"अच्छा हुआ जल्दी अस्पताल ले आए। उनकी हालत देखकर लगता है, मरीज ने कई दिनों से अन्न का एक दाना भी मुँह में नहीं डाला।" डॉक्टर बोले।
रूम के बाहर खड़े विनय और नयन ने यह बात सुनी। वे दोनों अंदर आए। एक बेड पर जिद सोई थी। बाजू में इंजेक्शन पड़ा था। वहीं बोतल का स्टैंड भी था। ग्लूकोज़ की बोतल में इंजेक्शन की सुई लगी थी। बेड पर अपनी चमक को त्यागकर सोई चाँदनी जैसी जिद की हालत बहुत ही खराब हो गई थी। आँखों में कुण्डली, हाथ और मुँह फीके पड़ गए थे। जिद को ऐसी स्थिति में देखकर विनय उसके पास जाकर बैठा। उसका हाथ पकड़कर बोला।
"अपने ऊपर आती आफ़त देखकर तूने मुझे अपने से दूर किया। मैं भी कितना मूर्ख था। ‘चंद्रताल मंदिर में तेज ने मुझसे कहा था कि मुझे छोड़ मत देना।’ ऐसा कहने वाली तू खुद मुझे छोड़कर जा रही है? मैं ही मूर्ख तुझे नहीं समझ पाया, मुझे माफ़ कर दे।”
विनय के कंधे पर श्रेया ने हाथ रखा। उसने उन तीनों की ओर देखा और जॉर्ज की ओर आँखें रोके बोली। "आप लोग कौन हैं?"
जॉर्ज आगे आया। "मैं जॉर्ज हूँ।"
विनय ने थोड़ी देर देखा फिर बोला। "माही के अंकल?"
"हाँ, और मैं आंटी।" श्रेया बोली।
"हाँ और मैं उनका भाई।" श्रेया की ओर देखकर रोमियो बोला।
जॉर्ज के पास जाकर विनय बोला। "आपको अब तक कहाँ रखा था?"
जॉर्ज बोला। "मैं कनाडा में था। मुझे शायद भारत मेरे मरने के बाद भी नसीब न होता। लेकिन भला हो इस लड़की का (जिद की ओर इशारा करते हुए बोला) कि सौभाग्य से वह मेरी भतीजी माही की सहेली बनी और मेरी पत्नी तथा मेरा साला दोनों भी बच गए।”
विनय आधी बात सुनकर उलझ गया, तो उसने कहा। "पहले से कहो, आदम से तुम्हारी मुलाकात कब हुई?"
जॉर्ज ने हाँ में सिर हिलाया फिर बोला। "आज से कई साल पहले मैं गुजरात छोड़कर पश्चिम बंगाल अपने मित्र के साथ आया था। वह यहाँ से गुजरात में व्यापार करता था। उसने कहा हम पश्चिम बंगाल में एक बड़ी बिजली कंपनी खड़ी करें। उसके लिए हमें पैसे और कोयले की ज़रूरत थी। जो हमें आदम देने को तैयार था। उसके प्रलोभन से हम यहाँ आ गए और हमने श्रीवास्तव पावर कॉम्प्लेक्स नाम की हमारी कंपनी खड़ी की। जिसमें हम तीनों की पार्टनरशिप थी। सब कुछ ठीक चल रहा था। मैंने भी शादी कर ली। मेरी पत्नी श्रेया और उसका परिवार पश्चिम बंगाल के ही हैं। थोड़े समय में हमारे यहाँ एक बेटा पैदा हुआ। इसलिए मैंने अपने भाई और पूरे परिवार को भी यहाँ रहने के लिए बुला लिया। उन्हें मेरे बेटे के जन्म की जानकारी नहीं थी। उन्हें आते समय लगता।
उस समय एक दिन मेरे मित्र को पता चला कि इस कंपनी में आने वाले कोयले की खान में असीम सोना निकलता है। जिसके कारण आदम ने इसे छुपाकर रखने के लिए यह कंपनी खुलवाई है। वह इस देश का सारा सोना विदेश ले जा रहा था।
एक जहाज़ में कोयला उसकी खान में आता और दूसरा जहाज़ सोने से भरा हुआ कोयले के साथ जाता। जब आदम को लगा कि उसे हमारे कारण परेशानी हो रही है, तब उसने हम पर हमला करवाया और उसमें मेरे मित्र ने अपनी जान गंवाई। लेकिन जाते-जाते उसने मुझे सब कुछ बता दिया।
मुझे मारने के लिए उसने कई प्रयास शुरू किए।
उस समय के दौरान मेरी पत्नी ने अपना परिवार खोया और हमने अपनी इकलौती संतान खो दी (आँखों में आँसू के साथ बोला)। उसके आख़िरी प्रयास में मैं पकड़ लिया गया, मैंने उसके सामने हाथ जोड़कर ज़िंदा रहने की भीख माँगी। अभी उसके आदमी मुझे मार ही रहे थे कि एक आदमी आया और आदम के कान में कुछ कहा। बस तभी से मैं उसकी क़ैद में और मेरी पत्नी श्रेया को उस कंपनी की मैनेजर बनाकर वहीं नजरबंद कर दिया।”
विनय को आदम की चाल को समझने के लिए अभी और समय की ज़रूरत थी। जॉर्ज फिर बोला। "आदम को हराना मुश्किल है। उसके साथ कुछ कनाडा के लोग हैं और बहुत सारे बांग्लादेशी हैं। उन्होंने कई मर्डर किए हैं।”
विनय उसकी बात शांतिपूर्वक सुन रहा था। यह समय बहुत ही कठिन है। उसके सामने आदम है, उसके श्रुति मैम भी और उन दोनों की बात सुनकर विनय को लगा कि कोलकाता की पुलिस भी अब आदम के साथ मिल गई है। आदम को अकेले हाथों से हराना तो मुमकिन ही नहीं है। उसने अपना सिर खुजलाया। फिर एक टेबल पर पड़े काग़ज़ को लेकर कुछ लिखा।
"नयन, यह काग़ज़ जल्दी पहुँचाकर दे और उसके साथ गाड़ी में रखी किताबें भी।” विनय बोला।
"किसे?”
"उसका पता मैंने अंदर ही लिखा है।”
"शहीद खुदीराम स्टेच्यू, ईडन गार्डन के सामने, विधानसभा भवन सी.एम. प्रफुल्लचंद्र सेन।” नयन ने पढ़कर ऊपर देखा।
विनय थोड़ा मुस्कराया और उसे जल्दी जाने को कहा।
***
दूसरी तरफ रोम के पीछे आदम के आदमी पड़े थे। वे कोलकाता में इधर-उधर जीप भगाए जा रहे थे। माही और सायना जीप में पीछे पंडित को दबोचकर बैठी थीं। रोम उन्हें पीछा कर रहे लोगों से बचाने की अपनी पूरी कोशिश कर रहा था। बहुत घुमने के बाद पेट्रोल ने उनका साथ छोड़ दिया। गाड़ी में रखे डिब्बे में केवल थोड़ा ही पेट्रोल था। आगे का रास्ता खाली और सुनसान था। पीछे पड़े लोग दूर तक दिखाई नहीं दे रहे थे। आपत्ति के समय अब क्या करना कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। तभी आराध्या बोली।
"सब लोग नीचे उतर जाओ। थोड़ा बचा हुआ पेट्रोल अंदर डालकर गाड़ी को गियर में डालकर कोई भारी वस्तु लीवर पर रखो और उसे आगे बढ़ने दो।”
आराध्या के मुँह से निकले गुजराती भाषा के शब्द सुनकर रोम चौंक गया। उसे याद आया कि विमान में उसने उसे बहुत कुछ कहा था और वह केवल हँसती रही थी। इसका मतलब वह रोम को पसंद करती थी और उसने यह जताने के लिए केवल ऐसा जताया कि वह दूसरी एयरहोस्टेस की तरह गुजराती नहीं समझती। इसलिए रोम एकदम कूदा और अपने प्रेम का प्रस्ताव किया। आफ़त के समय भी वह यह बात नहीं भूला। इसलिए आराध्या ने हँसते हुए उसका हाथ थाम लिया और जीप से नीचे उतर गई।
रोम ने उसके कहे अनुसार ही किया और सभी वहाँ मौजूद एक खंडहर सोसाइटी में घुस गए। उनके पीछे आ रहे लोगों ने आगे जाती जीप देखी और सीधे रास्ते पर तेज़ी से गाड़ियाँ आगे हाँकी।
वे अब एक बंद मकान में पहुँच गए। वह घर उन्हें छिपकर रहने के लिए बहुत बड़ा था। वह कोलकाता में है या नहीं यह भी ज्ञात नहीं था। पंडित मुँह खोलने का इशारा करने लगा। रोम ने उसका मुँह खोला। मुँह खुलते ही पंडित हँसने लगा। उसे हँसता देख रोम बोला। "क्यों हँस रहे हो?”
"यह घर और यह सब कुछ आदम का है। तुम्हें क्या लगता है? अपार संपत्ति का मालिक कोलकाता में केवल एक ही स्थान रखता होगा? उसके पास ऐसे कई घर हैं। आदम एक राक्षस है। उसने यहाँ कितनी ही लाशें गाड़ी होंगी।” बोलकर पंडित ने माही की ओर देखा। "डर गए? तुम्हें क्या लगता है मैं केवल पैसों के लिए उसके साथ हूँ ऐसा? नहीं! मुझे भी उसी का डर लगता है।”
अब उन्हें उस बंद घर में भी डर लगने लगा।
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