कहानी – अधूरा रिश्ता, सच्चा प्यार
अध्याय 1 – मासूम धड़कनें
नेना का बचपन से ही नकुल के लिए दिल धड़कता था।
दोनों पड़ोस में रहते, साथ पढ़ाई करते और कॉलेज तक पहुँचते-पहुँचते उनका रिश्ता गहराई पकड़ चुका था।
नेना की आँखों में नकुल ही बसता था।
वो अक्सर अपनी डायरी में लिखती—
"काश नकुल हमेशा मेरा रहे।"
दादी और माँ को भी इस बात का अंदाज़ा था।
माँ बार-बार कहतीं—
“नेना, पढ़ाई पूरी हो जाए तो हम नकुल से ही तुम्हारी शादी की बात करेंगे।”
नेना शरमा जाती, और यही सोचकर मुस्कुराती कि उसका सपना अब पूरा होगा।
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अध्याय 2 – समीर की पहली झलक
उधर शहर के एक कोने में समीर जिंदल नाम का युवक रहता था।
हकीकत में वो एक बड़ी कंपनी का मालिक था, लेकिन हालात को करीब से समझने और जीवन का सच्चा स्वाद लेने के लिए अक्सर भिखारी के रूप में लोगों के बीच जाया करता।
एक दिन नेना की दुकान पर वही ‘भिखारी’ आया।
समीर ने थकी आवाज़ में कहा—
“बहन… थोड़ा सा खाना मिल जाए?”
नेना ने बिना सोचे खाना प्लेट में रखकर उसे दे दिया।
उस दिन से समीर रोज़ उसकी दुकान पर आने लगा।
नेना सोचती—“आजकल के ज़माने में लोग इतना बुरा हाल कैसे जीते हैं? चलो, इसे रोज़ कुछ न कुछ खिला दूँ।”
समीर मन ही मन मुस्कुरा उठता।
उसकी आँखों में नेना की दया और सादगी ने जगह बना ली थी।
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अध्याय 3 – माँ और दादी का दबाव
घर पर नेना की माँ और दादी अक्सर शादी का विषय छेड़ देतीं।
“बिटिया, अब और कितना सोचोगी? नकुल से रिश्ता पक्का कर ही दो।”
नेना शर्मा जाती—
“माँ, अभी पढ़ाई पूरी नहीं हुई।”
दादी कहतीं—
“बिटिया, लड़की की उम्र निकलती है तो बातें बनती हैं। नकुल अच्छा लड़का है।”
नेना चुपचाप सिर झुका देती, लेकिन दिल में नकुल के लिए मोहब्बत और गहरी हो जाती।
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अध्याय 4 – नकुल का बदलता दिल
नकुल भी नेना को चाहता था।
लेकिन जैसे ही उसे नौकरी और बड़ी दुनिया से पहचान मिली, उसकी सोच बदलने लगी।
ऑफिस में उसकी मुलाकात रिया नाम की स्मार्ट लड़की से हुई।
रिया की चमक-दमक, उसका आधुनिक अंदाज़ नकुल को भाने लगा।
धीरे-धीरे नकुल का रुख नेना से ठंडा होने लगा।
नेना महसूस करती, लेकिन यक़ीन नहीं करना चाहती थी।
उसे लगता—“नकुल मुझे कभी धोखा नहीं देगा।”
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अध्याय 5 – धोखा
एक दिन नेना ने नकुल से शादी की बात छेड़ी।
नकुल ने ठंडी आवाज़ में कहा—
“नेना… मुझे लगता है हम एक-दूसरे के लिए सही नहीं हैं। मैं रिया से शादी करना चाहता हूँ।”
नेना के पैरों तले ज़मीन खिसक गई।
“क्या…? तू मज़ाक कर रहा है, ना?”
नकुल ने कठोर स्वर में कहा—
“नहीं नेना। सच्चाई यही है। तुम सीधी-सादी हो, लेकिन मुझे अपनी ज़िंदगी रिया जैसी लड़की के साथ बितानी है।”
नेना की आँखों में आँसू आ गए।
वो वहीं बैठ गई, टूटकर बिखर गई।
दूर खड़ा समीर, जो भिखारी के रूप में हर दिन आता था, ये सब देख रहा था।
उसके दिल में नेना के लिए और भी अपनापन उमड़ पड़ा।
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अध्याय 6 – समीर का इज़हार
कुछ दिन बाद जब नेना टूटी हुई हालत में दुकान पर बैठी थी, समीर पास आया।
“नेना जी… मैं जानता हूँ आप बहुत दुखी हैं। लेकिन एक बात कहूँ… मैं आपको दिल से चाहता हूँ।”
नेना चौंक गई।
“तुम? एक भिखारी? तुम मेरे बारे में सोच भी कैसे सकते हो?”
समीर ने शांत स्वर में कहा—
“हाँ, मैं भिखारी हूँ… लेकिन दिल से अमीर हूँ। और आपका दर्द देखकर मैं खामोश नहीं रह सकता।”
नेना रो पड़ी।
उसने सोचा—“शायद यह आदमी सचमुच मुझे समझता है।”
वो समीर को अपने घर ले आई।
माँ और दादी पहले हिचकिचाईं, लेकिन नेना ने कहा—
“ये आदमी भले भिखारी है, पर इंसानियत से बड़ा कोई धन नहीं।”
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अध्याय 7 – समीर की असलियत की झलक
समय के साथ समीर ने अपने कर्मों से सबका दिल जीतना शुरू कर दिया।
वो माँ की मदद करता, दादी को डॉक्टर के पास ले जाता, और दुकान पर भी हाथ बँटाता।
एक दिन उसने नेना की माँ को कहा—
“माँजी, आपने जीवनभर संघर्ष किया है। अब थोड़ा आराम कीजिए।”
और उसी पल उसने उन्हें एक नई कार की चाबी भेंट की।
माँ चौंक गईं—
“ये… ये कार? बेटा, तेरे पास इतने पैसे कहाँ से आए?”
समीर ने बस मुस्कुराया—
“माँजी, मेहनत से कमाया है। और अब ये सब आपका है।”
नेना की आँखें भर आईं।
उसे महसूस हुआ कि समीर कोई साधारण इंसान नहीं।
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अध्याय 8 – नकुल की वापसी
इसी बीच नकुल और उसकी गर्लफ्रेंड रिया एक पारिवारिक समारोह में आए।
वहाँ नकुल ने सबके सामने नेना की माँ को चार लाख का नेकलेस गिफ्ट किया।
नकुल ने ताना मारा—
“आंटीजी, आपके दामाद ने तो कार दी होगी। पर ये छोटा-सा तोहफ़ा मेरी तरफ से।”
सब लोग वाह-वाह करने लगे।
माँ भी कुछ पल के लिए डगमगाईं।
लेकिन नेना ने ठंडे स्वर में कहा—
“नकुल, गहनों से रिश्ता नहीं बनता। तूने मेरे भरोसे को तोड़ा है, ये नेकलेस कुछ नहीं बदल सकता।”
नकुल गुस्से से लाल हो गया।
“और तू इस भिखारी से शादी करेगी?”
समीर मुस्कुराया और बोला—
“भिखारी? सही कहा तुमने। हाँ, मैं भिखारी बनकर आया था… पर असल में मैं ‘समीर जिंदल’, ‘Jindal Enterprises’ का मालिक हूँ।”
पूरा हाल खामोश हो गया।
नकुल और रिया के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगीं।
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अध्याय 9 – सच्चे प्यार की जीत
माँ और दादी स्तब्ध रह गईं।
माँ ने नेना की तरफ देखा—
“बिटिया, तूने सही कहा था। असली अमीरी दिल की होती है। समीर जैसा दामाद हर माँ का सपना होता है।”
नेना की आँखों में खुशी के आँसू थे।
समीर ने उसका हाथ थामा और सबके सामने कहा—
“नेना, क्या तुम मेरी जिंदगी बनोगी?”
नेना ने बिना झिझके कहा—
“हाँ, समीर। अब मेरा दिल सिर्फ़ तुम्हारा है।”
लोगों ने तालियाँ बजाईं।
नकुल और रिया चुपचाप भीड़ से निकल गए।
समीर और नेना की मोहब्बत ने सबको सिखा दिया—
सच्चा प्यार दिखावे से नहीं, दिल से जीता जाता है।
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उपसंहार
कुछ महीनों बाद नेना और समीर की शादी धूमधाम से हुई।
माँ और दादी चैन की साँस लेने लगीं।
नेना की दुकान अब एक बड़ी शोरूम में बदल चुकी थी, जिसमें समीर ने निवेश किया।
नेना हर रोज़ आईने में खुद को देखती और सोचती—
"अगर नकुल ने मुझे धोखा न दिया होता, तो शायद मुझे समीर जैसा सच्चा प्यार कभी न मिलता।"