अध्याय 1: रौशनी और कायरव
> "कुछ जगहें सिर्फ़ नक्शे पर नहीं होतीं... वहाँ की मिट्टी में सदियों पुरानी कहानियाँ सांस लेती हैं। रौशनी को नहीं पता था कि उसका नया कॉलेज, उसका नया जीवन नहीं... एक पुरानी कहानी का पुनर्जन्म था।"
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आगमन – वीरपुर की पहाड़ियाँ
बर्फ़ीली हवाओं से घिरा वीरपुर, शिमला जैसा एक हिल स्टेशन था — पतली संकरी गलियाँ, लकड़ी के मकान, और हवाओं में एक रहस्यभरी खामोशी। जैसे ही लोकल बस रुकी, रौशनी अपने सूटकेस के साथ उतरी। आँखों में थकान थी, मगर दिल में अजीब सा सुकून... जैसे ये जगह उसने पहले कभी देखी हो।
रौशनी (धीरे से): "ये गाँव... ये सपना था या याद?"
वो एक अनाथ लड़की थी जिसे एक बेरुखे परिवार ने गोद लिया था। उनके लिए वो बस एक ज़िम्मेदारी थी, एक बोझ। उसके सपने, उसकी लिखने की आदत... सब 'फालतू' कहे जाते थे।
लेकिन अब... ये कॉलेज उसका नया अध्याय था। शायद वरदान... या शाप।
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सेंट हेलेना कॉलेज – पहली झलक कायरव की
पुरानी गोथिक स्टाइल में बना कॉलेज – ऊँची मीनारें, लोहे के दरवाज़े, और पत्थर की दीवारें। हर कोना जैसे कोई दबी हुई कहानी कह रहा हो। रौशनी कैंपस घूम रही थी जब लाइब्रेरी के सामने एक लड़का दिखा। लंबा कद, काला कोट, और तेज़ धार वाली आँखें – शांत पर चुभती हुई।
कायरव।
वो एक किताब पढ़ रहा था – Bloodlines and Broken Hearts।
जैसे ही उसकी नज़र रौशनी पर पड़ी, उसका चेहरा पल भर को पीला पड़ गया। उसकी किताब ज़मीन पर गिर पड़ी... जैसे वक़्त एक पल के लिए रुक गया हो। रौशनी की आँखें उसकी आँखों से मिलीं — और कहीं अंदर एक दरवाज़ा खुल गया।
कायरव (मन ही मन): "नहीं... ये वही नहीं हो सकती। ये तो जल चुकी थी... 1812 में।"
रौशनी: "Excuse me... लाइब्रेरी का रास्ता?"
कायरव (रुककर): "नई हो न?"
रौशनी: "हाँ। रौशनी। फ़र्स्ट ईयर, लिटरेचर।"
कायरव (हल्की मुस्कान): "Interesting नाम। ऐसी जगह... जहाँ रौशनी बहुत कम है।"
उसकी मुस्कान में कुछ था — कोई पुराना रहस्य, कोई अधूरा इश्क़... और शायद ख़तरा।
("1812 में जली एक आत्मा... 2025 में फिर से ज़िंदा हो गई।" और वो आत्मा, अब एक लड़की के नाम से जानी जाती है। क्या रौशनी ही काव्या है?)
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पहला ख़ून
अगली रात, हॉस्टल की बिजली गुल हो गई। एक सीनियर लड़की बाथरूम की ओर गई और सुबह उसकी लाश मिली — गर्दन पर दो तेज़ दांतों के निशान।
वॉर्डन: "पुलिस कहती है कोई जंगली जानवर रहा होगा... लेकिन ये इस महीने का तीसरा केस है।"
रौशनी अब रातों को डरने लगी थी। सपने और भी डरावने हो गए थे:
"एक पुराना चर्च... टूटी छत... ताबूतें... किसी ने उसे 'काव्या' बुलाया। खून से सनी तलवार... पर वही लाल आँखों वाला आदमी उसे बचाता है, मारता नहीं।"
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लाइब्रेरी में पुनः भेंट
कायरव एक कोने में बैठा था, वही किताब — Bloodlines and Broken Hearts उसके हाथ में। रौशनी धीरे से उसके पास गई और पास बैठ गई।
रौशनी: "कभी किसी को देखकर लगा है कि हम उसे पहले भी जान चुके हैं... लेकिन यादें धुंधली हों? बस एहसास बाक़ी रहे?"
कायरव (धीरे, गहरी आवाज़ में): "ऐसा होता है। और जब होता है... या तो वो रिश्ता होता है पिछले जन्म का... या कोई श्राप।"
रौशनी: "मैं सपनों में 'काव्या' नाम से पुकारी जाती हूँ... पर समझ नहीं आता क्यों।"
कायरव की आँखें पल भर को लाल हो गईं... उसके नाखून तेज़ हो गए... लेकिन उसने खुद को रोक लिया।
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एक रहस्य
उस रात कायरव अपने कमरे में था। कमरा अंधेरे में डूबा था, बस एक मोमबत्ती जल रही थी। उसकी आँखें गहरी, और हाथ में एक पुरानी तस्वीर — एक लड़की, जो हूबहू रौशनी जैसी दिखती थी।
कायरव (धीरे-धीरे): "अगर इस जन्म में भी तू मेरी हुई... तो मौत फिर लौटेगी।"
उसके हाथ में एक गिलास था — उसमें लाल द्रव्य था। रगों में नीली नसें उभर आई थीं — उसका असली रूप उस अंधेरे में धीरे-धीरे उभरने लगा था।
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To be continued.....