hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • गों...गों...गों...

    घर से यहाँ तक के सारे सफ़र और यहाँ बस से उतरकर नाना के गाँव की पगडण्डी पर पैदल चल...

  • पश्चाताप - 2

    शहर के पॉश एरिया में भव्य और सुंदर सा बंगला, नौकर-चाकर, हर सुख-सुविधा और क्या चा...

  • रिश्ता प्यार का

    “घर में अकेले परेशान हो जाती हूँ | न आस न पड़ोस | न नाते रिश्तेदार |”“सुबह-शाम तो...

सैलाब - 5 By Lata tejeswar renuka

पावनी के पैर लड़खड़ा गये। जहाँ खड़ी थी वहीँ वैसे ही बैठ गयी जैसे उसके पैर की शक्ति किसीने छीन ली हो। उसके सिर पर जैसे पहाड़ गिर पड़ा हो।
क्या.. क्या हुआ? मुझे पूरी बात बताओ। आप सब क्...

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खास बात By Mamtora Raxa

खासबात आईने में देखकर वह मन ही मन अपने सौंदर्य को देखकर खुश हो रही थी, खुश क्यों न हो टाईट जिन्स और पिंक कलर कलर टॉप में वह किसी फूल तरह...

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गों...गों...गों... By Manish Vaidya

घर से यहाँ तक के सारे सफ़र और यहाँ बस से उतरकर नाना के गाँव की पगडण्डी पर पैदल चलते हुए लगातार यही लगता कि अभी कहीं से कोई परिचित व्यक्ति निकलेगा और मेरे कंधे पर पीछे से हाथ रख देगा...

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तुम्हारी अधूरी कहानी By Geeta Shri

तुम जब जब दिखती हो, कोई कहानी झांक जाती है। तुम बार बार यूं न दिखा करो। गर कलम चल गई तो ये न कहना कि जीने में इतना दर्द भी होता है। तुम दिखती हो, मैं तुम्हारी त्वचा पर बनी रेखाओं क...

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पश्चाताप - 2 By Meena Pathak

शहर के पॉश एरिया में भव्य और सुंदर सा बंगला, नौकर-चाकर, हर सुख-सुविधा और क्या चाहिए था उसे ! गेट से प्रवेश करते ही बड़ा सा बगीचा जिसमे देशी-विदेशी पुष्पों से ले कर अमलतास, गुलमोहर,...

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कभी यूँ भी तो हो... - 1 By प्रियंका गुप्ता

नर्स ने आकर मुझे झकझोरा तो सहसा मैं जैसे एक बहुत गहरे कुऍ से बाहर आई। दो पल को तो समझ ही नहीं आया, मैं हूँ कहाँ...फिर एक झटके से सब साफ़ हो गया...। मैं माँ के साथ थी...इंटेन्सिव केय...

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औकात By राज बोहरे

दिनेश की खूबसूरत पत्नी सदा से वफादार और कम में खर्च चला लेने वाली रही। घर मे टेलीविजन क्या आया, बेकाम की जरूरतें और इच्छा पैदा हो गयी, जिनको पूरा करते दिनेश ने सब कुछ खो दिया यहाँ...

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रिश्ता प्यार का By Savita Mishra

“घर में अकेले परेशान हो जाती हूँ | न आस न पड़ोस | न नाते रिश्तेदार |”“सुबह-शाम तो मैं रहता ही हूँ न !”“हुह ..सुबह जल्दी भागते हो और देर से लौटते हो ..!” थकी-थकी-सी जिन्दगी घिसट रही...

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वसीयत By Namita Gupta

रेखा घर के कामों में व्यस्त थी । तभी बाहर बड़ी तेजी से कोलाहल उठा । लगता आज फिर किसी के यहां कुछ झगड़ा हो रहा है । कॉलोनी के आखिर में कुछ मजदूरो के परिवार रहते थे । पुरुष...

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लाइफ़ @ ट्विस्ट एन्ड टर्न. कॉम - 4 By Neelam Kulshreshtha

उसका जीवन कैसा बदल गया है ? युवा उम्र में बाहर जाते समय वे हमेशा साड़ी पहना करती थी। हाँ, तब इक्का दुक्का स्लीवलेस ब्लाउज़ पहनने वालों में से एक थी। अब तो सलवार या चूड़ीदार सूट, पलाज़ो...

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दूसरी का चक्कर By r k lal

“दूसरी का चक्कर” आर 0 के 0 लाल उनके घर के सामने बड़ी भीड़ लगी हुई थी। सभी लोग इंतजार कर रहे थे कि चंदन की बॉडी अस्पताल से आ जाए और उन्हें अंतिम श्रद्धा सुमन अर्पित कर दे...

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उदास क्यों हो निन्नी...? - 2 By प्रियंका गुप्ता

आज सोचती हूँ, उस दिन अनुज दा मुझे समझाते तो शायद एक अनजान रास्ते पर यूँ बढ़ते मेरे कदम रुक गए होते, पर अनुज दा की ज़बान पर ताला तो खुद मैं ही डाल आई थी न...। घर छोड़ के जाते वक़्त दादी...

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आसपास से गुजरते हुए - 27 By Jayanti Ranganathan

आई को गुजरे छह महीने हो गए हैं। शायद आप भी जानना चाहेंगे कि मेरा क्या हुआ? मैंने क्या किया? मेरे साथ जो हुआ, इस बात का खुद मुझे विश्वास नहीं हो रहा।
मैं पिछले पांच महीने से कोचीन...

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उर्फ देवीजी By Geeta Shri

सिकुड़ी चमड़ी वाली लंबी-चौड़ी हथेली एक छोटे से गोल मुंह पर है। थोड़ी गंध से भरी महकती। फिर दूध-सी सफेद आंखों की आकर्षक पुतलियों की मासूमियत में थोड़ा डर भी मिल गया। पीछे देखा तो सा...

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... कि हरदौल आते हैं By Manish Vaidya

हम विस्मय से सुनते हैं साँस थामकर। रात की ख़ामोशी को तोड़ते हुए दूर कहीं से मामी की आवाज़ गिरती है। वह काँच की तरह गिरती है और किरच-किरच पूरे कमरे में बिखर जाती है। चौदस और पूनम की चम...

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सैलाब - 5 By Lata tejeswar renuka

पावनी के पैर लड़खड़ा गये। जहाँ खड़ी थी वहीँ वैसे ही बैठ गयी जैसे उसके पैर की शक्ति किसीने छीन ली हो। उसके सिर पर जैसे पहाड़ गिर पड़ा हो।
क्या.. क्या हुआ? मुझे पूरी बात बताओ। आप सब क्...

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खास बात By Mamtora Raxa

खासबात आईने में देखकर वह मन ही मन अपने सौंदर्य को देखकर खुश हो रही थी, खुश क्यों न हो टाईट जिन्स और पिंक कलर कलर टॉप में वह किसी फूल तरह...

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गों...गों...गों... By Manish Vaidya

घर से यहाँ तक के सारे सफ़र और यहाँ बस से उतरकर नाना के गाँव की पगडण्डी पर पैदल चलते हुए लगातार यही लगता कि अभी कहीं से कोई परिचित व्यक्ति निकलेगा और मेरे कंधे पर पीछे से हाथ रख देगा...

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तुम्हारी अधूरी कहानी By Geeta Shri

तुम जब जब दिखती हो, कोई कहानी झांक जाती है। तुम बार बार यूं न दिखा करो। गर कलम चल गई तो ये न कहना कि जीने में इतना दर्द भी होता है। तुम दिखती हो, मैं तुम्हारी त्वचा पर बनी रेखाओं क...

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पश्चाताप - 2 By Meena Pathak

शहर के पॉश एरिया में भव्य और सुंदर सा बंगला, नौकर-चाकर, हर सुख-सुविधा और क्या चाहिए था उसे ! गेट से प्रवेश करते ही बड़ा सा बगीचा जिसमे देशी-विदेशी पुष्पों से ले कर अमलतास, गुलमोहर,...

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कभी यूँ भी तो हो... - 1 By प्रियंका गुप्ता

नर्स ने आकर मुझे झकझोरा तो सहसा मैं जैसे एक बहुत गहरे कुऍ से बाहर आई। दो पल को तो समझ ही नहीं आया, मैं हूँ कहाँ...फिर एक झटके से सब साफ़ हो गया...। मैं माँ के साथ थी...इंटेन्सिव केय...

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औकात By राज बोहरे

दिनेश की खूबसूरत पत्नी सदा से वफादार और कम में खर्च चला लेने वाली रही। घर मे टेलीविजन क्या आया, बेकाम की जरूरतें और इच्छा पैदा हो गयी, जिनको पूरा करते दिनेश ने सब कुछ खो दिया यहाँ...

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रिश्ता प्यार का By Savita Mishra

“घर में अकेले परेशान हो जाती हूँ | न आस न पड़ोस | न नाते रिश्तेदार |”“सुबह-शाम तो मैं रहता ही हूँ न !”“हुह ..सुबह जल्दी भागते हो और देर से लौटते हो ..!” थकी-थकी-सी जिन्दगी घिसट रही...

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वसीयत By Namita Gupta

रेखा घर के कामों में व्यस्त थी । तभी बाहर बड़ी तेजी से कोलाहल उठा । लगता आज फिर किसी के यहां कुछ झगड़ा हो रहा है । कॉलोनी के आखिर में कुछ मजदूरो के परिवार रहते थे । पुरुष...

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लाइफ़ @ ट्विस्ट एन्ड टर्न. कॉम - 4 By Neelam Kulshreshtha

उसका जीवन कैसा बदल गया है ? युवा उम्र में बाहर जाते समय वे हमेशा साड़ी पहना करती थी। हाँ, तब इक्का दुक्का स्लीवलेस ब्लाउज़ पहनने वालों में से एक थी। अब तो सलवार या चूड़ीदार सूट, पलाज़ो...

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दूसरी का चक्कर By r k lal

“दूसरी का चक्कर” आर 0 के 0 लाल उनके घर के सामने बड़ी भीड़ लगी हुई थी। सभी लोग इंतजार कर रहे थे कि चंदन की बॉडी अस्पताल से आ जाए और उन्हें अंतिम श्रद्धा सुमन अर्पित कर दे...

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उदास क्यों हो निन्नी...? - 2 By प्रियंका गुप्ता

आज सोचती हूँ, उस दिन अनुज दा मुझे समझाते तो शायद एक अनजान रास्ते पर यूँ बढ़ते मेरे कदम रुक गए होते, पर अनुज दा की ज़बान पर ताला तो खुद मैं ही डाल आई थी न...। घर छोड़ के जाते वक़्त दादी...

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आसपास से गुजरते हुए - 27 By Jayanti Ranganathan

आई को गुजरे छह महीने हो गए हैं। शायद आप भी जानना चाहेंगे कि मेरा क्या हुआ? मैंने क्या किया? मेरे साथ जो हुआ, इस बात का खुद मुझे विश्वास नहीं हो रहा।
मैं पिछले पांच महीने से कोचीन...

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उर्फ देवीजी By Geeta Shri

सिकुड़ी चमड़ी वाली लंबी-चौड़ी हथेली एक छोटे से गोल मुंह पर है। थोड़ी गंध से भरी महकती। फिर दूध-सी सफेद आंखों की आकर्षक पुतलियों की मासूमियत में थोड़ा डर भी मिल गया। पीछे देखा तो सा...

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... कि हरदौल आते हैं By Manish Vaidya

हम विस्मय से सुनते हैं साँस थामकर। रात की ख़ामोशी को तोड़ते हुए दूर कहीं से मामी की आवाज़ गिरती है। वह काँच की तरह गिरती है और किरच-किरच पूरे कमरे में बिखर जाती है। चौदस और पूनम की चम...

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