कदर
सूचना : ये कहानी एक सत्य घटना पर आधारित है तो इस कहानी को नजर अंदाज न करे।
"रिश्ते तब टूटते हैं, जब ज़रूरत पर साथ नहीं मिलता...
कभी-कभी प्यार ज़िंदा होता है, पर 'कदर' मर चुकी होती है।"
"हम सोचते हैं कि थोड़ा वक़्त बाद मिल लेंगे, समझा लेंगे…
पर कई बार किसी के लिए वही वक़्त आखिरी साबित होता है।"
"ये कहानी है एक ऐसे इंसान की,
जिसने प्यार किया, इंतज़ार किया…
और अंत में खो दिया… बस 'कदर' न मिलने के कारण।"
कहानी की शरुआत :
सुबह के 6 बजे थे।
शहर धीरे-धीरे जाग रहा था, सड़कों पर हल्की हलचल शुरू हो चुकी थी।
इन्हीं सुबह की किरणों के बीच, विजय अपनी बाइक पर काम के लिए निकल पड़ा।
उसका मन शांत था, लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंज़ूर था।
एक चौराहे पर, एक तेज़ रफ्तार गाड़ी ने अचानक उसे टक्कर मार दी।
विजय ज़मीन पर गिर पड़ा, बुरी तरह घायल हो गया।
आसपास के लोग तुरंत वहाँ जमा हो गए और किसी तरह उसे अस्पताल पहुंचाया।
कई घंटों बाद विजय को होश आया। शरीर में दर्द था, पर उसके दिल में बस एक ही तड़प थी — अपनी पार्टनर को देखने की।
वो हर दिन उसे कॉल करता, मैसेज भेजता… पर कोई जवाब नहीं आया।
आख़िरकार, पाँच दिन गुजर गए।
विजय की उम्मीदें भी अब कमजोर पड़ने लगी थीं।
फिर एक दिन…
विजय के मोबाइल पर कॉल आया — उसकी पार्टनर का था। लेकिन फोन विजय ने नहीं, उसके भाई ने उठाया।
Partner:
"हाय, SMS का जवाब क्यों नहीं दे रहे थे?"
Vijay’s Brother:
"बस यूं ही..."
Partner:
"सुना है एक्सीडेंट हुआ था, अब कैसे हो?"
Vijay’s Brother (धीमे से):
"मैं विजय का भाई बोल रहा हूँ..."
Partner (डर के साथ):
"तो विजय कहाँ है?"
Vijay’s Brother:
"जिस दिन विजयने आपको कॉल किया था और कहा था —
मेरा एक्सीडेंट हुआ है
फिर आपने कहा की - मेरे लिए मेरे भाई की शादी ज़्यादा ज़रूरी है, मैं शादी खत्म होते ही आ जाऊंगी।’"
फिर
"विजय ने ये सुना और उसका दिल टूट गया।"
"उसे लगा कि जिसके लिए वो जी रहा था, वो अब किसी और की खुशियों में खो चुकी है।"
"और उसी दिन... विजय इस दुनिया से चला गया।"
"मैं माफ़ी चाहता हूँ। विजय अब इस दुनिया में नहीं रहा ।"
"अब कृपया यहाँ कॉल मत करना।"
फिर विजय की पार्टनर को अपनी गलती पे अहेसास हुआ मगर अब क्या , अब तो बहुत देरी हो चुकी थी।
इस कहानी से एक गहरी और मार्मिक सीख मिलती है — रिश्तों में "कदर" (कद्र) सिर्फ शब्दों से नहीं, समय और साथ से होती है।
पति (Vijay) के लिए:
प्यार तब ही सच्चा होता है जब उसमें भरोसा, उम्मीद और इंतज़ार हो। विजय ने टूटे शरीर से भी दिल को ज़िंदा रखा, बस अपनी पत्नी की एक झलक के लिए। लेकिन जब रिश्ते में अकेला इंसान ही सबकुछ निभा रहा हो, तो वो बोझ बन जाता है — और कभी-कभी जानलेवा भी।
पत्नी (Partner) के लिए:
रिश्तों में प्राथमिकताएं मायने रखती हैं। अगर आप किसी को अपने जीवन में सबसे अहम मानते हैं, तो उनके सबसे मुश्किल समय में आपके न होने का मतलब होता है — आपने उन्हें अकेला छोड़ दिया।
दूसरों की खुशियाँ ज़रूरी हैं, लेकिन अपने हमसफ़र का दर्द न समझना सबसे बड़ा धोखा होता है।
तीसरा व्यक्ति (भाई की शादी, या परिवार):
कई बार हम किसी और की ज़िंदगी में इतना घुल जाते हैं कि हमें ये समझ ही नहीं आता कि हमारी मौजूदगी किसी और के लिए एक दूरी की वजह बन रही है।
तीसरा व्यक्ति अगर अनजाने में भी दो लोगों के बीच दीवार बन जाए, तो रिश्ता बहुत कुछ खो देता है।
THE END