hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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अम्मा की पेंशन By r k lal

“ अम्मा की पेंशन” आर 0 के 0 लाल अम्मा कई दिनों से कह रही थी जरा मिथुन को कह दो कि आते समय मेरे लिए मेहंदी लेते आएं। बालों की चांदी बहुत खराब लगती है। मैंने तुझसे भी कई दफे कहा...

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राखी By Priya Vachhani

साँझ का वक्त एक तरफ सूरज डूबने को था दूसरी तरफ चाँद अपनी चाँदनी बिखेरने को तैयार था। तारे भी टिमटिमाते हुए अपनी मौजूदगी का अहसास करा रहे थे। पंछी अपने-अपने घोसलों में लौट आये। वही...

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उदास क्यों हो निन्नी...? - 1 By प्रियंका गुप्ता

आज पूरे बारह साल बाद इस कमरे के उस खुले हिस्से पर बैठी हूँ, जिसके लिए बरसों बाद भी कोई सही शब्द नहीं खोज पाई...। कुछ-कुछ छज्जे जैसा, पर छज्जा तो बिलकुल नहीं था वो...। छज्जे में तो...

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आसपास से गुजरते हुए - 1 By Jayanti Ranganathan

मुझे पता चल गया था कि मैं प्रेग्नेंट हूं। मैं शारीरिक रूप से पूरी तरह सामान्य थी। ना शरीर में कोई हलचल हो रही थी, ना मन में। मैं अपनी लम्बी कोचीन यात्रा के लिए सामान बांध रही थी। ब...

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डूबते जल यान By राज बोहरे

दिवा और विपिन की गृहस्थी में दिवा की जिम्मेदारी बूढ़े माँ बाप को सम्भालने की है तो विपिन की कमाने। इस मे तीसरा कोंण दीपू भी है।

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अफेयर्स का कन्फेशन By r k lal

“अफेयर्स का कन्फेशन” आर 0 के 0 लाल शादी के बाद प्रथम मिलन की रात में पूर्णिमा चारपाई पर बैठी घूंघट के भीतर से अपने हसबैंड अनुज को देख रही थी जो सफेद कुर्ता पजामा पहने हुए अत्य...

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नाम में क्या रखा है... By प्रियंका गुप्ता

शाम के साढ़े छः बजे थे। वो बस अभी ही कमरे में घुसी थी। पूरा दिन कितना तो थकान भरा रहता है, पहले ऑफ़िस की चकपक से जूझो, फिर रास्ते के ट्रैफ़िक की चिल्लपों...नर्क लगती है ज़िन्दगी...। ऐस...

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शराबी हैवान By Ajay Kumar Awasthi

मैं बार बार सोच रहा हूँ कि इस घटना के बारे में लिखूँ या नही ,,,,पर ये घटना मेरे पडोस की है ,यदि नही लिखता हूँ तो इस दौर में जो हो रहा है , उसकी अनदेखी करना होगा । और ये समय और समा...

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आवाजों के पीछे पीछे By Geeta Shri

उसे पहली बार लगा कि जिस आवाज को वह सालों से सुनता चला आ रहा है, उसे पहली बार पहचान रहा है। या पहचानने की कोशिश कर रहा है। इस आवाज के साथ उसे जीते हुए पांच साल हो गए। आज क्यो लग रहा...

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लोभिन - 3 By Meena Pathak

गर्मियों के दिन थे दोनों जेठानियाँ बच्चों के साथ मायके गयीं थीं घर में बस सास-ससुर और नौकर-चाकर थे पति तो रात के अंधेरे में भूत की तरह उजागर हो जाता और सुबह नीचे उतर कर गायब...

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चाँद By प्रियंका गुप्ता

रात जाने कितनी जा चुकी थी पर नींद थी कि जैसे उसकी आँखों का रास्ता ही भूल गई थी। कुछ पल को ही सही, एक गहरी नींद लेने की कितनी कोशिश कर रहा था नरेश...। प्यास से चटकते गले को भी उसने...

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रेव पार्टी By r k lal

“रेव पार्टी” आर 0 के 0 लाल अशोक जी संडे को दोपहर का खाना खाकर के सो रहे थे कि उनके मोबाइल की घंटी बजी। उनके ही अपार्टमेंट के रस्तोगी जी की काल थी। बोले- "भाई साहब! आज तो बहुत अच्छा...

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और गुड्डो भाग गई...! By vandana A dubey

’हरा समन्दर, गोपीचंदर, बोल मेरी मछली कितना पानी?’’इतना…….’गुड्डो ने हाथ सिर के ऊपर ले जा के बताया, कि पानी तो सिर के ऊपर तक आ गया है. सारे बच्चों ने अपने घेरे को और मजबूत बनाया. एक...

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खुशियों की आहट - 12 By Harish Kumar Amit

समय इसी तरह बीतता रहा. मोहित के पापा की ज़िन्दगी इसी तरह दफ्तर, ट्यूशनों और कोचिंग कॉलेज के आसपास घूमती रही. मम्मी इसी तरह दफ्तर की नौकरी के साथ कविताओं और कवि सम्मेलनों की दुनिया म...

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तर्णेतर ने रे अमे मेड़े ग्याता By Neelam Kulshreshtha

सुन्दर, सजीले उन आदिवासी युवकों का दल विशाल छाता पकड़े कितना उन्मत होता होगा ?सफ़ेद बुर्राक़ कड़ियों [ छोटी फ्रॉक़नुमा ऊपर पहनने का वस्त्र ] व सफ़ेद कसे पायजामे में गुनगुनाते चलते होंगे।...

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पल जो यूँ गुज़रे - 27 - लास्ट पार्ट By Lajpat Rai Garg

जाह्नवी आ तो गयी रेस्ट हाउस, परन्तु रात की घटना या कहें कि दुर्घटना अभी भी उसके दिलो—दिमाग पर छाई हुई होने के कारण, उसे इस जगह अब एक—एक पल बिताना भारी लग रहा था, फिर भी नहाना—धोना...

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अम्मा की पेंशन By r k lal

“ अम्मा की पेंशन” आर 0 के 0 लाल अम्मा कई दिनों से कह रही थी जरा मिथुन को कह दो कि आते समय मेरे लिए मेहंदी लेते आएं। बालों की चांदी बहुत खराब लगती है। मैंने तुझसे भी कई दफे कहा...

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राखी By Priya Vachhani

साँझ का वक्त एक तरफ सूरज डूबने को था दूसरी तरफ चाँद अपनी चाँदनी बिखेरने को तैयार था। तारे भी टिमटिमाते हुए अपनी मौजूदगी का अहसास करा रहे थे। पंछी अपने-अपने घोसलों में लौट आये। वही...

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उदास क्यों हो निन्नी...? - 1 By प्रियंका गुप्ता

आज पूरे बारह साल बाद इस कमरे के उस खुले हिस्से पर बैठी हूँ, जिसके लिए बरसों बाद भी कोई सही शब्द नहीं खोज पाई...। कुछ-कुछ छज्जे जैसा, पर छज्जा तो बिलकुल नहीं था वो...। छज्जे में तो...

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आसपास से गुजरते हुए - 1 By Jayanti Ranganathan

मुझे पता चल गया था कि मैं प्रेग्नेंट हूं। मैं शारीरिक रूप से पूरी तरह सामान्य थी। ना शरीर में कोई हलचल हो रही थी, ना मन में। मैं अपनी लम्बी कोचीन यात्रा के लिए सामान बांध रही थी। ब...

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डूबते जल यान By राज बोहरे

दिवा और विपिन की गृहस्थी में दिवा की जिम्मेदारी बूढ़े माँ बाप को सम्भालने की है तो विपिन की कमाने। इस मे तीसरा कोंण दीपू भी है।

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अफेयर्स का कन्फेशन By r k lal

“अफेयर्स का कन्फेशन” आर 0 के 0 लाल शादी के बाद प्रथम मिलन की रात में पूर्णिमा चारपाई पर बैठी घूंघट के भीतर से अपने हसबैंड अनुज को देख रही थी जो सफेद कुर्ता पजामा पहने हुए अत्य...

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नाम में क्या रखा है... By प्रियंका गुप्ता

शाम के साढ़े छः बजे थे। वो बस अभी ही कमरे में घुसी थी। पूरा दिन कितना तो थकान भरा रहता है, पहले ऑफ़िस की चकपक से जूझो, फिर रास्ते के ट्रैफ़िक की चिल्लपों...नर्क लगती है ज़िन्दगी...। ऐस...

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शराबी हैवान By Ajay Kumar Awasthi

मैं बार बार सोच रहा हूँ कि इस घटना के बारे में लिखूँ या नही ,,,,पर ये घटना मेरे पडोस की है ,यदि नही लिखता हूँ तो इस दौर में जो हो रहा है , उसकी अनदेखी करना होगा । और ये समय और समा...

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आवाजों के पीछे पीछे By Geeta Shri

उसे पहली बार लगा कि जिस आवाज को वह सालों से सुनता चला आ रहा है, उसे पहली बार पहचान रहा है। या पहचानने की कोशिश कर रहा है। इस आवाज के साथ उसे जीते हुए पांच साल हो गए। आज क्यो लग रहा...

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लोभिन - 3 By Meena Pathak

गर्मियों के दिन थे दोनों जेठानियाँ बच्चों के साथ मायके गयीं थीं घर में बस सास-ससुर और नौकर-चाकर थे पति तो रात के अंधेरे में भूत की तरह उजागर हो जाता और सुबह नीचे उतर कर गायब...

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चाँद By प्रियंका गुप्ता

रात जाने कितनी जा चुकी थी पर नींद थी कि जैसे उसकी आँखों का रास्ता ही भूल गई थी। कुछ पल को ही सही, एक गहरी नींद लेने की कितनी कोशिश कर रहा था नरेश...। प्यास से चटकते गले को भी उसने...

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रेव पार्टी By r k lal

“रेव पार्टी” आर 0 के 0 लाल अशोक जी संडे को दोपहर का खाना खाकर के सो रहे थे कि उनके मोबाइल की घंटी बजी। उनके ही अपार्टमेंट के रस्तोगी जी की काल थी। बोले- "भाई साहब! आज तो बहुत अच्छा...

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’हरा समन्दर, गोपीचंदर, बोल मेरी मछली कितना पानी?’’इतना…….’गुड्डो ने हाथ सिर के ऊपर ले जा के बताया, कि पानी तो सिर के ऊपर तक आ गया है. सारे बच्चों ने अपने घेरे को और मजबूत बनाया. एक...

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खुशियों की आहट - 12 By Harish Kumar Amit

समय इसी तरह बीतता रहा. मोहित के पापा की ज़िन्दगी इसी तरह दफ्तर, ट्यूशनों और कोचिंग कॉलेज के आसपास घूमती रही. मम्मी इसी तरह दफ्तर की नौकरी के साथ कविताओं और कवि सम्मेलनों की दुनिया म...

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तर्णेतर ने रे अमे मेड़े ग्याता By Neelam Kulshreshtha

सुन्दर, सजीले उन आदिवासी युवकों का दल विशाल छाता पकड़े कितना उन्मत होता होगा ?सफ़ेद बुर्राक़ कड़ियों [ छोटी फ्रॉक़नुमा ऊपर पहनने का वस्त्र ] व सफ़ेद कसे पायजामे में गुनगुनाते चलते होंगे।...

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पल जो यूँ गुज़रे - 27 - लास्ट पार्ट By Lajpat Rai Garg

जाह्नवी आ तो गयी रेस्ट हाउस, परन्तु रात की घटना या कहें कि दुर्घटना अभी भी उसके दिलो—दिमाग पर छाई हुई होने के कारण, उसे इस जगह अब एक—एक पल बिताना भारी लग रहा था, फिर भी नहाना—धोना...

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