hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • पल जो यूँ गुज़रे - 3

    रविवार
    आम दिनों जैसा दिन। खुला आसमान, सुबह से ही चमकती ध्ूप। फर्क सिर्फ इतना कि...

  • और,, सिद्धार्थ बैरागी हो गया - 4

    सुन्दरी सम्मोहित सी अपलक स्वामी जी को निहार रही थी, उसे क्या हो रहा था ? स्वामी...

  • कूड़ा

    अयांश की मेज़ साफ़ करते हुए उसकी डायरी उठाई तो बीच में फँसा पेन खिसक कर नीचे गिर ग...

पल जो यूँ गुज़रे - 3 By Lajpat Rai Garg

रविवार
आम दिनों जैसा दिन। खुला आसमान, सुबह से ही चमकती ध्ूप। फर्क सिर्फ इतना कि आज कोचग क्लास में जाने का कोई झंझट नहीं था, फिर भी जल्दी तैयार होना था। प्रिय साथी के साथ सारा दिन...

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अनजान मुहाफ़िज By Pushp Saini

कहानी (अनजान मुहाफ़िज)-----------------------------------सम्पदा जैसे हीआॅफिस बाहर निकली धीमी हवा ने प्रचण्ड आँधी-तूफान का रुप ले लिया ।वह सड़क किनारे खड़ी होकर टैक्सी की राह देखने...

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दस दरवाज़े - 30 By Subhash Neerav

चार साल बाद मैं इंडिया आता हूँ। उनसे विशेष रूप से मिलने जाता हूँ। इस दौरान उन्होंने अपनी कोठी बना ली है। खुश हैं। प्रकाश की शराब पीने की आदत और अधिक बढ़ चुकी है। वह दिन रात रुपया-पै...

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अदृश्य हमसफ़र - 30 - अंतिम भाग By Vinay Panwar

रास्ते भर भैया और ममता चुपचाप रहे। दोनो को कुछ सूझ ही नही रहा था कि बात करें भी तो क्या।
बीच बीच में एक दूसरे की तरफ देखकर बस हल्के से मुस्कुरा देते थे। जैसे ही एयरपोर्ट पहुँचे बड़...

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लिव इन रिलेशनशिप्स की चाहत By r k lal

“ लिव इन रिलेशनशिप्स की चाहत “ आर 0 के0 लाल संजय ने अपने दोस्त पवन से कैंटीन में समोसा खाते हुए कहा- "यार तुम बुरा न मानो तो मैं तुमसे एक व्यक्तिगत बात करना चाहता हूं।" पवन ने...

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और,, सिद्धार्थ बैरागी हो गया - 4 By Meena Pathak

सुन्दरी सम्मोहित सी अपलक स्वामी जी को निहार रही थी, उसे क्या हो रहा था ? स्वामी जी को देख कर मन और भी व्याकुल क्यों हो रहा था ? वह तो यहाँ पर मन की शान्ति के लिए आई थी पर यहाँ आ कर...

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कूड़ा By प्रियंका गुप्ता

अयांश की मेज़ साफ़ करते हुए उसकी डायरी उठाई तो बीच में फँसा पेन खिसक कर नीचे गिर गया। उठा कर ऊपर रखा तो जैसे करंट दौड़ गया कोई...उँगलियों से होता हुआ पूरे शरीर में...। शायद मेज़ का कोन...

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खुशियों की आहट - 2 By Harish Kumar Amit

मोहित की नींद खुली तो शाम के पाँच बज रहे थे. दोपहर को लंच में सैंडविच खाकर वह कुछ देर आराम करने के लिए बिस्तर पर लेटा था. उसके बाद कब उसे नींद आ गई, उसे पता ही नहीं चला.
नींद खुलन...

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कुछ किस्से अफ़साने नहीं होते By प्रियंका गुप्ता

ज़िन्दगी में अचानक ही चलते-चलते किसी अप्रत्याशित से मोड़ पर हम उनसे मिल जाते हैं, जिनसे मिलने की सपने में भी उम्मीद नहीं होती...। कुछ लोग हमारे जीवन के पुराने अध्यायों में कुछ इस तरह...

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वीर छत्रपति संभाजी महाराज से जुड़ी कुछ बातें By Maha Dev

भारत को वीरों की भूमि ऐसे ही नहीं कहते, यहां पर ना जाने कितने वीर पुरुष और महिलाएं हुई हैं जिन्होंने अपने धर्म और कर्म को बचाने के लिए अपने प्राण भी न्यौछावर कर दिए। उन्हीं वीरों म...

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कुंजड़-कसाई By Anwar Suhail

'कुंजड़-कसाइयों को तमीज कहाँ... तमीज का ठेका तो तुम्हारे सैयदों ने जो ले रक्खा है?' मुहम्मद लतीफ कुरैशी उर्फ एम एल कुरैशी बहुत कम बोला करते। कभी बोलते भी तो कफन फाड़कर बोलते। ऐसे क...

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दूसरा हनीमून By r k lal

"दूसरा हनीमून" आर 0 के 0 लाल भले ही यह मेरा पुनर्विवाह है, मगर शादी की तैयारी ठीक पहले वाली की तरह की जा रही थी। कभी सोचा ही न था कि दुबारा ये सब करना होगा। पहली शादी के समय...

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सिर्फ हमारे लिए By Dr. Vandana Gupta

आज भी वही फूलों की खुशबू, नीली रोशनी और उसी छः बाई छः के बेड पर हम दोनों, बीच में पसरी खामोशी.. सब कुछ वैसा ही, पैंतीस साल पहले की तरह... तब अनछुए अहसासों को छूने का प्रयास क...

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कुछ आवाज़ें मरती नहीं By प्रियंका गुप्ता

मैं मरने वाली थी...आज नहीं तो कल, पर मेरा मरना तय था...। मरूँगी कैसे, ये भी पता था मुझे...। कितनी अजीब बात थी न...जिसकी ज़िन्दगी के खज़ाने का खात्मा होने वाला था, जिसकी पूँजी थी, उसे...

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फोन की घंटी - 2 By Saroj Prajapati

रात के खाने की तैयारी कर ही रही थी कि फोन की घंटी बज उठी। मैं बिना फोन देखे ही समझ गई कि पापा का होगा । तभी बेटा चिल्लाया " मम्मी नाना जी का फोन है ।" मैंने उसे कहा तुम रिसीव करो ज...

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पल जो यूँ गुज़रे - 3 By Lajpat Rai Garg

रविवार
आम दिनों जैसा दिन। खुला आसमान, सुबह से ही चमकती ध्ूप। फर्क सिर्फ इतना कि आज कोचग क्लास में जाने का कोई झंझट नहीं था, फिर भी जल्दी तैयार होना था। प्रिय साथी के साथ सारा दिन...

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अनजान मुहाफ़िज By Pushp Saini

कहानी (अनजान मुहाफ़िज)-----------------------------------सम्पदा जैसे हीआॅफिस बाहर निकली धीमी हवा ने प्रचण्ड आँधी-तूफान का रुप ले लिया ।वह सड़क किनारे खड़ी होकर टैक्सी की राह देखने...

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दस दरवाज़े - 30 By Subhash Neerav

चार साल बाद मैं इंडिया आता हूँ। उनसे विशेष रूप से मिलने जाता हूँ। इस दौरान उन्होंने अपनी कोठी बना ली है। खुश हैं। प्रकाश की शराब पीने की आदत और अधिक बढ़ चुकी है। वह दिन रात रुपया-पै...

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अदृश्य हमसफ़र - 30 - अंतिम भाग By Vinay Panwar

रास्ते भर भैया और ममता चुपचाप रहे। दोनो को कुछ सूझ ही नही रहा था कि बात करें भी तो क्या।
बीच बीच में एक दूसरे की तरफ देखकर बस हल्के से मुस्कुरा देते थे। जैसे ही एयरपोर्ट पहुँचे बड़...

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लिव इन रिलेशनशिप्स की चाहत By r k lal

“ लिव इन रिलेशनशिप्स की चाहत “ आर 0 के0 लाल संजय ने अपने दोस्त पवन से कैंटीन में समोसा खाते हुए कहा- "यार तुम बुरा न मानो तो मैं तुमसे एक व्यक्तिगत बात करना चाहता हूं।" पवन ने...

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और,, सिद्धार्थ बैरागी हो गया - 4 By Meena Pathak

सुन्दरी सम्मोहित सी अपलक स्वामी जी को निहार रही थी, उसे क्या हो रहा था ? स्वामी जी को देख कर मन और भी व्याकुल क्यों हो रहा था ? वह तो यहाँ पर मन की शान्ति के लिए आई थी पर यहाँ आ कर...

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कूड़ा By प्रियंका गुप्ता

अयांश की मेज़ साफ़ करते हुए उसकी डायरी उठाई तो बीच में फँसा पेन खिसक कर नीचे गिर गया। उठा कर ऊपर रखा तो जैसे करंट दौड़ गया कोई...उँगलियों से होता हुआ पूरे शरीर में...। शायद मेज़ का कोन...

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खुशियों की आहट - 2 By Harish Kumar Amit

मोहित की नींद खुली तो शाम के पाँच बज रहे थे. दोपहर को लंच में सैंडविच खाकर वह कुछ देर आराम करने के लिए बिस्तर पर लेटा था. उसके बाद कब उसे नींद आ गई, उसे पता ही नहीं चला.
नींद खुलन...

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कुछ किस्से अफ़साने नहीं होते By प्रियंका गुप्ता

ज़िन्दगी में अचानक ही चलते-चलते किसी अप्रत्याशित से मोड़ पर हम उनसे मिल जाते हैं, जिनसे मिलने की सपने में भी उम्मीद नहीं होती...। कुछ लोग हमारे जीवन के पुराने अध्यायों में कुछ इस तरह...

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वीर छत्रपति संभाजी महाराज से जुड़ी कुछ बातें By Maha Dev

भारत को वीरों की भूमि ऐसे ही नहीं कहते, यहां पर ना जाने कितने वीर पुरुष और महिलाएं हुई हैं जिन्होंने अपने धर्म और कर्म को बचाने के लिए अपने प्राण भी न्यौछावर कर दिए। उन्हीं वीरों म...

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कुंजड़-कसाई By Anwar Suhail

'कुंजड़-कसाइयों को तमीज कहाँ... तमीज का ठेका तो तुम्हारे सैयदों ने जो ले रक्खा है?' मुहम्मद लतीफ कुरैशी उर्फ एम एल कुरैशी बहुत कम बोला करते। कभी बोलते भी तो कफन फाड़कर बोलते। ऐसे क...

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दूसरा हनीमून By r k lal

"दूसरा हनीमून" आर 0 के 0 लाल भले ही यह मेरा पुनर्विवाह है, मगर शादी की तैयारी ठीक पहले वाली की तरह की जा रही थी। कभी सोचा ही न था कि दुबारा ये सब करना होगा। पहली शादी के समय...

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सिर्फ हमारे लिए By Dr. Vandana Gupta

आज भी वही फूलों की खुशबू, नीली रोशनी और उसी छः बाई छः के बेड पर हम दोनों, बीच में पसरी खामोशी.. सब कुछ वैसा ही, पैंतीस साल पहले की तरह... तब अनछुए अहसासों को छूने का प्रयास क...

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कुछ आवाज़ें मरती नहीं By प्रियंका गुप्ता

मैं मरने वाली थी...आज नहीं तो कल, पर मेरा मरना तय था...। मरूँगी कैसे, ये भी पता था मुझे...। कितनी अजीब बात थी न...जिसकी ज़िन्दगी के खज़ाने का खात्मा होने वाला था, जिसकी पूँजी थी, उसे...

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फोन की घंटी - 2 By Saroj Prajapati

रात के खाने की तैयारी कर ही रही थी कि फोन की घंटी बज उठी। मैं बिना फोन देखे ही समझ गई कि पापा का होगा । तभी बेटा चिल्लाया " मम्मी नाना जी का फोन है ।" मैंने उसे कहा तुम रिसीव करो ज...

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