Adhuri Dastan in Hindi Love Stories by Mohammad Samir books and stories PDF | अधूरी दास्तान

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अधूरी दास्तान

समीर की जिंदगी एक खामोश संगीत बन गई थी। उसके घर में पियानो था, पर उस पर धूल की एक परत जम चुकी थी। उसकी उंगलियाँ जो कभी जादू बिखेरती थीं, अब सिर्फ दवाइयाँ और सर्जरी के उपकरणों को संभालती थीं। एक साल पहले, एक भयानक कार दुर्घटना ने उससे उसकी पत्नी, आयशा, और उसके जीवन की धुन छीन ली थी। अब उसकी दुनिया सिर्फ उसकी सात साल की बेटी, सना, और उस दर्द के इर्द-गिर्द घूमती थी, जिसे उसने अपनी आत्मा में कैद कर लिया था।

सना, अपनी माँ की परछाईं थी। उसकी मासूम आँखें, उसकी खिलखिलाती हँसी, और उसकी छोटी-छोटी शरारतें समीर को आयशा की याद दिलाती थीं। वह सना को देखकर मुस्कुराता, पर उसके अंदर एक तूफान सा उमड़ता रहता था। वह डॉक्टर था, लोगों को मौत से लड़ना सिखाता था, पर वह अपनी ही जिंदगी को नहीं बचा सका था। इस गिल्ट ने उसे अंदर से खा लिया था।

एक दिन, सना के स्कूल में एक वार्षिक संगीत समारोह था। सना ने अपनी माँ का पसंदीदा गाना गाने की जिद की। "पापा, मम्मा भी तो ये गाना बहुत अच्छा गाती थीं।" समीर के लिए यह एक मुश्किल घड़ी थी। उस गाने को फिर से सुनना, आयशा की यादों के गहरे सागर में डूबने जैसा था। पर वह अपनी बेटी को मना नहीं कर सका। जब सना ने मंच पर खड़े होकर अपनी मासूम आवाज में "मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू..." गाना शुरू किया, तो समीर की आँखों से आँसू बहने लगे। उसने देखा कि आयशा की धुन उसकी बेटी के अंदर जिंदा थी।

समारोह के बाद, एक महिला ने समीर के पास आकर बात की। "आपकी बेटी की आवाज बिल्कुल आयशा जैसी है। उसमें वही दर्द और वही मिठास है।"

समीर ने चौंककर उस महिला को देखा। वह आयशा की सबसे अच्छी दोस्त, नैना थी। नैना पेशे से एक आर्ट थेरेपिस्ट थी और बच्चों के साथ काम करती थी। आयशा की मौत के बाद, नैना ने जानबूझकर समीर से दूरी बना ली थी, क्योंकि उसे लगा था कि वह भी उस दुख को सह नहीं पाएगी। पर सना की आवाज सुनकर वह खुद को रोक नहीं पाई थी।

नैना ने समीर से कहा, "आयशा चाहती थी कि सना संगीत सीखे। क्या तुम उसे सिखाने दोगे?"

समीर ने हिचकिचाते हुए सहमति दे दी। नैना सना को संगीत सिखाने लगी। धीरे-धीरे, सना के संगीत के बहाने नैना समीर के जीवन में भी दाखिल हो गई। वह हर दिन उनके घर आती, सना के साथ रियाज करती और समीर के साथ चाय पर बातें करती। इन बातों में आयशा की यादें होती थीं, पर अब उनमें उदासी नहीं, बल्कि मीठी यादों की खुशी होती थी। नैना की सहजता और उसका शांत स्वभाव समीर के घावों पर मरहम की तरह काम कर रहा था। वह धीरे-धीरे अपने कमरे से निकलकर सबके साथ बैठने लगा। पियानो पर जमी धूल हटने लगी।

एक शाम, जब सना सो रही थी, समीर और नैना बालकनी में बैठे थे। "नैना, तुमने मेरी और सना की जिंदगी में फिर से रोशनी भर दी है," समीर ने कहा। "तुमने मुझे यह एहसास दिलाया कि आयशा की यादों को दर्द के साथ नहीं, बल्कि प्यार के साथ जीना चाहिए।"

नैना ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "आयशा हमारी यादों में हमेशा जिंदा रहेगी, पर समीर, हमें जीना होगा। जिंदगी कभी रुकती नहीं है।"

उनका रिश्ता दोस्ती से आगे बढ़कर प्यार में बदल रहा था। यह एक ऐसा प्यार था, जो तेज नहीं, बल्कि धीरे-धीरे, शांत नदी की तरह बह रहा था। समीर ने फिर से पियानो पर हाथ रखा। उसने एक नई धुन बनाई, जिसमें आयशा के प्यार की यादें थीं, सना की मासूम हँसी थी, और नैना की उम्मीद थी। यह धुन उसके जीवन के हर पड़ाव को बयाँ करती थी।

मगर, उनकी जिंदगी में एक नया तूफान आने वाला था। आयशा के माता-पिता, मिस्टर और मिसेज शर्मा, जो समीर को आयशा की मौत का जिम्मेदार मानते थे, ने समीर को एक कानूनी नोटिस भेज दिया। वे सना की कस्टडी चाहते थे। उनके अनुसार, समीर अपनी जिम्मेदारियों को ठीक से नहीं निभा पा रहा था और उसकी उदासी सना के मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक थी।

यह समीर के लिए एक बहुत बड़ा सदमा था। वह पहले ही गिल्ट में जी रहा था और अब उसे अपनी बेटी को खोने का डर सताने लगा। नैना ने उसे संभाला। "समीर, हम मिलकर इसका सामना करेंगे। तुम्हें साबित करना होगा कि तुम एक अच्छे पिता हो। और आयशा चाहती थी कि सना तुम्हारे साथ रहे।"

एक दिन, एक मीटिंग में मिस्टर और मिसेज शर्मा, उनके वकील और समीर, नैना मौजूद थे। मिसेज शर्मा ने रोते हुए कहा, "हमारी बेटी चली गई, और अब हम अपनी पोती को भी उसकी यादों के साथ नहीं छोड़ सकते। समीर ने सब कुछ बदल दिया।"

समीर का दिल टूट गया। उसने अपनी बात कहने के लिए इजाजत माँगी। "अंकल, आंटी, मुझे पता है कि आप मुझसे नफरत करते हैं। मैं भी रोज उसी नफरत में जीता हूँ। पर मैं सना को अपनी जिंदगी से दूर नहीं कर सकता। वह मेरी जिंदगी है, मेरी उम्मीद है। आयशा चाहती थी कि सना एक अच्छी संगीतकार बने। आज वह पियानो बजाती है, गाना गाती है, और ये सब नैना ने सिखाया है।"

फिर उसने अपने पियानो पर उस नई धुन को बजाया। वह धुन उसके दर्द, उसके प्यार और उसकी उम्मीद की दास्तान थी। उस संगीत में मिस्टर और मिसेज शर्मा ने अपनी बेटी की आवाज सुनी, उसकी यादें महसूस कीं। समीर ने बताया कि यह धुन आयशा को समर्पित है और वह हमेशा उनकी जिंदगी का हिस्सा रहेगी।

समीर की सच्चाई और उसके संगीत ने मिस्टर और मिसेज शर्मा के दिल को छू लिया। उन्हें महसूस हुआ कि समीर भी उनकी तरह ही दर्द में है, और सना का भविष्य समीर के साथ सुरक्षित है। उनकी आँखों में गुस्सा नहीं, बल्कि प्यार और माफी थी।

"समीर, हमें माफ़ कर दो," मिस्टर शर्मा ने नम आँखों से कहा। "हमें पता है कि तुम एक अच्छे पिता हो। हम चाहते हैं कि सना तुम्हारे साथ रहे।"

समीर, सना और नैना ने मिलकर एक नया जीवन शुरू किया। समीर का पियानो फिर से बजने लगा। उसके संगीत में अब उदासी नहीं, बल्कि उम्मीद थी। नैना और समीर ने शादी करने का फैसला किया। उनका घर संगीत और हँसी से गूंजता था।

आयशा की यादें उनके जीवन का एक खूबसूरत हिस्सा बन गईं थीं, पर अब वह दर्द नहीं देती थीं। समीर ने आखिरकार अपनी अधूरी सिम्फनी को पूरा कर लिया था, जिसमें दर्द के बाद प्यार और उम्मीद की नई धुनें थीं। यह एक ऐसी कहानी थी, जिसमें जिंदगी के हर उतार-चढ़ाव थे, पर अंत में प्यार और उम्मीद की जीत हुई।

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