुका था। सभी छोटे बड़े, ऊंचे नीचे और गांव के अन्य सम्माननीय और बिना सम्म...

Read Free

पत्थर के लोग By Rajesh Bhatnagar

उसकी सबसे बड़ी समस्या यह है कि वह भावुक, संवेदनषील और कवि हृदय व्यक्ति है । कोई भी घटना उसके अन्तर्मन को झकझोर देती है । रात-रात भर वह उसके पीछे जागता है । खोया खोया-सा मनन करता है,...

Read Free

राह से भटकी जिंदगी By Monty Khandelwal

जब बचपना होता है | तो बच्चा क्या-क्या ख्वाब नहीं देखता है | राजू भी उन मेसे एक था वो भी अपने दोस्तों केे जैसे पैसे वाला बनना चाहता था | तो वोभी उन्ही के साथ घूमता फिरता रहता था |...

Read Free

प्रिया की डायरी By vandana A dubey

"प्रिया...रूमाल कहां रख दिये? एक भी नहीं मिल रहा."" अरे! मेरा चश्मा कहाँ है? कहा रख दिया उठा के?"" टेबल पर मेरी एक फ़ाइल रखी थी, कहाँ रख दी सहेज के?"दौड़ के रूमाल दिया प्रिया ने.गि...

Read Free

स्पा पार्लर का सुख By r k lal

स्पा पार्लर का सुखआर 0 के0 लालतरुण और रवि गहरे दोस्त थे। दोनों सुख- दुख में एक दूसरे का साथ देते थे। तरुण ने कहा, - "मेरी पत्नी ब्यूटी पार्लर जाती है। हर महीने मेरी कमाई का एक बड़...

Read Free

कभी यूँ भी तो हो... - 2 By प्रियंका गुप्ता

दो-तीन दिनो तक मेरी हिम्मत ही नहीं हुई थी सागर को फोन करने की...फिर आखिरकार फोन कर ही दिया। उसने फोन उठाया भी...बात भी की...। नाराज़ तो था, पर जाहिर नहीं कर रहा था...। न ही फोन काटन...

Read Free

सैलाब - 28 By Lata tejeswar renuka

अपना दर्द किसको भला कह सकती है। कुछ दिन तक जो हमदर्द बन कर साथ खड़े थे लेकिन कोर्ट की कार्यवाही में वे भी साथ छोड़ दिये। कोई कितने दिनों तक साथ चलता सब एक एक कर अपने कामों में व्यस्त...

Read Free