trust yourself more than anyone else in Hindi Motivational Stories by Varsha writer books and stories PDF | अपनों से ज्यादा खुद पर भरोसा करो.

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अपनों से ज्यादा खुद पर भरोसा करो.

गांव के एक छोटे से मोहल्ले में अंजलि नाम की लड़की रहती थी। अंजलि बचपन से ही अपने माता-पिता की इकलौती बेटी थी। उसके माता-पिता चाहते थे कि उनकी बेटी जीवन में सुरक्षित और खुश रहे। अंजलि भी अपने परिवार के लिए सब कुछ करने को तैयार रहती थी। लेकिन जैसे-जैसे वह बड़ी हुई, उसे एहसास हुआ कि जीवन में सिर्फ परिवार का भरोसा ही काफी नहीं होता, बल्कि खुद पर भरोसा करना भी उतना ही जरूरी है।

अंजलि का सपना था कि वह एक बड़ी लेखिका बने। वह हमेशा अपने विचारों को लिखती और अपने लेखन के प्रति बहुत जुनूनी थी। लेकिन उसके घरवाले उसके सपनों को लेकर उत्साहित नहीं थे। उसके पिता कहते, “बेटी, लेखिका बनने में क्या रखा है? पहले कोई अच्छी नौकरी ढूँढो, फिर सोचो लिखने के बारे में।” माँ भी कहती, “अंजलि, सब अपने अपने काम से व्यस्त हैं। किस पर भरोसा करोगी? तुम्हारा ख्याल रखना सबसे बेहतर है।”

अंजलि ने उनके शब्दों को माना और अपने सपनों को थोड़े समय के लिए किनारे रख दिया। उसने एक बड़ी कंपनी में नौकरी के लिए तैयारी शुरू की। लेकिन उसके दिल में हमेशा लेखन का आगाज जलता रहा।

एक दिन, उसके कॉलेज का मित्र आदित्य उससे मिलने आया। आदित्य ने उसे प्रेरित किया, “अंजलि, तुम्हारे पास टैलेंट है। अगर तुम लिखना छोड़ दोगी, तो ये मौका कभी वापस नहीं आएगा। भरोसा करना सीखो खुद पर, अपनों के डर से मत रोकना।”

आदित्य की बातों ने अंजलि के दिल में हलचल मचा दी। वह रात भर नहीं सो पाई। उसके मन में सवाल उठने लगे—“क्या मैं सच में अपने माता-पिता की उम्मीदों में फंसकर अपने सपने को छोड़ दूँ? क्या मैं खुद पर भरोसा कर पाऊँगी?”

अंजलि ने फैसला किया कि वह अपने सपनों का पीछा करेगी, भले ही अपनों का समर्थन न मिले। उसने अपने घरवालों को धीरे-धीरे समझाना शुरू किया। उसने उन्हें दिखाया कि वह पढ़ाई और नौकरी की तैयारी भी कर रही है, लेकिन लेखन उसके लिए उतना ही महत्वपूर्ण है।

कुछ महीने बाद, अंजलि ने एक कहानी प्रतियोगिता में भाग लिया। प्रतियोगिता के नियम बहुत सख्त थे और बहुत सारे प्रतिभागी थे। कई लोग उसे हतोत्साहित कर रहे थे। उनके कहने का मतलब था, “तुम ये नहीं कर सकती। तुम्हारे जैसे छोटे गाँव की लड़की के लिए ये मुश्किल है।”

अंजलि ने हर शब्द सुना लेकिन अपने आप पर भरोसा बनाए रखा। उसने रात-दिन मेहनत की, अपनी कहानी बार-बार सुधारी और अपनी आवाज़ में सच्चाई डाली।

प्रतियोगिता के दिन, अंजलि ने अपनी कहानी मंच पर पढ़ी। कहानी सुनने वाले सभी लोग भावुक हो गए। जजों ने उसकी कला और मेहनत की जमकर तारीफ की। और वही दिन था जब अंजलि ने पहला पुरस्कार जीता।

अंजलि की जीत ने उसके माता-पिता को भी सोचने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने महसूस किया कि केवल भरोसा देना ही काफी नहीं, बल्कि कभी-कभी अपने बच्चे को खुद पर भरोसा करने का अवसर देना भी जरूरी होता है। उनके चेहरे पर गर्व और खुशी साफ झलक रही थी।

उस दिन अंजलि ने अपने जीवन का सबसे बड़ा सबक सीखा—अपनों से ज्यादा भरोसा खुद पर करना जरूरी है। अपनों का प्यार महत्वपूर्ण है, लेकिन जीवन की राह में सबसे बड़ा साथी हम स्वयं होते हैं।

समय बीतता गया। अंजलि अब एक प्रसिद्ध लेखिका बन गई। उसके लेख कई पत्रिकाओं और वेबसाइटों में छपने लगे। उसने अपने जीवन की सच्चाई को दूसरों के सामने लाया कि अगर व्यक्ति खुद पर भरोसा करे, तो दुनिया की कोई ताकत उसे रोक नहीं सकती।

अंजलि की कहानी यह भी सिखाती है कि जब हम अपने आप पर विश्वास करते हैं, तो हम डर, हतोत्साह और असफलताओं को भी मात दे सकते हैं। अपनों का मार्गदर्शन और समर्थन ज़रूरी है, लेकिन अपने सपनों की उड़ान भरने के लिए खुद की शक्ति और भरोसा सबसे बड़ा हथिार होता है।

अंजलि अक्सर अपने लेखों में लिखती, “जिंदगी में अपनों की राय से ज्यादा, अपने दिल और दिमाग पर भरोसा करो। क्योंकि अंततः वही तुम्हें तुम्हारे मंज़िल तक पहुँचाएगा।”

उसने अपने जीवन में साबित कर दिया कि खुद पर भरोसा, अपनों के भरोसे से भी मजबूत होता है।

और इस तरह, अंजलि ने यह संदेश हर युवा को दिया कि अपनों के कहने से डरना नहीं, बल्कि अपने आप को आज़माना और खुद पर विश्वास रखना ही सफलता की कुंजी है।