आलोचक-------
मैंने जिंदगी मे बहुत आलोचक देखे है ----- पर एक आलोचक ऐसा भी था... मंजिले कहानी का सिर और बाद मे धड़ कहेगे।
वो आलोचक कम व्यस्त जयादा दिखा ही था, वैसे वो कभी होता नहीं था। ये कहानी हमारे देश की, पुलिस स्टेशन की यहां वो काम करता था...
पढ़ाई मे पढ़ा वो पांचवी तक ही था। नाम था उसका सन्नी सिंह, जात के कुछ भी हो कया लेना...
वो सामने जिस फ़ाइल को पकड़े है, बस सीधे ही मिल लो।
" भूतनी वाले बात सुनते ही कहा है... " हेड फोन पे बाते कर रहा था किसी से भी, हमने कया लेना। सुनो भी ध्यान से।" क़ानून अंधा किस मादर जात ने कहा। " उसने जैसे उच्ची बोल कर किसी को सुनाने का यत्न किया हो। "पुलिस वाले पैसा नहीं खाते... तुम जरा सोच के बोला करो।" उसने जैसे asi शतीश को सुनाने का जैसे यत्न किया हो। " हाँ बैंक मे डकैती फिल्मो मे होती है, पुलिस लेट आती है... सच कहो आती ही नहीं है। "
वो सात फूटा था। Dsp के रेंक का होना था उसने। पर कमबख्त को पढ़ाई मार गयी। ऐसा भी होता है। " आज चाये का कप कहा मिला, माँ जो बीमार है। " जैसे वो आपनी बात मुंशी क्लावती को बता रहा हो। " रात से भूखा सच्ची मे, माँ किसी की बीमार न हो। " क्लावती मुशी ने आवाज दी, " सन्नी सिंह जल्दी आओ। "
सन्नी जल्दी आ गया। "चाये लो " मुशी ने कहा। " तुम आज मेरे साथ मेस मे चलो, जी भर के खाना खाओ। "
सन्नी आपने दिमाग़ पर काफ़ी खुश हुआ, अंदर ही अंदर।
भर पेट खाना खाने के बाद उसने कहा, " सन्नी सारी दिहाड़ी किस से बाते करते हो। " वो सुन कर हस पड़ा।
बोला " एक जिगरी दोस्त है, बस उससे दुःख सुख फोळ लेता हूँ ---" क्लावती उसकी मासूमियत पर हस पड़ी। " तुम बहुत भोले हो.. कान मे किधर है हेड फोन " सन्नी के एक रंग आये एक जाये। "उसे याद आया, ओह वो तो पेशाव करते वक़्त ही कान से निकल गया और वाशिंग शेंक पर रह गया।"
अब कोई फायदा नहीं था। भेत क्लावती जान चुकी थी।
" किसी से कहना नहीं मैडम, दिल की भड़ास निकाल लेता हूँ। " संन्नी ने जैसे दोस्ती का हाथ बड़ाया। उसने कहा डन।
पर्स से दो निकाल कर दिए, हेड फोन। " अब बोल कर दिखाओ। "
सन्नी ने बोला सुनने वाला था " गोरमिंट की रोटियां तोड़ लीं है, जगु.. हाँ अब कोई काम हो तो बता देना। " मुंशी क्लावती ने ताड़ी मार कर स्वागत किया। और कहा ---" गैस सील्डर एक जरूर घर पर जानेसे पहले छोड़ जाना। " इसके बाद दोनों मेस्स से बाहर निकल आये। तभी sho जगमोहन की गाड़ी बाहर निकल रही थी। उसने सन्नी ओर मुशी क्लावती को देख कहा ----" ओह भूतनी के इधर आ!! " सन्नी तुरंत चला गया। "मेस्स मे रोटी कयो खायी "
मुंशी क्लावती ने कहा " जी साहब मैंने ही खिलाई है, भूखा था।
"ठीक है, ठीक है "
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(चलदा)----------------- नीरज शर्मा।
शाहकोट, जलधर
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