Miti ke bartan aur sone ka ghada in Hindi Motivational Stories by Mohammad Samir books and stories PDF | मिटी के बर्तन और सोने का घडा

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मिटी के बर्तन और सोने का घडा

मिट्टी के बर्तन और सोने का घड़ा
​एक बहुत ही पुराने और घने जंगल के पास एक छोटा सा गाँव था। इस गाँव में एक कुम्हार रहता था, जिसका नाम था रामू। रामू मिट्टी के सुंदर और मज़बूत बर्तन बनाने में माहिर था। उसके बनाए हुए बर्तन पूरे गाँव में पसंद किए जाते थे। वह अपनी कला से बहुत प्यार करता था और हर बर्तन को बहुत लगन से बनाता था।
​रामू के पड़ोस में एक दूसरा कुम्हार भी रहता था, जिसका नाम था श्यामू। श्यामू बहुत ही लालची और घमंडी था। वह हमेशा अमीर बनने के सपने देखता था। उसे मिट्टी के बर्तनों से कोई लगाव नहीं था, वह बस उन्हें बेचकर पैसा कमाना चाहता था।
​एक दिन, गाँव में एक व्यापारी आया। उसके पास सोने के कुछ बहुत ही सुंदर और चमचमाते घड़े थे। श्यामू ने उन घड़ों को देखा तो उसके मुँह में पानी आ गया। उसने सोचा, "ये सोने के घड़े कितने अच्छे हैं! मैं भी ऐसे ही अमीर बनूँगा।"
​श्यामू ने रामू से कहा, "देखो रामू, ये सोने के घड़े कितने कीमती हैं। तुम अभी भी इन मिट्टी के बर्तनों को बनाते हो। इनसे तुम्हें क्या मिलेगा? लोग सोने के घड़े खरीदते हैं, मिट्टी के नहीं।"
​रामू ने मुस्कुराते हुए कहा, "श्यामू, हर चीज़ की अपनी अहमियत होती है। सोने के घड़े अपनी जगह हैं और मिट्टी के बर्तन अपनी जगह। मिट्टी के बर्तन भले ही सस्ते हों, लेकिन वे रोज़मर्रा के जीवन में काम आते हैं। वे लोगों के घरों में खुशी लाते हैं।"
​श्यामू ने रामू की बात नहीं मानी। वह सोने के घड़ों की नकल करने लगा। उसने अपने बर्तनों पर सोने का रंग लगाना शुरू कर दिया, ताकि वे सोने के घड़ों जैसे दिखें। लेकिन अंदर से वे अभी भी मिट्टी के थे और उनकी क्वालिटी अच्छी नहीं थी।
​धीरे-धीरे गाँव के लोग श्यामू के नकली सोने के घड़ों से ऊब गए। वे जल्दी टूट जाते थे और उनकी चमक भी फीकी पड़ जाती थी। लोग समझ गए कि श्यामू उन्हें धोखा दे रहा है।
​कुछ समय बाद, गाँव में एक बड़ा उत्सव था। गाँव वालों को बहुत सारे बर्तनों की ज़रूरत थी। श्यामू के पास तो नकली सोने के घड़े थे जो किसी काम के नहीं थे। तब सब लोग रामू के पास गए।
​रामू ने खुशी-खुशी उन सबको मज़बूत और सुंदर मिट्टी के बर्तन दिए। उसके बर्तन कम कीमत पर अच्छे और टिकाऊ थे। लोगों ने रामू की बहुत तारीफ़ की और उसे बहुत दुआएँ दीं।
​श्यामू ने यह सब देखा तो उसे अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने देखा कि लोग रामू के बर्तनों को कितना पसंद कर रहे हैं और उसे कितना सम्मान दे रहे हैं। श्यामू को समझ आया कि सिर्फ़ बाहर से सुंदर दिखना या महंगा होना ही सब कुछ नहीं होता, असली चीज़ तो अंदर की गुणवत्ता और ईमानदारी होती है।
​उस दिन के बाद से, श्यामू ने अपना घमंड छोड़ दिया और रामू से मिट्टी के बर्तन बनाने की कला सीखने लगा। उसने ईमानदारी से काम करना शुरू किया और जल्द ही वह भी एक अच्छा कुम्हार बन गया।
​इस कहानी से क्या सबक मिलता है?
​यह कहानी हमें सिखाती है कि:
​सच्ची सुंदरता और मूल्य अंदर की गुणवत्ता में होता है, बाहरी दिखावे में नहीं।
​ईमानदारी और कड़ी मेहनत हमेशा रंग लाती है।
​हमें कभी भी अपनी कला या काम को छोटा नहीं समझना चाहिए, बल्कि उसे पूरे दिल से करना चाहिए।
​दिखावा और लालच हमेशा नुकसान पहुँचाते हैं, जबकि सच्चाई और समर्पण हमें सम्मान दिलाते हैं।