Dil ne jise chaha - 13 in Hindi Love Stories by R B Chavda books and stories PDF | दिल ने जिसे चाहा - 13

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दिल ने जिसे चाहा - 13

[अस्पताल की लंबी गलियारे में मयूर सर और रुशाली साथ-साथ कैबिन की ओर बढ़ रहे हैं…]
रुशाली के दिल में आज कुछ कह देने की हल्की सी चाहत थी। शायद एक भरोसा बनने लगा था… या यूं कहो कि कोई एहसास, जो अब शब्द मांग रहा था।

रुशाली (धीरे से मुस्कुराते हुए):
"सर, मुझे आपके बारे में और भी कुछ पता है…"

मयूर सर (आश्चर्य से):
"अच्छा! क्या पता है भला? बताओ ज़रा…"


रुशाली (शरारत भरी मुस्कान के साथ):
"आपके इंटरव्यू में देखा… आप एक साधारण किसान परिवार से आते हैं,
कैसे आपने इंटर्नशिप के साथ आगे की पढ़ाई के लिए तैयारी की…
कितनी मेहनत, कितने संघर्ष… सच में इंस्पायरिंग है सर।
आपका वो इंटरव्यू वीडियो तो मैंने कई बार देखा… बहुत पसंद आया।"

मयूर सर (थोड़ी संकोचभरी हँसी के साथ):
"वो वीडियो इतना भी खास नहीं जितना तुम बता रही हो…
और हां मैं भी उतना अच्छा नहीं हूँ जितना तुम सोचती हो।"

रुशाली (धीरे से):
"नहीं सर, आप बहुत अच्छे हैं… डॉक्टर भी… और शायद इंसान भी…"

मयूर सर (चौंककर):
"‘शायद इंसान भी’ का क्या मतलब?"

रुशाली (संभलते हुए):
"नहीं सर, ऐसा कुछ नहीं…
अभी-अभी आपके साथ काम शुरू किया है,
जो देखा है उससे तो यही लगता है कि आप एक बेहतरीन डॉक्टर हैं,
और इंसान भी… पर हां, आपको पूरी तरह जानना अभी बाकी है… बस वही कह रही थी।"

मयूर सर (हल्की मुस्कान के साथ):
"अच्छा, तो जान लेना मुझे…"

रुशाली (मन ही मन मुस्कुराती हुई):
"जी सर… मैं जानना चाहती हूँ आपको…"

[कुछ पल के लिए दोनों चुप हो जाते हैं… पर खामोशियों में भी बहुत कुछ कहा जा रहा था।]


---

[रुशाली (मन में सोचती है):]
"शायद ये मुझसे छिपाया नहीं जा रहा…
मैं उन्हें पहले दिन से चाहने लगी थी…
पर हर दिन उन्हें देखकर ये एहसास और गहरा होता जा रहा है…
क्या मैं उन्हें कभी कह पाऊँगी…
या बस यूँ ही… दूर से चाहती रहूँगी?"

[वहीं दूसरी ओर...]

[मयूर सर (मन में):]
"इस लड़की की आंखों में कुछ सच्चा है…
क्या ये मुझे समझना चाहती है?
या फिर… कुछ और?"

[इतने में उनका कैबिन आ जाता है।]

मयूर सर (फाइल निकालते हुए):
"रुशाली, ये एक पेशेंट की रिपोर्ट है – Ms. Suman.
कल एडमिट करना है, केस थोड़ा सेंसेटिव है…
तुम ध्यान से पढ़ना।"

रुशाली:
"जी सर।"

(जैसे ही उसने फाइल खोली, उसकी नज़र पेशेंट की डिटेल्स पर गई।)
"Ms. Suman – उम्र 18 साल, थैलेसीमिया मेजर…"

(उसका दिल भारी हो गया।)
हर दो-तीन हफ्ते में खून चढ़ाना…
इस उम्र में इतना दर्द…

रुशाली (धीरे से पढ़ते हुए):
"उन्हें बचपन से ही ये बीमारी है… और हर बार एडमिट होना पड़ता है…"

(पर एक बात जो रुशाली को चौंका गई, वो थी मयूर सर के चेहरे की चिंता।)
उनका चेहरा कुछ और कह रहा था… जैसे ये सिर्फ एक केस नहीं…
बल्कि कोई अपना हो।

रुशाली (धीरे से):
"सर, अगर पूछूं तो बुरा तो नहीं मानेंगे?"

मयूर सर (सीधा जवाब):
"नहीं, पूछो।"

रुशाली:
"आप इस केस को लेकर… थोड़ा ज्यादा इमोशनल लग रहे हैं…
क्या आप Ms. Suman को पहले से जानते हैं?"

(मयूर सर खिड़की की ओर देखने लगते हैं। कुछ पल खामोश रहते हैं।)

मयूर सर (धीरे से):
"कुछ लोग हमारी ज़िन्दगी में ऐसे जुड़ते हैं…
जिनसे रिश्ता खून का नहीं, दर्द का होता है…"

(रुशाली कुछ कहती उससे पहले ही वे दूसरी फाइल निकालकर थमा देते हैं।)

मयूर सर:
"ये केस सिर्फ मेडिकल नहीं है… एक कहानी है।
समझना चाहो तो समझ पाओगी।"

[रुशाली कॉरिडोर में बैठकर रिपोर्ट पढ़ने लगती है…]

हर रिपोर्ट, हर लाइन में जैसे कोई चीख छुपी थी।
एक जगह लिखा था:

"Emergency transfusion done – Dr. Mayur."
"Emotional vulnerability – high. Needs long-term support."

रुशाली के होठ खुद-ब-खुद बुदबुदा उठे –

"वो जो हर बार मुस्कुरा देती है,
उसके भीतर जाने कितनी बार खून रोया गया होगा…"


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[रात घर लौटने पर रुशाली अपनी डायरी में लिखती है:]

 "मैं जानती हूँ, मैंने उन्हें चाहा है…
पहले दिन से… हर दिन और थोड़ा और…
पर अब उनके दर्द से जुड़ती जा रही हूँ…
Ms. Suman कौन है उनके लिए?
मैं जानना चाहती हूँ…
उनके बारे में सब कुछ।"

[सुबह]
रुशाली जल्दी अस्पताल पहुंचती है।
Ms. Suman की सारी रिपोर्ट्स, पिछले ट्रीटमेंट, डॉक्टर्स के नोट्स… सब ध्यान से पढ़ती है।
वो देखती है कि हर इमरजेंसी पर, मयूर सर खुद उपस्थित रहे हैं।
कभी रात के दो बजे, कभी छुट्टी के दिन…

(उसके मन में सवाल और गहरे होने लगते हैं)
क्या Ms. Suman उनकी कोई रिश्‍तेदार है?
या… क्या मयूर सर के दिल में कोई दबी हुई कहानी है… जो कभी सामने नहीं आई?


---

और यहीं रुकती है आज की कहानी…

"कुछ रिश्ते खून से नहीं,
तन्हाई से बनते हैं…
और कुछ मोहब्बतें…
आंखों से होकर, दिल में उतर जाती हैं।"


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क्या Ms. Suman और मयूर सर के बीच है कोई पुराना रिश्ता?
क्या रुशाली मयूर सर के दिल के इस बंद दरवाज़े को खोल पाएगी?
और क्या… मयूर सर जान पाएंगे कि कोई उन्हें चुपचाप, बिन कहे… बेहद चाह रहा है?

जानने के लिए पढ़ते रहिए –
दिल ने जिसे चाहा – भाग 14 में…

Coming Soon 🌸