(छाया ट्रैफिक के कारण देरी से रेस्टोरेंट पहुँची, जहाँ परिवार उसका इंतज़ार कर रहा था। रात में विशाल, जो छाया से नाराज़ था, कॉलेज जाकर CCTV फुटेज देखता है और पता चलता है कि टीना ने ही सब गलतफहमियाँ फैलाई थीं। विशाल को पछतावा होता है और वह टीना से जवाब मांगता है। उधर, छाया वीकेंड जॉब लेकर खुश होती है, लेकिन घरवाले नाराज़ होते हैं। नम्रता समझदारी से हालात संभालती हैं। कॉलेज में अगला दिन हल्का-फुल्का होता है, पर अंत में आग्रह छाया को टीना से मिलवाता है, जहाँ सबकुछ स्पष्ट होने वाला है—विशाल और आग्रह, दोनों वहीं छिपकर सारी बातें सुनने के लिए मौजूद हैं। अब आगे)
छाया ने टीना की ओर देखा और ठंडे स्वर में बोली,
"कुछ बोलेगी आप... या मैं चली जाऊं?"
टीना चौंकी—“आप? तुम मुझे आप क्यों कह रही हो?”
छाया ने हल्के से गर्दन झुकाई, आवाज में तीखा व्यंग्य था—
“आप लोगों की औकात मुझसे बहुत ऊपर है न, इसलिए।”
आग्रह और टीना कुछ समझ नहीं पाए, लेकिन विशाल सब समझ गया था।
उसके भीतर गुस्सा फूट रहा था—“टीना कुछ बोल क्यों नहीं रही?”
पर टीना तो जैसे खुद को हिम्मत देने की कोशिश कर रही थी।
घंटी बजी।
टीना चुप रही।
छाया धीरे से उठी और वहां से चली गई।
विशाल ने जाते हुए उसे देखा और टीना से कहा—
"कमाल है... करने की हिम्मत है, लेकिन कहने की नहीं।"
यह कहकर वह भी चला गया। उसने तय कर लिया था—अब छाया से बात करके ही रहेगा।
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दूसरी ओर: नित्या का पहला दिन
नित्या का आज कॉलेज का पहला दिन था।
एम.ए. हिंदी की क्लास शुरू हुई थी।
क्लास छोटी थी, पर वातावरण में अपनापन था।
जल्द ही नित्या की कई लोगों से दोस्ती हो गई।
एक लड़का, गौरव, लगातार उसे देखे जा रहा था लेकिन बात नहीं कर रहा था।
नित्या ने जब मुस्कराकर उसकी ओर देखा तो वह नजरें चुराकर पढ़ने का नाटक करने लगा।
बगल में बैठे विनोद ने फुसफुसाया —
"डर मत, वो गौरव है। कम बोलता है, पर तेज है।"
नित्या ने मुस्कराकर सिर हिलाया और किताब में ध्यान लगाया।
लेकिन गौरव की नजरें बार-बार उस पर टिक जाती थीं।
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छाया और काशी - क्लास, किताब और विनय
छाया और काशी विनय का इंतजार कर रही थीं।
काशी से छाया ने पूछा—
"तुझे अचानक घर क्यों जाना पड़ा?"
काशी बोली—
"तरुण की दादी बीमार हो गई थीं। वो मुझे देखना चाहती थीं।"
छाया ने घबराकर पूछा—“अब कैसी हैं?”
"अब ठीक हैं", काशी ने कहा और किताब खोल ली।
थोड़ी देर में विनय और उसका ग्रुप आ गया।
पढ़ाई शुरू हुई। सब सामान्य लग रहा था… बाहर से।
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संयोग या संकल्प? - नित्या को मिली नौकरी
गार्डन में बैठी नित्या कुछ पढ़ रही थी।
उसे अचानक ख्याल आया—"छाया नौकरी कर रही है, तो मैं क्यों नहीं?"
उसी वक्त एक लड़की आकर बोली—
"क्या आप मुझे ट्यूशन पढ़ाएंगी?"
नित्या चौंकी। तभी एक भारी हरे रंग की साड़ी में एक महिला पास आईं।
"मैं बिन्दियां हूं। ये मेरी बेटी किंजल है। हिंदी में कमजोर है। तुम पढ़ाओगी?"
नित्या के हां कहने से पहले ही बिन्दियां बोलीं—
"3500 दूंगी... नहीं, अच्छा 4000 ले लो, पर मना मत करना।"
नित्या को यकीन नहीं हुआ।
अभी-अभी सोच ही रही थी, और सामने अवसर आ गया।
नित्या ने मुस्कराते हुए कहा—
"3500 ही दीजिए... बस पढ़ाई में ध्यान देना पड़ेगा।"
किंजल ने खुशी से पूछा—
"आप मेरी गुरु हो सकती हैं? मैं आपको 'गुरु दीदी' बुलाऊंगी?"
नित्या मुस्कराई। उसकी आंखों में छाया की छवि तैर रही थी।
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संध्या का तूफान: छाया, टीना और माफ़ी
शाम के 5:30 बज चुके थे।
छाया और काशी जाने ही वाले थे कि विशाल, आग्रह और टीना सामने आ गए।
विशाल ने सिर झुकाकर छाया से सब कुछ कह दिया—
CCTV फुटेज, टीना का झूठ, और अपना पछतावा।
छाया और काशी अवाक् रह गईं।
छाया टीना के पास आई और बस एक शब्द बोली—“क्यों?”
टीना की आंखें नीचे थीं।
छाया ने उसका चेहरा ऊपर उठाया, और आंखों में आंखें डालकर पूछा—"प्यार करती हो विशाल से?"
सन्नाटा। फिर टीना फुसफुसाई—"तुम्हें कैसे पता?"
छाया मुस्कराई—"तुम्हारे चेहरे पर लिखा है।"
आग्रह ने हैरानी से कहा—"क्या लिखा है?"
छाया बोली— यही कि टीना विशाल को किसी और के साथ नहीं देख सकती… सही कहा न?"
टीना ने कोई जवाब नहीं दिया। बस टकटकी लगाए छाया को देखती रही। छाया ने काशी को देखा—"चलो, बस छूट जाएगी।" फिर वह टीना के पास आई, कंधे पर हाथ रखा और बड़ी शांति से बोली— "आज के बाद विशाल तुम्हारा। मेरा उससे कोई लेना-देना नहीं।"
टीना फूट-फूट कर रोने लगी। छाया ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। विशाल बस खड़ा रह गया। निशब्द।
आग्रह ने आगे बढ़कर टीना को चुप कराने की कोशिश करने लगा। विशाल अपनी कार लेकर आया। टीना को आग्रह ने पीछे बिठा दिया और खुद बगल में बैठ गया।
विशाल ने कार स्टार्ट की और कालेज से बाहर निकल गया।
...
1:क्या विशाल छाया की नज़रों में अपनी जगह फिर से बना पाएगा, या छाया ने सचमुच अपने दिल से उसे निकाल दिया है?
2:छाया ने भले ही कह दिया कि "आज के बाद विशाल तुम्हारा", लेकिन क्या वह दिल से टीना को माफ़ कर पाई है?
3: क्या नित्या की यह संयोग से मिली ट्यूशन जॉब उसके आत्मनिर्भर बनने की दिशा में नया अध्याय साबित होगी, या इसमें भी कोई अप्रत्याशित मोड़ छिपा है?
जानने के लिए पढ़ते रहिए "छाया प्यार की।"