HUM PHIR SE MILE MAGAR ISS TARHA - 4 in Hindi Love Stories by MASHAALLHA KHAN books and stories PDF | हम फिर से मिले मगर इस तरह - 4

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हम फिर से मिले मगर इस तरह - 4

हम फिर से मिले मगर इस तरह - 4

((((((((((((((ऐपीसोड़ - 4))))))))))))))

{रूपाली की उदासी मगर एक खुशी}

रूपाली को अरुण का उसे ना पहचानना उसे उदास कर देता है मगर वह अब वो लड़की नही रही जो कालेज के वक्त थी अब वह पूरी तरह बदल चूकि है अरुण का उसे ना पहचानना स्वाभाविक है .

आप कौन है और इस जंगल मे कैसे … अरुण ने उलटा उसी से सवाल कर दिया .

ये ही सवाल मैंने आपसे पूछा है और आप मुझसे ही पूछ रहे है … उस लड़की ने दुखी मन से कहा .


ओह ओह आई अम सोरी, आई अम अरुण ,मै यहा पहली बार आया हूँ आपने कभी देखा नही होगा मुझे अभी एक या दो ही दिन हुए है यहा आये हुए वहा उस तरफ जो वुडन हाऊस है वही ठेहरा हूँ … अरुण ने जवाब दिया .

अब वह लड़की अब अपने आप को सम्भालती है .

ओह तो आप ठेहरे है उधर, तब ही मै सोचू कल लाईट क्यू जल रही है उधर वैसे अनिल काका तो मुझे जानते है मै कभी कभी उधर आती हूँ तो मिल लेती हूँ उनसे लेकिन अजकल दिखाई नही दे रहे है … उस लड़की ने फिकी सी मुस्कान के साथ कहा .

वो केयर टेकर मिस्टर अनील वो अपने गांव गये है शायद हफ्ते भर बाद आयेंगे, वैसे आपने अपना नाम नही बताया … अरुण ने सवाल किया .

आपको नही पता ? … उस लड़की ने कहा .
अरुण.. क्या ?

ओह सोरी मै तो भूल ही गई वैसे मेरा नाम है रुपाली मै यही पास के गांव मे रहती हूँ … अपनी गलती सम्भालते हुए कहा .

नाइस टू मिट यू मिस रूपाली … अरुण ने अपना हाथ बढ़ाते हुए कहा . 

लेकिन रुपाली हाथ जोड़कर उसका अभिवादन करती है .

ओ नाइस नाइस आप काफी संस्कारी लगती है … अरुण ने सवालिया लहजे मे कहा .

इसलिए कि मैने आपसे हाथ नही मिलाया … रूपाली ने भी सवाल किया .

ओ नो नो मेरा वो मतलब नही था … अरुण ने हल्की मुस्कान की साथ जवाब दिया .

मतलब तो वो ही था मिस्टर अरुण सबकी अपनी - अपनी चोइस होती है किस्से हाथ मिलाये या किससे नही,किससे कितनी बात करे किससे नही ये डीपेंड करता है अपने उपर किस को कितना हक दे … रुपाली ने गुस्से से कहा .

ओ ऐज योऊर विश जब आपकी मरजी हो आप हाथ मिला लेना वैसे मे यहा कुछ दिन तो हूँ … अरुण ने जवाब दिया .

रुपाली को ये जान कर बहुत खुशी हुई कि अरुण अब कुछ दिन यही रहेगा,अब वह उससे रोज मुलाकात कर पायेगी, वरना वह उसे कभी कभार टीवी पर ही देखती थी जब उसका इंटरवियो वगेरा होता था , 

 वैसे आप यहा सुबह सुबह ताजी हवा खाने आये थे क्या ? … रुपाली ने हंसकर सवाल किया .

वैसे सच बोलू तो कुछ आवाजे सुनकर यहा बहुत गुस्से मे आया था ,आवाज बहुत लोड थी जो मुझे और मेरे काम को डिर्स्टब कर रही थी और मै गुस्से मे इधर जो भी था उसे बहुत ही बुरी तरह डाटने वाला था … अरुण ने गम्भीरता से जवाब दिया .

सच मे आप मुझे डाटने आये थे सच मे मेरी आवाज आपको डिर्स्टब कर रही थी ?... रूपाली ने मासूमियत से पूछा .

हा सच मे ही मै इधर आपको डाटने आया था ... अरुण कहा .

पर आपने तो मुझे अभी तक डाटा नही आप तो मुझसे कितना पोलाइटली बात कर रहे है … रुपाली मुस्कुराकर कहा .

अरुण,,अक्चूली मेरा गुस्सा ठंडा हो गया आपकी और उस बन्दर की डिस्कशन सुनकर इसलिए पोलाइटली बात कर पा रहा हूं, जब मेरा गुस्सा ठंड़ा हो जाता है मे एक दम सज्जन बन जाता हूं लेकिन जब गुस्सा होता हूँ तो फिर लोग मुझसे दूर भागते है .

जानती हूं … रुपाली ने धीरे से कहा .
क्या ? अरुण ने पूछा .

कुछ नही वो काफी इंटरास्टिंग इंसान मालूम पड़ते है आप वैसे उस बन्दर का नाम टेंगो है वो मेरा एक तरीके से दोस्त ही है ... रूपाली ने जबाब दिया .

वैसे वो बन्दरिया वाली बात कमाल थी और उसने आपकी बात मान भी ली हा हा हा … अरुण ने हंसकर कहा .

क्या करे मिस्टर अरुण आज कल हर लड़का लड़कियो पर लट्टू है तो सोचा इस पर भी आजमा लू और काम भी कर गया हा हा हा …रुपाली ने हंसकर कहा .

इस पूरी बातचीत के बीच अरुण सिर्फ रूपाली को ही देखे जा रहा था मानो उसे पहचानने की कोशिश कर रहा हो पर उसे पहचान नही पा रहा था .
फिर रूपाली वहा से चली जाती है और अरुण वहा पास मे उस पत्थर की बेंच पर बैठ जाता है और सोचने लगता है अभी की इस घटना के बारे मे कभी उसका गुस्सा इतनी जल्दी शांत नही होता मगर आज ना जाने क्यू वो इतनी जल्दी शांत हो गया था क्या वो यहा के वातावरण की वजह से हुआ या फिर इस लड़की रुपाली की वजह से हालाकी उसने रूपाली को पहचाना नही था फिर भी उसे भी लगा था उसको पहले कही देखा है मगर वह तब उसकी खुबसुरती मे खो गया था, जो भी हो वो अब शांत हो गया था और वह अपने अपनी स्टोरी पर काम कर सकता था फिर वह उठकर उस वुडन हाऊस की ओर चल पड़ा .

घर आकर वह फ्रेश होता है अपने लिए कुछ खाने के लिए बनाता है फिर बरेक फास्ट करता है और बरेक फास्ट कर वह अपना मोबाइल हाथ मे लेता है लेकिन मोबाइल मे सिगलन अभी भी नही था वह अपने दोस्त विक्रम को कॉल करना चाहता था पर सिगनल ना होने के कारण वह नही कर पा रहा था इसलिए वह मोबाइल हाथ मे ले निकल पड़ता है सिगनल की तलाश मे वह घर से बाहर आकर इधर उधर घूमता रहता है शायद सिगनल मिल जाये मगर 
कोई फायदा नही था यहा दूर दूर तक कोई सिगनल नही था .

अरुण मन मे सोचता है,,कमाले है यार जब मै यहा पहली बार तब तो थोड़ा ही सही पर सिगनल था मगर अब यहा दूर दूर तक कोई सिगनल नही है ये बड़ी अजीब बात है खेर वैसे मुझे तो ज्यादा जरूरत नही है कॉल करने की लेकिन विक्रम तो पागल हो रहा होगा वो तो मुझे मार डालना चाहता होगा अगर शूटिंग अटकी पड़ी रही ना तो वो सच मे मुझे मार डालेगा अब कर भी क्या सकते है वैसे इस विरान जंगल मे कोई भी इंसान नजर नही आया उस लड़की के अलावा चलो जो भी हो मुझे तो अपना काम करना है वैसे भी डिस्टर्बन्स कम रहे तो अच्छा और मै यहा से जल्दी जा पाऊंगा .


कहानी जारी है......✍️