(कहानी में दो साल बाद प्रिया भीम रियल एस्टेट में असफल साबित हो रही है। तभी कुणाल उसके जीवन में फिर लौट आता है, अब कंपनी का ट्रेनर बनकर। प्रिया उससे बचना चाहती है, पर कुणाल अपनी साजिशों से उसे घेरता है और यहाँ तक कि कंपनी खरीदने का खेल शुरू करता है। घर लौटकर प्रिया अपने परिवार की टूटी हालत देखती है और ठान लेती है कि इस बार वह उन्हें बचाएगी। पुराने रिश्ते की अंगूठी लौटाने का निश्चय करती है, पर तभी उसे तमन्ना का कॉल आता है कि कुछ बड़ी गड़बड़ हो गई है। कहानी नए रहस्य और संघर्ष की ओर बढ़ती है। अब आगे)
ट्रैनिंग या ट्रेप
प्रिया, तेज़ कदमों से ऑफिस में दाखिल होती है।
स्टाफ की निगाहें उसी पर हैं। हर कोई फुसफुसा रहा है।
"प्रिया डोगरा यही है?"
"जिसका नाम बाहर बोर्ड पर लगा है?"
प्रिया अनजान है…
उसने जैसे ही केबिन की ओर देखा — बोर्ड चमक रहा था:
"प्रिया डोगरा – हेड, प्लानिंग & स्ट्रैटेजी"
तमन्ना भागकर आई "तुझे यह सब पता था?"
प्रिया: "नहीं!" (हैरान, गुस्से में, उलझन में…)
......
सीधा दोनों पहुँचती हैं — कुणाल के केबिन में।
अंदर कुणाल और मिस्टर सक्सेना बात कर रहे होते हैं।
प्रिया लगभग चीख ही पड़ती कि… मिस्टर सक्सेना का चौंकाने वाला रिएक्शन — "अरे! भाभी! आप कैसी हैं?"
📍 ऑफिस में सन्नाटा!
कुणाल ने हँसते हुए बात संभाली —"शायद मिस डोगरा की शक्ल मेरी मंगेतर से मिलती है।"
तमन्ना: "और बाहर जो नाम लिखा है, वो भी तो प्रिया डोगरा है।"
कुणाल: (मुस्कुराकर) "मेरी मंगेतर का नाम भी यही है।"
तमन्ना (हैरान): "तो वो इस ऑफिस की…"
कुणाल: "Owner है।"
तमन्ना:"क्या मैं उनकी फोटो देख सकती हूं?"
सक्सेना: "हां, हां, क्यों नहीं! लैपटॉप में है…"
📍 कुणाल ने अपने माथे पर हाथ मारा, जैसे कह रहा हो – ‘गया काम से!’
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तमन्ना लैपटॉप की ओर बढ़ी…तभी प्रिया ने एक जोरदार किक उसके बम्ब पर मारी। भागकर दूर खड़ी हो गयी । कुणाल बुरी तरह घबराकर कुर्सी से खड़ा हो खिड़की की ओर भागकर दूर खड़ा हो गया।
तमन्ना लड़खड़ाकर पीछे मुड़ी और… चांटा पड़ गया – मिस्टर सक्सेना के गाल पर!
तमन्ना (गुस्से में):"बदतमीज़!" और वह बाहर चली गई।
प्रिया ने मुस्कुराते हुए मिस्टर सक्सेना से कहा:"और अगर दोबारा मुझे 'भाभी' कहा न… तो पूरे स्टाफ से पिटवाऊंगी!"
(पास की कुर्सी को घुमाते हुए रॉयल अंदाज़ में बाहर निकल जाती है)
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कुणाल खिड़की के पास खड़ा, हँस रहा है। "अभी तक नहीं बदली तुम, प्रिया…"
मिस्टर सक्सेना: "पर भाभी… सॉरी… मिस डोगरा ने ऐसा किया क्यों?"
कुणाल ने गुस्से से घूरा। मिस्टर सक्सेना ने डरते हुए कहा "भ....भाभी ने"
कुणाल (हँसते हुए):"घायल शेरनी और बौखलाई प्रेमिका —ये दोनों किसी के भी लिए खतरा बन जाती हैं।"
सक्सेना:"आपकी प्रेमिका मेरे लिए परमाणु बम है सर!"---
(सीन एंड… लेकिन कहानी अब तेज मोड़ लेने वाली है)
....
प्रिया अंदर गई और टेबल पर अपना इस्तीफ़ा रख दिया।
कुणाल ने बिना देखे मिस्टर सक्सेना की ओर इशारा किया।
सक्सेना ने फ़ाइल उठाई और मुस्कुराते हुए बोला —
"सॉरी, मिस डोगरा। आप इस्तीफ़ा नहीं दे सकतीं। कल ही तो आपने कॉन्ट्रैक्ट साइन किया है। अगर काम छोड़ा, तो पचास लाख का जुर्माना लगेगा।"
प्रिया सन्न रह गई। "क्या?" उसकी नज़र सीधी कुणाल पर जमी थी।
सक्सेना ने ठंडी आवाज़ में जोड़ा —"कंपनी आपकी ट्रेनिंग पर इन्वेस्ट कर रही है।"
प्रिया तिलमिलाई — "पर ट्रेनिंग तो अभी शुरू भी नहीं हुई!"
कुणाल ने चेयर से उठते हुए कहा —"गलत, मिस डोगरा। ट्रेनिंग अब शुरू होगी। और हाँ, आप अटेंड करेंगी।"
प्रिया ने गुस्से से दरवाज़ा धक्का मारा और बाहर चली गई।
बोर्ड पर "प्रिया डोगरा – हेड, प्लानिंग & स्ट्रैटेजी" चमक रहा था। उसने चेहरा घुमा लिया… मानो अपनी ही पहचान से भाग रही हो।
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कुछ देर बाद — मीटिंग रूम।
कुणाल स्टेज पर खड़ा था।
स्लाइड्स स्क्रीन पर चल रही थीं और उसकी आवाज़ पूरे हॉल को थामे हुए थी।
प्रिया चाहकर भी अनसुना न कर सकी।
उसकी हर बात में आत्मविश्वास, हर उदाहरण में अनुभव और हर लाइन में जादू था।
लोग ताली बजा रहे थे, सिर हिला रहे थे — और अनजाने में प्रिया भी उसमें खोती जा रही थी।
उसने अनजाने में हाथ उठा दिया — "ये पॉइंट… एक बार फिर से—"
फिर खुद को सँभालते हुए हाथ नीचे कर लिया।
कुणाल मुस्कुराया।"ज़रूर।"
और उसकी तरफ देखते हुए वही पॉइंट फिर से समझाने लगा।
मीटिंग तालियों से गूंज उठी।
सब लोग रीफ्रेशमेंट की ओर बढ़े।
प्रिया चुपचाप खड़ी थी —
उसका दिल मानने को तैयार नहीं था, पर दिमाग बार-बार कह रहा था —
"यह वही आदमी है, जिसने सब कुछ बर्बाद किया… और वही आदमी, जिससे नज़रें हट नहीं रहीं।"
.....
कुणाल के केबिन में प्रिया और तमन्ना बैठी थीं।
कुणाल ने ठंडी आवाज़ में पूछा —"मिस तमन्ना खन्ना! आपने मीटिंग के मिनट्स लिखे?"
तमन्ना ने तुरंत फाइल आगे बढ़ा दी।
कुणाल ने तेज़ी से पन्ने पलटे और बोला —"कुछ पॉइंट्स हटाइए, और ये तीन ऐड कीजिए।" तमन्ना सिर हिलाकर बाहर निकल गई।
दरवाज़ा बंद होते ही कुणाल ने चेहरा प्रिया की ओर घुमाया।
"मिस डोगरा, आपको खुराना होम्स प्रोजेक्ट की सारी डिटेल्स कल तक चाहिए। यह पूरी लिस्ट है—" (फाइल आगे बढ़ाते हुए)
"…उम्मीद है, आप इसे संभाल लेंगी।"
प्रिया ने बस एक ठंडी नज़र डाली, फाइल उठाई और बिना कुछ कहे बाहर निकल गई।
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जैसे ही प्रिया गई, मिस्टर सक्सेना के चेहरे पर शरारती मुस्कान आई।
"सर! आप ठीक तो हैं न? भाभी से इतनी फ़ॉर्मल बातें?"
कुणाल हँस पड़ा, लेकिन आँखों में एक अजीब दर्द तैर गया।
"इंडिया का सबसे सक्सेसफुल बिज़नेस टायकून… किसी लड़की से मार खाते अच्छा नहीं लगता, मिस्टर सक्सेना।"
सक्सेना का चेहरा उतर गया। "सर… याद दिलाना जरूरी था क्या?"
कुणाल खामोश हो गया। उसने खिड़की का पर्दा हटाया।
सामने दिखा — प्रिया, झुकी हुई, फाइलों में डूबी हुई।
उसकी आँखों में थकान थी, लेकिन मेहनत में कोई कमी नहीं।
तभीविनोद प्रिया के पास आया। बस उसके आते ही प्रिया का चेहरा खिल उठा।
उसने फाइल साइड में रख दी और हँसते हुए तमन्ना और विनोद के साथ बाहर निकल गई।
दरवाज़े से गुजरते वक्त उसकी नज़र उस चेंबर पर पड़ी जहाँ बोर्ड चमक रहा था: "प्रिया डोगरा – हेड, प्लानिंग & स्ट्रैटेजी"
लेकिन वह बिना पलक झपकाए आगे बढ़ गई।
मानो उस नाम से, उस बोर्ड से, और उस पहचान से उसे कोई फर्क ही न पड़ता हो।
.....
1. पचास लाख का कॉन्ट्रैक्ट — क्या यह सिर्फ़ एक काग़ज़ी जाल है या कुणाल की असली चाल?
2. मुस्कुराहट में छिपा दर्द — क्या कुणाल अभी भी प्रिया से प्यार करता है या उसकी बर्बादी चाहता है?
3. प्रिया का अगला क़दम — क्या वह रिश्तों का हिसाब चुुकाएगी या खेल की असली बाज़ी पलट देगी?
जानने के लिए पढ़ते रहिए "ओ मेरे हमसफ़र"