दोनो सुंदरवन के पास पँहुच जाता है जहां पर वर्शाली ने एकांश को बुलायी थी। एकांश बाइक से उतर कर इधर उधर देखता है पर वहां पर कोई नहीं था। ।
आलोक एकांश से पुछता है---
आलोक :- एकांश क्या वर्शाली ने तुम्हें इसी जगह पर बुलाया था।
एकांश :- हाँ यार..! यही तो कहा था उसने।
आलोक :- पर यहाँ तो कोई नहीं है।
एकांश जंगल के अंदर जाने लगता है तो आलोक एकांश को रोक कर कहता है---
आलोक :- तू बिलकुल पागल हो गया है। जब यहाँ कोई नहीं है और तू फिर से जंगल के अंदर जा रहा हैं।
एकांश :- तू डर मत यार वर्शाली यही होगी मेरा विश्वास करो।
आलोक गुस्से से कहता है---
आलोक :- ठीक है तुझे जाना है तो तू जा पर मैं अब इस जंगल के अंदर नहीं जाने वाला। क्योंकि मैंने बड़े पापा से वादा किया है तेरे उस सपने वाली लड़की के लिए तो बिलकुल नहीं।
एकांश भी गुस्से से कहता है--
एकांश :- क्या मतलब है तेरा। के वर्शाली एक सपना है सच नहीं।
आलोक :- तू भी ये मान ले मेरे यार। तो तेरे लिए भी अच्छा होगा।
तभी वर्षाली की आवाज आती है----
वर्शाली :- क्या अच्छा होगा एकांश जी।
आलोक और एकांश दोनो ही पिछे मुड़कर देखता है जहां वर्शाली खड़ी थी। जो आज लाल रंग के ड्रेस पहनी थी जिसमे वर्शाली बहुत ही ज्यादा खूबसुरत लग रही थी। वर्शाली को देख कर एकांश की आंखे चमक उठती है वर्शाली का बदन सूरज की रोशनी से चमक रही थी। एकांश खुश होता है और कहता है----
एकांश :- अरे वर्षाली आ गई तुम।
वर्शाली :- कैसे नहीं आती एकांश जी आपको वचन जो दिया था तो मुझे आना ही था।
आलोक वर्शाली को बस देखता ही रहता है क्योंकि आलोक ने इतनी सुंदर लड़की आज तक नहीं देखी आलोक बस एक टक नजर से वर्शाली को देखता रहता है।
वर्शाली कहती है---
वर्शाली :- अब आप दोनो ऐसे ही देखते रहोंगे या कुछ कुछ बोलोगे भी।
दोनो ही अपने नजरे वर्शाली से हटा देता है। आलोक हिचकिचाते हुए कहता हैं---
आलोक :- क्या तुम ही वर्शाली हो जो कल रात को और उससे पहले एक बार और एकांश से मिली थी ..?
वर्शाली: - हां आलोक जी में वही वर्शाली हूँ।।
वर्शाली के मुह से आलोक का नाम सुनकर दोनो ही हैरान हो जाता है। एकांश वर्शाली से पुछता है----
एकांश :- तुम्हें कैसे पता वर्शाली के इसका नाम आलोक है।
वर्षाली :- मैं यहां आपके सभी लोगो को जानती हूं।
एकांश :- वो कैसे वर्शाली ?
वर्शाली: - मैं यहाँ बहुत वर्षों से रह रही हूं, इसिलिए में सबको जनती हूँ।
आलोक :- पर तुम यहाँ कहा रहती हो
और हम तुम्हें कभी गांव में नहीं देखा।
वर्शाली: - में यही सुंदरवन में रहती हूं।
एकांश :- वर्शाली , वो तुमने कहा था के मैं अकेला आउ पर मैं आलोक को भी साथ ले आया।
वर्शाली :- कोई बात नहीं। अब यहीं खड़े रहिएगा या मेरे साथ चलेंगे भी।
आलोक :- क.....कक.....कहा सुंदरवन के अंदर ?
वर्शाली :- हां ..! वही तो मेरा घर है।
आलोक :- क्या..? पर जंगल के अंदर तो कुम्भन है।
वर्शाली: - हां ..! पर वो अभी नहीं आने वाला।
एकांश :- पर तुम ये कैसे जनती हो के कुम्भन यहां नहीं आएगा। और फिर इस जंगल के अंदर रहते हुए भी क्या कभी कुम्भन ने तुम्हें हानी नहीं पहुंचाया।?
वर्शाली :- आपको सब बताऊंगी पर पहले आप मेरे घर चलो ताकी आप लोग देख सको के मेरा घर कहां है। नहीं तो आप लोग दोबारा कुम्भन के पास चले जाओगे।
आलोक सौच में पड़ जाता है। पर वर्शाली की बात सुनकर वो दोनो जाने को राजी हो जाता है। सभी सुंदरवन की और जाने लगता है। आलोक एकांश से कहता है-----
आलोक :! यार हम तो उसी रास्ते से जा रहे हैं जहां से हम लोग इससे पहले गए थे। कहीं हम दोबारा कुम्भन
के पास ना पँहूच जाए। और अगर ये कुम्भन की कोई नई चाल हूआ तो ?
एकांश :- ऐसा कुछ नही होने वाला , चल चुप चाप ।
वर्शाली उन दोनो को फुसफुसाते सुन लेती है और मुस्कुराते हूए वर्शाली आगे बढ़ती रहती है एकांश और आलोक भी वर्शाली के पीछे पिछे चलने लगता है। कुछ दूर चलने के बाद जंगल के अंदर एक रोशनी दिखाई पड़ती है जिसे देखकर एकांक खुश हो जाता है और आलोक से कहता है-----
आलोक :- देख यार हमलोग पहूँचने वाले हैं।
आलोक को अपने आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था। के उस दिन इसी रास्ते से आया था पर ये जगह दिखाई नहीं दिया था और कुछ ही दैर में वो उसी उस जगह पर पहूँच जाते हैं जहां के बारे में एकांश ने आलोक को बताया था।
आलोक उस जगह को देखता है और मंत्र मुग्धा हो जाता है। आलोक को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था के धरती पर इतनी सुंदर जगह भी हो सकती है। वहां के हवा से आती हुई मनमोहक खुशबू ने आलोक को मोहित कर दिया था। आलोक देखता है के वहां पर रंग बिरेंगे फूल खिले है और बहते हुए झरने की आवाज मंत्रमुग्ध कर रहा था तभी वहां एक अदभुत रोशनी आ रही थी ऐसा लग रहा था जैसा था जैसा की चांद अपनी रोशनी सिर्फ उसी जग पर लुटा रही हो आलोक को लग रहा था जैसे वो धरती पर नहीं स्वर्ग में आ गये हो। वर्शाली कहती है---
वर्शाली :- क्या हुआ ..? आप दोनो ऐसे चुप क्यों हो।
तभी आलोक हैरानी से वर्शाली से पुछता है-----
आलेक :-/क्या हम धरती पर ही है और या कही और ?
वर्शाली हंसकर कहती है----
वर्शाली :- हम धरती पर ही हैं।
आलोक :- इतनी घनी जंगल में इतनी सुंदर जगह का होना अद्भुत है ये कैसे हो सकती है और आज तक किसी को इस जगह के बारे में पता क्यों नहीं चला ।
आलोक की बात सुन कर एकांश भी वर्शाली से पुछता है----
एकांश :- वर्शाली इस अंधेरी जंगल में सिर्फ इसी जगह पर रोशनी क्यूं है।?
वर्शाली :- क्यूंकी ये जगह प्यार की
निशानी है। प्यार का प्रतीक है। और जहां प्यार हो वहा पर कभी अँधेरा नहीं हो सकता।
एकांश हैरानी से कहता है---
एकांश : - क्या प्यार की जगह ! तुम क्या कहती हो मुझे कुछ समझ में नही आता । और इस भयानक जंगल मे इतनी खूबसूरत जगह का होना और कुम्भन का यहाँ न आना। ये कैसे हो सकता है। वर्शाली एक बात पुछु...?
वर्शाली: - हां एकांश जी पुछीये ना।
एकांश :- तुम कौन हो वर्शाली...!
To be continue.....295