Chapter 1: एक अनजाना टेक्स्ट
अवनि ने एक दिन Instagram पर अर्जुन की कहानी देखी — एक किताब की फोटो के साथ लिखा था:
“कुछ कहानियाँ अधूरी होती हैं, पर उनसे मोहब्बत पूरी होती है।”
उसने बस दिल का इमोजी भेजा… और बात वहीं खत्म हो गई।
पर अर्जुन ने अगली सुबह रिप्लाई किया:
“दिल भेजा… या कोई इशारा?”
अवनि मुस्कुराई, typing में आई… और फिर text “Seen” में बदल गया।
Chapter 2: बातें, जो रुकती नहीं थीं…
धीरे-धीरे बातें बढ़ीं। किताबों से शुरू हुआ चैट अब रात के 2 बजे तक चलता था।
कॉफ़ी, मौसम, अधूरी फ़िल्में और अधूरी ज़िंदगियाँ — सब बातों में थे।
अर्जुन ने एक दिन पूछा —
“कभी किसी से ऐसा connection महसूस हुआ है कि वो बिना मिले भी अपना लगे?”
अवनि ने जवाब नहीं दिया… सिर्फ़ एक 😊 भेजा।
(और अर्जुन समझ गया — जवाब “हाँ” था।)
Chapter 3: पहली मुलाक़ात
तीन महीने बाद — एक local किताब मेले में मिलने का plan बना।
अवनि सफेद कुर्ते में आई, हाथ में वही किताब थी जो अर्जुन ने पहली बार पोस्ट की थी।
जब वो मिली, अर्जुन बस देखता रहा… जैसे कोई अधूरी कविता सामने खड़ी हो।
दोनों चुप रहे… कुछ सेकंड… और फिर अर्जुन बोला —
“Seen से शुरू हुई बात, अब सामने है… क्या अब दिल की बात कह सकता हूँ?”
अवनि ने उसकी तरफ देखा और कहा:
“अगर वो बात आज नहीं कही… तो फिर ये कहानी भी अधूरी रह जाएगी।”
Chapter 4: एक मोड़
प्यार गहरा हुआ… लेकिन ज़िंदगी आसान नहीं थी।
अवनि की family शादी के लिए ज़ोर दे रही थी।
अर्जुन अभी financially stable नहीं था।
एक दिन, अवनि ने सिर्फ़ इतना लिखा:
“शायद अब हमारी कहानी सिर्फ़ यादों में रहे…”
अर्जुन का reply… सिर्फ़ “Seen” में रह गया।
Chapter 5: सालों बाद…
पांच साल बाद — एक किताब launch में अर्जुन एक लेखक के तौर पर पहुंचा।
उसकी पहली किताब का नाम था:
“Seen में छुपा दिल”
Audience में एक चेहरा मुस्कुरा रहा था…
सफेद कुर्ता… हाथ में वही किताब।
कहानी अधूरी थी… पर मोहब्बत अब भी पूरी थी।
The End… or maybe, a new beginning?
Chapter 6: फिर से, अजनबी जैसे
अर्जुन ने स्टेज से उतरकर कॉफ़ी काउंटर की तरफ नज़र डाली।
वहाँ वो खड़ी थी — अवनि, वही मुस्कान, पर अब आँखों में एक कहानी छुपी थी।
अर्जुन धीमे-धीमे उसकी तरफ बढ़ा।
“क्या अब भी सिर्फ़ ‘Seen’ में ही जवाब दोगी?”
उसकी आवाज़ में न शिकवा था, न sarcasm — बस एक ठहरी हुई सच्चाई।
अवनि ने कप नीचे रखा, गहरी साँस ली…
“तुमने जवाब दिया होता, तो शायद मैं ‘Goodbye’ कभी न लिखती।”
अर्जुन चुप रहा।
पांच साल… कितनी बातें कहने के लिए इकट्ठा हुई थीं, पर अब हर शब्द भारी लग रहा था।
अवनि ने सवाल किया —
“किताब लिख दी मेरे नाम की… पर एक कॉल नहीं कर सके?”
अर्जुन ने मुस्कराकर कहा —
“कभी लगता था, अगर कॉल किया और तुम उठ गई… तो शायद मैं फिर खुद को रोक नहीं पाऊंगा।
और अगर नहीं उठाया… तो शायद मैं कभी दोबारा लिख ही न पाऊँ।”
Chapter 7: वो जो कहा नहीं गया…
दोनों पास बैठे। कॉफ़ी ठंडी हो चुकी थी, पर दिलों में अब भी कुछ गरम था।
अर्जुन ने कहा —
“तुम अब भी वैसी ही हो — धीमी, पर असरदार।”
अवनि हँसी — “और तुम अब भी वही — बातों में लिपटा जज़्बात।”
कुछ देर चुप्पी रही।
अवनि ने पर्स से एक पुरानी चीज़ निकाली — वही पहला नोट, जो अर्जुन ने उसे कभी भेजा था:
“कुछ कहानियाँ अधूरी होती हैं, पर उनसे मोहब्बत पूरी होती है।”
“अब भी मानते हो ये लाइन?” — उसने पूछा।
अर्जुन ने कहा —
“अब नहीं। अब लगता है — अधूरी कहानियाँ बस डर की वजह से अधूरी रह जाती हैं।”
Chapter 8: दोबारा शुरुआत?
अवनि उठी, उसकी तरफ देखा…
“तो डरते हो अब भी?”
अर्जुन मुस्कुराया —
“अब नहीं। अब जीने का मन है — उन पलों को जो हमने खो दिए।”
अवनि ने जाते-जाते कहा:
“कल कैफ़े ब्लू में मिलो… वही पुराना कोना, वही पुरानी कॉफ़ी।
अगर आए, तो जानूंगी — अब कहानी सच में अधूरी नहीं रहेगी।”
और वो चली गई…
इस बार अर्जुन का फोन “Seen” में नहीं रुका —
उसने टाइप किया:
“I’ll be there.”
Final Chapter: “कैफ़े ब्लू की दूसरी शुरुआत”
अर्जुन वक्त से पहले पहुँचा — वही पुराना कैफ़े ब्लू, वही कोना जहाँ कभी कल्पना और खामोशी साथ बैठा करते थे।
टेबल पर दो कॉफ़ी रखी थीं — एक ब्लैक, एक हेज़लनट।
(उसने आज भी याद रखा था कि अवनि को क्या पसंद था।)
घड़ी की सुइयाँ 4:58 पर थीं… और ठीक 5:00 बजे दरवाज़ा खुला।
अवनि आई।
सफेद दुपट्टा, किताबों वाली वही बैग… पर अब चेहरा ज़रा हल्का, ज़रा खुला हुआ।
दोनों कुछ नहीं बोले — बस देखा, और मुस्कुराए।
“एक चुप्पी, जो सब कह गई”
अवनि बैठी, और पहली बार उसने कॉफ़ी उठाने से पहले अर्जुन का हाथ थामा।
बिना कुछ कहे, उसकी तरफ देखा और बस इतना कहा:
“अब और अधूरा कुछ नहीं चाहिए।
ना बात अधूरी,
ना मुलाक़ात अधूरी,
ना हम…”
अर्जुन की आँखें थोड़ी भीगीं — लेकिन इस बार आंसू नहीं गिरे।
उसने जेब से एक छोटा सा पेज निकाला —
उसकी अगली किताब का टाइटल:
“अब मैं पूरा हूँ — क्योंकि तू है।”
अवनि ने मुस्कुराकर कहा:
“तो चलो… एक नई कहानी लिखते हैं — इस बार साथ मिलकर।”
Happy Ending: एक कहानी, जो अब ‘Seen’ से ‘Forever’ तक है
कुछ कहानियाँ सच में अधूरी नहीं होतीं — बस उन्हें थोड़ा वक़्त चाहिए होता है।अब ना चैट की ज़रूरत है, ना “Seen” की चिंता।अब बस साथ है, शब्दों के पार… सुकून जैसा प्यार है।