hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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और,, सिद्धार्थ बैरागी हो गया - 1 By Meena Pathak

पतीली से गिलास में चाय छान कर सबको थमा आई थी पर मुकेश कहीं नहीं दिख रहा था, वह उसको ढूँढ़ती हुई बाहर कोठरी की ओर चल दी, “बाबू !” आवाज लगाई उसने, कोठरी का किवाड़ उड़का था, धक्का दे कर...

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काले कवर की डायरी और एक नाम By प्रियंका गुप्ता

हम उसी शाम मिले थे...। बहुत सारी उदास शामों की तरह वो भी तो एक अटपटी सी शाम थी...और पता नहीं क्यों उस दिन लाल बाग जाने का इरादा त्याग कर मैं सैंकी टैंक आ गया था...। वहाँ किनारे लगी...

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दस दरवाज़े - 8 By Subhash Neerav

ऐनिया के साथ मेरी निकटता दिन-ब-दिन बढ़ने लगती है। हम बहुत-सी रातें एक साथ ही गुज़ारते हैं। वह आकर मेरे घर की सफाई कर जाती है। मेरे कपड़े धोकर प्रैस करके अल्मारी में टांग जाती है। मुझे...

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अदृश्य हमसफ़र - 20 By Vinay Panwar

अनुराग ने एक पल सोचने के लिए लिया और फिर दूसरे पल में गहरी सांस लेकर ममता की तरफ देखा। ममता भावहीन चेहरा लिए बिना पलक झपके अनुराग को ही देख रही थी। अनुराग बस झेंप कर रह गए। अंततः ब...

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पश्चाताप By Sarvesh Saxena

अभी कुछ ही देर हुई थी दीपक को घर से गए कि सुमन ने फिर से बूढ़ी सास पर तंज कसा, "बेटा चला गया ना, तो अब तुझे कहना पड़ेगा, तीन दिन तो आराम फरमा लिया" यह कहते हुए सुमन, सास के आगे कपड...

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Yatharth Ki Jhadiyan By Yogesh Kanava

रात का सन्नाटा पसरा था । एकदम शान्त माहोल, घड़ी की टिक टिक के अलावा कुछ भी आवाज़ नहीं, बस यूं समझिए कि घड़ी मुस्तैदी से अपनी ड््यूटी पर तैनात है सैकण्ड दर सैकण्ड अपना चक्कर पूरा करती,...

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देशी दारू की भठ्ठी - 2 By shekhar kharadi Idriya

अब बाबू की पत्नी चूपचाप दबे पांव घर की ओर हड़बड़ी में वापस लौट गई, क्योंकि बाबू खाट में बिमार पड़ा था । जो अब जोर जोर से खांस रहा था, तभी उसकी जोरू मटकी पास जाकर कहती है " एक लोटा...

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भूमिजा - 2 By Meena Pathak

फुलमतिया उर्मिला देवी की खास परजा थी वह लगभग रोज ही आती और घर के अनेक छोटे बड़े कार्यों के साथ उनकी सेवा भी कर जाती बदले में ढेरों इनाम ले जाती
भूधर राय के पास अपार संपत्ति तो...

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कलर-ब्लाइण्ड By प्रियंका गुप्ता

वह कलर-ब्लाइण्ड था। आम भाषा में कहा जाए तो वह रंगों को ठीक से पहचान नहीं पाता था...खास तौर से लाल और हरे में अन्तर करना उसके लिए मुश्किल था...लगभग नामुमकिन...। उसे तो सावन का अन्धा...

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अब वो खुश हैं... By प्रियंका गुप्ता

रसोई में बर्तनों की खटर-पटर से नीला की आँख खुल गई। बगल में रखी अलार्म-घड़ी देखी तो हड़बड़ा कर उठ गई...ओ माँ! आज साढ़े छः बजे तक सोती रह गई...। ये अलार्म क्यों नहीं बजा...? पर ये सब सोच...

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साली पर नजर By r k lal

“साली पर नजर” आर0 के0 लाल घर में शादी का माहौल था सौम्या की दीदी की शादी थी इसलिए उसकी कई सहेलियां आई थी। रात में गाना बजाना चल रहा था और सौम्या का डांस भी। सभी सहेलियों...

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जिगोलो By Neelam Samnani

रात जैसे जैसे आगे चलकर वक्त को अपने पहलू से बांधती है वैसे ही और भी काली होती जाती है रात की सबसे बडा हुनर यही है की वक्त को बदलने वाली रेंगती सुई पर घिसकर और काला होना । काली रा...

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दंश. By Asha Pandey Author

सनेही के हाथ से मशीन का हत्था (हैन्डिल) आज फिसल-फिसल जा रहा है । ऐसा तो पहले दिन भी नहीं हुआ था जब बड़े साहब ने उसे मशीन का हत्था हाथ में पकड़ा कर घास काटना सिखाया था । पहली मर्तबा म...

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अपना अपना हिस्सा By Ajay Kumar Awasthi

तकरीबन 50 साल पहले वो इलाका शहर का बाहरी भाग था,जहाँ के रहवासी प्रायः खेतिहर मजदूर थे या फिर कुछेक के पास बहुत थोड़ी जमीन थी,जिसमे वे खेती किया करते थे .उनका रहन सहन ठेठ देहाती थ...

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OUT OF CONTROL - 6 By Raaj

( पिछली कहानी मैं देखा कि एक चमकता दरवाजा जेरी के सामने आया । उनमेसे सात फीट लंबे दो इंसान बाहर आये उन्होंने जेरी को उठाया और दरवाजे मैं वापस चले गए । अब आगे ।)...

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विज्ञापन से प्रताड़ित By r k lal

“विज्ञापन से प्रताड़ित” आर 0 के 0 लाल संजीव अपनी पत्नी के साथ हर्ष के घर मिलने गए थे। उन्हें आश्चर्य हुआ जब हर्ष की टी वी ऑफ मिली। उन्होंने पूंछा – “अभी हाल में ही तो अपने यह बड़ी इ...

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सबूत By Pranav Vishvas

मै गहरी नींद में सो रहा था और रोज़ की तरह अमित आया और चिल्लाया उठ जा भाई आर्डर आ गया है तेरी पोस्टिंग LOC पर हो गयी है, मेरी नज़र टेबल तो रखी मेरी रिस्ट वाच पर गई, देखा 5:16 बज रहे ह...

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क़सूर ? By zeba Praveen

आज एक अजीब सी उदासी छायी थी रामु के चेहरे पर, कल उसकी बेटी के ससुराल से फ़ोन आया था, यह याद दिलाने के लिए कि दहेज़ का पचास हजार अभी देना बाकी हैं | शादी के एक साल होने वाले थे, रामु...

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असली आज़ादी वाली आज़ादी - (भाग-7) By devendra kushwaha

भाग -6 से आगे- मैंने शैलेन्द्र की उत्सुकता को देखते हुए ये तो समझ ही लिया कि शैलेन्द्र बिना पूरी कहानी जाने मानेगा नहीं और वैसे भी अपनी बहन के बारे में जानने का हक़ है उसे पर मैं सि...

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जंगल By Asha Pandey Author

ये कहानी तब की है, जब उसे जंगल में जाकर प्रत्यक्ष शेर, चीता, भालू देखने का शौक उपजा था शहर के किनारे एक होटल था। वह उसी होटल में काम करता था।
जंगल का रास्ता उसी होटल के सामने से...

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स्वचालित वाहनों के सामाजिक और आर्थिक प्रभाव By Utpal Chakraborty

स्वचालित वाहनों के सामाजिक और आर्थिक प्रभाव मूल लेखक - उत्पल चक्रबोर्ती हिंदी सह लेखक - रोहित शर्मा स्वचालित वाहन निस्संदेह दुनिया का भविष्य हैं, लेकिन यह प्रश्न अभी भी बना हुआ...

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उलझते धागे By Asha Pandey Author

ट्रेन छूटने में पन्द्रह मिनट का समय अब भी बाकी है। मैं खिड़की की ओर पीठ टिकाकर बैठी हूँ।
‘‘आ ऽ ई – ओ ऽ ऽ आई, दो ऽ न ऽ ऽ कुछ खाने को‘‘ कहते हुए किसी ने मेरी पीठ को हल्के से ठोंक दिय...

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बाबू By Abhishek Hada

कहानी: बाबू वो दिखने में सीधा साधा था लेकिन मस्ती करने में शैतान का दादा। बेशर्म इतना की कोई कितना ही टोका-टाकी करे उस चिकने घड़े पर कोई असर ना होता था। पर जब भी कोई उसे बाबू कहता त...

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वापसी की प्रतीक्षा By Dr pradeep Upadhyay

आज उसे अपने जिला प्रमुख होने पर भी किसी तरह के गौरव का अनुभव नहीं हो रहा था बल्कि बहुत ही शर्मसार सा महसूस कर रही थी।वह बहुत ही असमंजस में होकर अन्तर्द्वन्द्व में फँसी हुई थी।उसे क...

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बड़े भइया By Asha Pandey Author

पूछताछ खिड़की पर यह पता चलते ही कि ट्रेन प्लेटफार्म नंबर- दो पर आ चुकी है, राकेश ने अपना सामान उठाया और लगभग दौड़ते हुए प्लेटफार्म नंबर – दो पर पहुंच गया टिकट जेब में ऊपर ही रखा था...

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मुखिया काका By Seema Singh

“मुखिया चाचा नहीं रहे, विमला...” फोन का रिसीवर रख, अरविंद ने पत्नी के निकट आकर कहा, तो एक बार को तो वह लड़खड़ा गई।
पर दूसरे ही पल स्वयं को सम्भालती हुई बोली, “हमें जाना होगा... आप च...

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मैं कायर नहीं हूं By पूर्णिमा राज

"टैक्सी , टैक्सी ,रुक, रुक, रुक, खाली हो भाइया , गोसाईं रोड चलोगे ।" निधि ने हाथ टैक्सी को हाथ देते हुए कहा ।"जी मैडम , जरूर , बैठिये ।""हेलो, हाँ मां , टैक्सी मिल गयी है बस आ रही...

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मुमताज़ By SURENDRA ARORA

पात्र - परिचय
ज़ावेद-देश-विभाजन के समय पश्चिमी पाकिस्तान को पलायन करके वहाँ बसने वाला हिंदुस्तानी मुसलमान
हबीब-पाकिस्तान में कुछ समय के लिए ज़ावेद से मिलता है
राधा-ज़ावेद इसे हिंदु...

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चक्रव्यूह By Asha Pandey Author

दरवाजे की घंटी बजते ही सुरेखा का दिल जोरों से काँप गया कहीं फिर वही लोग तो नहीं ? डरते डरते उसने दरवाजा खोला, सामने पति को देख आश्वस्त हुई सुरेखा के फक्क पड़े चेहरे को देखकर सिद...

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नई सुबह By Seema Singh

“टन-टन...”
दीवार पर टंगी घड़ी ने समय बताया तो चौंक कर सिर ऊपर कर वैशाली बड़बड़ाई,
“उफ़.! आज फिर लेट हो गयी, ये क्लोजिंग का काम भी ना, कितना टाइम लग जाता है, इतना बड़ा स्टाफ है ! मगर...

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और,, सिद्धार्थ बैरागी हो गया - 1 By Meena Pathak

पतीली से गिलास में चाय छान कर सबको थमा आई थी पर मुकेश कहीं नहीं दिख रहा था, वह उसको ढूँढ़ती हुई बाहर कोठरी की ओर चल दी, “बाबू !” आवाज लगाई उसने, कोठरी का किवाड़ उड़का था, धक्का दे कर...

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काले कवर की डायरी और एक नाम By प्रियंका गुप्ता

हम उसी शाम मिले थे...। बहुत सारी उदास शामों की तरह वो भी तो एक अटपटी सी शाम थी...और पता नहीं क्यों उस दिन लाल बाग जाने का इरादा त्याग कर मैं सैंकी टैंक आ गया था...। वहाँ किनारे लगी...

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दस दरवाज़े - 8 By Subhash Neerav

ऐनिया के साथ मेरी निकटता दिन-ब-दिन बढ़ने लगती है। हम बहुत-सी रातें एक साथ ही गुज़ारते हैं। वह आकर मेरे घर की सफाई कर जाती है। मेरे कपड़े धोकर प्रैस करके अल्मारी में टांग जाती है। मुझे...

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अदृश्य हमसफ़र - 20 By Vinay Panwar

अनुराग ने एक पल सोचने के लिए लिया और फिर दूसरे पल में गहरी सांस लेकर ममता की तरफ देखा। ममता भावहीन चेहरा लिए बिना पलक झपके अनुराग को ही देख रही थी। अनुराग बस झेंप कर रह गए। अंततः ब...

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पश्चाताप By Sarvesh Saxena

अभी कुछ ही देर हुई थी दीपक को घर से गए कि सुमन ने फिर से बूढ़ी सास पर तंज कसा, "बेटा चला गया ना, तो अब तुझे कहना पड़ेगा, तीन दिन तो आराम फरमा लिया" यह कहते हुए सुमन, सास के आगे कपड...

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Yatharth Ki Jhadiyan By Yogesh Kanava

रात का सन्नाटा पसरा था । एकदम शान्त माहोल, घड़ी की टिक टिक के अलावा कुछ भी आवाज़ नहीं, बस यूं समझिए कि घड़ी मुस्तैदी से अपनी ड््यूटी पर तैनात है सैकण्ड दर सैकण्ड अपना चक्कर पूरा करती,...

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देशी दारू की भठ्ठी - 2 By shekhar kharadi Idriya

अब बाबू की पत्नी चूपचाप दबे पांव घर की ओर हड़बड़ी में वापस लौट गई, क्योंकि बाबू खाट में बिमार पड़ा था । जो अब जोर जोर से खांस रहा था, तभी उसकी जोरू मटकी पास जाकर कहती है " एक लोटा...

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भूमिजा - 2 By Meena Pathak

फुलमतिया उर्मिला देवी की खास परजा थी वह लगभग रोज ही आती और घर के अनेक छोटे बड़े कार्यों के साथ उनकी सेवा भी कर जाती बदले में ढेरों इनाम ले जाती
भूधर राय के पास अपार संपत्ति तो...

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कलर-ब्लाइण्ड By प्रियंका गुप्ता

वह कलर-ब्लाइण्ड था। आम भाषा में कहा जाए तो वह रंगों को ठीक से पहचान नहीं पाता था...खास तौर से लाल और हरे में अन्तर करना उसके लिए मुश्किल था...लगभग नामुमकिन...। उसे तो सावन का अन्धा...

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अब वो खुश हैं... By प्रियंका गुप्ता

रसोई में बर्तनों की खटर-पटर से नीला की आँख खुल गई। बगल में रखी अलार्म-घड़ी देखी तो हड़बड़ा कर उठ गई...ओ माँ! आज साढ़े छः बजे तक सोती रह गई...। ये अलार्म क्यों नहीं बजा...? पर ये सब सोच...

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साली पर नजर By r k lal

“साली पर नजर” आर0 के0 लाल घर में शादी का माहौल था सौम्या की दीदी की शादी थी इसलिए उसकी कई सहेलियां आई थी। रात में गाना बजाना चल रहा था और सौम्या का डांस भी। सभी सहेलियों...

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जिगोलो By Neelam Samnani

रात जैसे जैसे आगे चलकर वक्त को अपने पहलू से बांधती है वैसे ही और भी काली होती जाती है रात की सबसे बडा हुनर यही है की वक्त को बदलने वाली रेंगती सुई पर घिसकर और काला होना । काली रा...

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दंश. By Asha Pandey Author

सनेही के हाथ से मशीन का हत्था (हैन्डिल) आज फिसल-फिसल जा रहा है । ऐसा तो पहले दिन भी नहीं हुआ था जब बड़े साहब ने उसे मशीन का हत्था हाथ में पकड़ा कर घास काटना सिखाया था । पहली मर्तबा म...

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अपना अपना हिस्सा By Ajay Kumar Awasthi

तकरीबन 50 साल पहले वो इलाका शहर का बाहरी भाग था,जहाँ के रहवासी प्रायः खेतिहर मजदूर थे या फिर कुछेक के पास बहुत थोड़ी जमीन थी,जिसमे वे खेती किया करते थे .उनका रहन सहन ठेठ देहाती थ...

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OUT OF CONTROL - 6 By Raaj

( पिछली कहानी मैं देखा कि एक चमकता दरवाजा जेरी के सामने आया । उनमेसे सात फीट लंबे दो इंसान बाहर आये उन्होंने जेरी को उठाया और दरवाजे मैं वापस चले गए । अब आगे ।)...

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विज्ञापन से प्रताड़ित By r k lal

“विज्ञापन से प्रताड़ित” आर 0 के 0 लाल संजीव अपनी पत्नी के साथ हर्ष के घर मिलने गए थे। उन्हें आश्चर्य हुआ जब हर्ष की टी वी ऑफ मिली। उन्होंने पूंछा – “अभी हाल में ही तो अपने यह बड़ी इ...

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सबूत By Pranav Vishvas

मै गहरी नींद में सो रहा था और रोज़ की तरह अमित आया और चिल्लाया उठ जा भाई आर्डर आ गया है तेरी पोस्टिंग LOC पर हो गयी है, मेरी नज़र टेबल तो रखी मेरी रिस्ट वाच पर गई, देखा 5:16 बज रहे ह...

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क़सूर ? By zeba Praveen

आज एक अजीब सी उदासी छायी थी रामु के चेहरे पर, कल उसकी बेटी के ससुराल से फ़ोन आया था, यह याद दिलाने के लिए कि दहेज़ का पचास हजार अभी देना बाकी हैं | शादी के एक साल होने वाले थे, रामु...

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असली आज़ादी वाली आज़ादी - (भाग-7) By devendra kushwaha

भाग -6 से आगे- मैंने शैलेन्द्र की उत्सुकता को देखते हुए ये तो समझ ही लिया कि शैलेन्द्र बिना पूरी कहानी जाने मानेगा नहीं और वैसे भी अपनी बहन के बारे में जानने का हक़ है उसे पर मैं सि...

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जंगल By Asha Pandey Author

ये कहानी तब की है, जब उसे जंगल में जाकर प्रत्यक्ष शेर, चीता, भालू देखने का शौक उपजा था शहर के किनारे एक होटल था। वह उसी होटल में काम करता था।
जंगल का रास्ता उसी होटल के सामने से...

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स्वचालित वाहनों के सामाजिक और आर्थिक प्रभाव By Utpal Chakraborty

स्वचालित वाहनों के सामाजिक और आर्थिक प्रभाव मूल लेखक - उत्पल चक्रबोर्ती हिंदी सह लेखक - रोहित शर्मा स्वचालित वाहन निस्संदेह दुनिया का भविष्य हैं, लेकिन यह प्रश्न अभी भी बना हुआ...

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ट्रेन छूटने में पन्द्रह मिनट का समय अब भी बाकी है। मैं खिड़की की ओर पीठ टिकाकर बैठी हूँ।
‘‘आ ऽ ई – ओ ऽ ऽ आई, दो ऽ न ऽ ऽ कुछ खाने को‘‘ कहते हुए किसी ने मेरी पीठ को हल्के से ठोंक दिय...

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बाबू By Abhishek Hada

कहानी: बाबू वो दिखने में सीधा साधा था लेकिन मस्ती करने में शैतान का दादा। बेशर्म इतना की कोई कितना ही टोका-टाकी करे उस चिकने घड़े पर कोई असर ना होता था। पर जब भी कोई उसे बाबू कहता त...

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वापसी की प्रतीक्षा By Dr pradeep Upadhyay

आज उसे अपने जिला प्रमुख होने पर भी किसी तरह के गौरव का अनुभव नहीं हो रहा था बल्कि बहुत ही शर्मसार सा महसूस कर रही थी।वह बहुत ही असमंजस में होकर अन्तर्द्वन्द्व में फँसी हुई थी।उसे क...

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बड़े भइया By Asha Pandey Author

पूछताछ खिड़की पर यह पता चलते ही कि ट्रेन प्लेटफार्म नंबर- दो पर आ चुकी है, राकेश ने अपना सामान उठाया और लगभग दौड़ते हुए प्लेटफार्म नंबर – दो पर पहुंच गया टिकट जेब में ऊपर ही रखा था...

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मुखिया काका By Seema Singh

“मुखिया चाचा नहीं रहे, विमला...” फोन का रिसीवर रख, अरविंद ने पत्नी के निकट आकर कहा, तो एक बार को तो वह लड़खड़ा गई।
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मैं कायर नहीं हूं By पूर्णिमा राज

"टैक्सी , टैक्सी ,रुक, रुक, रुक, खाली हो भाइया , गोसाईं रोड चलोगे ।" निधि ने हाथ टैक्सी को हाथ देते हुए कहा ।"जी मैडम , जरूर , बैठिये ।""हेलो, हाँ मां , टैक्सी मिल गयी है बस आ रही...

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मुमताज़ By SURENDRA ARORA

पात्र - परिचय
ज़ावेद-देश-विभाजन के समय पश्चिमी पाकिस्तान को पलायन करके वहाँ बसने वाला हिंदुस्तानी मुसलमान
हबीब-पाकिस्तान में कुछ समय के लिए ज़ावेद से मिलता है
राधा-ज़ावेद इसे हिंदु...

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चक्रव्यूह By Asha Pandey Author

दरवाजे की घंटी बजते ही सुरेखा का दिल जोरों से काँप गया कहीं फिर वही लोग तो नहीं ? डरते डरते उसने दरवाजा खोला, सामने पति को देख आश्वस्त हुई सुरेखा के फक्क पड़े चेहरे को देखकर सिद...

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नई सुबह By Seema Singh

“टन-टन...”
दीवार पर टंगी घड़ी ने समय बताया तो चौंक कर सिर ऊपर कर वैशाली बड़बड़ाई,
“उफ़.! आज फिर लेट हो गयी, ये क्लोजिंग का काम भी ना, कितना टाइम लग जाता है, इतना बड़ा स्टाफ है ! मगर...

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