भाग 3 मे:
काली किताब – अध्याय दो: रहस्य का रक्षकभूमिकादिल्ली की कड़कती ठंडी रात। भारत के रॉ मुख्यालय में अचानक अलार्म बज उठा। एजेंट अथर्व, कोड 0369, अपने ऑफिस में था। उसकी आंखों में गहराई थी, जो हर छुपे हुए सच को खोज निकालने की तीव्र इच्छा जताती थी। उस वक्त उसे सूचना मिली कि बनारस के एक पुराने मंदिर के नीचे एक रहस्यमयी वस्तु मिली है — एक “काली किताब,” जिसकी खबर कभी बाहर नहीं आनी चाहिए थी।
बनारस की गलीयों मेंबनारस की घुमावदार गलीयों से होकर अथर्व ने अभिषेक शुक्ला नाम के पुरातत्त्ववेत्ता का वेश धरा। वह धीरे-धीरे उस मंदिर की ओर बढ़ा, जहां स्थानीय लोगों की कथाएं डरावने किस्सों से भरी थीं।मंदिर के नीचे पुरानी भूमिगत सुरंगें थीं, जहां से अब वह ‘काली किताब’ निकली थी। जैसे ही अथर्व ने किताब को छुआ, उसे लगा जैसे कोई शक्ति उसके अंदर प्रवाहित हो रही हो। किताब की चमड़ी जकड़ गई और उसमें गूढ़ शब्द चमक उठे।रहस्यमयी संदेशपहले पन्ने पर लिखी थी एक चेतावनी — “जो इसे पढ़ेगा, वह समय की परिधि को पार करेगा, लेकिन हर बार लौटने पर कुछ खो देगा।”अथर्व ने किताब खोलना शुरू किया, तो पन्नों से निकली आवाज़ें, जैसे वे प्राचीन आत्माएं हों, जो आज़ाद हो
रही हों।गुप्त संगठन – त्रिकालअथर्व ने जाना कि यह किताब एक प्राचीन गुप्त संगठन ‘त्रिकाल’ की विरासत है, जो हजारों सालों से अलौकिक शक्तियों को नियंत्रित करता आ रहा था। त्रिकाल का मकसद था दुनिया को मौत के अंधकार से बचाना। लेकिन संगठन में बगावत भी थी, जो इस ताकत को हथियार बनाना चाहता था।भूमिगत रहस्य और संत की आत्माअथर्व ने भूमिगत सुरंगों में प्रवेश किया, जहां एक प्राचीन संत का शव पड़ा था। उसकी आंखें आधी खुली थीं, और उसकी आवाज़ सुनाई दी – “0369… अंतिम रक्षक… अग्नि-युग की छाया तुझे रोकनी है।”यह संदेश अथर्व की परीक्षा थी। उसे संत की आत्मा से लड़ना नहीं था, बल्कि उसका विश्वास
जीतना था।अलौकिक शक्ति का सामनासंत की आत्मा ने अथर्व को एक दैवीय शक्ति के द्वार तक पहुंचाया, जहां उसने देखा कि त्रिकाल के दुश्मन एक नए युग के लिए युद्ध छेड़ना चाहते हैं। उस युग में जीवन और मृत्यु का संतुलन पूरी तरह बिगड़ जाएगा।अथर्व की चुनौतीअथर्व ने तय किया कि वह त्रिकाल की वास्तविकता को जनता से छुपाएगा, पर गुप्त संगठन के अंदर छुपे धोखेबाजों का भी पर्दाफाश करेगा।
इसके लिए उसे अपनी ज़िंदगी के सबसे खतरनाक रहस्यों का सामना करना होगा।अंतःकरण की लड़ाईकाली किताब अब सिर्फ़ एक किताब नहीं थी, बल्कि जीवन और मृत्यु के बीच की लड़ाई का केंद्र बन चुकी थी। अथर्व की हिम्मत, बुद्धि, और विश्वास ही इस रहस्य को सुलझा पाएंगे।कहानी अभी खत्म नहीं हुई...यह तो बस शुरुआत थी।
अगली बार हम देखेंगे कि कैसे अथर्व त्रिकाल के भीतर छुपे गद्दारों का पता लगाता है, कैसे उसकी लड़ाई अलौकिक शक्तियों के खिलाफ होती है, और अंत में क्या वह अपनी जान बचा पायेगा
त्रिकाल के भीतर
(एजेंट अथर्व | कोड 0369)
भाग 1: छुपे हुए सच
बनारस की धुंधली सुबह थी। मंदिर की गुफाओं से बाहर निकलते ही अथर्व ने महसूस किया कि यह मिशन केवल एक किताब तक सीमित नहीं है। वह अब एक गुप्त संगठन के गहरे जाल में फंस चुका था।
त्रिकाल — सदियों पुराना, छुपा हुआ, और बेहद खतरनाक। यह संगठन न केवल भारत के अतीत से जुड़ा था, बल्कि विश्व के सबसे बड़े रहस्यों को भी अपने कब्जे में रखता था।
अथर्व ने जल्दी से अपनी पहचान बदलकर संगठन के अंदर छिपे हुए गद्दारों की खोज शुरू की। उसे पता था कि त्रिकाल के भीतर हर कोना धोखे और छल से भरा है।
भाग 2: गद्दारों की चाल
त्रिकाल के सदस्यों में से कुछ ने अथर्व की जांच पर शक करना शुरू कर दिया था। वे उसकी हरकतों पर नजर रख रहे थे।
एक रात, जब वह संगठन के मुख्यालय में छुपा था, तो उसे पता चला कि एक गुप्त बैठक होने वाली है, जिसमें त्रिकाल के कुछ सदस्य दुनिया को नियंत्रित करने की साजिश रच रहे हैं।
अथर्व ने तय किया कि वह इस बैठक में जाकर साजिश का सच सामने लाएगा। लेकिन यह आसान नहीं था — बैठक में घुसने के लिए उसे पहले अपने इरादों को छुपाना होगा।
भाग 3: अलौकिक शक्तियों का आगाज़
बैठक के दौरान, अथर्व ने देखा कि संगठन के कुछ सदस्य असाधारण शक्तियों का इस्तेमाल कर रहे थे — वे अपने मन से वस्तुओं को हिला पा रहे थे, और भविष्य के कुछ अंश देख पा रहे थे।
यह देखकर अथर्व की हिम्मत बढ़ी, लेकिन साथ ही उसे एहसास हुआ कि उसके सामने जो खतरा है, वह सामान्य नहीं।
अथर्व की योजना
अथर्व ने अपने संपर्कों से मदद ली और एक जाल बिछाने की योजना बनाई। उसने गुप्त कैमरे और रिकॉर्डिंग उपकरण लगाए, ताकि साजिश के सबूत जुटाए जा सकें।
पर इस दौरान, त्रिकाल के गद्दारों ने भी उसे पकड़ने के लिए जाल बिछा दिया था।
भाग 5: संघर्ष की पहली लकीर
जैसे ही बैठक का मुख्य सत्र शुरू हुआ, अथर्व की मौजूदगी को महसूस कर लिया गया। वह फंसा, घिरा और घबराया नहीं।
उसने अपनी पूरी कौशलता से स्थिति को संभाला, एक तेज़ लड़ाई में कई सदस्यों को नाकाम किया और भागने में कामयाब रहा।
लेकिन ये संघर्ष बस शुरुआत थी। त्रिकाल के असली खतरे अभी सामने आने थे।अथर्व की पिछली ज़िंदगी और बड़ा खुलासा
अथर्व ने गहरी सांस ली और मंदिर की गुमशुदा सुरंगों में कदम रखा। उसकी यादों के दरवाजे खुलने लगे। बचपन से जुड़ी कुछ अनसुलझी बातें अब समझ आने लगी थीं।
वह एक अनोखे परिवार से था — जिसमें हर पीढ़ी के सदस्य में कुछ अलौकिक शक्तियाँ जन्मजात होती थीं। परंतु परिवार ने सदियों से यह रहस्य छुपाया था, ताकि दुनिया से दूर रहे।
एक दिन, जब अथर्व 10 साल का था, तब उसके पिता ने उसे एक “काली किताब” दी थी। उस किताब में उनके पूर्वजों का इतिहास था, साथ ही त्रिकाल के गुप्त रहस्य भी।
अब समझ आया कि उसकी भागीदारी क्यों जरूरी थी। त्रिकाल का संघर्ष केवल बाहरी नहीं था, बल्कि उसके खून में भी था।
अथर्व ने तय किया कि वह इस ज्ञान का उपयोग गुप्त संगठन में छुपे गद्दारों को बेनकाब करने के लिए करेगा। उसे पता था कि ये गद्दार त्रिकाल की शक्ति का गलत इस्तेमाल कर दुनिया को तबाह कर सकते हैं।
ठीक उसी वक्त, एक तेज़ शोर हुआ। एक छुपा हुआ दरवाजा खुला और कुछ स्याह साए वहां से बाहर निकले — वे थे त्रिकाल के ‘अंधकार के प्रहरी’।
अथर्व ने खुद को तैयार किया। उसकी असली लड़ाई अभी शुरू हुई थी।
छाया का सामना
अथर्व ने गहरी सांस लेकर ‘अंधकार के प्रहरी’ की ओर देखा। वे लोग काले कपड़ों में लिपटे, चेहरे पर स्याह नकाब थे, और उनकी आंखों में ठंडी चमक थी। वे त्रिकाल के सबसे खतरनाक गद्दार थे, जो अपनी शक्तियों से किसी भी विरोधी को खत्म करने में माहिर थे।
“अथर्व,” एक गूंजती आवाज़ आई, “तुम्हें अब यहाँ से जाना होगा, या तुम्हारे लिए ये आखिरी कदम होंगे।”
अथर्व ने बिना डरे कहा, “मैं सच सामने लाने आया हूँ। त्रिकाल को फिर से उसकी असली राह पर लाना है।”
संग्राम शुरू हुआ। अलौकिक शक्तियों के बीच अथर्व ने अपने प्रशिक्षण और अपनी बुद्धिमानी से उन्हें मात देने की कोशिश की। वह जानता था कि यह लड़ाई सिर्फ उसकी जान की नहीं, बल्कि पूरे संगठन और देश की सुरक्षा की भी लड़ाई थी।
अंत की शुरुआत
लड़ाई के बीच, अथर्व को एक मौका मिला और उसने ‘काली किताब’ के एक विशेष पन्ने को खोला। उस पन्ने में एक प्राचीन मन्त्र था, जिसे पढ़ते ही आस-पास की ऊर्जा बदल गई। वह मन्त्र त्रिकाल के शक्ति स्रोत को कमजोर कर सकता था।
अथर्व ने मन्त्र पढ़ना शुरू किया और ‘अंधकार के प्रहरी’ की ताकत धीरे-धीरे कम होने लगी। वे कमजोरी में डूब गए।
उस लड़ाई के बाद, अथर्व ने संगठन के बाकी सदस्यों को सच बताया। कुछ ने उसका साथ दिया, कुछ भाग गए। लेकिन अब त्रिकाल की असली लड़ाई शुरू हुई थी — अपनी आत्मा को बचाने की।