बूढ़े का बेटा (अंश) बचपन से ही कार्तिक का सबसे क़रीबी दोस्त था।
दोनों ने साथ खेला, साथ पढ़ाई की, और धीरे-धीरे कार्तिक के दिल में अनकहा प्यार पनपने लगा।
लेकिन जब अंश को बड़े लोगों के हाथों फँसाकर खत्म कर दिया गया,कार्तिक का प्यार और ग़म एक साथ बदले की आग में बदल गया।
अब बूढ़ा अपने बेटे के लिए पुलिस स्टेशन में न्याय की भीख माँग रहा है,
और दूसरी तरफ कार्तिक चुपचाप सब सुन रहा है।
हर बार जब पुलिस वाला बूढ़े को धक्का देता है, कार्तिक की मुट्ठियाँऔर कस जाती हैं।
वो सोचता है –
"अगर समाज ने अंश को छीन लिया है… तो अब समाज को उसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।"
रात गहरी हो चुकी थी।
पुलिस स्टेशन के बाहर बूढ़ा अब भी ठंडी ज़मीन पर घुटनों के बल बैठा था।
उसकी सूखी आँखों से आँसू नहीं, बस खालीपन टपक रहा था।
कार्तिक खड़ा यह सब देख रहा था।
उसके अंदर उबलता हुआ ग़ुस्सा और टूटते हुए दिल का दर्द मिलकर तूफ़ानबन गए थे।
वो बुदबुदाया—
“अंश… बचपन से तू ही मेरा सब कुछ था।
तेरे बिना मैं अधूरा हूँ…
और अब उन्होंने तुझसे मुझे छीन लिया है।
कसम है मुझे…
तेरे एक-एक आँसू का हिसाब लूँगा।
तेरी मौत बेकार नहीं जाएगी।”
उसने मुट्ठियाँ भींच लीं।
चेहरे पर आँसुओं और ग़ुस्से का मिला-जुला रंग था।
उस पल, मासूम कार्तिक मर चुका था—
और जन्म हुआ था बदले की आग में जलते हुए कार्तिक का।
“चलिए सर अब बहुत हो गया।
ये लोग आपको सिर्फ़ धक्का देंगे, इंसाफ़ नहीं।”
कार्तिक ने उसे उठाकर अपनी कार में बैठा लिया।
गोतम हैरानी से उसकी तरफ़ देखता रहा
कार्तिक की आँखों में आँसू थे, लेकिन होठों पर हल्की मुस्कान— बड़े ने कार्तिक को देखा और उसे गले लगा लिया ।
कार्तिक उसने कई सालों तक तुम्हारा इंतजार किया और एक दिन वो चला गया
और अब तुम आए हो ?
कार्तिक रोते हुए ये मेरी गलती थी ।
मुझे पहले आना चाहिए था ।
“मैं… अंश का दोस्त हूँ
बचपन से…ही हम……उसकी अपनी बात बीच में ही रोक दी।
वो चला गया।
और अब में उसका कर्ज़दार भी हूँ।
गोतम की सूखी आँखें अचानक भीग गईं।
उसने काँपते हाथों से अपनी झोली से एक पुरानी, फटी-सी डायरी निकाली।
“ये… अंश की आख़िरी निशानी है।
इसमें उसका दर्द है, उसके सपने हैं… और उसकी मौत की वजह भी।”
कार्तिक ने डायरी को ऐसे थामा जैसे उसने कोई हथियार पकड़ लिया हो।
उसकी उंगलियाँ काँप रही थीं, पर आँखों में आग जल रही थी।
वो बुड्ढे को अपने घर ले गया।
उसने डायरी खोलकर पढ़ना शुरू किया।
हर शब्द, हर पन्ना उसके दिल में नश्तर की तरह चुभ रहा था।
“आर्यन… उसके गंदे खेल… उसके दोस्त… और वो रात…”
था।
कार्तिक की सांसें भारी हो गईं।
उसने डायरी बंद की और गोतम के सामने वचन लिया—
“सर… अब आपकी आँखें और नहीं रोएँगी।
मैं कसम खाता हूँ… अंश के हर आँसू का हिसाब लूँगा।
आर्यन और उसके गुनहगार दोस्तों को उसी नर्क में घसीटूँगा…
जहाँ से लौटकर कोई नहीं आता।”
गोतम की थकी आँखों में पहली बार उम्मीद की चमक लौटी।
उसने कार्तिक का हाथ पकड़कर कहा—
“भगवान तुम्हें ताक़त दे बेटे… तुम ही मेरे अंश का सच्चा प्यार और साथी हो।”
बूढ़े के सो जाने के बाद कार्तिक अपने कमरे में लौटआया, ओर एक बार फिर से वो डायरी पढ़ने लगा
कमरे में अंधेरा था।
सिर्फ़ एक टेबल लैम्प की रोशनी जल रही थी।
टेबल पर पड़ी अंश की डायरी कार्तिक के हाथों में थी।
उसने काँपते हुए पन्ने पलटे।
हर पन्ना अंश के दर्द, उसके सपनों और उसकी मासूम चाहतों की गवाही दे रहा था।
अंश ने लिखा था—
"मैं हमेशा सोचता हूँ कि एक दिन मुझे भी इंसाफ मिलेगा…
पर कभी-कभी डर लगता है कि शायद मैं इस दुनिया में बहुत छोटा हूँ।"
ये पढ़ते ही कार्तिक की आँखें लाल हो गईं।
उसके अंदर से ग़ुस्से की ज्वालामुखी फूट रही थी।
उसका दिल धड़क नहीं रहा था, बल्कि गर्जना कर रहा था।
उसने जोर से डायरी बंद की और मेज़ पर पटक दी।
"आर्यन…", कार्तिक की आवाज़ ठंडी लेकिन काँपती हुई थी,
"तेरे टुकड़े-टुकड़े कर दूँगा।
तूने अंश की मासूमियत कुचली है…
अब तुझे मेरे जाल में फँसकर अपनी आखिरी साँस लेनी होगी।"
उसकी मुट्ठियाँ भींच गईं, नज़रें और सख़्त हो गईं।
उस पल कार्तिक सिर्फ़ इंसान नहीं रहा,
बल्कि इंसाफ का खून प्यासा साया बन चुका था।
उसने जल्दी से डायरी के सभी पन्ने पलटेशायद कहीं कुछ और लिखा हो।
पर उसमें और कुछ नहीं लिखा था।
कार्तिक का दिल निराशा में डूबा हुआ था।
उसने डायरी को मेज पर जोर से पटका और तभी एक मुढा हुआ छोटा सा पेज पुराने कवर के नीचे से निकल आया ।
कार्तिक ने जब उसे निकला तो ऐसा लगा जैसेअंश ने इसे सबसे छुपा कर रखा हो ।
मानो उसे डर हो कि ये पेज खो न जाए।
रात गहरी थी।
कार्तिक अपने कमरे में अकेला बैठा था।
सामने जलते लैंप की लौ में अंश की डायरी खुली थी।
हर पन्ना उसके हाथों को काँपने पर मजबूर कर रहा था।
उसके दिल की धड़कनें तेज़ होती जा रही थीं।
फिर आया आख़िरी पन्ना…
स्याही थोड़ी फैली हुई थी, जैसे लिखते वक्त अंश की आँखों से आँसू टपके हों।
> “कार्तिक… मुझे माफ़ करना।
मैं हमारा वादा नहीं निभा पाया।
मैंने हर रोज़ तुम्हारा इंतज़ार किया…
और तुम्हें प्यार किया…
जब तक कि मैं हार नहीं गया।”
कार्तिक की आँखों से आँसू बह निकले।
उसने डायरी को अपने सीने से लगा लिया, जैसे अंश की धड़कन अब भी उसमें छिपी हो।
उसका गला भर आया, लेकिन अगले ही पल उसकी आँखों में आँसुओं की जगह आग थी।
वो चीख उठा—
“नहीं अंश!
तुम्हारा कार्तिक कभी हार नहीं मानेगा।
तुम्हारा खून मिट्टी में नहीं मिलेगा।
मैं तुम्हारा अधूरा वादा पूरा करूँगा…
आर्यन को तुम्हारी आख़िरी सांस की क़ीमत चुकानी ही पड़ेगी।”
कार्तिक ने डायरी को धीरे से बंद किया।
अब उसके चेहरे पर आँसुओं की नमी नहीं थी…
बल्कि पत्थर जैसी ठंडक और नफरत का जुनून था।
कार्तिक की आँखें अभी भी अंश की डायरी पर टिकी थीं।
लिखी हुई लकीरों के बीच अचानक उसकी यादों का दरवाज़ा खुला…
और वो लौट गया अपने बचपन के उन दिनों में।
स्कूल का मैदान था।
छोटे-छोटे बच्चे यूनिफॉर्म पहने खेल रहे थे।
तभी उसकी नज़र पहली बार उस लड़के पर पड़ी—
अंश।
कंधे तक बिखरे बाल, आँखों में मासूम चमक, और होंठों पर हल्की मुस्कान।
वो अकेला खड़ा पतंग उड़ा रहा था।
कार्तिक का नन्हा सा दिल अचानक ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा।
जैसे कोई अंदर से उसके सीने पर दस्तक दे रहा हो।
"ये कौन है…? क्यों इतना अलग लगता है बाकी सब से?"
कार्तिक ने खुद से सोचा।
उस दिन से खेल का मैदान, क्लास की बेंच, टिफ़िन की ख़ुशबू—
सब कुछ अंश के बिना अधूरा लगने लगा।
कार्तिक ने पहली बार जाना था कि दिल किसी को देख कर भी पिघल सकता है।
कार्तिक उस वक़्त बस एक छोटा-सा बच्चा था।
लेकिन जब उसने पहली बार अंश को देखा,
उसके अंदर कुछ अजीब-सी हलचल हुई।
जैसे दिल अचानक तेज़ी से धड़कने लगाहो।
वो समझ नहीं पा रहा था कि ये क्या है,
पर एक चीज़ उसे साफ़ महसूस हुई—
“यही है… यही वो इंसान है जिसके लिए मैं जिऊँगा।
यही मेरी खुशी है, मेरा संसार है।“
उसकी नन्ही आँखों में चमक थी,
मानो उसने अपनी छोटी उम्र में ही प्यार का सबसे बड़ा राज़ खोज लिया हो।
उस दिन से अंश की मुस्कान उसके लिए सुबह की धूप जैसी बन गई,
उसकी बातें बारिश की बूंदों जैसी,
और उसका साथ… साँसों जैसा ज़रूरी।
कार्तिक के मासूम दिल ने उसी पल तयकर लिया था—
“ज़िंदगी चाहे कैसी भी हो… मैं सिर्फ़ अंश के लिए जीऊँगा।”
स्कूल की छुट्टी का आख़िरी दिन था।
शाम के धुंधलके में मैदान लगभग खाली हो चुका था।
बस दो बच्चे वहीं खड़े थे—
अंश और कार्तिक।
कार्तिक की आँखों में आँसू थे,
क्योंकि अगले दिन वो अपने माँ-बाप के साथ विदेश जा रहा था।
अंश ने मासूमियत से पूछा—
“तुम सच में चले जाओगे…? फिर मैं अकेला कैसे रहूँगा?”
कार्तिक ने उसका हाथ कसकर पकड़ लिया।
“नहीं अंश, तुम कभी अकेले नहीं रहोगे।
मैं वादा करता हूँ… एक दिन वापस ज़रूर आऊँगा, सिर्फ़ तुम्हारे लिए।”
अंश ने धीरे से मुस्कुराते हुए सिर हिलाया।
उस पल दोनों की नन्ही आँखों में प्यार का पहला बीज बोया गया।
विदाई के समय कार्तिक का दिल जैसे सीने से बाहर कूदना चाहता था।
जाते-जाते उसने पीछे मुड़कर आख़िरी बार अंश को देखा,
और मन ही मन दोहराया—
“मैं लौटूँगा… चाहे जैसा भी वक़्त हो,
चाहे कैसी भी मुश्किलें हों…
मैं लौटूँगा, सिर्फ़ तुम्हारे लिए।”
कार्तिक अकेले कमरे में बैठा था।
टेबल पर अंश की पुरानी डायरी खुली थी और उसके बगल में एक छोटा-सा फोटो रखा था —
वो फोटो उसी दिन का था जब उसने अंश से विदाई का वादा किया था।
कार्तिक की आँखों में आँसू चमक रहे थे।
उसने फोटो को छूते हुए धीरे से कहा—
“अंश… मैंने तुमसे वादा किया था कि लौटकर सिर्फ़ तुम्हारे लिए जीऊँगा।
लेकिन जब मैं लौटा…
तुम्हें छीन लिया गया मुझसे।”
उसकी आवाज़ काँप गई, पर अगले ही पल ग़ुस्से की लहर उसके अंदर दौड़ गई।
उसकी मुट्ठियाँ मेज़ पर जोर से लगीं।
“ये वादा अब भी अधूरा नहीं है।
अब मैं तुम्हारे लिए जीने नहीं…तुम्हारे लिए मरने और मारने आया हूँ।
तुम्हें इंसाफ दिलाकर ही मैं इस वादे को पूरा करूँगा।”
उसकी आँखों में नमी की जगह आग जल रही थी।
हर आँसू अब खून की कसम बन चुका था।
और उस कसम का नाम था — आर्यन।
कार्तिक अंधेरे कमरे में खड़ा था।
बाहर आसमान में बिजली चमक रही थी और खिड़की से आती रौशनी उसके चेहरे को और खतरनाक बना रही थी।
उसने अंश की फोटो हाथ में उठाई और दहाड़ते हुए कहा—
“सुन ले अंश…
मैं कसम खाता हूँ, जब तक मैं आर्यन और उसके उन हरामखोर गुंडे दोस्तों को नरक का दरवाज़ा नहीं दिखा देता…
तब तक मैं चैन से नहीं बैठूँगा।
उनका हर क़दम, हर साँस, हर रात मैंउनसे छीन लूँगा।
जैसे उन्होंने तुझसे तेरी ज़िंदगी छीनी थी।”
कार्तिक की आँखों में खून उतर आया।
उसकी साँसें भारी हो रही थीं, जैसेहर साँस एक ज्वालामुखी की आग उगल रही हो।
उसने फोटो को अपने सीने से लगाया और धीरे से फुसफुसाया—
“तुम्हारा ये भाई, तुम्हारा ये दोस्त, तुम्हारा ये… मोहब्बत करने वाला
अब तब तक चैन से नहीं बैठेगा…
जब तक तुम्हारे कातिल अपने ही खूनमें नहीं डूब जाते।”
अंधेरे कमरे में बैठा कार्तिक अचानक उठा।
उसकी आँखों में ठान लिया हुआ इरादाचमक रहा था।
उसने जेब से फोन निकाला और जल्दी से एक नंबर डायल किया।
कुछ सेकंड बाद उधर से आवाज़ आई—
“हैलो कार्तिक! इतने साल बाद कॉल?”
कार्तिक की आवाज़ ठंडी थी, जैसे बर्फ़ के पीछे छुपी आग—
“मुझे तुमसे एक काम चाहिए।
किसी भी कीमत पर… मुझे उसी यूनिवर्सिटी में एडमिशन चाहिए, जहाँ आर्यन पढ़ता है।”
दोस्त हैरान हो गया—
“क्या हुआ? अचानक क्यों?”
कार्तिक की मुट्ठियाँ कस गईं।
उसने धीरे-धीरे कहा—
“क्योंकि वहीं से मेरा खेल शुरू होगा।
वहीं मैं उन सबको बर्बाद करूँगा।
और सबसे पहले… आर्यन।”
फोन के दूसरी तरफ़ कुछ पल की खामोशी रही।
फिर दोस्त ने धीमे स्वर में जवाब दिया—
“ठीक है कार्तिक… तुम्हारा एडमिशन हो जाएगा।
पर ध्यान रखना… ये रास्ता आसान नहीं होगा।”
कार्तिक की आँखों में खतरनाक चमक आ गई।
“मुझे आसान रास्ते चाहिए ही नहीं…मुझे सिर्फ़ उनका खून चाहिए।”
सुबह की हल्की धूप यूनिवर्सिटी की सफ़ेद इमारतों पर पड़ रही थी।
कैंपस में हर तरफ़ छात्रों की भीड़ थी—कहीं हँसी, कहीं मस्ती, कहीं दोस्ती के रंग।
भीड़ के बीच से एक नई शख़्सियत धीरे-धीरे अंदर आई।
साफ़-सुथरे कपड़े, चेहरे पर आत्मविश्वास, आँखों में गहरी रहस्यमयी चमक।
वो था—कार्तिक।
हर क़दम पर उसके मन में बस एक ही ख्याल था—
“यहीं से शुरू होगा बदले का खेल।”
इसी बीच, कैंपस के बीचों बीच एक लड़का दोस्तों से घिरा खड़ा था।
हँसता हुआ, ऊँचे सुर में बातें करता,
जिसकी हर हरकत में अकड़ और रुतबा झलक रहा था।
वो था—आर्यन।
भीड़ में अचानक उसकी नज़र कार्तिक परपड़ी।
उसकी चाल, उसकी आँखों की गहराई… कुछ अलग थी।
आर्यन ने हल्की मुस्कान दी और अपने दोस्तों से कहा—
“देखो, नया शिकार आ गया।”
कार्तिक ने भी नज़रें उठाईं और आर्यन की आँखों से टकराईं।
क्षण भर के लिए दोनों के बीच एक अदृश्य टकराव हुआ।
कार्तिक की आँखों में छुपी आग और आर्यन की आँखों में खेल की चाह…
दोनों को एहसास हुआ कि उनकी राहें अब टकराने वाली हैं।
कैंपस में कदम रखते ही कई नज़रों ने कार्तिक को देखा।
वो वाक़ई भीड़ से अलग लगता था।
उसकी गोरी त्वचा बर्फ़ जैसी सफेद और नर्म थी,
जैसे किसी कलाकार ने उसे बड़ी बारीकी से तराशा हो।
उसकी आँखों में गहराई थी—
कभी मासूम लगतीं, तो कभी रहस्यमयी अंधेरे से भरी हुई।
उसकी हल्की सी मुस्कान भी किसी के दिल की धड़कन बढ़ा सकती थी।
स्टूडेंट्स आपस में फुसफुसाए बिना नहीं रह पाए—
“ये नया लड़का कौन है? इतना…खूबसूरत।”
आर्यन ने भी पहली बार गौर से देखा।
उसे लगा जैसे ये चेहरा सिर्फ़ खूबसूरती नहीं,
बल्कि किसी गुप्त राज़ और अजनबी खींचाव से भरा है।
पर उसे क्या पता था कि यही खूबसूरत चेहरा
उसकी ज़िंदगी का सबसे खतरनाक तूफ़ान बनने वाला है।
कैंपस की भीड़ के बीच जैसे ही कार्तिक ने कदम रखा,
सारी नज़रें अनायास उसी पर ठहर गईं।
उसकी आँखें आसमान जैसी गहरी और नीली थीं,
जिनमें मानो पूरा समंदर सिमटा हो।
एक ऐसी नज़र, जो देखने वाले को अपने अंदर खींच ले।
उसकी त्वचा बर्फ़ जैसी सफ़ेद और कोमल थी,
जिस पर हल्की धूप भी मोती की तरह चमक रही थी।
उसका शरीर पतला लेकिन सुदोल,
पतली कमर और चौड़े कंधे उसे और आकर्षक बना रहे थे।
जैसे किसी मूर्तिकार ने बड़े प्रेम से उसे गढ़ा हो।
उसकी चाल में आत्मविश्वास था,
और चेहरे पर हल्की मुस्कान—
जो किसी को भी पल भर में दीवाना बना दे।
स्टूडेंट्स फुसफुसाने लगे,
“इतना खूबसूरत लड़का… ये कौन है?”
आर्यन की नज़र भी ठहर गई।
उसने पहली बार महसूस किया कि ये नया चेहरा
सिर्फ़ खूबसूरती ही नहीं, बल्कि एक रहस्यमयी खिंचाव से भरा है।
पर आर्यन ये नहीं जानता था—
कि यही चेहरा उसके विनाश की कहानी लिखने वाला है।
यूनिवर्सिटी कैंटीन में हमेशा की तरह शोरगुल था।
आर्यन अपने दोस्तों के साथ बैठा था
और कार्तिक को कैसे अपने जल में फसाया जाए इसकी बारे में बाते कर रहा था ।
उसका एक दोस्त बोला अरे आर्यन" एक और बकरा आ गया।
दूसरा बोला भाई तुम्हारा तो किस्मत में तो सारे कहा कि सुंदरी की जगा है।
यार एक दो हमारे लिए भी छोड़ दो।
ठीक है पर ये सुंदरता सिर्फ मेरी है ।
अगली बार तुम रख लेना।
तभी दूर से कार्तिक दिखाई दिया।
और केसी कहा लो आ रही है तुम्हारी सुंदरता।
सब लोग फिर से हसने लगे।
उसकी मेज़ के चारों ओर पूरा कैंपस मानो उसकी चापलूसी में लगा हो।
तभी दरवाज़े से कार्तिक दाख़िल हुआ।
उसकी नीली आँखें पूरे हॉल को एक झलक में नाप गईं,
और फिर सीधी जाकर ठहर गईं आर्यन पर।
वो मुस्कुराया…
एक ऐसी मुस्कान, जिसमें छिपा था जहर।
आर्यन के दोस्त ने फुसफुसाया ,
यार ये तो सीधा हलाल होने आगया।
धीरे-धीरे चलता हुआ कार्तिक आर्यन की टेबल तक पहुँचा।
उसकी चाल में न कोई झिझक थी, न डर—बस किंग जैसा कॉन्फिडेंस।
“Hi… आर्यन, right?”
कार्तिक ने हाथ बढ़ाया।
आर्यन ने उसे ऊपर से नीचे तक देखा।
इतना खूबसूरत लड़का उसने शायद ही कभी देखा हो।
थोड़ा प्रभावित होकर भी, उसने अपनी अकड़ बरकरार रखी।
“हाँ, I’m Aryan. But… तुम नए हो न यहाँ?”
कार्तिक की आँखों में हल्की शरारत चमकी।
“हाँ… नया हूँ।
लेकिन सुना है यहाँके King तुम हो।”
वो जानबूझकर King शब्द पर ज़ोर देता है।
आर्यन हँस पड़ा,
“तुमने सही सुना।”
कार्तिक झुका, जैसे मज़ाक में झूठी इज़्ज़त दे रहा हो—
“तो फिर… मुझे भी तुम्हारे kingdomमें जगह दे दो।”
आर्यन थोड़ी देर उसके चेहरे को देखता रहा।
वो खूबसूरत मुस्कान, वो नीली आँखें…
कुछ तो ऐसा था ।
जिसने उसे खतरनाक तरीके से आकर्षित कर लिया।
उसने अपने बगल की सीट पर इशारा किया—
“बैठो… Welcome to my kingdom.”
Kartik Aryan ke bagal me बैठ गया ।
उसके बाद उसने सभी को अपना परिचय दिया ।
होलो दोस्तो मेरा नाम kartik है ।
Kartik रॉय "
USA से आया हूँ।
सभी ने कार्तिक से , हाथ मिलाया और अपना अपना परिचय दिया।
लास्ट में अब आर्यन की बारी थी ।
जब उसने कार्तिक से हाथ मिलाया ।
उस पल उसके दिल की धड़कन जोर से धड़कने लगा।
नमस्कार दोस्तों आगे क्या होगा क्या आर्यन उसके जाल में फसेगा
या फिर कार्तिक उसने अगला सीकर बन जाएगा
जानने के लिए देखते है आज्ञा एपीसोड
🙏🙏🙏