Diware Todti Mohabbat - 10 in Hindi Love Stories by ADITYA RAJ RAI books and stories PDF | दीवारें तोड़ती मोहब्बत - 10

Featured Books
Categories
Share

दीवारें तोड़ती मोहब्बत - 10

भाग 10: फ़ैमिली होम का रहस्य और माली का सच 

अगले दिन सुबह, अनायरा वीर के 'फ़ैमिली होम' प्रोजेक्ट की साइट पर जाने के लिए निकल पड़ी। वीर ने उसे सिर्फ़ एक पता और चाबी दी थी, साथ ही यह निर्देश भी कि वह शाम तक साइट का 'माहौल' समझकर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करे।

यह जगह शहर की भागमभाग से बहुत दूर, हरी-भरी पहाड़ियों के किनारे थी। जहाँ वीर कंस्ट्रक्शन के दूसरे प्रोजेक्ट्स कांच और स्टील से बने थे, वहीं यह साइट बेहद शांत, प्राकृतिक और निजी थी। वहाँ केवल नींव रखी गई थी और एक छोटा-सा पुराना फार्महाउस जैसा ढाँचा खड़ा था।
ड्राइवर के जाने के बाद, अनायरा अकेली रह गई।

उसने चारों तरफ़ देखा। हवा में मिट्टी और ताज़ी घास की महक थी। यहाँ वीर का अहंकार और पॉवर दूर-दूर तक नहीं था। यह जगह शांति की कहानी कह रही थी, जो वीर की शख्सियत से मेल नहीं खाती थी।

तभी, अनायरा को पुराने फार्महाउस के पीछे किसी की हलचल सुनाई दी। वहाँ एक बुजुर्ग व्यक्ति थे, जो शांति से गुलाब के पौधों की छंटाई कर रहे थे। उनके चेहरे पर ज़िंदगी का अनुभव और एक गहरी सादगी थी।

अनायरा ने हिम्मत करके उनके पास जाकर नमस्ते किया। "नमस्ते दादाजी। मैं अनायरा हूँ, वीर की डिज़ाइनर। क्या आप यहाँ देखभाल करते हैं?"
बुजुर्ग व्यक्ति ने मुस्कुराते हुए अपना नाम गंगाधर बताया। "बेटी, मैं यहाँ सिर्फ़ देखभाल नहीं करता। यह घर... यह ज़मीन, वीर के दिल के सबसे क़रीब है। मैं यहाँ तब से हूँ, जब वीर इतना बड़ा भी नहीं था।"

गंगाधर की बातों में अपनापन था, जो अनायरा को वीर के ऑफिस के माहौल में कभी नहीं मिला। अनायरा को लगा कि यही वह आदमी है जो वीर के अतीत की दीवारों के बारे में जान सकता है।
"यह घर इतना निजी क्यों है?" अनायरा ने धीरे से पूछा। "वीर यहाँ क्या बनाना चाहते हैं? वह कभी इसका ज़िक्र नहीं करते।"

गंगाधर ने गुलाब के पौधे पर आखिरी कट लगाया, और एक गहरी साँस ली। "यह घर वीर के सपनों का घर नहीं है, बेटी। यह रिया का सपना था।"
रिया! वही नाम जो प्रिया ने चेतावनी भरे लहजे में लिया था।
"रिया कौन थी, दादाजी?" अनायरा ने उत्सुकता से पूछा।

गंगाधर की आँखें नम हो गईं। "रिया, वीर की मंगेतर थी। उनकी जान थी। दोनों एक-दूसरे से बहुत प्यार करते थे। यह ज़मीन और यह फार्महाउस दोनों ने मिलकर ख़रीदा था। वे यहाँ शहर के शोर से दूर, अपनी दुनिया बनाना चाहते थे।"

गंगाधर ने एक टूटी हुई लकड़ी की बाड़ की तरफ़ इशारा किया। "यह सब रिया के विचारों से ही शुरू हुआ था। वह चाहती थी कि घर के चारों तरफ़ सिर्फ़ गुलाब हों। उसे यह जगह आज़ादी देती थी, जो वीर के अमीर बाप के घर में नहीं मिलती थी।"
"फिर क्या हुआ?" अनायरा ने दबी हुई साँस में पूछा।

"शादी से बस एक हफ़्ता पहले," गंगाधर की आवाज़ भर्रा गई, "एक भयंकर सड़क दुर्घटना में रिया चली गई। वह वीर को फ़ोन कर रही थी, और उसी फ़ोन पर बात करते हुए उसका एक्सीडेंट हो गया।"

अनायरा के रोंगटे खड़े हो गए। अब उसे वीर के व्यवहार का मतलब समझ आने लगा था—उसका हर चीज़ को नियंत्रित करने का जुनून, उसका फ़ोन कॉल्स को लेकर कठोर होना, और उस छिपाई हुई तस्वीर पर उसका अचानक क्रोध। वीर अपनी सबसे बड़ी हार—उस नियंत्रण की कमी—को स्वीकार नहीं कर पाया था, जिसने रिया को उससे छीन लिया था।

"वीर... वह टूट गया था," गंगाधर ने कहा। "उसने अपने पिता का व्यापार संभाल लिया, अपने दिल के चारों ओर एक दीवार खड़ी कर ली। उसने दुनिया को यह दिखाने के लिए घमंड ओढ़ लिया कि अब कोई उसे चोट नहीं पहुँचा सकता। वह हँसना भूल गया।"

अनायरा ने अचानक याद किया, कल रात वीर ने पहली बार अपने 'फ़ैमिली होम' का नाम लिया था, न कि 'वीर कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट' का। वह शायद इस घर को पूरा करके रिया के सपने को पूरा करना चाहता था।

"और प्रिया?" अनायरा ने पूछा।

"प्रिया वीर की सगी बहन नहीं है," गंगाधर ने रहस्य उजागर किया। "वह वीर के बचपन के दोस्त की बेटी है, जिसे वीर ने रिया के जाने के बाद गोद लिया था। वह वीर को बहुत प्यार करती है, और उसे लगता है कि कोई भी नई लड़की रिया की जगह नहीं ले सकती। वह वीर को फिर से टूटने नहीं देना चाहती।"

अनायरा ने उस पुराने फार्महाउस को देखा। यह केवल एक प्रोजेक्ट नहीं था; यह एक टूटे हुए दिल का स्मारक था। वीर ने उसे अपनी ज़िंदगी की सबसे बड़ी और निजी कहानी को डिज़ाइन करने का काम सौंपा था, बिना एक भी शब्द कहे।

अनायरा को एहसास हुआ—वीर उस पर भरोसा नहीं कर रहा था, बल्कि वह उसे चुनौती दे रहा था कि वह इस भावनात्मक दीवार को तोड़कर देखे। यह डिज़ाइन उसके लिए सिर्फ़ कला नहीं, बल्कि वीर के अतीत को शांति देने का एक मिशन बन गया था।

इसके आगे का भाग जाने के लिए हमारे साथ बने रहिए अंत तक।