Sanatan Dharma Definition Evidence and Basic Principles in Hindi Spiritual Stories by Agyat Agyani books and stories PDF | सनातन धर्म - परिभाषा, प्रमाण और मूल सूत्र

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सनातन धर्म - परिभाषा, प्रमाण और मूल सूत्र

 
✧ सनातन धर्म ✧
परिभाषा, प्रमाण और मूल सूत्र
 
 
 
🙏🌸 Agyat Agyani
 
🌿 प्रस्तावना
 
 
आजकल हर कोई स्वयं को 'सनातनी' कहता है।पर क्या यह केवल एक पहचान है?क्या यह केवल हिंदू धर्म का दूसरा नाम है?नहीं।
 'सनातन' एक शब्द मात्र नहीं 
 
— यह शाश्वत सत्य का प्रतीक है।सनातन धर्म कोई मत, पंथ, संप्रदाय, संस्था या जाति का लेबल नहीं है। यह जीवन का वह अनादि
 
–अनंत धर्म है, जो स्वयं सृष्टि की धड़कन में गूंजता है।जो सूर्य की किरणों में है, जो वायु की गति में है, जो जल की तरलता में है, जो अग्नि की ज्वाला में है 
 
— वही सनातन है।शास्त्र कहते हैं
 
:“न हि कश्चित्क्षणमपि जातु तिष्ठत्यकर्मकृत्।कार्यते ह्यवशः कर्म सर्वः प्रकृतिजैर्गुणैः॥”
 (गीता 3.5)अर्थात — 
 
कोई भी क्षणभर भी निष्क्रिय नहीं रह सकता। कर्म का यह अनवरत प्रवाह ही सनातन है।
 
📜 शास्त्रीय परिभाषा
 
1. सनातन शब्द का अर्थ — 
 
जो आदि से है और अंत तक रहेगा।वेद कहते हैं: “ऋतम् सत्यं परं ब्रह्म” — वही सनातन धर्म है।
 
2. मनुस्मृति (1.87):“वेदोऽखिलो धर्ममूलम्” — धर्म का मूल वेद हैं। और वेदों का मूल 'सनातन' है।
 
3. गीता (11.18):“त्वमक्षरं परमं वेदितव्यंत्वमस्य विश्वस्य परं निधानम्।त्वमव्ययः शाश्वतधर्मगोप्तासनातनस्त्वं पुरुषो मतो मे॥”अर्थात — आप शाश्वत धर्म के रक्षक हैं।
 
⚡ आज का संकट
 
आज 'सनातन' शब्द का उपयोग हर कोई बिना समझे करने लगा है 
 
— राजनीति में, बहस में, पहचान में।परंतु यदि जीवन में सत्य, ईमान, संयम और विवेक नहीं है 
 
— तो 'मैं सनातनी हूँ' कहना केवल पाखंड है।सनातन धर्म झंडा उठाने से नहीं, बल्कि जीवन जीने से प्रकट होता है। सच्चा सनातनी वही है, जिसका हर श्वास सत्य की घोषणा हो।
 
🌸 ११ मूल सूत्र — सनातन धर्म
 
१. सत्य ही सनातन है।“सत्यं वद, धर्मं चर” (तैत्तिरीयोपनिषद्)
👉 झूठ बोलकर, छल करके, केवल पूजा करने से कोई सनातनी नहीं बनता।
 
२. धर्म किसी पंथ का नाम नहीं।
👉 धर्म मनुष्य का स्वभाव है — प्रेम, करुणा और कर्तव्य।
 
३. जो बदलता नहीं, वही सनातन है।
👉 शरीर बदलेगा, सत्ता बदलेगी। आत्मा और सत्य नहीं बदलते।
 
४. कर्म ही धर्म है।“कर्मण्येवाधिकारस्ते” (गीता 2.47)
👉 पूजा नहीं, कर्म और कर्तव्य ही सनातन धर्म है।
 
५. पाखंड धर्म नहीं है।
 
👉 बाहर धर्म दिखाकर भीतर कपट रखना — यह अधर्म है।
 
६. गुरु वही है, जो स्वयं जीता हो।
👉 शास्त्र रटाने वाला नहीं, सत्य जीने वाला ही सनातन गुरु है।
 
७. सनातन धर्म राजनीति का साधन नहीं।
👉 सत्ता पाने का हथियार नहीं, आत्मा को जानने का पथ है।
 
८. ईश्वर नाम या मूर्ति में नहीं, जीवन में है।
👉 जो सत्य, प्रेम और अहिंसा जीता है — वही ईश्वर को जानता है।
 
९. सनातन धर्म शाश्वत है — उसे कोई मिटा नहीं सकता।
👉 पंथ नष्ट होते हैं, सत्य कभी नहीं।
 
१०. सनातनी वही, जिसका जीवन शुद्ध है
👉 कपड़े, जाति, पूजा-पद्धति से नहीं; सत्य और संयम से।
 
११. सनातन धर्म आत्मा का धर्म है।“न जायते म्रियते वा कदाचिन्…” (गीता 2.20)
👉 आत्मा न जन्म लेती है, न मरती है। वही सनातन है।
 
🔔 निष्कर्ष
 
जो कहता है 'मैं सनातनी हूँ', उसे पहले पूछना चाहिए 
 
—क्या मेरे जीवन में सत्य है?क्या मेरे कर्म निर्मल हैं?क्या मेरा हृदय करुणामय है?यदि हाँ 
 
— तो तुम सनातनी हो।यदि नहीं 
 
— तो 'सनातन' कहना पाखंड है। और पाखंड से बड़ा अधर्म कोई नहीं।
 
🕉 यही सनातन का धर्म है 
 
—न शास्त्र की सीमा में,न मंदिर की दीवार में,बल्कि जीवन के हर श्वास में।
 
🙏🌸 Agyat Agyani