वीर प्रताप सिंह थे तो आजाद, लेकिन फिर भी बंदी, या कहो कैदी, माया नगरी से निकलने की उनकी सारी कोशिशें नाकाम रही, वीर प्रताप सिंह काफी ज्यादा परेशान रहने लगे|
एक दिन नींद में वीर प्रताप सिंह ने देखा, कि चंद्र निशा की सेना ने प्रतापगढ़ पर हमला कर दिया है, वीर प्रताप सिंह को बंदी बनाकर जेल खाने में डाल दिया है, और रानी को भी भयानक यातनाएं दी जा रही है, और रुद्र प्रताप सिंह को एक तेजाब से भरे कुंड में एक छोटे से पत्थर पर बांध कर खड़ा कर दिया गया है, प्रतापगढ़ हर तरफ से काली शक्तियों से घिरा हुआ होता है|
और तभी वीर प्रताप देखते हैं, कि कहीं से 3 नौजवान सिपाही आते हैं, जो कि काफी बलवान होते हैं, वह तीनों बहुत ही जोश के साथ लड़ रहे होते हैं, और चंद्र निशा की सेना को नेस्तनाबूद करते जा रहे हैं, वीर प्रताप सिंह उन्हें पहचानने की कोशिश करते हैं, लेकिन तीनों को पहचान नहीं पाते, यह उनकी सेना के सिपाही नहीं होते हैं, न हीं उनके राज्य के कोई सिपाही होते हैं, लेकिन एक उम्मीद जरूर होते हैं|
एक नौजवान जो कि सुनहरे घोड़े पर सवार है, अपनी तलवारों से दुश्मनों के सर को उड़ा रहा है, उसका घोड़ा वायु की गति से दौड़ रहा है, दुश्मन उसे पकड़ने की कोशिश करते हैं, लेकिन छू भी नहीं पाते, इससे पहले ही नौजवान उनका सर धड़ से अलग कर देता है, और वायु की गति से निकल जाता है|
दूसरा नौजवान जो कि सफेद रंग के घोड़े पर सवार है, उसके पास धनुष और तरकस में गिनती के तीर होते हैं, लेकिन जैसे ही नौजवान धनुष पर तीर चढ़ाकर दुश्मनों पर छोड़ता है, तो उसके 1 ही तीर से सैकड़ों की तादात में तीर निकलते हैं, जिधर भी वो मुड जाता, उधर समझ लो मैदान साफ हो जाता है, दुश्मनों की लाश से मैदान ढक जाता ह|
तभी उन्होंने देखा कि चंद्रनिशा मैदान में आती है, भयानक रूप के साथ अपने मायावी शैतानों को आदेश देती है, और तभी आसमान में कोऔं और चमगादडौं ने उन पर एक साथ हमला किया, इस अचानक के हमले से दोनों नौजवान हड़बड़ा गए...........
और तभी मैदान में नीले घोड़े पर सवार तीसरा नौजवान आता है, पर यह क्या? यह तो लड़की है, लड़की ने एक अजीब सी आवाज आसमान की तरह मुंह उठाकर लगाई, और तभी आसमान से कोऔं और चमगाडौं के चिल्लाने की आवाज आने लगती है, और कोए और चमगादड़ एक-एक कर जमीन पर गिरने लगते हैं, कुछ ही पलों में सारी जमीन कोऔं और चमगादडौं से पट जाती है, चंद्रनिशा ने देखा आसमान में, गरुड़ और ना जाने कौन-कौन से प्राचीन पक्षी आसमान में मंडरा रहे होते हैं, और कोए और चमगादड़ को मार मार कर नीचे फेंक रहे होते हैं|
अब लड़की चंद्रनिशा के सामने होती है, और तभी वीर प्रताप देखते हैं, कि चंद्रनिशा अपने घुटनों पर बैठी हुई है, और लड़की की पर्शे नुमा तलवार चंद्र निशा की गर्दन पर है, तभी किसी आहट की वजह से वीर प्रताप सिंह की नींद टूट जाती है|
वीर प्रताप सिंह इधर-उधर देखते हैं, तो उनकी नजर सामने अपने बाज पवन पर पड़ती है, वीर प्रताप सिंह एक पत्र अपने बाज के गले में बांध कर के आसमान में उड़ा देते हैं, और आदेश देते हैं, कि किसी भी हालत में प्रतापगढ़ पहुंचे, और महाराज को यह पत्र देना, बाज उड जाता है, वीर प्रताप सिंह उस पत्र में अपने वहाँ फंसने की कहानी, चंद्र निशा की कहानी, और उसकी शर्तें, और अपना सपना, सब कुछ लिख कर भेजते हैं........
क्रमश:.......................