Tere Mere Darmiyaan - 44 in Hindi Love Stories by CHIRANJIT TEWARY books and stories PDF | तेरे मेरे दरमियान - 44

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तेरे मेरे दरमियान - 44

त्रिपूरारी को दैखकर आदित्य बहोत खुश हो जाता वो दौड़कर अपने मामा के पास जाता है और गले लगते हूए कहता है --


आदित्य :- अरे मेरे प्यारे कंश मामा 

त्रिपुरारी :- बस यही मेरी सारी खुशी बेकार हो जाता है । 

त्रिपुरारी खाने की खुशबू सुघंतै हूए कहता है --

त्रिपुरारी :- अहा ... लगता है बहोत स्वादिष्ट खाना बनाई है बहू ने ।

इतना बोलकर त्रिपुरारी कुर्सी पर बैठ जाता है और कहता है --

त्रिपुरारी :- अरे वाह । पनीर टिक्का और स्पाइसी बिरयानी भई क्या बात है दैखकर ही मुह से पानी आने लगा ।

आदित्य: - अरे कंश मामा , पहले हाथ तो धो लो ।

त्रिपुरारी :- अरे ओ हां । देखो खाना को दैखकर तो मैं भूल ही गया था । हा हा हा ....!

त्रिपुरारी उठकर हाथ धोकर आता है और फिर खाने लगता है , खाते खाते त्रिपुरारी कहता है ---


त्रिपुरारी :- भाई वाह मजा आ गया । मानना पड़ेगा , बहू क्या खाना बनाई हो तुमने । ऐसा स्वादिष्ट खाना तो मैने कभी नही खाई ।

तभी जानवी कहती है ----

जानवी :- कंश मा... ( जानवी के मुह से गलती से कंश निकल जाता है , जानवी आदित्य की और दैखती है और अपना जीभ निकाल लेती है ) 

आदित्य हल्की मुस्कान देकर हस रहा था तभी त्रिपुरारी कहता है --

त्रिपुरारी: - कोई बात नही बेटा , ऐसा हो जाता है कभी कभी , संगत गलत हो तो ऐसा ही होता है ।

आदित्य :- ये क्या बात हूई मामा जी , बोली उसने और सुना मुझे रहे हो ।


जानवी :- सॉरी मामा जी , वो मुह से बस ...

त्रिपुरारी :- कोई बात नही बेटा । होता है ऐसा । तुने इतना अच्छा खाना खिलाया , तो सब कुछ माफ ।

जानवी : - मामा जी , वो खाना मैने नही बनाया ।

त्रिपुरारी :- ओ तो होटल से मंगाई हो ? जिस भी होटल का था बहोत बढ़िया था ।

जानवी :- ये आदित्य ने बनाया है । 

त्रिपुरारी :- क्या बात है भांजे , तुने तो तमाल कर दिया , शादी के बाद जानवी तुझे इतना बदल देगा , अगर पहले पता होता तो कबका तेरी शादी करवा देता ।


खाना खाने के बाद जानवी अपने कमरे मे चली जाती है , आदित्य और त्रिपुरारी सोफे पर बैठा था , तो त्रिपुरारी कहता है --

त्रिपुरारी :- चल भांजे , रात बहोत हो गई है अब तु जा जाके सो जा । 

आदित्य जानवी के कमरे मे जा नही सकता था और वो मामा को ये बात बता भी नही सकता था इसिलिए वो वही पर बैठा था । तब त्रिपुरारी फिर कहता है ---


त्रिपुरारी :- अरे तु अभी तक यही बैठा है , जा जाके सो जा । 

आदित्य मजबुरी मे वहां से उठता है और जानवी के कमरे के बाहर खड़ा हो जाता है । आदित्य अंदर जाना नही चाहता था । आदित्य त्रिपुरारी की और दैखता है तो त्रिपुरारी हल्की मुस्कान के साथ कहता है --

त्रिपुरारी :- गूड नाईट भांजे ।

आदित्य के पास अब कोई रास्ता नही था , वो दरवाजा खोलता है और जानवी के कमरे मे चला जाता है ।

जानवी कमरे मे अपने कपड़े बदल रही थी , आदित्य अंदर जाकर दैखता है के जानवी कपड़े बदल रही है , जानवी आदित्य को दैखकर हैरान हो जाती है और आदित्य अपना मुह दुसरी तरफ कर लेता है । 


जानवी गुस्से से अपने आपको ढकते हूए कहती है --


जानवी :- तुम ! तुम यहां पर क्या कर रहे हो ?

आदित्य दुसरी तरफ मुह करके अपनी दोनो आंखो को अपने दोनो हाथो से ढकते हूए कहता है --


आदित्य :- सॉरी , सॉरी , वो बाहर मामा जी है , तो इसिलिए ।

जानवी :- मामा जी है तो क्या हूआ । ऐसे किसीके भी कमरे मे घुस जाओगे । जाओ बाहर निकलो अभी ।

आदित्य: - माफ करना पर मैं बाहर नही जा सकता ।


जानवी इतना बोलकर आधा कपड़ा पहने ही आदित्य के पास पहूँच जाती है और कहती है ----

जानवी :- ये कैसा मजाक है ।


आदित्य अपनी आंखे खोलता है तो दैखता है के जानवी वैसे ही आधे कपड़े मे थी । आदित्य फिर से अपनी आंखे बंद करता है और कहता है --


आदित्य :- पहले तुम अपना कपड़ा पहन लो फिर मैं सारी बात बताता हूँ ।

जानवी गुस्से से कहती है --

जानवी :- You ....

जानवी अपना कपड़ा पहन लेती है और आदित्य के पास आती है , आदित्य अभी भी अपनी आखे बंद किया हूआ था । जानवी आदित्य के पास आती है और उसके हाथो को उसके आंखो से हटाती है और कहती है ---

जानवी :- तुम मेरे कमरे मे क्या कर रहे हो , और वो भी बिना नॉक किये कैसे घुस गए । कही तुम मेरे साथ वो सब करने की कोशिश तो ...

आदित्य :- ओ हलो । शांत हो जाओ । मेरे दिन इतने भी बुरे नही है , के मुझे तुम्हारे साथ जबर्दस्ती करनी पड़े ।

जानवी :- How dare you. .. तुम .. तुम जाओ यहां से ।

त्रिपुरारी :- वो किचन मे है चाय बना रही है ।

तभी जानवी किचन से चाय लेकर आती है , जानवी हल्की मुस्कान लिये चाय लेकर आ रही थी , आदित्य ये दैखकर झटका खा जाता है और हैरानी से जानवी की और दैखता रहता है । जानवी हल्की मुस्कान लिये आदित्य को चाय लेने का इशारा करता है ।


आदित्य जानवी की तरफ हैरानी से दैखता है और चाय का कप उठाता है । जानवी वहां से जाने लगती है के आदित्य चाय का एक सिप लेता है और वही पर थुंक देता है । त्रिपुरारी आदित्य की और दैखकर इशारे से पुछता है --


" क्या हूआ ?

आदित्य इशारे से अपना जिभ निकालकर कहता है ---

चाय मे चीनी के जगह नमक डाल दिया है । जानवी थुकने की आवाज सुनकर पिछे मुड़ती है तब तक आदित्य नार्मल होकर बैठ जाता है । जानवी इधर उधर दैखती है पर वो कुछ समझ नही पाती तब त्रिपुरारी कहता है ---

त्रिपुरारी :- बेटी , तुने इससे पहले कभी चाय या कॉफी बनाई हो ?

जानवी :- नही मामा जी , आज मैं पहली बार बनायी हूँ । पर आपने ऐसा क्यू पूछा मामा जी ?

आदित्य :- वो इसिलिए क्योकी हमारे यहां रिवाज है के नई दुल्हन पहली बार कुछ बनाती है तो मामा जी उसे कुछ नेग देते है ।

त्रिपुरारी :- हां , आदित्य ठिक बोल रहा है ।

जानवी :- चाय पीजिए ना ? ठंडी हो जाएगी ।

त्रिपुरारी आदित्य की और दैखता है तो आदित्य कहता है --

आदित्य :- पियो ना मामा , पियो ।

आदित्य के मुह से पहली बार कंश मामा के जगह मामा सुनकर त्रिपुरारी मन ही मन कहता है --


" वाह भांजे , जब मुसीबत आई ते कंश से मामा बोल रहा है । हे भगवान पता नही कितना नमक डाला है , अब कर भी क्या सकता हूँ, बहु ने पहली बार बनाया है , अब पिना ही पड़ेगा ।

इतना बोलतर त्रिपुरारी एक सिप लेता है , सिप लेने के बाद वो निगल नही पा रहा था क्योकी नमक बहोत ज्यादा थी , और थुक भी नही पा रहा था क्योकी आदित्य मना कर रहा था ।

आदित्य एक सिप लेता है और कहता है --


आदित्य: - वाह क्या चाय बनाई है जानवी तुमने , मजा आ गया ।

जानवी खुश हो जाती है और कहती है --

जानवी :- सच मे क्या ?

आदित्य :- अरे ऐसी चाय कोई बना ही नही सकता । क्यों कंश मामा ।

त्रिपुरारी :- हां हां ...


 आदित्य पुरी चाय पि जाता है , जानवी खुश होकर वहां से चली जाती है और ब्रेकफास्ट बनाने लगती है । ये दैखकर आदित्य और त्रिपुरारी डर जाता है । के चाय मे इतना नमक था तो अब ब्रेकफास्ट मे क्या होगा ?

ब्रेकफास्ट करने के बाद त्रिपुरारी और आदित्य बैठकर बात कर रहे थे । त्रिपुरारी कहता है --

त्रिपुरारी :- ये क्या आदित्य , अगर इतना नमक वाला खाना खायेगा तो तबियत खराब हो जाएगी । और सारा खाना खा गया , तुने जानवी के लिए कुछ रखा ही नही ।

आदित्य: - मामा श्री , अगर उसके लिए बताते रखता तो उसे खाते ही जानवी को पता चल जाएगा के खाने मे नमक ज्यादा था ।

आदित्य और त्रिपुरारी की बात को जानवी सुन लेती है और किचन मे जाकर थोड़ा बचा हूआ खाना खाती है , जानवी को चाय के टाईम ही आदित्य पर शक हो गया था के आदित्य उसकी झुठी तारिफ कर रहा है इसिलिए उसने अस बार थोड़ा खाना बचा कर रखा था । जानवी जैसे ही खाना मुह मे लेती है , तेज नमक और तीखा होने के कारण वो तुरंत थुक देती है । और कहती है --


जानवी :- इतना खराब खाना कोई कैसे खा सकता है , इसे तो कोई जानवर भी ना खाये ।


तभी जानवी को एक पुरानी बात याद आती है जब उसने विकास के लिए पहली बार कॉफी बनाई थी । 

जानवी कॉफी लेकर विकास के पास आती है और विकास को कॉफी देती है , विकास कॉफी लेकर पिने एक सिप लेता है और उसे थूंक कर कप समेत फेंक देता है । जिससे जानवी घबरा जाती है , विकास कहता है ---


विकास :- ये क्या बनाकर लाई हो जानवी । छी : इसे खाना और जहर खाना एक जैसा है ।


Note :- antima ji apne mujhse kaha tha ke mei roj episode upload karu , par matrubharti app ke hisab se ek din chhod kar he episode published hogi. Meine apko message bhi kiya tha , apne sayad apna message box check nhi kiya hoga . par mei aplogo ke liye roj episode to nhi la pa rha hu , par mei kuch sabd or jod kar episode mei daal rha hu . Thank you ☺️❤️
To be continue. ....298