Taam Zinda Hai - 13 in Hindi Detective stories by Neeraj Sharma books and stories PDF | टाम ज़िंदा हैं - 13

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टाम ज़िंदा हैं - 13

टाम जिंदा है ------- (13)

" तुम तो अब सरकारी गवाह हो " भवानी सिंह ने बोला। "पर किसके " फिर उसने रुक के बोला। "एक बार तुम बोलदो, बस उसके गैंग के बारे जज साहब के करीब --- तो बस हम तुम्हे कुछ नहीं होने देंगे। " सवेर ऐसे ही सब की चढ़ती है.. फिर वही सब काम कर के फिर से सवेर की इंतजार मे सौ जाओ। बस यही सब की दिन चर्येया है।

कुछ अलग कुछ नहीं... सब थके थके से रहते है, कयो?

चलना फिरना दौड़ना भागना बस, सब कचरे के डिब्बे मे।

भावनी ने कहा,"---- उसको फोन करो, बोलो मेरी जमानत होंगी है... बाकी पूछो कुछ तो तेरा या उसका उदार होगा या नहीं..... " हाँ सर। " पूजा एक दम से बोली ---" मैंने उसके बीस हजार देंने है... कोई सॉफ्ट वेरय का काम था... किसी का मोबाइल हेक करना था "

"बिलकुल सच मे "

"कोई कदम सच मे सच हो उसके पीछे। " भवानी ने सावधान किया।

"ये प्लेनिंग मेरी पर आधरत ख़ुफ़िया जानकारी है "

"तुम फोन करो.... एसटीडी कॉल से "

"पर याद रहे पूजा... तुम सरकारी गवाह हो, और मुझे तुझे गोली मारने के हुक्म है। "

नहीं सर ----- विश्वास एक बार बनता है मुड़ कर नहीं... "

"गुड गृल। "

सीढिया उतरो ---- साथ बूथ पे एसटीडी है --- यह रिकॉर्डिंग चल रही है... इसमें उसकी आवाज़ बंद करो...

कहो कल देने आ रही हूँ... बीस हजार तुझे। "

"जी सर "

ये कह के निकल गयी। फिर जो रिकॉर्ड हुआ भवानी और पुलिस लाइन ने सुना -----" हैल्लो "

"गिरजा "

"काहे धंधे के वक़्त टाइम जाया करती हो। "

"नहीं गिरज़ा --- कल मैंने बीस हजार तुझे देना है... जो एक दो साल से दिया नहीं। "

"घत तेरे की... अब तू ख़ुफ़िया भी बन गयी है कया... कल तू जेल मे, आज एसटीडी मे, कया खेल है हमें भी तो बताओ। "

"खेल कौन सा ---- गिरजा "

" यही चोर पुलिस का -----" गिरजा टपाक से बोली।

मैंने घाट घाट का पानी पिया.. तो अब जा कर गिरजा बनी। " गिरजा ने ललकार कर कहा।

गलत सोचना है, सोचो.... अगर पैसे नहीं चाइये मेरे बहुत काम आएंगे... ओके। " फोन रखने ही वाली थी, फिर गिरजा मीठी जुबान करके बोली।

" चलो मान लेती हूँ ----- कल चिकन कॉर्नर याद है.... बेकरी वाले के सामने... यहां रश अधिक होता है बस वही... तुम्हारा इंतज़ार 2 वजे दुपहर के करुँगी। " रुक कर फिर गुस्से मे बोली ----" लोडिया कोई चलाकी सब खत्म.... "

ओके ... गिरजा बाय।

ये रिकाडिंग पुलिस फोर्स सुन रही थी। बीस लोग होंगे। पूजा हमारे साथ तब जुड़े गी... ज़ब इसकी कानो की लगी सुनने की मशीन से सब को.... ओके कहे।" --- तो गिरजा को छोड़ कर सब को ठोक दो। मेरा हुक्म लिखत कभी नहीं होता। जानते हो सब "

"----पूजा को बचाना मेरा एक कर्तव्य है !"

"----सब के सब तैयारी मे झूट जाओ.... "

"---पूजा तुम वहा बुरका डाल कर जाओगी.... समझ लेना जितना धरती पर लेटोगी। उतना ही बचाव होगा। "

"----ओके सर ----" पूजा ने बहुत कमजोरी मे आपना पक्ष रखा।

"सर आज त्रिपाठी जी नहीं दिखे...." पूजा ने जैसे अपराधी न होकर सवाल कर दिया।

"------ वो आदमी पता नहीं कैसे जीता होगा.... कोई नहीं जानता।" भवानी ने जैसे सारी मनोदशा उस ऊपर केद्रित कर दी।

"अब चलो ----- लॉक अप मे। "

ये कहानी सत्य कथा पर आधारित है... दुबारा से लिख दू... इसके पात्र शहर और खास जगहे कभी मालम नहीं पड़ेगी। ये मशहूर कहानी थी... शार्ट स्टोरी।

(चलदा )----------------- नीरज शर्मा।