love letter in Hindi Comedy stories by Meenakshi Gupta mini books and stories PDF | लव लैटर

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लव लैटर



राहुल और प्रिया अपने दो प्यारे प्यारे बच्चों बंटी और पिंकी के साथ अपने छोटे से परिवार में खुशहाल जिंदगी जी रहे थे । ये दोनों बच्चे कम और चलते-फिरते शरारत के पैकेट ज़्यादा थे. घर में कभी वॉशिंग मशीन में दाल धोने की कोशिश हो रही होती तो कभी टीवी रिमोट को फ्रीजर में रखकर 'कूल' करने का नया आविष्कार चल रहा होता.
एक दिन दोपहर को, जब प्रिया अपनी पसंदीदा वेब सीरीज़ देखते हुए (हाँ, खाना बनाने के नाम पर बस सब्ज़ियां काट रही थी) अचानक बंटी हांफता हुआ उसके सामने प्रकट हुआ. उसकी शक्ल ऐसी थी मानो अभी-अभी कोई खजाना लूटकर आया हो. उसके हाथ में एक गुलाबी, सुगंधित लिफाफा था, जिस पर एक बड़ा सा दिल बना था, इतना बड़ा कि प्रिया को लगा शायद डाकिया प्रेम रोग का शिकार हो गया है.
"मम्मी! देखो! मुझे एक  लेटर मिला है!" बंटी ने ऐसे कहा जैसे किसी ने उसे ब्रह्मांड का सबसे बड़ा रहस्य सौंप दिया हो.
प्रिया ने पहले तो अपनी आंखें मींची, फिर खोलीं. "क्या? तुझे? किसने दिया?" उसे लगा शायद बंटी को ही किसी ने लव लेटर दिया है ।पर जब उसने लिफाफा खोला और उसमें से एक खूबसूरत, गुलाबी कागज़ निकला जिस पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा था:
मेरी प्रियतमा,
तुम्हारे बिना मेरा जीवन अधूरा है। तुम्हारी हंसी, तुम्हारी बातें, सब कुछ मुझे दीवाना बना देती हैं। आज शाम को तुमसे मिलने आऊंगा। उम्मीद है तुम भी बेसब्री से इंतजार कर रही होगी।
तुम्हारा ,
अनजान आशिक
प्रिया की आंखों से पॉपकॉर्न बाहर आने वाले थे! 'अनजान आशिक'? ये क्या बवाल है? उसकी शादीशुदा ज़िंदगी में प्रेम पत्र की एंट्री, वो भी 'अनजान आशिक' के साथ? उसके दिमाग में एक सेकेंड में 'सास भी कभी बहू थी' के हज़ार एपिसोड घूम गए. कहीं ये राहुल तो नहीं? नहीं, उसकी लिखावट इतनी सुंदर हो ही नहीं सकती! उसने कभी प्रिया को लव लेटर नहीं दिया ।
"मम्मी, क्या हुआ? आप लाल क्यों हो गईं?" पिंकी, जो अब तक आ चुकी थी, ने अपनी मम्मी के बदलते रंग पर टिप्पणी की. बंटी ने तुरंत जोड़ दिया, "लगता है मम्मी को भी किसी ने लव लेटर दिया है! पापा, देखो!" दोनों बच्चे शोर मचाने लगे।
प्रिया ने कांपते हाथों से वह चिट्ठी राहुल की तरफ उछाली, जो सोफे पर लेटा मैच देख रहा था और इतनी एकाग्रता से देख रहा था जैसे बॉल सीधे उसके घर में घुसने वाली हो. "यह क्या है राहुल? यह किसका पत्र है? क्या तुम्हारी कोई प्रेमिका है जिसके लिए तुमने ये लेटर लिखा है ?" उसकी आवाज़ में ज्वालामुखी फटने वाला था.
राहुल ने पत्र देखा और उसका चेहरा देखकर लगा मानो अभी-अभी उसे पता चला हो कि मैच फिक्स था. "यह... यह मेरा नहीं है! मैंने ऐसा कुछ नहीं लिखा! मुझे तो बस पता है कि दाल चावल कैसे खाए जाते हैं, लव लेटर कैसे लिखे जाते हैं, ये नहीं पता!" वह हकलाया.
"तो फिर किसका है? क्या तुम... क्या तुम मुझे धोखा दे रहे हो? अब मुझे समझ आया, तुम आजकल देर रात तक फोन पर क्यों रहते हो! गेम खेल रहे होते हो या किसी से 'अधूरी जिंदगी' पूरी कर रहे होते हो?" प्रिया की आंखों में आंसू और जुबान पर फिल्मी डायलॉग दोनों थे.
बंटी और पिंकी, जो अब तक साइडलाइन में थे, कूद पड़े. "हो सकता है पापा ने किसी को सीक्रेट गर्लफ्रेंड बनाया हो!" पिंकी ने कहा. "हां , तभी सारा टाइम फोन पर लगे रहते हैं!" बंटी ने मासूमियत से आग में घी डाला. राहुल और प्रिया दोनों बच्चों को घूरने लगे।
घर में अचानक महाभारत छिड़ गई. राहुल अपनी बेगुनाही साबित करने में लगा था, प्रिया शक की देवी बन चुकी थी, और बंटी-पिंकी दोनों इस लाइव ड्रामा का पूरा आनंद ले रहे थे. उन्हें तो बस यह देखना था कि मम्मी-पापा की लड़ाई का अगला सीन क्या होगा.

शाम को करीब सात बजे, जब घर का माहौल पूरी तरह से  'कोल्डवॉर' ( तूफान से पहले की शांति) जैसा बन चुका था, दरवाज़े की घंटी बजी. राहुल ने ऐसे दरवाज़ा खोला जैसे सामने भूत खड़ा हो. लेकिन सामने तो उनके पड़ोस में रहने वाले, सीधे-सादे शर्मा जी खड़े थे, हाथ में गुलाब का एक बड़ा सा गुलदस्ता लिए हुए.
"अरे शर्मा जी! आइए, आइए!" राहुल ने कहा, उसकी आवाज़ में अभी भी थोड़ी घबराहट थी.
"अरे राहुल भाई, क्या हुआ? सब ठीक तो है? भाभी को फोन लगाया था, उठा नहीं रही थीं. मेरी बीवी की तबीयत थोड़ी ठीक नहीं थी, तो सोचा उनके लिए ये फूल ले आऊं. उनके जन्मदिन पर ये फूल बहुत पसंद हैं उन्हें." शर्मा जी ने गुलदस्ता आगे किया. "और हां, क्या मेरा वह गुलाबी लिफाफा आपके यहां गिर गया था? मैं आपकी बालकनी के पास से निकल रहा था तो शायद वहीं गिर गया."
प्रिया और राहुल दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखा. गुलाबी लिफाफा! प्रेम पत्र! शर्मा जी की बीवी! और शर्मा जी की बात सुनकर, बंटी और पिंकी दोनों एक साथ बोल पड़े: "मम्मी! ये तो पड़ोस वाले शर्मा अंकल का था! बंटी को वहीं मिला था, जहां आप कपड़े सुखाती हो!"
प्रिया और राहुल दोनों एक-दूसरे को देखकर मुस्कुराने लगे, फिर शर्मिंदा भी हुए. राहुल ने अपने माथे पर हाथ मारा, और प्रिया ने शर्मा जी से ऐसे माफी मांगी मानो उन्होंने उनके सारे फूल चोरी कर लिए हों.
शर्मा जी को जब पूरी कहानी पता चली, तो वह इतना हंसे कि उनके पेट में बल पड़ गए. हंसते-हंसते उन्होंने एक और खुलासा किया, "हाँ, दरअसल, मेरी बीवी को मैं कभी लव लेटर नहीं लिखता. उसने पिछले महीने कहा था कि मैं बहुत अन-रोमांटिक हो गया हूँ. तो मैंने सोचा इस बार उसके जन्मदिन पर कुछ फिल्मी करूँ. पता नहीं कितनी फिल्में देखकर मैने ये चिट्ठी लिखी ! शुक्र है, मेरी बीवी ने अभी तक इसे पढ़ा नहीं है, वरना वो भी मुझ पर शक करने लगती कि मैंने इतनी रोमांटिक बातें कहाँ से सीखीं!"
राहुल और प्रिया ने एक-दूसरे को देखा और उनकी हंसी छूट गई. उस दिन के बाद से, जब भी राहुल और प्रिया कोई लिफाफा देखते, तो पहले अच्छी तरह जांच लेते थे कि कहीं वह किसी पड़ोसी का लव लेटर तो नहीं, ताकि फिर से कोई प्रेम पत्र का झमेला न हो जाए! और बंटी-पिंकी? उन्हें तो बस इंतज़ार था अगली शरारत का, जिससे घर में फिर से कॉमेडी का डबल डोज़ मिल सके!
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