Kaali Kitaab - 12 - last part in Hindi Horror Stories by Rakesh books and stories PDF | काली किताब - 12 (अंतिम भाग)

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काली किताब - 12 (अंतिम भाग)



मंदिर शांत था। काल-राज की गूँज अब बीते युग की परछाई बन चुकी थी।
वरुण की हथेली में अब भी वह प्राचीन किताब थी—जिसका हर पन्ना एक ब्रह्मांड खोलता था।
पर जैसे ही उसने आख़िरी पन्ना बंद किया, ज़मीन काँप उठी।

अचानक, मंदिर के बीचोंबीच एक चक्र खुला—न समय में, न स्थान में।
एक आवाज़ आई—**"तुमने एक संतुलन बिगाड़ा है, उत्तराधिकारी। अब तुम्हें जवाब देना होगा।"**

वरुण की आँखों के आगे सब कुछ घूमने लगा।
वो गिरा... जैसे समय में नहीं, बल्कि *समय के परे* फिसल रहा हो।

जब होश आया, वो एक नीले-सुनहरे मैदान में था—जहाँ हर चीज़ ठहरी हुई थी। पक्षी हवा में जमे हुए, लहरें रुकी हुई, और सूरज स्थिर।

**"स्वर्गकाल क्षेत्र..."**
किसी ने पीछे से कहा।

वरुण मुड़ा।
सामने पाँच आकृतियाँ खड़ी थीं—सफ़ेद वस्त्रों में, आँखों में अनंत आकाश जैसा तेज़।

**"हम हैं टाइम गॉड्स। काल के रक्षक। और तुमने हमें चुनौती दी है।"**

वरुण ने न डरते हुए पूछा—**"क्यों लाया गया हूँ यहाँ?"**

**"क्योंकि तुमने समय को बदला है। अब या तो उसे स्थिर करो... या इसे नष्ट होने दो।"**

एक गॉड आगे बढ़ा—उसके बाल चाँदी जैसे, और आँखों में हर जन्म का प्रतिबिंब।

**"तुम्हें तीन परीक्षणों से गुजरना होगा वरुण। अगर तुम हार गए... तुम समय से मिटा दिए जाओगे, हमेशा के लिए।"**

वरुण ने गहरी साँस ली।
**"मैं तैयार हूँ।"**

पहला गॉड आगे आया—**"मैं हूँ भूतकाल का देव। यादों का भार ही तुम्हारी पहली परीक्षा होगी।"**

अचानक वरुण की आँखों के सामने उसका बचपन उभर आया—माँ की मौत, पिता की चुप्पी, वह रात जब उसे अकेले अंधेरे में छोड़ दिया गया था।
वो घुटने पर गिर गया।

**"इस बोझ से कैसे लड़ोगे?"** गॉड बोला।

लेकिन वरुण उठ खड़ा हुआ—**"यादें दर्द देती हैं... पर यही मुझे बनाती हैं। मैं नहीं भागूंगा।"**

एक चमक हुई, और पहला गॉड गायब।

**"एक पारित... दो शेष..."**

दूसरा गॉड आया—**"मैं वर्तमान का देव हूँ। तुम्हारी इच्छा, शक्ति और भय—सभी का परीक्षण करूँगा।"**

अचानक वरुण अपने पुराने शहर में था—जहाँ उसे लोग चोर, राक्षस, और पागल कहते थे।
हर कोई उसे घूर रहा था, फेंक रहा था पत्थर।

**"सब कुछ छोड़ दो वरुण... ये युद्ध तुम्हारा नहीं है..."** हवा में आवाज़ गूँज रही थी।

पर वरुण चिल्लाया—**"मैंने रास्ता खुद चुना है। मुझे किसी की मंज़ूरी नहीं चाहिए!"**

दूसरा गॉड भी गायब हो गया।

अब तीसरा गॉड आया—सबसे विशाल, सबसे मौन।
**"मैं भविष्य का देव हूँ। तुम्हारा भय, तुम्हारी उम्मीद, सब अनिश्चित है। मुझे साबित करो कि तुम आगे चल सकते हो... बिना किसी गारंटी के।"**

वरुण के सामने दो रास्ते खुले—एक उज्ज्वल, एक अंधकारमय।
कोई संकेत नहीं, कोई भविष्य नहीं।
पर वरुण ने बिना रुके अंधकार की राह चुनी।

अगली ही पल, पूरा क्षेत्र उजाले से भर गया।

तीनों गॉड्स एक साथ प्रकट हुए।

**"तीनों परीक्षण पार... पर असली युद्ध अभी शेष है।"**

वरुण की किताब हवा में खुल गई।
उसके पन्नों से एक दरवाज़ा बना—सुनहरा और धड़कता हुआ।

**"अगला भाग तुम्हें समय के सिंहासन तक ले जाएगा। जहाँ बैठे हैं अंतिम दो गॉड्स—समय के स्वामी।"**

वरुण ने कदम बढ़ाया।




वरुण ने जैसे ही स्वर्णिम दरवाजे को पार किया, उसकी आँखों के सामने एक नया संसार था।
यह एक विशाल गुफा थी—जिसके अंदर समय के धागे एक तरह से लहराते हुए चल रहे थे। हर धागा किसी ना किसी समयकाल का प्रतीक था—अतीत, वर्तमान और भविष्य।
आस-पास के हर स्थान पर समय खुद अपनी दिशा बदल रहा था।

उसके सामने, सिंहासन पर बैठे थे दो आकृतियाँ—अत्यधिक शांत, अत्यधिक शक्तिशाली। एक का चेहरा विशाल था, जैसे सृष्टि की शुरुआत का चेहरा, और दूसरे का चेहरा इतना तेज़ था कि वह समय के हर कण को घेरने की क्षमता रखता था।

**"हम हैं समय के स्वामी,"** एक गॉड बोला—उसकी आवाज़ की गूंज हर काल के बीच फैल रही थी।
**"तुम्हारे परीक्षण अब समाप्त हो चुके हैं।"**

**"अब तुम्हें हमें हराना होगा,"** दूसरे गॉड ने कहा—उसकी आँखें माया की तरह गहरी थीं।
**"लेकिन ध्यान रखना—यह कोई साधारण युद्ध नहीं होगा। समय से खेलते हुए तुम कुछ भी खो सकते हो, यहाँ तक कि अपनी खुद की अस्मिता भी।"**

वरुण ने गहरी साँस ली।
**"मैं तैयार हूँ। मैं कोई साधारण इंसान नहीं हूँ। मैं वही हूँ जो समय को चुनौती दे सकता है।"**

**"अगर तुम समय से खेलते हो, तो समय भी तुमसे खेलेगा,"** पहले गॉड ने चेतावनी दी।
फिर दोनों गॉड्स ने अपनी जादुई शक्तियाँ एक साथ जोड़ दीं, और एक विशाल समय-संयोग का निर्माण हुआ—जिसे उन्होंने "समय का तुफान" कहा।

वरुण के चारों ओर समय की लहरें घेरने लगीं। हर एक लहर उसे अतीत के भूत, भविष्य के भय, और वर्तमान के संकटों से घेर रही थी। उसे महसूस हुआ जैसे वह खुद समय के बीच में फंस गया हो।

**"तुम जो करते हो, वह सब हिसाब से नहीं होता,"** पहला गॉड बोला।
**"हर कदम से समय का चक्र बदलता है। क्या तुम इसके परिणामों को सह सकते हो?"**

वरुण ने अपनी आँखें बंद की और फिर एक गहरी साँस ली।
समय के सारे घातक प्रभाव उस पर असर नहीं डाल पाए।
उसने समय के धागों को पकड़ने की कोशिश की—और धीरे-धीरे, वे उसके हाथों में एकजुट होने लगे।

**"मैं समय नहीं बदल सकता, लेकिन मैं उसे अपनी दिशा में मोड़ सकता हूँ।"**

अचानक, समय का तुफान धीमा पड़ा, और वरुण ने जैसे ही एक अंतिम शक्ति का आह्वान किया, पूरी गुफा उजालों से भर गई।

**"अब तुम मेरी शक्ति को समझ सकोगे,"** वरुण ने कहा, उसकी आवाज़ एक गहरी गूंज की तरह गहरी हो गई।

**"तुमने समय को चुनौती दी है... और तुम इसे अब हराएंगे।"**
गॉड्स ने एक दूसरे को देखा।
**"क्या वह सच में तैयार है?"**
पहले गॉड ने कहा।
**"उसे खुद को साबित करने का मौका दो।"**

समय के स्वामी धीरे-धीरे घबराए—वरुण ने खुद को पूरी तरह से समय के धागों से जोड़ा था, और अब वह एक असाधारण शक्ति बन चुका था। उसकी आँखों में वो तेज़ चमक रही थी जो समय को अपने हिसाब से मोड़ सकती थी।

**"अच्छा किया तुमने,"** दूसरा गॉड बोला, **"लेकिन याद रखो—समय की कीमत होती है, हर खेल की एक कीमत होती है।"**

वरुण ने सिर झुकाया और कहा—**"मैं जानता हूँ, लेकिन मैं तैयार हूँ।"**

यह वचन था, वह ऐलान था कि वरुण ने समय के सामने खुद को साबित कर दिया था। अब वह समय के खेल का मास्टर बन चुका था।

**(समाप्त)**