Nazar Se Dil Tak - 20 in Hindi Love Stories by Payal Author books and stories PDF | नज़र से दिल तक - 20

Featured Books
Categories
Share

नज़र से दिल तक - 20

अगले दिन अस्पताल की हवा कुछ बदली हुई-सी थी। बाहर हल्की-हल्की धूप थी, लेकिन Raj और Anaya के बीच एक अजीब-सी बेचैनी थी।

कल की वो नज़दीकियाँ, वो नज़रों की बातें… आज तक उनके दिल में गूंज रही थीं।

Anaya अपने cabin में reports देख रही थी, पर ध्यान कहीं और था।
हर बार Raj का नाम किसी file पर दिखता, दिल की धड़कन तेज़ हो जाती।
उसने खुद से कहा, “बस काम पर focus करो,”
पर दिल ने जवाब दिया — “अब ये सिर्फ़ काम नहीं रहा…”

Raj भी अपने cabin में files के बीच खोया था। उसकी नज़र बार-बार clock पर जा रही थी —
शायद वक्त बीतने की नहीं, रुक जाने की ख्वाहिश थी।
कभी किसी के साथ इतना connected महसूस करेगा, उसने कभी सोचा भी नहीं था।

दोपहर तक दोनों ने एक-दूसरे से नज़रें चुराईं, मगर वो नज़रें फिर भी एक-दूसरे तक पहुँचती रहीं।
Ward में patients के बीच, voices के शोर में भी, उनके बीच बस खामोश समझदारी चल रही थी।

शाम को duty ख़त्म होने के बाद Raj terrace पर चला गया — वही terrace, जहाँ कभी Anaya उससे बातें किया करती थी।
हवा में हल्की ठंडक थी, और आसमान में डूबता हुआ सूरज जैसे उस दिन की सारी अधूरी बातों को रंग दे रहा था।

कुछ देर बाद पीछे से कदमों की आहट आई — वही, जो Raj अब पहचानने लगा था।
Anaya थी। उसने धीरे से कहा,
“आप यहाँ अकेले?”
Raj मुस्कुराया, “आदत-सी हो गई है… जब दिल उलझा हो, तो यही जगह सबसे सही लगती है।”

Anaya कुछ पल चुप रही, फिर धीरे से बोली,
“कभी-कभी दिल को जो समझ नहीं आता… वो आँखें समझा देती हैं, है ना?”

Raj ने उसकी तरफ देखा — उन आँखों में वही सुकून था, वही गहराई।
उसने कहा,
“Anaya, बहुत वक़्त से मैं खुद से ये सवाल कर रहा हूँ —
जो मैं महसूस करता हूँ, क्या वो सही है… क्या उसे कहना चाहिए या नहीं…”

Anaya का दिल ज़ोरों से धड़कने लगा। उसने नज़रें नीचे कर लीं,
“अगर किसी बात में सच्चाई हो, तो शायद कह देना ही सही होता है, Sir…”

Raj एक कदम आगे बढ़ा, उसकी आवाज़ बहुत धीमी थी —
“फिर सुनो…
मुझे नहीं पता ये क्या है, पर जब तुम हँसती हो, तो दिन हल्का लगने लगता है।
जब तुम परेशान होती हो, तो दिल बेचैन हो जाता है।
मैंने सोचा था ये सिर्फ़ care है… पर शायद ये उससे कहीं ज़्यादा है।”

Anaya की आँखों में नमी-सी आ गई। उसने धीरे से पूछा,
“तो ये जो मैं महसूस कर रही थी… वो मैं अकेली नहीं थी?”

Raj ने उसकी ओर देखा — एकदम साफ़, एकदम ईमानदार नज़र से।
“नहीं Anaya… तुम अकेली नहीं थी।”

वो पल जैसे रुक गया। हवा थम-सी गई, आसमान गवाह बन गया —
दोनों की आँखों में सिर्फ़ सच्चाई थी, कोई झिझक नहीं, कोई दिखावा नहीं।

Anaya ने धीरे से कहा,
“Sir, कभी-कभी लगता था, आप जो नहीं कहते… वही सबसे ज़्यादा कहते हैं।”
Raj हल्के से मुस्कुराया — “और तुम्हारी नज़रों में जो था, वो हर बार सब कुछ कह देता था।”

एक लंबी ख़ामोशी छा गई — मगर इस बार वो सुकून भरी थी।
Anaya ने धीरे से आगे बढ़कर कहा,
“तो अब कोई खामोशी नहीं, Raj… अब सिर्फ़ सच्चाई।”

Raj ने उसकी तरफ हाथ बढ़ाया।
“अब सिर्फ़ हम।”

सूरज पूरी तरह ढल चुका था, पर उस terrace पर उनके दिलों का एक नया सवेरा हो चुका था।




To Be Continued…

(कभी-कभी इज़हार ही वो जवाब होता है, जिसका इंतज़ार दोनों कर रहे होते हैं — अब जब दिल बोल चुका है, तो क्या ये रिश्ता अपने मुकाम तक पहुँच पाएगा…?)