Jin ki Mohbbat - 10 in Hindi Horror Stories by Sayra Ishak Khan books and stories PDF | जिन की मोहब्बत... - 10

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जिन की मोहब्बत... - 10

सबने बहुत कहा ज़ीनत आंखे खोलो बेटा यहां कुछ नहीं है वो एक ही बात चिल्ला चिल्ला के बोल रही थी...!
इसे मुझे बचाओ इसे भगाओ यहां से मुझे इससे डर लगता है..!
सब लोग हैरान थे कोन है जिसे ज़ीनत डर रही हैं...? अब आगे।

भाग 10

"ज़ीनत की हालत देख नूरी अपने भाई के पास आई और बोली ।
"भाई जान हमे जीनत को किसी अच्छे अालीम साहब के पास लेकर जाना चाहिए उसकी हालत दिन ब दिन बिगड़ती जा रही हैे ।
नूरी के (पति) आतिफ के पापा एक अच्छे अालीम साहब को जानते है में उनसे पता करती हूं !
उनके दोस्त को किसी बुरी हवा का असर हुआ था, उसे वहीं अालीम साहब ने ठीक किया है।
राशिद खान - हा नूरी तुम पता करो हम ज़ीनत को लेकर वहा जाएगे।
एक दिन बाद जब ज़ीनत घर में काम कर रही थी तभी उसके अब्बू ने कहा!
" बेटा में कुछ काम से बाहर जा रहा हूं ।तुम नूरी को बुला लेना अपने पास में कुछ देर में आता हूं ।
इतना बोल कर रशीदखान चले गए।
ज़ीनत अपने काम में बिजी हो गई ! उसने नूरी को नहीं बुलाया ।
करीबन 30 मिनट बाद रशीदखान घर लौट आए ! देखा घर में ज़ीनत नहीं है।
"वो नूरी के पास आए ! पूछा !
"ज़ीनत आई है क्या..? नूरी तुम्हारे पास ।
नूरी ने कहा !
" नहीं भाई जान ज़ीनत यहां नहीं आई ।
"रशीदखान - ज़ीनत घर में नहीं है में जब बाहर गया था उसे काम करता छोड़ कर गया था।
आकर देखा तो ज़ीनत घर में नहीं है ओर यहां भी नहीं आई तो कहा गई होगी..?
"आस पास के लोगों से पूछा !
किसी ने ज़ीनत को घर से बाहर जाते नहीं देखा ।
सबा के घर पर भी नहीं है सब लोग परेशान हो गए तभी सबा ने कहा ।
"चच्चाजान मुझे लगता है हमें बरगद के पेड़ के पास देखना चाहिए उस दिन भी ज़ीनत हमे वहीं मिली थी।
रशीदखान को सबा की बात सही लगी, ओर वो लोग बरगद के पास पहुंच गए ।
वहा जा कर सब हैरान थे कि ज़ीनत वहां कैसे आई ओर क्यू..?
"ज़ीनत पेड़ के नीचे झूल के पास बेहोशी की हालत में पड़ी हुई थीं ।
उसे होश में लाने के लिए आवाज़ दी गई l हिलाया गया l लेकिन वो बहुत गहरी नींद में सो रही हो जैसे ।
ज़ीनत को होश आया तो वो बहुत हैरानी से यहां वहा देख रही थी।
नूरी को देख के बोलीl
" फूपीजान में यहां कैसे आई मुझे आप लोग यहां क्यू लेे आए हो..?
में घर में काम कर रही थी यहां कैसे आई..?
"ये सुनकर सब हैरान रहे गए l ज़ीनत को कुछ पता नहीं था वो यहां कैसे ओर कब आ गई..?
"अब रशीदखान ने देर ना करते हुए कहा l
नूरी तुम असीम को बुलाओ हम आज ही अालीम साहब के पास जाएगे ।
ज़ीनत को अालीम साहब के पास लेे आए अालीम साहब ने ज़ीनत को देखा l सारा माजरा बयान कर दिया ।
उन्होंने बताया l
" ज़ीनत पे उपरी हवा का असर है ।
ज़ीनत की शादी जल्द से जल्द करनी होगी उसकी शादी में देर की तो ज़ीनत की जान को खतरा हो सकता है।
अालीमसाहब ने कहा l
ज़ीनत का साफ दिल ओर अल्लाह की इबादत करना उसकी अच्छी आदतें किसी कुदरती ताकत को पसंद आ गई है।
उसे बचाने का एक ही तरीका है ज़ीनत की शादी ! जब तक ज़ीनत कुंवारी है उसकीे मुश्किल बड़ती रहेगी।
उसे निकाह के बाद उसके शौहर को वो अपना जिस्म सोंप देगी ! यही उसका इलाज होगा।
में अभी बस ये ताबीज़ देे सकता हूं ।जिसे उस अनदेखी ताकत को कुछ दिन दूर रखा जा सकता है।
ख़तम नहीं किया जा सकता ! वो बस ज़ीनत से दूर रहेगी उसके करीब नहीं आएगी ।
उसके हाथ पे ये ताबीज़ बांध देना जब तक ये उसके हाथ पर रहेगा वो हवा ज़ीनत से दूर रहेगी लेकिन खयाल रहे शादी कि पहली रात जब ज़ीनत ओर उसका पति हम बिस्तर ना हो जाएं उससे पहले ताबीज़ ना उतरे हाथ से..!

क्रमश: