"इतना बोलकर जानवी फोन काट देती है । अशोक ये सब सुनकर हैरान था । जिस बेटी को उसने इतना प्यार से पाला । आज उसी बेटी ने उसो छोड़ने का फैसला कर लिया । अशोक ये सब सौच ही रहा था के तभी विकास कहता है ।"
विकास: - दैखा ना ससुर जी । आप खामखां मुझे दोष दे रहे थे । मैं कहां कुछ करता हूँ । जो करती है आपकी बेटी करती है ।
अब घर जाओ और हो सके तो उसे रोक लेना । वरना मैं तो आज चला ।
इतना बोलकर विकास उन लड़कियो के साथ अंदर चला जाता है । अशोक इस सदमे को बर्दाश्त नही कर पाता है और धिरे धिरे गहरी गम मे अपनी कार मे बैठता है । अशोक के कार मे बैठने से उसे अचानक सिने मे तेज दर्द महसुस होता है ।
अशोक कार को स्टार्ट करता है और घर की और जाने लगता है । पसीने से अशोक का पुरा शरीर भिंग चुका था । तभी सिने का दर्द और तेज हो जाता है और चलती कार मे ही बोहोश हो जाता है । अशोक की कार उधर से आ रहे आदित्य की बाईक से टकरा जाता है । जिससे आदित्य को बहोत चोंट लगती है ।
आदित्य की बाईक और अशोक के कार की टक्कर होने से अशोक वही पर बेहोश हो जाता है । आदित्य गुस्से से उठता है , आदित्य हाथ और माथे से खुन बह रहा था । आदित्य अपने माथे पर हाथ रखता है और गुस्से से लड़खड़ाते हूए अशोक की और बड़ता है ।
आदित्य :- साले अंधा है क्या रे ? तेरी तो मैं ।
आदित्य इतना बोलकर कार की और बड़ता है तो वो दैखता है के अशोक कार मे बेहोश होके है । अशोक को दैखकर आदित्य कार की गेट को खोलता है और अशोक को कार से बाहर निकालता है ।
आदित्य: - सर । सुनिये सर । आप ठिक हो । आप कौन हो ? आप मुझे सुन पा रहे हो ?
आदित्य की बात को सुनकर अशोक कुछ पल के लिए अपनी आंखे खोलता है और फिर बेहोश हो जाता है ।
आदित्य जल्दी से अशोक को उसकी कार मे बैठाता है और उसे हॉस्पिटल की और लेकर चला जाता है । आदित्य हॉस्पिटल मे अशोक को एडमिट कर देता है । डॉक्टर अशोक को दैखकर पहचान जाता है के ये शहर के जाने माने रईस है । कुछ दैर बाद डॉक्टर अशोक का इलाज करके निकल जाता है । आदित्य का भी सर पर र हाथ पट्टी लगी होती है । आदित्य डॉक्टर के पास जाता है और उनसे पूछता है ।
आदित्य: - डॉक्टर । अब वो कैसे है ?
डॉक्टर: - वो अभी खतरे से बाहर है । पर ये बताओ तुम्हें वो कहां पर मिले ।
आदित्य: - वो इन्होने मेरे बाईक को टक्कर मार दी थी । मैने जब दैखा तो ये कार मे बेहोश थे । इन्हें क्या हूआ था डॉक्टर ?
डॉक्टर: - इन्हे हार्टअटैक आया था । अच्छा हुआ तुम इन्हें सही समय पर लेकर आए । वरना इन्हें हम बचा नही पाते ।
आदित्य: - सर यहां की फिस क्या हूई होगी । वो मैं अपना ट्रीटमेंट करा रहा था इसिलिए जमा नही कर पाया । पर मैं अभी करके आता हूँ ।
इतना बोलकर आदित्य जाने लगता है । तभी डॉक्टर आदित्य को रोकते हूए कहता है ।
डॉक्टर: - रुको । इधर आओ । क्या तुम जानते हो के ये कौन है ?
आदित्य: - नही । मैं इन्हें नही जानता हूँ । पर इनकी कार दैखकर लगता है के ये शहर के बड़े आदमी होंगे ।
डॉक्टर: - सही सौचा तुमने । ये है इस शहर के सबसे बड़े आदमी अशोक मुखर्जी । तुम्हें इनकी फिस देने की जरुरत नही है । मैं इनसे खुद ले लूगां । इसी बहाने से इनसे दो बाते भी हो जाएगी ।
आदित्य और डॉक्टर की पुरी बात अशोक बड़े गौर से सुव रहा था । अशोक आदित्य की बात से बहोत इंप्रेस हो जाता है ।
तभी अशोक अंदर से बेल बजाता है । जिससे बाहर खड़े डॉक्टर तुरंत अंदर चला जाता है । डॉक्टर और अशोक काफी दैर तक बात करते है । आदित्य अभी भी बाहर खड़ा था । तभी डॉक्टर बाहर आते है और आदित्य को अंदर बुलाता है ।
डॉक्टर: - तुम्हें अशोक सर बुला रहे है ।
डॉक्टर की बात सुनकर आदित्य अदर चला जाता है । आदित्य धिरे धिरे अशोक पास जाकर खड़ा हो जाता है । अशोक आदित्य के चेहरे को दैखता है , इतनी चोंट लगने के वाबजूद भी आदित्य अशोक के सामने एक हल्की मुस्कान के साथ खड़ा था । अशोक आदित्य को बड़े गौर से दैख रहा था । उसे लग रहा था जैसै उसने आदित्य को पहले भी कही दैखा था ।
अशोक जानता था के आदित्य को चोट उसकी वजह से ही लगी है । फिर भी आदित्य के चेहरे पर मुस्कान को दैखकर अशोक हैरान था । आदित्य के चेहरे पर ना ही अशोक के लिए गुस्सा था और ना ही कोई सवाल । अशोक आदित्य को पास मे रखे कुर्सी पर बैठने को कहा । आदित्य वहां पर बैठ जाता है ।
अशोक :- तुम्हारा बहोत बहोत धन्यवाद बेटा , जो तुमने मुझे यहां पर सही वक्त पर लेकर आए । और बेटा मुझे माफ कर देना , मेरी वजह से तुम्हें इतनी चोटें आई और फिर भी तुमने मुझे यहां पर लेकर आए ।
आदित्य: - आप कैसी बात कर रहे हो अंकल । आपने मुझे जान बूझकर तो टक्कर नही मारी थी ना । डॉक्टर ने बताया मुझे के आप को दिल का दौरा पड़ा और आप कार मे ही बेहोस हो गए थे ।
अशोक :- तुम ठिक तो हो ना बेटा ?
आदित्य: - मैं बिलकुल ठिक हूँ । आप मेरी चिंता ना करे ।
अशोक :- तुम्हारा नाम क्या है बेटा ! और तुम क्या करते हो ?
आदित्य: - मेरा नाम आदित्य तिवारी है अंकल । और मैं एक सॉफ्टवेयर कंपनी मे काम रहा हूँ । पर अंकल आपको अचानक से ये दिल का दौरा कैसे पड़ गया ?
अशोक एक गहरी सांस लेता है और सारी बात बोलकर सुनाता है । फिर अशोक आदित्य से पूछता है ।
अशोक :- और तुम बताओ , तुम कहां जा रहे थे ?
आदित्य: - मैं कहां जाउगां सर । मेरी भी कहानी कुछ आपकी तरह ही है ।
आदित्य भी अपनी कहानी अशोक को कहकर सुनाता है ।
आदित्य: - बस सर मैं वही जा रहा था । सौचा एक बार उसके फेमिली वालो से बात कर लू । पर तभी आपके साथ टक्कर हो गई ।
अशोक :- तुम उसे भगा कर भी ले जा सकते हो !
आदित्य: - नही सर । अगर मैं उसे भगाकर लेकर गया तो गलत होगा । इसमे उसकी फेमिली की बदनामी होगी । उसके माँ बाप का मुझसे पहले मोनिका पर हक है । और मैं ये हक उनसे छिनना नही चाहता । इसिलिए मैं उनसे मिलने जा रहा था ।
आदित्य की बात को सुनकर अशोक बहोत खुश हो जाता है ।
तभी वहां पर जानवी भागती हूई आती है ।