(छाया अस्पताल में अपने घावों के बावजूद बहादुर बनी रही। पुलिस ने उसका विवरण लिया और बदमाशों को पकड़ने का भरोसा दिलाया। घर पर जतिन, केशव, नम्रता और काशी उसे प्यार और सुरक्षा देने पहुंचे। छाया की बहादुरी से सभी गर्व महसूस कर रहे थे। कॉलेज में, वह अपनी चोट छुपाते हुए सामान्य जीवन में लौट आई, लेकिन विशाल का अनपेक्षित व्यवहार उसे चौंकाता रहा। विशाल ने धीरे-धीरे अपना स्नेह दिखाया, छाया को समझने और पास आने की कोशिश की। अंत में, विशाल ने छाया के कान में कहा कि कोई नहीं देख रहा, लेकिन छाया उसका व्यवहार समझ नहीं पाई और वहां से चली गयी। विशाल ने तय किया कि वह छाया से अपने दिल की बात जरूर कहेगा। अब आगे)
छाया हुई किडनैप
छाया अपने घर जाने के लिए काशी के साथ निकल रही थी कि अचानक उसके फोन पर एक मैसेज आया – "क्या हम बात कर सकते हैं?"।
छाया हैरान रह गई क्योंकि यह नंबर विशाल का था, जो बंद हो चुका था। उसने सोचा कि शायद किसी और ने यह मैसेज भेजा हो, लेकिन उसे नहीं पता था कि विशाल ने अपना नंबर फिर से एक्टिवेट करवा लिया और बैकअप के जरिए पुराने सारे मैसेज वापस ले लिए थे। छाया ने मन ही मन तय किया – "कल बात करेंगे," और कॉलेज के लिए निकल गई।
विशाल उसे जाते हुए देख रहा था, और खुद भी हैरान था कि उसे छाया इतनी क्यों पसंद आने लगी थी।
...
विशाल के बारे में सोचते हुए छाया ने कमरे में हलचल महसूस की। उसने लाइट ऑन की तो देखा कि नित्या दीदी की आँखों में भी नींद नहीं थी।
"मेरा तो सेशन खत्म होने वाला है, इसलिए एक्जाम की टेंशन है। आपको क्या हुआ?" छाया ने हल्की चिंता के साथ पूछा।
नित्या ने लंबी सांस लेकर जवाब दिया, "मेरी परेशानी की वजह एक्जाम नहीं, बल्कि एक लड़का है।"
छाया ने आँखें फड़काते हुए कहा, "लड़का?"
नित्या ने उसे घूरते हुए बिस्तर में करवट बदल ली। छाया चिढ़कर उठ खड़ी हुई और बोली, "मेरी नींद उड़ाकर आप सो कैसे सकती हैं?"
नित्या ने अपनी गलती मानते हुए धीरे कहा, "माफ करना।"
छाया को चिंता हुई कि कहीं कोई उसकी दीदी के साथ गलत तो नहीं कर रहा। उसने नित्या को बोलने के लिए प्रोत्साहित किया।
नित्या ने थोड़ी हिचकिचाहट के बाद कहा, "पहले तू वादा कर कि किसी को नहीं बताएगी।"
छाया ने पलक झपकाकर हामी भरी।
नित्या ने गंभीर होकर बताया, "मेरी क्लास में गौरव नाम का लड़का पढ़ता है। वो हमेशा मुझे घूरता रहता है। पहले मुझे लगा कि मेरी गलतफहमी है। लेकिन अचानक उसने मुझसे माँ-बाबूजी का नाम लेकर पूछा कि मैं उनकी बेटी हूं क्या? मैंने पूछा, उसे कैसे पता..."
छाया ने धैर्य से उसे सुनते हुए कहा, "आगे बोलो।"
नित्या ने कंधा उचकाते हुए कहा, "उसने कोई जवाब नहीं दिया।"
छाया ने जासूस की तरह सिर पर उंगली रखते हुए मुस्कुराया, "कहीं वो आपके परिवार की जानकारी तो नहीं निकाल रहा?"
नित्या ने हैरानी से पूछा, "मेरी जानकारी निकालकर वो क्या करेगा?"
छाया ने शरारती अंदाज में कहा, "कहीं आपसे प्यार तो नहीं हो गया।"
नित्या ने गुस्से से उसे देखा, तो छाया ने तुरंत कंबल उसके ऊपर डाल दिया और कहा, "सो जाओ, कल बात करेंगे।"
..
सुबह छाया और काशी घर से बाहर निकलीं, तो छाया ने देखा कि नित्या समय से पहले ही कॉलेज के लिए निकल चुकी थी। काशी ने नित्या के पास जाकर कहा, "वाह दीदी! आज तो जल्दी निकल गई।"
नित्या परेशान लग रही थी। उसने कहा, "अचानक ही एक्स्ट्रा क्लास रख दी गई है, मैं लेट हो रही हूँ।"
तभी अचानक एक कार उनके सामने रुकी और उसमें से कुछ लोग उतरे। वे सीधे नित्या की ओर बढ़े और बोले, "तुम लोगों में से नित्या कौन है?"
तीनों चुप रही, तो दूसरा आदमी हँसते हुए बोला, "तीनों को उठा लें क्या?"
नित्या और काशी डर के मारे पीछे हो गईं। छाया ने हाथ में चोटों की वजह से सोचा कि अब मैं इनसे अकेले नहीं लड़ सकती। उसने साहस जुटाया और बोली, "नित्या मैं हूं। क्या परेशानी है?"
उससे पहले कि नित्या कुछ कह पाती, लोगों ने काशी और नित्या का मुंह हाथों से ढक दिया और सिर पर बंदूक रखते हुए छाया से कहा, "कार में बैठो।"
छाया ने दोनों की ओर इशारा किया कि चुप रहो और धीरे से कार में बैठ गई। लोग जल्दी से कार में बैठ गए और काशी और नित्या को पीछे फेंक दिया। कार तेजी से चल पड़ी।
रास्ते में नित्या बिलख-बिलख कर चिल्लाती रही, "नित्या मैं हूं, नित्या मैं हूं।" कोई बहन को कोई बचा लो! कोई छाया को बचा लो" ।
काशी भागकर घर पहुंची और जोर-जोर से चिल्लाई, "छाया को कोई ले गया! आन्टी, अंकल, केशव भैया, जल्दी बाहर आइए!"
जतिन और नम्रता सदमे में रह गए। जतिन की आंखों में बस आंसू थे। केशव ने भागकर पुलिस को कॉल किया और कम्प्लेन दर्ज करवाई।
इस बीच, विशाल अपनी दुनिया में खोया हुआ था। आज उसने तय किया था कि वह छाया को अपने दिल की बात बताएगा। उसने ब्लू टी-शर्ट और जींस पहनी और आईने में खुद को निहारते हुए मुस्कुराया। सामने टेबल से उसने छाया के लिए गिफ्ट उठाया और रास्ते में फूलों की दुकान देख उसने वैलेंटाइन डे की याद में पूरा बुके ले लिया।
वहीं दूसरी ओर छाया की आंखों और मुंह में पट्टी थी, हाथ-पैर रस्सियों से बंधे थे। किसी ने उसकी आंखों से पट्टी हटाई। सामने देख छाया डर और हैरानी से थर्रा उठी।
...
1. छाया को कार में उठाकर ले जाने वाले लोग कौन थे, और उनका मकसद क्या है?
2. विशाल अपने दिल की बात कहने के लिए तैयार है, लेकिन क्या उसे पता है कि छाया खतरे में है?
3. छाया के बंधे होने और खतरे में होने के बीच, क्या वह खुद अपनी हिम्मत और चालाकी से इन बदमाशों से बच पाएगी?
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए "छाया प्यार की".