जानवी :- नही पापा प्लिज ऐसा मत बोलो । आप जहां कहोगे मैं वही शादी करुगी पापा ।
विकास जानवी की बात को सुनकर हैरान था उसो अपना प्लान फेल होता हूआ नजर आता है । जानवी विकास के पास जाती है और कहती है ----
जानवी :- I am sorry विकास , मैं पापा को छोड़कर तुम्हारे साथ नही आ सकती , I am sorry .
विकास बिना कुछ बोले ही वहां से चला जाता है , विकास के जानो के बाद जानवी रोने लगती है ।
अशोक अपनी बेटी की आंखो मे आंसु को दैखकर बहोत दुखी हो रहा था पर अशोक जानता था के अगर जानवी की शादी विकास को साथ हो गई तो जानवी की जिंदगी बर्बाद हो जाएगी । अशोक अपने दिल पर पथ्थर रखकर जानवी से कहता है ---
अशोक :- बेटा जल्दी से तैयार हो कर निचे आ जाओ , सब तुम्हारा ही इंतजार कर रहा है ।
जानवी अपने पापा की और हैरानी सो दैखती है क्योकी जानवी को लग रहा था के उसकी खुशी उसके आंशु का उसके पापा पर कोई असर नही हो रहा था । जानवी अपनी आंशु पोंछती है और उठ जात है तभी वहां पर कृतिका आ जाती है ।
कृतिका उन दोनो को Emotional दैखकर रुक जाती है । कृतिका को लगता है के शादी के बाद जानवी चली जाएगी इसिलिए ऐसा माहोल है । कृतिका को दैखकर अशोक कहता है --
अशोक :- आओ , बेटा । इसे तैयार करने मे मदद कर दो ।
कृतिका :- जी अंकल ।
कृतिका जानवी को बैठती है और कहती है ---
कृतिका :- अंकल एक बात बोलु , आपने दामाद नही हिरा चुना है , मैं आदित्य को बहोत साले से जानती हूँ , उसके जैसा इंसान शायद ही कोई होगा । वो हमेशा दुसरो के खुशी के जिता है , और ये आज मैं बोल रही हूँ , एक दिन जानवी आपसे ये बात कहेगी , दैेख लेना । जानवी तुम बहोत लकी हो जो आदित्य जैसा लड़का तुम्हें मिला है । उसका हमेशा ध्यान रखना , दैखना वो तुम्हे हमेशा खुश रखेगा ।
जानवी की बात को सुनकर अशोक को अच्छा लगता है और वो वहां से चला जाता है , इधर जानवी को कृतिका तैयार करके निचे ले आने लगती है । जानवी धिरे - धिरे सिड़ियों से उतरती है और आदित्य जानवी को दैखने लगता है ।
आदित्य के दिल मे मोनिका के लिए अब भी बहोत प्यार था पर अब आदित्य जानवी का होने वाला था इसिलिए आदित्य को अब जानवी के लिए जिना है ये बात आदित्य अपने दिल को समझा लेता है ।
जानवी अपना कदम मंडप की और बड़ा रही थी और आदित्य जानवी को दैखकर मुस्कुरा रहा था , सभी बहोत खुश ये विद्युत, अनय , पुनम , रमेश और कृतिका ये सभी बहोत खुश थे ।
अशोक भी वहां पर आता है ।
पंडित मंत्र पड़ते है ---
" मंगलम् भगवान् विष्णु
मंगलमय गरुड़ध्वज,
मंगलमय पुंडरिकाक्ष ,
मंगलाय तनोहरी "
पंडित जी :- दुल्हे का बड़ा भाई कहां है ।
पंडित जी के कहने पर सभी आदित्य की और देखने लगते है , तभी रमेश कहता है ---
रमेश :- अरे हम है , अनय भैया है । पंडित जी आप टेंशन क्यो ले रहे हो ।
रमेश अनय , विद्युत और पुनम से कहता है --
रमेश :- अमय भैया , अंकल , आंटी आज सारे रश्म आप लोग किजिये, क्योकी आप सब यहां पर है तो ..!
पुनम रमेश के पास आती है और कहती है --
पुनम :- तु इतना डरके क्यों बोल रहा है , हम सब संभाल लेगें तु चितां मत कर ।
फिर वहां पर जितने भी रश्म थे सभी रशम विद्युत , पुनम और अनय ने मिलकर किया । ये दैखकर सभी हैरान थे । विकी , मोनिका, रघुनाथ को ये सब दैखकर जलन हो रही थी । वो लोग समझ नही पा रहे थे आखिर आदित्य को लिए पुरी तिवारी फैमिली ये सब क्यों कर रहा है ।
मोनिका ये दैखकर वहां से चली जाती है , रघुनाथ उसके पिछे जाने लगता है तो विक्की मना करके हुए कहता है ---
विक्की :- आप लोग घर चलिए मैं मोनिका को लेकर आता हूँ ।
इतना बोलकर विक्की भी मोनिका के पिछे चला जाता है । मोनिका आदित्य की खुशी को बर्दास्त नही कर पा रही थी इसिलिए वो विस्की की बोतल उठाती है और पीने लगती है । ये दैखकर विक्की बहोत खुश हो रहा था , उसे जिस दिन का इंतजार था ।
मोनिका को नशा होने लगता है , मोनिका लड़खड़ाते हूए विक्की के पास आती है और कहती है ---
मोनिका :- वो साला आदित्य अपने आपको समझता है क्या है , साला फटीचर, भिखारी, मुझे निचा दिखाने के लिए उसने ये ... ये शानदार पार्टी अरेंज किया । ताकी मुझे ... मुझे जलन हो ।
विक्की मोनिका को चुप कराते हूए कहता है ----
विक्की :- बस , बस , चुप हो जाओ , चलो यहां से ।
मोनिका: - क्या चलो , कहां चलो । मुझे मेरी बात पुरी करने दो ।
इतना बोलकर मोनिका मंडप के पास लड़खड़ाती हूई चली जाती है । और आदित्य से कहती है ---
मोनिका :- हां हां करो , और करो शादी साले भिखारी , फटीचर , जब मैंने तुम्हें रिजेक्ट किया तो एक अमिर लड़की को फांस लिया । ( हसती हूई कहती है ) हा हा ... और तुम जानवी, तुम्हें और कोई नही मिला इस भिखारी के अलावा । इसमे ऐसा क्या दिख गया तुम्हें , जो मुझे आज तक पता नही चला ।
मोनिका की बदतमीजी से सभी हैरान थे , रेखा उसके पास आती है ऱेखा को दैखकर विक्की भी आ जाता है । पर आदित्य बिना कुछ कहे चुप चाप शादी मंडप मे बैठा था । अनय गुस्से से मोनिका के पास जाना चाहता था पर आदित्य इशारे से मना कर देता है , विद्युत कहता है ---
विद्युत: - कौन है ये बदतमीज लड़की , जो यहां पर आकर बदतमीजी कर रहा है ।
रेखा मोनिका से धिरे से कहती है ---
रेखा :- ये क्या बदतमीजी कर रही हो , और तुमने शराब पी रखी है ।
मोनिका : - माँ , तुम जाओ यहां से ।
रेखा :- ( मोनिका के बाजु को पकड़कर ) तुम्हें जरा सा भी सरम नही है । जो बार - बार आदित्य की जिंदगी मे जहर घोल रही हो ।
मोनिका :- मैं जहर घोल रही हूँ । और ये क्या कर रहा है , ये मेरी जिदंगी मे जहर नही घोल रहा है । इस फटिचर की इतनी औकात कैसे हो गई जो इसने ये तिवारी मेंशन को हायर किया और ये सजावट दैख रही हो , ये टॉप क्लास की सजावट किस लिए, मुझे जलाने के लिए , ताकी मुझे पछतावा हो के मैने इसे क्यो छोड़ा ।
रेखा :- चुप हो जा मोनिका ।
मोनिका :- क्यो , आज मैं चुप नही रहूंगी । ये सजावट किससे कराया जानती हो , विक्की से मेरे लवर विक्की से ताकी वो मुझे निचा दिखा सके । अरे नही होती मुझे जलन - वलन , तेरे जैसे लड़के को तो मैं नजरे उठाके देखु भी ना । और सबसे बेकार है ये लड़की, जो इस भिखारी से शादी कर रही है ।
To be continue......197