A story of love and recovery after the storm in Hindi Love Stories by Meenakshi Gupta mini books and stories PDF | तूफान के बाद प्यार और वापसी की कहानी

Featured Books
Categories
Share

तूफान के बाद प्यार और वापसी की कहानी

रिया और समीर की प्रेम कहानी कॉलेज के दिनों में शुरू हुई थी और परिवार की रज़ामंदी के बिना भी शादी के बंधन तक पहुँच गई. मुंबई जैसे महानगर में, उन्होंने एक अच्छी सोसाइटी में अपना आशियाना बनाया और दोनों अपनी-अपनी कॉर्पोरेट जॉब्स में व्यस्त रहते थे. सब कुछ सही चल रहा था, जब तक कि उनकी जिंदगी में सबसे बड़ा बदलाव नहीं आया – रिया की प्रेग्नेंसी.
गर्भावस्था के बढ़ते हफ़्तों के साथ, रिया को अपनी जॉब छोड़नी पड़ी. एक पल में, घर की सारी वित्तीय ज़िम्मेदारी समीर के कंधों पर आ गई. मुंबई में जीवनयापन वैसे भी आसान नहीं था, और समीर की अच्छी सैलरी के बावजूद, घर की ईएमआई, कार की किस्त, नौकर का खर्च और अब आने वाले बच्चे के खर्चे – सब मिलाकर बजट बिगड़ रहा था. धीरे-धीरे, उनके रिश्ते में कड़वाहट आने लगी. पहले जहाँ वे एक-दूसरे के सबसे अच्छे दोस्त थे, अब छोटी-छोटी बातों पर झगड़े होने लगे. समीर को लगता था कि वह अकेला सब कुछ संभाल रहा है, वहीं रिया को महसूस होता था कि समीर उसकी स्थिति को नहीं समझ रहा है.
उनका तीन साल का बेटा, अर्णव, अपनी मासूमियत से इस तनाव को भांप नहीं पाता था. एक सुबह, समीर नाश्ते की प्लेट को लगभग फेंकते हुए ऑफिस के लिए चला गया. रिया निढाल होकर सोफे पर बैठ गई. उसका मन शून्य था. अचानक, उसकी नज़र दवाई की अलमारी पर पड़ी और उसने नींद की गोलियों का पत्ता उठा लिया. उसने अपनी हथेली पर कई गोलियाँ रखीं और एक पल के लिए, उसे लगा कि आत्महत्या ही इन सभी समस्याओं का एकमात्र समाधान है. उसने गोलियों को पानी के साथ निगलने के लिए अपना हाथ मुँह तक उठाया.
ठीक उसी क्षण, उसकी नज़र अर्णव पर पड़ी. अर्णव अभी भी ज़मीन पर बैठा, अपनी गाड़ी से खेल रहा था, कभी-कभी खिलखिलाता. उस मासूम हँसी में, रिया ने अपनी पूरी दुनिया देखी. उसे याद आया अर्णव की वह छोटी-सी उंगली जो उसकी साड़ी पकड़कर चलता था. यह क्या करने जा रही थी वह? एक पल में, उसे अपनी गलती का एहसास हुआ. वह ये कैसे कर सकती है? अपने बच्चे को बेसहारा कैसे छोड़ सकती है? उसने तुरंत अपनी मुट्ठी खोली. गोलियाँ ज़मीन पर बिखर गईं. रिया काँपते हुए अर्णव के पास भागी, उसे कसकर अपनी बाहों में भर लिया और फूट-फूट कर रोने लगी – यह रोना दर्द का नहीं, बल्कि एक भयानक सपने से जागने की राहत का था.
रिया ने महसूस किया कि उसे मदद की ज़रूरत थी. उसने इंटरनेट पर रिसर्च की और एक अनुभवी काउंसलर, डॉ. मीना से अपॉइंटमेंट बुक किया. पहली मुलाकात में, रिया ने अपने दिल का सारा बोझ हल्का कर दिया. डॉ. मीना ने उसे समझाया कि उसकी भावनाएँ सामान्य हैं और उसे अपनी मानसिक स्थिति पर काम करने के लिए कुछ एक्सरसाइज और मेडिटेशन के तरीके सुझाए. रिया ने अपनी मानसिक स्थिति पर काम करना शुरू किया, और धीरे-धीरे उसे बेहतर महसूस होने लगा.
लेकिन आर्थिक तंगी अभी भी एक बड़ी चुनौती थी. उसे याद आया कि उसके पुराने ऑफिस में एक वर्क फ्रॉम होम पॉलिसी थी. उसने हिम्मत करके अपने पुराने बॉस, मिस्टर वर्मा को फोन किया और अपनी पूरी स्थिति बताई. मिस्टर वर्मा रिया की लगन से वाकिफ थे और कुछ दिनों बाद उसे एक पार्ट-टाइम वर्क फ्रॉम होम प्रोजेक्ट दे दिया. रिया की आँखों में ख़ुशी के आँसू आ गए. यह उसके लिए एक नई उम्मीद की किरण थी.
रिया ने फिर से काम करना शुरू कर दिया था. वर्क फ्रॉम होम होने के कारण वह अर्णव का भी ध्यान रख पाती थी और अपनी आय से घर खर्च में मदद भी कर पा रही थी. समीर ने भी रिया में बदलाव देखा. वह अब कम चिड़चिड़ी रहती थी और धीरे-धीरे उसके चेहरे पर मुस्कान लौटने लगी थी. समीर ने रिया को काम करते हुए देखा और समझा कि वह कितनी मेहनत कर रही है.
एक दिन, समीर रिया के पास आया. "रिया," उसने धीरे से कहा, "मुझे माफ़ कर दो. मैं तुम्हें समझ नहीं पाया. मैं अकेला महसूस कर रहा था, और मैंने अपना सारा गुस्सा तुम पर निकाला." रिया ने उसकी आँखों में देखा. "यह सिर्फ तुम्हारी गलती नहीं है, समीर," रिया ने कहा. "हम दोनों ही मुश्किल में थे, और हमने एक-दूसरे को अकेला छोड़ दिया. लेकिन अब हम इसे ठीक कर सकते हैं."
एक शाम, रिया ने हिम्मत जुटाई और उस भयानक सुबह की पूरी घटना समीर को बता दी – नींद की गोलियाँ हाथ में लेने से लेकर अर्णव को देखकर अपना इरादा बदलने तक. समीर रिया की बात सुनकर सन्न रह गया. अगली सुबह, समीर उठा तो उसकी आँखों में नींद नहीं, बल्कि एक नया संकल्प था. उसने रिया को कसकर गले लगा लिया. "रिया," उसने काँपते हुए कहा, "मुझे बहुत अफ़सोस है. मैंने तुम्हें इतनी तकलीफ दी." समीर को एक भयानक विज़न आया था, जिसमें उसने देखा कि अगर रिया को कुछ हो जाता, तो अर्णव और उनकी ज़िंदगी कितनी अंधकारमय हो जाती.
समीर ने रिया का हाथ थामा. "हम एक-दूसरे से वादा करते हैं, रिया. अब से, हम हर समस्या पर बैठकर बात करेंगे. कोई भी मुश्किल इतनी बड़ी नहीं है कि हम उसे मिलकर हल न कर सकें. हम कभी कोई गलत कदम नहीं उठाएँगे. हम एक-दूसरे का सहारा बनेंगे, चाहे कुछ भी हो."
उस दिन से रिया और समीर के रिश्ते में एक नया अध्याय शुरू हुआ. उन्होंने सीखा कि सबसे बड़ा प्यार सिर्फ़ अच्छे समय में नहीं, बल्कि मुश्किल वक्त में एक-दूसरे का साथ देने और समझने में है. उन्होंने यह भी सीखा कि मानसिक स्वास्थ्य उतना ही महत्वपूर्ण है जितना शारीरिक स्वास्थ्य, और मदद मांगने में कोई शर्म नहीं है. उनका प्यार, जो कभी तूफान में खो गया था, अब पहले से कहीं ज़्यादा मज़बूत होकर उभरा था, क्योंकि उन्होंने एक-दूसरे पर विश्वास करना और हर चुनौती का मिलकर सामना करना सीख लिया था.