Me and My Feelings - 137 in Hindi Poems by Dr Darshita Babubhai Shah books and stories PDF | में और मेरे अहसास - 137

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में और मेरे अहसास - 137

आहिस्ता आहिस्ता 

 

जिन्दगी आहिस्ता आहिस्ता से समझाने लगी l

सच्चाई से रूबरू कराकर के मुस्कुराने लगी ll

 

देखो तो जरूरत के समय साथ देने की जगह l

वक्त हालात से जले हुए पे नमक लगाने लगी ll

 

एक के बाद एक सब साथ छोड़ चल देते हैं l

सभल जा कोई किसीका नहीं है बताने लगी ll

 

ठोकरे खाकर भी आज तक नहीं समझ पाया l

मासूमियत ओ नादानी पे हँसी उड़ाने लगी ll

 

कभी यू भी करवट लेगे लोग ये न जानते थे l

आज लोगोँ का असली चहेरा दिखाने लगी ll

१६-१०-२०२५ 

 

जिंन्दगी हँस हँस के देती है ताना

 

जिंन्दगी हँस हँस के देती है ताना l

नई सुबह है तो नया बजाना गाना ll

 

कभी खुशी कभी ग़म मिलते है पर l

रोते हुए आया है मुस्कराते जाना ll

 

खुशियों को गली गली में बाँटकर l

सभी चहेरे पर मुस्कराहट लाना ll

 

छोटी छोटी बातों पर ध्यान देकर l

क़ायनात को स्वर्ग जैसा बनाना ll

 

बड़े ही दर्द दर्द में जीते है लोग तो l

जिंदगी जीने लायक है बताना ll

 

ख़ुद को हमेशा प्रफुल्लित रखकर l

होंठों पे सदा हँसी को सजाना ll

 

चाहे एक तरफ़ा भले ही हो पर l

प्यार है तो खुल कर जताना ll

१७-१०-२०२५ 

रात भर झिलमिलाती

रात भर झिलमिलाती चाँदनी दिलबर का रास्ता देख रही हैं l

गली से गुजरने वाले सभी लोगों को आता जाता देख रही हैं ll

 

घर से बाहिर निकलते ही मिट्टी की सोढ़ी खुशबु घेरे और l

सुबह की पहली किरण से पहेले प्रभातियां गाता देख रही हैं ll

 

एक ओर हसीन और नशीली मुलाकात का ख्वाब सजाकर l

नया सवेरा नई आशा और नई उम्मीदों को लाता देख रही हैं ll

 

फिझाएं भी खुश होकर अपना सबकुछ यौछावर करती कि l

चहु ओर से रसीला महकता बहकता शमा पाता देख रही हैं ll

 

तमन्नाएं बेकरार है नया सवेरा और नया उजाला देखने को l

प्यार के दुश्मन और बेदर्द जफागरों को ढाता देख रही हैं ll

१८-१०-२०२५ 

ममता

प्यार और ममता से भरा घर न मिलेगा l

चाहो तो भी अगली बार मंज़र न मिलेगा ll

 

क़ायनात के किसी भी जगह जाओ पर l

माता पिता का हाथ सर पर न मिलेगा ll

 

माँ सा यार, दुलार, लालन पालन और l

ममता से भरा हुआ समुंदर न मिलेगा ll

 

लाखों रुपये से बने हुए कमरे में नींद कहां l

माँ की गोद जैसा कहीं बिस्तर न मिलेगा ll

 

बड़े बन ने की लालच में निकल पड़े कि l

घर छोड़ा तो दूसरा कोई दर न मिलेगा ll

१९-१०-२०२५ 

 

मौसम

उफान के बयार से शज़र चाक हो गए l

मौसम के मिजाज से सब ख़ाक हो गए ll

 

सोशियल मीडिया ने एसी धूम मचाई कि l

अनपढ़ स्मार्ट फोन से चालाक हो गए ll

 

कई सालों के बाद सूरज गुस्सा हुआ तो l

सख्त गर्मी में बारिस को बेबाक हो गए ll

 

फिजाओ में जवानी आती हुई देखकर लो l

हवा में उड़ने वाले नदी में तैराक हो गए ll

 

साहिल की तलाश में कब से भटक रहे है l

रुख हवाओं का देखकर पेचाक हो गए ll

२०-१०-२०२५  

जूठी शान

कहीं चला न जाए घबरा के सामान देखकर l

दंग रह गए दिखावे की जूठी शान देखकर ll

 

सालों का इंतजार और आंसुओं का दरिया l

प्यार का कारोबार छोड़ा नुकसान देखकर ll

 

हरे भरे गुलशन में माली को सोपा था पर l

ईश्वर भी रोया जिंदगी को वीरान देखकर ll

 

दुनिया बसने बसाने को खुशी से गया था l

लौटा वापिस खाली गुलिस्तान देखकर ll

 

रुबरु में ज़ाहिर हो गये हैं हाल अंदर के l

दिल खून के आँसू रोया जान देखकर ll

२१-१०-२०२५ 

मुलाकात

कुछ तो पैदा करो हालात क़रीब आ जाओ l

यादगार बनाएंगे मुलाकात क़रीब आ जाओ ll

 

चांद सितारों से भरी मुरादों वाली सुहानी l

फ़िर न आएंगी ये रात क़रीब आ जाओ ll

 

शायद फ़िर मोका मिले न मिले कभी भी l

कर लेते है दो चार बात क़रीब आ जाओ ll

 

सिर्फ़ एक बार बाहों में लगा लेना है कि l

दिल से छलके जज़्बात क़रीब आ जाओ ll

 

फिझाओ में जवानी की रंगत छाइ हुए है तो l

चली न जाए ये बरसात क़रीब आ जाओ ll

२२ -१०-२०२५ १५:३० 

मंज़र

दिल को बहला देनेवाला मंज़र तलाश कर l

फूलों से लहराता हुआ शज़र तलाश कर ll

 

संगेमरमर का हो या कोटा स्टोन का जो l

घर को घर बनादे वो पत्थर तलाश कर ll

 

हमसफ़र के संग सफ़र का मजा लेकर l

दूर तक जाना हैं तो समुंदर तलाश कर ll

 

अशांति और लड़ाई में व्यस्त कायनात l

अमन कायम करने लश्कर तलाश कर ll

 

जहां भी जाओ भीड़ का मेला लगा हुआ l

चैन ओ सुकून मिले वो शहर तलाश कर ll

 

माँ की गोद से दूर जा बसने वालों को l

प्यार दुलार हो एसा मुक़द्दर तलाश कर ll

२३-१०-२०२५ 

साथ

साथ दोगे सदा इस बात का वादा कर लो l

प्यारी सी एक मुलाकात का वादा कर लो ll

 

शुभ घड़ियां मिलन की कहीं बीत न जाए तो l

जल्द ही लाओगे बारात का वादा कर लो ll

 

सितारों से भरपूर ठंडी शीतल चांदनी में l

प्यार में डूबी हुई रात का वादा कर लो ll

 

जीभर के घूमने की तमन्नाएं औ अरमान है l

पूरे सभी करोगे जज़्बात का वादा कर लो ll

 

जिस्म दो होके भी दिल एक हों अपने यहीं l

कसमें निभाने के आदात का वादा कर लो ll

२४-१०-२०२५

 

क़ैदी

तेरे घर के सामने खिड़की नहीं बनाऊँगा l

प्यार को सरे आम तमाशी नहीं बनाऊँगा ll

 

इख़्तियार में है ख़ुद के जो भी बनाना है l

कुछ भी हो जीभ को बरछी नहीं बनाऊँगा ll

 

सुनो दुनिया की बूरी नजर लगने के डर से l

खूबसूरती को पर्दे में क़ैदी नहीं बनाऊँगा ll

 

बेरहम कायनात वालों ने हुक्म किया पर l

शज़र को काट कर कश्ती नहीं बनाऊँगा ll

 

बेदर्द जूठी मोहब्बत में फंसाकर चल दिया l

दिल को अब और ज़ख्मी नहीं बनाऊँगा ll

२५-९-२०२५ 

 

सैयारे

आसमाँ में सैयारे बने जो ज़माने के काम आए l

नूर-ए-ख़ुदा किस्मत को सजाने के काम आए ll

 

आज मोहब्बत में डूबे हुए प्यार भरे रंगीन खत l

रातों की सर्दीओ में आग जलाने के काम आए ll

 

हाथों में हाथ डाल खुली फिझा में जो गाए थे 

बहलाने दिल वही गीत गुनगुनाने के काम आए ll

 

सुनो न करो पूरी तरह से इसे नश्ते नाबूद वही l

अगली पेढ़ी को अफ़साने बताने के काम आए ll

 

जो बिना सोचे समझे ही बनाये हुए थे महलों में 

l

वो तयखाने सभी राज को छुपाने के काम आए ll 

२५ -१०-२०२५

रिश्ता

दर्द का रिश्ता भी सुहाना लगता है l

बातों से तो राबता पुराना लगता है ll

 

सब के नजरिए अलग अलग है कि l

नजरों से सीधा निशाना लगता है ll

 

होशों हवास में क़ब्ज़ा किया हो उसे l

सदंतर भुलाने में ज़माना लगता है ll

 

जोरदार, बुद्धिमान और निपुणता भरी l

बातें करता है वो तो सियाना लगता है ll

 

पैगाम है की बड़ी मशरूफता में है l

मिलने ना आने का बहाना लगता है ll

 

मोहब्बत कोई नई बात नहीं है हमारा l

अफसाना सब का फ़साना लगता है ll

 

फिझाओ में नशीली रंगत छाने से आज l

गुलशन का हर गुल दिवाना लगता है ll

२६-१०-२०२५

 

रात ढलने को है घर जाते हैं l

आओ महफिल से निकल जाते हैं ll

 

अफरा तफरी है मची दुनिया में l

आँधीओ से गुल बिखर जाते हैं ll

 

रोशनी में रहने वाले, देखो l

गहरे अँधेरे से डर जाते हैं ll

 

जब बिछड़ते प्यार करने वाले l

वो जुदा होते ही मर जाते हैं ll

 

बिन किये पर्वा किसी की भी यहां l

लोग रास्ते से गुज़र जाते हैं ll

२७-१०-२०२५ 

 

 

घर

खुशबु बनकर हवाओं में बिखर जाएंगे l

घर ही लौटेंगे श्याम वर्ना किधर जाएंगे ll

 

इजाजत देदो आँधी की तरह बह जाएंगे l

बिना ऊपर देखे ही गली से गुजर जाएंगे ll

 

जब कसम खाते हो की वापिस लौटोगे l

आखरी मुलाकात की जगह ठहर जाएंगे ll

 

अपनी जिम्मेदारीयों से मुँह मोड़ कर l

लोग गाँव से भाग कर शहर जाएंगे ll

 

अपनों के लिए अपनों के पास जीने को l

घर के उल्लू वापिस फिर घर जाएंगे ll

२८-१०-२०२५ 

तस्वीर का दीदार

तस्वीर का दीदार करके गुजारा कर रहे हैं l

बस यहीं एक सहारे दिन रात सर रहे हैं ll

 

पूनम की शीतल चाँदनी रात में मिलन के l

लम्हें याद आते आँखों से आंसू झर रहे हैं ll

 

जहां दो चार पल चैन और सुकून मिले वहीं l

वक्त की रफ़्तार के साथ साथ सर रहे हैं ll

 

न वो प्यार, न वो दुलार न ममता रही बस l

माँ बाप के बिना सुनसान खाली घर रहे हैं ll

 

कभी रूबरू थे, वो तस्वीरों में कैद हो गये l

उस तसवीरों के गुम जाने से भी डर रहे हैं ll

२९-१०-२०२५ 

मोहब्बत की सज़ा

बेपनाह बेइंतिहा मोहब्बत की सज़ा पा रहे हैं l

दिन रात हर पल हर लम्हा जुदाई खा रहे हैं ll

 

कौन सी बात दिल पर लगा ली है कि l

दिल तोड़कर कोर्सों दूर रूठकर जा रहे हैं ll

 

पाक मोहब्बत को तमाशाई बना दिया और l

बिना गुनाह के आँखों में अश्क़ ला रहे हैं ll

 

लब भी तरस गये है जूठी मुस्कान देखने l

सारा जहाँ मिलकर दर्द का राग गा रहे हैं ll

 

प्यार की चकाचौंध रोशनी ने अंधा कर दिया l

आज अँधेरों से घिरे हुए तयख़ाने भा रहे हैं ll

३०-१०-२०२५ 

मंज़िल का राही

मंज़िल का राही हूँ मंज़िल पर पहुँचकर रहूँगा l

हमसफ़र के साथ आगे ही आगे जा बढूँगा ll

 

लाख कठिनाईयों का सामना करके भी l

वक्त की रफ्तार के साथ साथ ही बहूँगा ll

 

अब चलना तो तय है फ़िर चाहे जो भी हो l

मन मजबूत करके हर मुश्किलों को सहूँगा ll 

 

कई मकाम ऐसे आएँगे जो हमको आजमाएंगे l

हौसला बनाये रखना अपनेआप से कहूँगा ll

 

कड़ी मेहनत से मिले हुए मकाम पर जाकर l

अपनी मंज़िल को दिवानगी की तरह चहूँगा ll 

३१-१०-२०२५