Tere Mere Darmiyaan - 17 in Hindi Love Stories by CHIRANJIT TEWARY books and stories PDF | तेरे मेरे दरमियान - 17

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तेरे मेरे दरमियान - 17


विकास उठता है और अपनी गाड़ी से एक और एसीड का बोतल निकालता है और जानवी की तरफ फेंक देता है । जिससे जानवी अपनी आंखे बंद लेती है और बाकी सब बहोत डर जाता है । तभी आदित्य भागकर जाता है और जानवी को गले लगा लेता है ।



जिससे एसीड आदित्य के पिठ पर गिर जाता है जिससे आदित्य के कपड़े गलने लगता है और कही कही चमड़ी पर भी लग जाता है जिससे आदित्य को दर्द होने लगता है ।



जानवी डर से धिरे धिरे अपनी आंखे खोलती है तो दैखती है के उसको सामने आदित्य खड़ा था जो उसे अपने बाहों मे लिए था । जानवी कुछ दैर तक आदित्य को दैखती रहती है । पर आदित्य को एसीड लगने के कारण बहोत दर्द हो रहा था । 



विकास और उसके साथी वहां से भाग जाता है । अशोक , कृतिका और रमेश भागकर आदित्य के पास आता है । आदित्य दर्द से अपने घुटने पर बैठ जाता है । जानवी ये दैखकर हैरान हो जाती है ।




जानवी :- आदित्य .... आदित्य । 




आदित्य जानवी के बाहो मे गिर जाता है । जानवी आदित्य को अपने बाहों मे ले लेती है । 



आदित्य जानवी के बाहो मे गिर जाता है । जानवी आदित्य को अपने बाहों मे ले लेती है और और उसके सर को सहलाते हूए कहती है -----



जानवी :- ये तुमने किया आदित्य ? क्यों किया तुमने ऐसा।


आदित्य जानवी की और दैखती है और हल्की मुस्कान देकर वही पर बेहोश हो जाती है । जानवी आदित्य के सर को प्यार से सहलाती है और कहती है -----




जानवी :- तुम्हें कुछ नही होगा आदित्य, मैं तुम्हें कुछ भी होने नही दूगीं ।




तभी सब वहां पर आता है और आदित्य को लेकर हॉस्पिटल चला जाता है । 




सभी बाहर डॉक्टर का वेट कर रहा था । तभी कुछ दैर बाद डॉक्टर बाहर आता है और सभी डॉक्टर के पास जाता है । 




जानवी :- डॉक्टर आदित्य कैसा है ?




डॉक्टर: - चितां की कोई बात नही है । जैकेट और कपड़े की वजह से एसीड से आदित्य का चमड़ी बच गया है । पर कुछ जगह पर थोड़ी डेमेज किया है । पर वो भी जल्दी ही ठीक हो जाएगा ।




इतना बोलकर डॉक्टर वहां से चला जाता है । जानवी आदित्य के पास जाती है । जहां पर आदित्य सो रहा था । जानवी आदित्य के पिठ को दैखती है और जख्म को छुने लगती है । जानवी के छुने से आदित्य अपनी आंखे खोलता है तो दैखता है के उसके पास जानवी बैठी है और उसके आंखो पर आंसु है ।




जानवी वहां से उठती है और बिना कुछ बोले वहां से चली जाती है । अशोक , रमेश और कृतिका आदित्य के पास आता है । अशोक आदित्य से कहता है ।




अशोक :- बेटा तुम ठिक तो हो ! 





आदित्य :- हां अंकल , मैं बिल्कुल ठिक हूँ । जानवी कैसी है उसे कुछ हूआ तो नही ?




जानवी बाहर से ये सुनकर उसकी आँखो से और आंसु बहने लगता है । 




अशोक :- चोट तुम्हें लगी है और तुम अपनी छोड़ जानवी के बारे मे पुछ रहे हो ? तुमने उसे कुछ होने कहां दिया । पर बेटा अगर ये एसिड तुम्हारे चेहरे पर लग जाता तो मैं कभी अपने आप को माफ नही कर पाता । तुमने अपनी परवाह किये बिना ही जानवी की जान बचा ली ।




आदित्य :- अंकल वो एक लड़की है और अगर लड़की पर थोड़ी सी भी दाग आ जाने तो लोग तरह तरह की बाते करते है । मेरा क्या है । अगर मेरा चेहरा चल भी जाता तो ज्यादा से क्या होता । मेरा शादी नही होता पर फिर भी मैं अपने आपको संभाल लेता और लोग कुछ भी नही कहता । पर अगर जानवी को कुछ हो जाता तो ये समाज उसे जीने नही देती ।




आदित्य की बात को सुनकर जानवी आदित्य से इंप्रेस होने लगती है । अशोक फिर आदित्य से कहता है ।



अशोक :- उसे बचाने के लिए तुम जो हो बेटा । तुम्हारे रहते उसे कुछ नही हो सकता । भगवान ने तुम दोनो को एक होने के लिए बनाया है । बेटा मैं बुड़ा हो गया हूँ । अब मैं अपनी बेटी की रक्षा भी नही कर पा रहा हूँ । इसलिए मैं अपनी बेटी को लिए तुम्हारे पास हाथ जोड़ता हूँ । अब तुम ही रक्षक बन जाओ ।




अशोक के हाथ जोड़ने पर आदित्य झट से अशोक के हाथ को पकड़ लेता है । जानवी भी अशोक के ऐसा करने से हैरान हो जाती है ।



आदित्य :- अंकल ऐसा मत किजिये प्लिज । मुझे शर्मिंदा मत किजिये । आप मुझसे बड़े है । मैं तो अपने आपको कभी आपके घर के लायक ही नही समझा । मुझे लगा मुझसे शादी करके जानवी कभी खुश नही रह पाएगी । अगर जानवी को कोई एतराज ना हो तो मैं शादी के लिए तैयार हूँ ।




आदित्य से इतना सुनकर अशोक और बाकी सभी बहोत खुश हो जाता है । 
तभी जानवी वहां पर आती है । जानवी के आते ही सभी बाहर चले जाते है । जानवी आदित्य के पास जाती है और कहती है ।



जानवी :- तुम अपने आपको समझते क्या हो , उस दिन मेरी बुराई की और आज मेरी जान बचाई । मैं तुमसे नफरत भी नही कर पा रही हूँ । अपनी परवाह कियो बिना ही तुम उस एसिड को अपने उपर लो लिया । अगर तुम्हें कुछ हो जाता तो पुरी जिंदगी मुझे अफसोस होता । तुम तो यही चाहते हो ना । आदित्य तुम बहोत अच्छे लड़के हो । infact तुम्हारे जैसा लड़का हर लड़की का सपना होता है । मैं तुमसे शादी के लिए तैयार हूँ । पर ये शादी मैं सिर्फ अपने पापा के लिए करुगी । पर मेरी कुछ शर्त है ।



आदित्य :- कैसी शर्त ?




जानवी :- मेरे बारे मे तो तुम सब जानते ही । एक लड़की जब किसी से प्यार करती तो फिर दोबारा प्यार होना उसके लिए बहोत मुश्किल है । मैं तुमसे शादी सिर्फ मेरे पापा के खुशी के लिए करुगीं । शादी के बाद मुझसे कभी पत्नी वाली या ऐसी वैसी चिज का एक्सपेक्ट मत करना । मैं अपना सर नेम चेंज नही करुगीं । और ...



जानवी के इतना कहने के बाद आदित्य उससे कहता है ।




आदित्य :- और कुछ कहने की जरुरत नही है । जैसा की तुम किसी से प्यार करती हो मैं भी मोनिका से करता हूँ । मेरे लिए भी ये सब आसान नही होगा । मुझे लगा था के ये सब सिर्फ मैं ही सौच रहा हूँ और तुमसे शादी करके कही तुम्हें ऐसा ना लगे के मैं तुम्हें धोका दे रहा हूँ । पर तुमने सब क्लियर कर दिया । मुझे तुम्हारी हर सर्त मंजूर है ।




दोनो ही अपने अपने शर्तो के साथ शादी के लिए तैयार हो जाता है ।
शादी की बात बाहर तक फेल जाती है । मोनिका अपने घर मे रहती है तभी मोनिका के पापा रघुनाथ आदित्य के शाजी का कार्ड हाथ मे लिए आता है और कहता है । 



मोनिका: - पापा । ये आपके हाथ मे किसका शादी का कार्ड है ?



रघुनाथ :- तुम खुद ही दैख लो ।



To be continue......108