IIT Roorkee - 1 in Hindi Love Stories by Akshay Tiwari books and stories PDF | IIT Roorkee (अजब प्रेम की गज़ब कहानी) - 1

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IIT Roorkee (अजब प्रेम की गज़ब कहानी) - 1

दोस्तों इस प्रेम कहानी की शुरुआत होती हैं उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव से निकल कर IIT रुड़की उत्तराखंड देवभूमि में पढ़ने गए एक साधारण लड़के से, जिसे नैनीताल से आई ठंडी हवा के झोंको सी लहराती एक परी से प्यार हो जाता हैं वो भी IIT रुड़की की एक स्टूडेंट थी।
ये प्रेम कहानी आशा और मधुर निस्वार्थ प्रेम का संगम है जो निश्चल प्रेम को प्रदर्शित करती हैं ----

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"बारिश की वो पहली मुलाक़ात"

शुरुआत ‘IIT रुड़की देवभूमि उत्तराखंड’ से होती हैं.…
एक छोटे से गाँव से निकला मैं, अपने सपनों को थामे जब 'IIT रुड़की' 
की दहलीज़ पर कदम रखा, तब लगा था कि ज़िंदगी अब बदलने वाली है। मैं भी उस दौड़ में शामिल हो गया था, जिसमें लाखों बच्चे अपने भविष्य की तलाश में दौड़ रहे थे।
छोटे शहर की सादगी लेकर जब इस विशाल और प्रतिष्ठित संस्थान में दाख़िला मिला, तो मन में डर भी था, उत्साह भी। शुरूआत में सब अजनबी सा लगा — लोग, भाषा, माहौल, और सबसे बढ़कर वो अकेलापन जो अपने घर से दूर आने पर दिल में घर कर जाता है।

धीरे-धीरे दिन निकलने लगे, लेक्चर्स शुरू हुए, लाइब्रेरी की आदत लगी, हॉस्टल की रातें, कोडिंग की जद्दोजहद… सबकुछ ठीक चल रहा था। ज़िंदगी एक लय में थी, पर उस लय में एक अधूरापन था… शायद कोई सुकून देने वाली चीज़ की कमी थी।

फिर वो दिन आया… जिसने सब कुछ बदल दिया।

एक गर्मी का दिन था। सूरज अपनी पूरी तपिश के साथ आसमान में चमक रहा था। मैं कैंटीन में बैठा था, प्लेट में आधा खाना पड़ा था और मोबाइल पर कोई लेक्चर डाउनलोड करने की कोशिश कर रहा था।
अचानक… ज़ोर की बारिश शुरू हो गई। मगर ये कोई आम बारिश नहीं थी — रुड़की की वो बारिश, जिसमें सर्द हवाएं तपती दोपहर को अचानक सिहरन में बदल देती हैं।
लोग भागकर छत के नीचे आने लगे… मगर तभी… एक आवाज़ आई — मधुर, चुलबुली, जैसे मंदिर में घंटियों की गूंज हो।

मैंने पलट कर देखा… और वो पल मेरी ज़िंदगी का सबसे हसीन लम्हा
 बन गया।

वो परी खड़ी थी…
बारिश में भीगती हुई, अपनी सहेलियों के साथ हँसती, नाचती, झूमती। उसके चेहरे पर कोई बनावटीपन नहीं था, बस एक बच्ची सी मासूमियत थी — और उस मासूमियत ने मेरे दिल को एक ही झटके में जीत लिया।
क्रीम रंग के झुमके उसके कानों में हल्की सी हलचल कर रहे थे, और पैरों में बंधी पायल की छनक बारिश के साथ किसी संगीत जैसी बज रही थी।
उसने सफ़ेद सलवार सूट पहना था — जो बारिश में भीगकर उसके चेहरे की चमक को और निखार रहा था। उसके खुले काले बाल गीले होकर उसके चेहरे के साथ खेल रहे थे — मानो खुद बारिश भी उस पर मोहित 
हो गई हो।

मैं उसकी तरफ खिंचता चला गया।
ना खाना याद रहा, ना दोस्त, ना कैंटीन… बस वो।
मैं भी बारिश में भीग गया, मगर मुझे होश ही नहीं रहा।
जब मैं उसके पास पहुँचा और उसने मेरी तरफ देखा… वो नज़ारा शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। उसकी बड़ी-बड़ी आँखें, उस हल्की सी मुस्कान के साथ… मानो जैसे किसी स्वर्ग की देवी मेरे सामने आ खड़ी हो।

पर तभी, पीछे से मेरे दोस्तों ने मुझे खींच लिया।
“पागल हो गया है क्या? वो हमारी सीनियर है, कंप्यूटर साइंस डिपार्टमेंट की!”
मैं बस चुप था… उसकी आँखों में डूबा हुआ।

उस दिन के बाद से… कुछ बदल गया था।

मैं उसे हर दिन ढूँढने लगा। कैंपस में उसकी एक झलक पाने के लिए खुद से झूठ बोलता कि “कुछ काम है,” “लाइब्रेरी जाना है,” या “वॉक पे जा रहा हूँ।”
जब भी वो दिखती… दुनिया रुक जाती।
उसके बालों का लहराना, उसकी पायल की छनक, उसकी सहेलियों के साथ हँसती हुई आवाज़ — हर चीज़ मुझे एक अजीब सा सुकून देती थी।

लेकिन सच्चाई ये भी थी… मैं उससे कभी कुछ कह नहीं पाया।
वो एक सितारा थी, और मैं एक मिट्टी का कण।
वो आगे बढ़ती रही… और मैं दूर से बस देखता रहा।

कभी-कभी कैंपस के उस मोड़ पर खड़ा हो जाता जहाँ पहली बार उसने मुझे देखा था। बारिश की बूंदें फिर भी गिरती थीं, लेकिन अब उनमें वो नज़ाकत नहीं थी… वो मिठास नहीं थी।

वो अब नहीं दिखती। शायद पास आउट हो चुकी है।
मैं आज भी उस दिन को याद करता हूँ — जब पहली बार मेरी धड़कनों ने किसी के नाम पर ठहरना सीखा था।
उसका नाम नहीं जान पाया, उसकी आवाज़ अब बस यादों में है… पर उस एक मुलाक़ात ने मुझे सिखा दिया कि प्यार का मतलब सिर्फ साथ होना नहीं होता।
कभी-कभी किसी को देखना, और उसी में सुकून पा लेना भी प्यार होता है।
और मैं…. आज भी उसी सुकून को ढूंढ रहा हूँ।

"कभी-कभी सबसे खूबसूरत प्यार वही होता है, जो अधूरा रह जाए — क्योंकि अधूरा रहकर वो हमेशा दिल में ज़िंदा रहता है।"

अगले भाग का इंतेज़ार करे दोस्तों ------🧿🧿