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Anita Sinha

Anita Sinha Matrubharti Verified

@anitasinha4848
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देश प्रेम।

जय जय हे मां भगवती हे मां भारती हे मां शारदे।
तेरे चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम करते हैं हे मां शारदे। जय जय हे मां सरस्वती हे मां शारदे।

हे भारती भारत देश की अधिष्ठात्री देवी
तुम ही हो हे मां शारदे। वर दे वर दे हे मां भारती
देश प्रेम पर लिखने का वरदान दो हमें हे मां शारदे।
जग उद्धार दे हे मां शारदे। जग जगमग हो देश भक्ति
देश प्रेम भावना से हे मां शारदे। बने देश प्रेम लिखना
मेरी आराधना हे मां भारती हे मां शारदे।

वर्तमान समय की मांग यही है भर जन जन मन
देश प्रेम भावना हो संचार सद्भावना संदेश बदल दे
देश परिवेश हे मां शारदे। धरती हो शस्य श्यामला
हे तुषार हार धवला स्फटिक माल धारिणी श्वेत
वसना हे मां शारदे। दे घर घर हो बसंती चोला पहने
देश का लाल ऐसा चमन बना जहां देश प्रेम की
गंगा बहे मन हो जन रजत निर्मल उज्जवल जल
धार उद्गार बहे करुणा और मानव प्रेम आधार
जय जय हे मां सरस्वती हे मां शारदे। भर दे जन जन
विश्व बंधुत्व की भावना बाल युवा वृद्ध नर नारी
जपे एक नाम " हे मां भारती स्वतंत्रता पुकारती"
जय जय हे मां शारदे हरे हरे। पुकार यही हो हम सब
एक हैं भरो एकता की भावना रहें मिलजुलकर
भारत वासी जय जय हे मां शारदे हरे हरे।

देश की आधार संसार तुम हो हे मां भारती
हे मां शारदे हरे हरे। अब तेरी कृपा की है जग
दरकार जग जननी विश्व संचालिनी हे मां शारदे
हरे हरे। परिस्थिति को कर सम दूर हो सकल
बाधा विषम जय जय हे मां शारदे हरे हरे।
बना दे उन्मुक्त गगन करे सकल स्वछंद विचरण
हो त्रय ताप हरण पाप क्षरण भव खंडन हर विष
शब्द वाण हो निष्फल जय जय हे मां शारदे हरे हरे।
देश वासी तेरी करुणा और दया के अभिलाषी हैं
बना ले सबको अंतेवासी जय जय हे मां शारदे
हरे हरे। सबका सब विधि कर कल्याण पाएं मनुज
त्राण दे नव यंत्र नव मंत्र ना रहे कोई परतंत्र
जय जय हे मां शारदे हरे हरे।

हर ले मोह माया सकल जग छाया दे तव आशीष
शीतल छाया करे विश्राम जन जन पाएं सुख शांति
अविराम जय जय हे मां शारदे हरे हरे। सुन सुन मां शारदे जग भ्रमित है है भासित घने कोहरे की छाया
नव प्रभा प्रभात उदित अदित अरुणिम भोर लालिमा
पूजन अर्चन वंदन भर जग बहोर फेर मति दशशीश
दे शुभ आशीष बख़्शिश विशेष विश्व हित बना रहे
हृदय देश भक्ति भाव देश प्रेम देश के लिए जीएं
और देश के लिए मरें ऐसी हो जग प्रीत की रीत
जय जय हे मां शारदे हरे हरे।

आजादी के दीवानों का यह देश है हे मां शारदे
हरे हरे। भर देश प्रेम जग मंगल भावना नवयुवकों
में हे मां शारदे हरे हरे। घर घर में हो दुर्गा काली
सावित्री और लक्ष्मी बाई जैसी नारी वीरांगना
हे मां भारती हे मां शारदे रमण भ्रमण करो भारत
देश आंगना निशि वासर भरो देश गीत भाव उद्गार
जय जय हे मां शारदे हरे हरे।

देश की माटी लेखक कहे उसे प्यारी लागे न्यारी
लागे तिलक करे हे मां भारती भाल जय जय हे मां
शारदे हरे हरे। देश प्रगति चढ़े उत्तंग शिखर भर हे
मनुज कंठ वासिनी ओज और शौर्य परिपूर्ण
वीर रस धार जय जय हे मां शारदे हरे हरे।

कण कण में वास होता है तेरा हे मां भारती
हे मां शारदे हरे हरे। बन जाए जीवन गान तेरा वंदन
जय जय हे मां शारदे हरे हरे। वीणा के तारों को झंकृत
कर दे विजय बिगुल फूंक ध्वनि की गूंज से गुंजारित
हो धरती और आसमान जय जय हे मां शारदे हरे हरे।
दूर हो नफरत और राग द्वेष की आंधी सकल
रोग व्याधि जय जय हे मां शारदे हरे हरे।

दास करे तेरी पूजा निष्काम भाव विभोर होकर
बजते रहे तेरे चरणों में सप्त सुर साजित आजन बाजन जय जय हे मां शारदे हरे हरे।

भर विजय रण घोष की वीर सकल हूंकार भरे
जय जय हे मां शारदे हरे हरे। बजते रहे हर दिन
गीत जय घोष सकल संसार मनाएं
स्वतंत्रता दिवस त्यौहार जय जय हे मां शारदे
हरे हरे।

देश भक्ति का डंका बजा दे हे भारती हे मां शारदे
हरे हरे। देश प्रेम आभूषणों से सुसज्जित रहे जन जन
गावे देश गीत जय जय हे मां शारदे हरे हरे।

देश उपवन सदाबहार रहे राग मल्हार धुन
संगीत सुरभित हो तेरी कृपा भारत देश द्वार रहे।

हे भारती तेरा आशीर्वाद मिले पल पल माता
साथ रहे। ना रहे कोई दुःखी सब हों सुखी यही
आस भरोस अभिलाष रहे।

जाने अंजाने कोई भी भूल चूक हो गई है तो
अकिंचन दास तेरी शरण गहे हे मां शारदे हरे हरे।
- Anita Sinha

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देश प्रेम।

जय जय हे मां भगवती हे मां भारती हे मां शारदे।
तेरे चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम करते हैं हे मां शारदे। जय जय हे मां सरस्वती हे मां शारदे।

हे भारती भारत देश की अधिष्ठात्री देवी
तुम ही हो हे मां शारदे। वर दे वर दे हे मां भारती
देश प्रेम पर लिखने का वरदान दो हमें हे मां शारदे।
जग उद्धार दे हे मां शारदे। जग जगमग हो देश भक्ति
देश प्रेम भावना से हे मां शारदे। बने देश प्रेम लिखना
मेरी आराधना हे मां भारती हे मां शारदे।

वर्तमान समय की मांग यही है भर जन जन मन
देश प्रेम भावना हो संचार सद्भावना संदेश बदल दे
देश परिवेश हे मां शारदे। धरती हो शस्य श्यामला
हे तुषार हार धवला स्फटिक माल धारिणी श्वेत
वसना हे मां शारदे। दे घर घर हो बसंती चोला पहने
देश का लाल ऐसा चमन बना जहां देश प्रेम की
गंगा बहे मन हो जन रजत निर्मल उज्जवल जल
धार उद्गार बहे करुणा और मानव प्रेम आधार
जय जय हे मां सरस्वती हे मां शारदे। भर दे जन जन
विश्व बंधुत्व की भावना बाल युवा वृद्ध नर नारी
जपे एक नाम " हे मां भारती स्वतंत्रता पुकारती"
जय जय हे मां शारदे हरे हरे। पुकार यही हो हम सब
एक हैं भरो एकता की भावना रहें मिलजुलकर
भारत वासी जय जय हे मां शारदे हरे हरे।

देश की आधार संसार तुम हो हे मां भारती
हे मां शारदे हरे हरे। अब तेरी कृपा की है जग
दरकार जग जननी विश्व संचालिनी हे मां शारदे
हरे हरे। परिस्थिति को कर सम दूर हो सकल
बाधा विषम जय जय हे मां शारदे हरे हरे।
बना दे उन्मुक्त गगन करे सकल स्वछंद विचरण
हो त्रय ताप हरण पाप क्षरण भव खंडन हर विष
शब्द वाण हो निष्फल जय जय हे मां शारदे हरे हरे।
देश वासी तेरी करुणा और दया के अभिलाषी हैं
बना ले सबको अंतेवासी जय जय हे मां शारदे
हरे हरे। सबका सब विधि कर कल्याण पाएं मनुज
त्राण दे नव यंत्र नव मंत्र ना रहे कोई परतंत्र
जय जय हे मां शारदे हरे हरे।

हर ले मोह माया सकल जग छाया दे तव आशीष
शीतल छाया करे विश्राम जन जन पाएं सुख शांति
अविराम जय जय हे मां शारदे हरे हरे। सुन सुन मां शारदे जग भ्रमित है है भासित घने कोहरे की छाया
नव प्रभा प्रभात उदित अदित अरुणिम भोर लालिमा
पूजन अर्चन वंदन भर जग बहोर फेर मति दशशीश
दे शुभ आशीष बख़्शिश विशेष विश्व हित बना रहे
हृदय देश भक्ति भाव देश प्रेम देश के लिए जीएं
और देश के लिए मरें ऐसी हो जग प्रीत की रीत
जय जय हे मां शारदे हरे हरे।

आजादी के दीवानों का यह देश है हे मां शारदे
हरे हरे। भर देश प्रेम जग मंगल भावना नवयुवकों
में हे मां शारदे हरे हरे। घर घर में हो दुर्गा काली
सावित्री और लक्ष्मी बाई जैसी नारी वीरांगना
हे मां भारती हे मां शारदे रमण भ्रमण करो भारत
देश आंगना निशि वासर भरो देश गीत भाव उद्गार
जय जय हे मां शारदे हरे हरे।

देश की माटी लेखक कहे उसे प्यारी लागे न्यारी
लागे तिलक करे हे मां भारती भाल जय जय हे मां
शारदे हरे हरे। देश प्रगति चढ़े उत्तंग शिखर भर हे
मनुज कंठ वासिनी ओज और शौर्य परिपूर्ण
वीर रस धार जय जय हे मां शारदे हरे हरे।

कण कण में वास होता है तेरा हे मां भारती
हे मां शारदे हरे हरे। बन जाए जीवन गान तेरा वंदन
जय जय हे मां शारदे हरे हरे। वीणा के तारों को झंकृत
कर दे विजय बिगुल फूंक ध्वनि की गूंज से गुंजारित
हो धरती और आसमान जय जय हे मां शारदे हरे हरे।
दूर हो नफरत और राग द्वेष की आंधी सकल
रोग व्याधि जय जय हे मां शारदे हरे हरे।

दास करे तेरी पूजा निष्काम भाव विभोर होकर
बजते रहे तेरे चरणों में सप्त सुर साजित आजन बाजन जय जय हे मां शारदे हरे हरे।

भर विजय रण घोष की वीर सकल हूंकार भरे
जय जय हे मां शारदे हरे हरे। बजते रहे हर दिन
गीत जय घोष सकल संसार मनाएं
स्वतंत्रता दिवस त्यौहार जय जय हे मां शारदे
हरे हरे।

देश भक्ति का डंका बजा दे हे भारती हे मां शारदे
हरे हरे। देश प्रेम आभूषणों से सुसज्जित रहे जन जन
गावे देश गीत जय जय हे मां शारदे हरे हरे।

देश उपवन सदाबहार रहे राग मल्हार धुन
संगीत सुरभित हो तेरी कृपा भारत देश द्वार रहे।

हे भारती तेरा आशीर्वाद मिले पल पल माता
साथ रहे। ना रहे कोई दुःखी सब हों सुखी यही
आस भरोस अभिलाष रहे।

जाने अंजाने कोई भी भूल चूक हो गई है तो
अकिंचन दास तेरी शरण गहे हे मां शारदे हरे हरे।
- Anita Sinha

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हे मां शारदे हे मां शारदे।

हे मां शारदे

भक्ति का वरदान हमें दीजिए हे मां सरस्वती
हे मां शारदे।
भक्ति भाव से तेरी पूजा करने का वरदान दो हमें
हे मां सरस्वती हे मां शारदे। नवधा भक्ति दे हमें
हे मां शारदे। कोटि-कोटि प्रणाम करते हैं
तेरे चरणों में हे मां शारदे।
जय जय हे मां शारदे।

‌‌ हे मां शारदे । हे मां शारदे।

तेरे चरणों में शीश नवाएं हे मां शारदे। तेरे चरणों में जयकारे लगाएं हे मां शारदे। मति मति मति दे हमें हे मां शारदे। विमल मति दे हे मां शारदे। तम हर लो हे मां शारदे। कुमति निवार दो हे मां शारदे। मति विभ्रम दूर हो हे मां शारदे। मति हीन बुद्धि हीन और विद्या हीन
हो गये हैं हम हे मां शारदे। सुमति का भंडार दे हे मां शारदे। कुमति निवारिनी तुम हो हे मां शारदे।
विमल मति दे हे मां शारदे। सन्मति दे हमें हे मां शारदे।

हे मां शारदे। हे मां शारदे।

बुद्धि का वरदान दो हमें हे मां शारदे। बुद्धि का भंडार दे हे मां शारदे। बुद्धिमानी से काम करने का वरदान दो
हे मां शारदे। बुद्धिमान बनें हम ऐसी कृपा करो हे मां शारदे। जय जय हे मां बुद्धि दायिनी हे मां शारदे। बुद्धि को हाजिर जवाब बना दे हे मां शारदे। बुद्धि को प्रखर बनाती तुम हो हे मां शारदे। बुद्धि को विकसित कर
दे हे मां शारदे। बुद्धि जागृत हो हे मां शारदे। शत्रु बुद्धि विनाश करो हे मां शारदे। शत्रुओं का शमन हो
हे मां शारदे। भाग्य के सितारे बुलंद कर दे हे मां शारदे।
विचरण करें स्वच्छंद हे मां शारदे। आवागमन बाधा
दूर करो हे मां शारदे। जय जय हे मां शारदे।
जय जय हे मां ज्ञान दायिनी हंस वाहिनी हे मां शारदे। जय जय हे मां सरस्वती हे मां शारदे।

हे मां शारदे। हे मां शारदे।

हंस से नीर क्षीर अलग करने वाले युक्ति वरण करने का वरदान दो हे मां शारदे। हंस से श्वेत उज्जवल मन हो हे मां शारदे। हंस से बुद्धि विवेक वरण करने का वरदान दो हमें हे मां शारदे। हंस पर सवार होकर आओ हे मां हंसवाहिनी हे मां शारदे। जय जय हे मां हंसवाहिनी हे मां शारदे।

हे मां शारदे। हे मां शारदे।

विद्या और ज्ञान का अनमोल उपहार देकर हमें बुद्धिमान बना दे हे मां शारदे। विद्या की अधिष्ठात्री देवी तुम हो हे मां शारदे। विद्या देकर ज्ञानी बनाती तुम हो
हे मां शारदे। विद्या का ज्ञान देती तुम हो हे मां शारदे।
विद्या को विस्तार दो हे मां शारदे। विद्या रुपिणी
कहलाती तुम हो हे मां शारदे। विद्या धन का वरदान
पाकर हम बन जाते हैं विद्वान् महान हे मां शारदे।
जग में मिले मान सम्मान तेरी कृपा से हे मां शारदे।
रहे वरद हस्त शीश पर तेरा हे मां शारदे।

अंतर्मन में ज्ञान की ज्योति जला दे हे मां शारदे।
ज्ञान भक्ति दे हे मां शारदे। ज्ञान शक्ति दे हे मां शारदे।
ज्ञान मय उद्गार दे हे मां शारदे। अज्ञान तिमिर हर लो हे मां शारदे। अज्ञानता को दूर करो हे मां शारदे।
अज्ञानी को ज्ञान से भर दे हे मां शारदे।
जय जय हे मां सरस्वती हे मां शारदे।

हे मां शारदे। हे मां शारदे।

फल फूल और प्रसाद चढ़ाएं हे मां शारदे।
धूप दीप और आरती करें हे मां शारदे।
तेरे चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम करते हैं हे मां शारदे।
जय जय हे मां सरस्वती हे मां शारदे।

हे मां शारदे। हे मां शारदे।

हे मां सरस्वती तेरे चरणों में सारे तीर्थ धाम।
मेरा जीवन तेरे नाम हे मां सरस्वती पाएं सुख धाम।
रखो चरणों में दास संग संतानों को हे मां सरस्वती
बीते जिंदगी तमाम। देकर अभय वरदान करो
सुरक्षा कवच प्रदान गाएं तेरे गुण गान हे मां शारदे।
हर लो शब्दों के विष करें सदा शब्द सुधा रस पान
हे मां शारदे। दूर हो शब्द वाण कटु वचन तृप्त हो
तन मन हे मां शारदे।

* दास करे आस अब लेखन का वरदान जीवन
आधार हो हे मां शारदे। लेख लिखाने के लिए
तेरी ही कृपा की है दरकार हे मां शारदे*।

भूल चूक माफ कर ले लो शरण हमें करते रहे
तेरा पाद पूजन अर्चन वंदन अभिनन्दन तन मन
धन से होकर सादर समर्पण।

दंडवत प्रणाम स्वीकार करें हे मां सरस्वती हे मां शारदे। जय जय हे मां शारदे।

हे मां शारदे। हे मां शारदे।

- Anita Sinha

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जय गणपति जय मां शारदे।

जय जगन्नाथ हरे।

जय जगन्नाथ हरे जय जय जगन्नाथ हरे।
रथयात्रा का दर्शन बड़ा पावन जय जगन्नाथ तेरे। बलदेव सुभद्रा संग जगन्नाथ
रथ यात्रा करे। नीम की लकड़ी से बने
बलदेव सुभद्रा एवं जगन्नाथ के विग्रह
दर्शन सारे जहान करे।

जय जगन्नाथ हरे जय जय जगन्नाथ हरे।

लाखों-करोड़ों श्रद्धालु गण भाव भक्ति
से विभोर होकर तेरे रथ की डोरी खींचते चले। रथ यात्रा गुंडिचा मंदिर के ओर
गाजे बाजे के साथ हरि बोल हरि बोल हरि बोल शंख ध्वनि के साथ प्रस्थान करे।

जय जगन्नाथ हरे जय जय जगन्नाथ हरे।

रथयात्रा मेला संसार में प्रसिद्ध है जय जगन्नाथ हरे। बच्चे बूढ़े जवान और बुजुर्ग
सब मिलकर जगन्नाथ जी के चरणों में
पूजा करे। इस दिन महाप्रसाद जगन्नाथ
जी को छह बार अर्पित करे। भोग आरती
ढोल ढाक झांझर और करताल के साथ
जन जन करे।

जय जगन्नाथ हरे जय जय जगन्नाथ हरे।

आज का दिन है बड़ा पावन और महान जय जगन्नाथ हरे।

दर्शन मात्र जगन्नाथ जी के दीन दुखियों के भव दुःख कटे। जो भी आए महाप्रभु जी
के चरणों में सबके भव फंद टरे।
जय जगन्नाथ हरे जय जय जगन्नाथ हरे ‌

बड़ा सुहावन अति मनभावन दृश्य
जगन्नाथ पुरी में नगरवासियों संग भक्त गण
सब मिलकर अवलोकन करे।
पांचजन्य शंख ध्वनि अनवरत फूलों के बारिशों के साथ चंवर डुलावत सेवादार
रथ की सवारी बलदेव जी सुभद्रा जगन्नाथ
की दो दिवसीय यात्रा पर गुंडीचा मंदिर की
ओर जयकारे लगाते हुए हरि बोल हरि बोल हरि बोल चलते चले।

जय जगन्नाथ हरे जय जय जगन्नाथ हरे।

पूजा अर्चना वंदना हरि कीर्तन हरि नाम संकीर्तन के बोल शंख ध्वनि संग जगन्नाथ पुरी की धरती पर कोटि-कोटि नमन करत जयकारे करे।

अकिंचन दासी अनिता से लेखन में कोई
त्रुटि हुई है तो भगवान जगन्नाथ जी क्षमा करें। जय जय जगन्नाथ हरे।जय जय जगन्नाथ हरे।

सब दीन दुखियों के संकट अब आकर
भगवान जगन्नाथ हरे।
जो लिखे पढ़ें और श्रवण करें सबको
समान फल भगवान जगन्नाथ प्रदान करें।

जगन्नाथ जी की रथ यात्रा उत्सव,पर्व
पर जन जन को शुभकामनाएं एवं बधाई।

- Anita Sinha

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हे मां भारती हे मां शारदे।

जय जय हे मां सरस्वती हे मां भगवती
हे मां शारदे। कोटि-कोटि प्रणाम तेरे चरणों में
करते हैं हे मां शारदे।

धरती तुम्हें पुकारती जय जय हे मां भारती। हंस पर सवार होकर अब आओ धरा
पर हे मां भारती। तेरे नाम अनेकों विश्व संचालिनी कहलाती तुम हो हे मां सरस्वती
हे मां भगवती हे मां भारती। जय जय हे मां ज्ञान दायिनी हंस वाहिनी हे मां शारदे। वाहन तेरा हंस कमल फूल तेरा आसन हे मां हंसवाहिनी हे मां भारती हे मां शारदे। जय जय हे मां श्वेत कमल वासिनी वैकुंठ वासिनी
हे मां शारदे।
अखिल विश्व की एक छत्र स्वामिनी हे विद्या दायिनी हे मां विद्या रुपिणी हे मां शारदे।
तुम ही हो ज्ञान की दाता शब्दों की ज्ञाता
वेद पुराण विख्याता हे मां शारदे। जय जय हे मां ब्रह्मचारिणी वर दायिनी विमल मति दायिनी
हे मां शारदे। कुमति निवारिणी तुम हो हे अम्ब
जग जननी जगदम्ब जग अवलंब हे मां शारदे।
तेरे चरणों में जो आए वो विद्या से झोली भर
कर जाते हैं हे मां शारदे। हम तो तेरे द्वार के
हैं भिखारी शरण में आए हैं तुम्हारी। बसंत ऋतु
पर ऐसा ही हो बसंत जहां खुशियां हो अनंत।
पक्षियों के कलरव गूंजे कोकिल की कुहू कुहू दादुर पपीहे के स्वर मधु रस छलकाए सुदूर गगन उड़ते पंक्षी विहंगम् दृश्य झलकाए
उमंग और उल्लास से ध्वनित हो दिग दिगंत।
बसंत में बसंत का उपहार दे धरती हो शस्य श्यामला सर्वदा सुफला सुजला।
अविरल निर्मल रजत गंग धार बहे बसुंधरा
हो पल्लवित सुरभित सुमन चमन में।
बसंती फूलों की फूले फुलवारी हे मां भारती
तेरे वतन में। बसंती चोला पहने आजादी के दीवाने गाते रहें गीत मेरे भारत देश में।
जन जन जय घोष करें
तेरे महिमा गान के भारत देश में।
मति मति मति दे हे मां शारदे।
मति विभ्रम दूर हो हे मां शारदे।
जड़ बुद्धि को दूर करो हे मां शारदे।
बुद्धि को प्रखर बना दे हे मां शारदे।
हे बुद्धि की देवी बुद्धि का वरदान दो
हमें। तेरे चरणों में सेवा साधना करने
का अवसर दो हमें।
तेरी पूजा करें हे मां शारदे।
तेरे चरणों में शीश नवाएं हे मां शारदे।
फल फूल और प्रसाद चढ़ाएं हे मां शारदे।
धूप दीप और आरती करें हे मां शारदे।
तेरे चरणों में जयकारे लगाएं हे मां शारदे।
कोटि-कोटि प्रणाम करते हैं हे मां शारदे।
भूल चूक माफ करो हे मां शारदे।
जय जय हे मां शारदे।

- Anita Sinha

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महाकुंभ उत्सव।

           महाकुंभ बसंत ऋतु राज का शुभ
सौगात है जी। मां सरस्वती जी का त्रिवेणी
संगम मिलाप है जी। चारों शिव शंकर जी का
धाम महाकुंभ महादेव का तीर्थ धाम राज
प्रयाग उपहार का बरसात है जी।

    बसंत आ गया है चलो चलें सब मिलकर उत्सव महाकुंभ उमंग और उत्साह से भर कर मनाएं। बंधु सखा नाते-रिश्तेदारों एवं आत्मीय स्वजनों संग
प्रेम मुदित हों झूमते नाचते हर्षोल्लास से बसंतोत्सव महाकुंभ में मनाएं। कोई कोर कसर बाकी
न रहे उत्सव में ऐसा रंग हो हमारे मन में जी।
तन रंग लें मन रंग लें और अन्न धन घर भर
लें जी। कर लो दर्शन महादेव विराजे महाकुंभ संगम
तीर्थ राज। जहां बज रहा ढंका शिव शंकर जी का
निशि वासर जागरण जयकारा होता बाबा विश्वनाथ
भोले नाथ का केवल राज। वो है महाकुंभ महादेव
तीर्थ राज। हर हर गंगे हर हर गंगे हर हर गंगे।
  नमामि गंगे नमामि गंगे बोले धरती का कण-कण
बोले जन जन बोले चलों चलो तीर्थ राज प्रयाग राज।

बसंत में चलें प्रयाग राज संगम मेला।
ऋतु राज बसंत राजित तीर्थ धाम में
लगा हुआ है महाकुंभ महादेव दर्शन
पावन पर्व पर मेला। सारे तपस्वी ऋषि मुनि
संन्यासी संग भक्त गण साधु संत कर रहे कल्प वास हवन-यज्ञ खास तट संगम। बना हुआ है
अद्भुत अलौकिक भक्ति सागर नजारा ।
गूंजे हर हर गंगे हर हर महादेव महाकुंभ जयकारा। अद्वितीय अनुपम सौंदर्य अह्रनिश
छलक रहा जन जन दर्शन हर्षित मन।
देश विदेश कोने कोने से उमड़ पड़ा है जन
आस्था का सैलाब। प्रयाग राज की धरती
चमके निशि वासर जैसे दोआब।

महाकुंभ वर्ष १४४ बाद लगा प्रयाग राज छलके अमृत बूंद कण कण में। ढोल बाजे गाजे नगाड़े
सतरंगी छटा बिखेरे शिव शंकर शम्भु के चरणों में। नागा साधु , किन्नर टोली , साधक महादेव
आराधक सज धज कर करतब दिखाते झूमते नाचते और गाते ब्रह्म मुहूर्त में पाएं अमृत स्नान
लाभ।

      अपरिमित अध्यात्मिक भक्ति गूंज का शोर
व्याप्त हो गया है संगम पर। नयन निहारे होए
निहाल खुशहाल पाकर महाकुंभ महादेव
महास्नान अमृतमय भक्त सिंचित प्रयाग राज सुधा रस उद्गम पर।

   हे महाकुंभ के ब्रह्मांड नायक महादेव अकिंचन अधम दासी करे यथावत यथास्थान
तव चरण दंडवत प्रणाम हो प्रणत नतमस्तक।
जो लिखे पढ़ें और श्रवण करे तथा हूं तेरे पावन
मोक्षदायिनी गंगा स्नान करे मन आनंद भरे
सबको समान फल देकर कृतकृत्य करना।
अर्जी हमारी मर्जी तुम्हारी मेरी आराधना
सब कुशल मंगल रखना। करुण पुकार सुन लेना और इधर आओ तो तनिक विचर लेना
हमारे आंगना हे महाकुंभ महादेव नित नित
पूजें भजें तोहे एक मना।

    जय श्री गणेश जी गौरा मैया जी के शिव शंकर जी ब्रह्मा विष्णु और महेश , गंगा जमुना सरस्वती संगम पर विराजमान सर्व देवी देवताओं के चरणों में नमस्कार स्वीकार करो।

   यद्क्षरं पदभ्रष्टं मात्रा हीनं च यद्भवेत्।
   तत्सर्व क्षम्यतां देव देवी महेश्वर पंच परमेश्वर
   सर्व कुशल मंगल करोतु मे।

   सर्व बाधा हरोतु मे। शरणातम् शरणागतम्
  शरणागतम्। सुस्वागतम् सुस्वागतम् सुस्वागतम् महाकुंभ महादेव जी।

   जय जय प्रयाग राज तीर्थ धाम।
   जय जय मेरा सुख धाम।


- Anita Sinha

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प्रयाग राज तीर्थ।

अमृत कलश छलके प्रयाग राज तीर्थ धाम में । गंगा मैया जमुना मैया बनी त्रिवेणी मिल
सरस्वती मैया के जल धार में। डमरु बजाते त्रिशूल धारी कैलाशी त्रिपुरारी विराजे हैं
महाकुंभ लगा प्रयाग राज में । धूम मची हुई है भक्ति सागर का साल एक सौ चौवालीस बाद
अमृत स्नान के लिए। तैंतीस करोड़ देवी-देवता
भाई विराजे हैं चारों शिव शंभु तीर्थ धाम में।
हर्षाई धरती और गगन पुष्प वृष्टि हो रही कृपा
की भाई महाकुंभ महादेव के चारों तीर्थ धाम में। ऊं नमः शिवाय के जयकारे सजाए झांकी निकाली हरिद्वार प्रयाग राज उज्जैन महाकालेश्वर त्रयंम्बकेश्वर।

कोटि-कोटि प्रणाम महाकुंभ महादेव।
दंडवत प्रणाम।


- Anita Sinha

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नव वर्ष २०२५

आया है नव वर्ष लेकर नव नव खुशियों
का उपहार संग गुलाब सुवास । रवि की सहस्त्र
किरणों ने बनाया नव वर्ष खास।
जगी जन जन में फिर से अंतिम दिन साल के
इंतजार का ख्वाब संग मिला जीने की आस।

होत प्रातः शुरू हो गया शुभ कामना संदेश
और बधाईयों का आदान-प्रदान। मगन हुआ
खुशियां बांटने में घर परिवार संग सकल जहान। लेवें कुशल मंगल खबर खैरियत सबकी
देते लेते शुभकामनाएं एवं बधाइयां अशेष।
नव गुच्छ पुष्प गुलाब या फिर कलियां का
देकर उपहार प्रिय जन भाई बहनों सह
घर परिवार सकल संसार। मनाते सबकी
कुशल मंगल कामना खाते पीते और खिलाते हलवा खीर पूरी मेवा प्रसाद मिष्टान्न।
मिट जाते हैं राग द्वेष और बैर भाव वैमनस्य
क्लेश । होता है संचार प्रेम पूर्ण नव हास नव
आस बन जाते हैं सुखमय आनंद मय परिवेश।

कोई मनाते नव वर्ष पूजा पाठ करके
घर आंगन चौबारे मंदिर गुरुद्वारे। कोई करते
आयोजन भाई बहन बंधु सखा अपनों संग
पिकनिक पार्टी शारटी। होती भोजन व्यंजन
और हलवा खीर मिठाईयों की पार्टी।
बजते आधुनिक गीत या मंगल गीत और फिर
भजन-कीर्तन हरि बोल।
गाते नव वर्ष मंगलमय वेला में सब मिलकर
बधाई गीत श्री राधे कृष्णा जी की जय बोल।

इस तरह सकल संसार मनाते नव वर्ष
दिवस स्मरणीय बनाते गाकर अद्भुत गीत।
ना रहता कोई भेद-भाव की भावना आज
हुआ आगाज आज विश्व बंधुत्व का और
बने सकल संसार मन मीत प्रीत।

करे मंगल कामना अकिंचन अधम दासी
लिए मन मुदित हर्षित हो जन जन जग उद्धार।
बारिश होवे श्री राधे कृष्णा जी की अपरिमित।
गाओ भाई बहनों बंधु सखा संग मिलकर जी।
मनाओ खुशियां शुभ नव वर्ष पर आज दो बधाईयां हजार लख लख बार।

जय जय श्री राधे कृष्णा जी।
प्रणाम कोटि-कोटि बार।

वंदन करो स्वीकार ले लो हमें शरण में
रखो बनाकर सेवादार ।

जय जय श्री सहस्रबाहु नारायण
बद्रीनाथ धाम वाले दो सबको आशीष
वरद हस्त बढाना दया दृष्टि बनाए रखना
बने नव वर्ष पाकर ज्योतिर्मय जीवन जन जन में भरे रहे तेरी बख़्शिश।
- Anita Sinha

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मां सरस्वती वंदना

जय जय हे मां सरस्वती हे मां शारदे।
जय जय हे मां भगवती हे मां शारदे।
जय जय हे मां भारती हे मां शारदे।
कोटि-कोटि प्रणाम करते हैं हे मां शारदे।
जय जय हे मां सरस्वती हे मां शारदे।

जय जय हे मां सरस्वती नव वर्ष की मंगल
मय वेला में आए हैं तेरे द्वार।

तुम्हें चढ़ाने आए हैं कमल फूलों के हार।
पीले चंदन , पुष्प पीत , अक्षत, गंगाजल
रोली सिन्दूर श्वेत परिधान ,सुहाग सामग्री
करें पूजन अर्चन और सोलह श्रृंगार।
अर्पित करें फल फूल और नैवेद्य प्रसाद
धूप दीप और आरती से सजाएं थाल।
बजाएं ढोल ढाक झांझर और करताल
गाएं मंगल गीत सात सुहागिन मिलकर
हजार।

पूजा की विधि नहीं जानें और ना जानें
पूजा। हम अज्ञानी को बतला दे कैसे करें
तेरी आराधना और ध्यान जप तप । तेरे
सिवा नहीं जग में हे मां और कोई दूजा।
सब कुछ तेरा ही है हे मां शारदे।
तेरी वस्तु तुझे समर्पण अर्पण करते हैं।
तेरे चरणों में बारम्बार नमन करते हैं।
करो कृपा अपार हे जग जननी जग वंदनी
जग कल्याणी विश्व संचालिनी हे मां शारदे।

विमल मति दे हे मां शारदे।
मति मति मति दे हे मां शारदे।
तमस हरो हे मां शारदे।
कुमति निवार दो हे मां शारदे।
बुद्धि को हाजिर जवाब बना दे हे मां शारदे।
जड़ बुद्धि को दूर करो हे मां शारदे।
मति विभ्रम दूर हो हे मां शारदे।
सद्बुद्धि, विवेक सन्मति ज्ञान
का दो वरदान।
दूर हो अज्ञान का अंधेरा हे मां शारदे।
आए जीवन में नव वर्ष पर नवल सबेरा
हे मां शारदे।
करें तेरी आरती भव्य और लगाएं जयकारे।
पुआ पूरी पकवान मालपुआ खीर हलवा
मेवा मिष्टान्न दही बूंदी प्रसाद के लगाएं
भोग भंडारे।
भक्त गण श्रद्धालु गण तथा दर्शनार्थी संग
मिलकर नव वर्ष पर शुभकामनाएं एवं बधाइयां गाएं तेरे चरणों में सबके लिए।
जो लिखे, पढ़ें और श्रवण करे हे मां शारदे
वही आशीर्वाद हो सबों के लिए।

नव वर्ष नव दिवस नव मंगल मय वेला में अकिंचन दासी देवे शुभकामनाएं एवं बधाइयां
मातृभारती प्लेटफार्म एवं सभी भाई बहनों बंधुओं को बारंबार सह नमस्कार शुभ संध्या
का सौगात। ले लो शरण में हमें हे मां शारदे
सह संतानों को होते रहे सदा सर्वदा कुशल मंगल सुख शांति की बरसात।

भर देना हे मां शारदे जन जन में नवल
नूतन प्यार। पुष्पित पल्लवित रहे जन जीवन
मनाएं हर दिन दिवाली का त्यौहार।

जय जय हे मां सरस्वती हे मां शारदे।
दंडवत प्रणाम स्वीकार करें हे मां शारदे।
जय जय हे मां शारदे।


- Anita Sinha

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अंतिम दिन साल का

देखते देखते साल बीत गये बस अब
रह गये हैं चंद घंटे शेष। कितने उतार चढ़ाव
आए जीवन में बस चलते रहें हम मंजिल के
लिए। आने वाला है शुभ नव वर्ष तो मंजिल
हमारी यही है फिलहाल। कोई घर में कोई
बाहर में पार्टी शारटी करे सकल जहान।
चाहे वो गरीब हो या फिर अमीर ना चिंता
रहती भविष्य की। बस बंधु सखा परिवार संग
खाते पीते मौज मस्ती करते दिन बिताते हैं
आज । रहता इंतजार घड़ी की सुई पर बारह
बजने की। सच पूछिए तो बड़ा बेहतरीन और
शानदार होता है उमंग और उत्साह से भरा हुआ साल का अंतिम दिन। चाह रहती है कि
किस तरह किस जगह पर मनाएं खुशहाली
कि रहें प्रेम मुदित मन मग्न आनंदमय और
हो शुभ शुभ मंगलमय नव वर्ष का दिन।
होता रहता है फूलों की बारिश बजते रहते हैं
सजा रहता है गीत संगीत का संसार।
हम कह सकते हैं काटे नहीं कटते हैं साल का
अंतिम दिन मन में छाए रहते हैं बादलों की
बौछार।

कहते कहते रटते रटते सब मिलकर जपते
हैं नव वर्ष मंगलमय वेला का गीत मल्हार।

गाते शुभकामनाएं एवं बधाइयां सब मिलकर बजावें करताल बारंबार।

अंतिम दिन साल का हुआ शेष ना रहा अब अवशेष। धूमिल हुई छबि अंतिम दिन साल की
बज गया बाजा । नूतन वर्ष के शुभारंभ पर
अभिवादन , नमन , अभिनन्दन , प्रणाम एवं
आशीर्वाद का सिलसिला जारी रहा रात दिन
लोग खुशियां मनाएं खाएं हलवा खीर पूरी
सात व्यंजन और मेवा मिष्टान्न खाजा।

अंतिम दिन का हो गया था अवसान दोस्तों।
नवल प्रभात का हुआ आगमन उदित नारायण
का मिला उपहार बन कर सौगात दिनमान।

- Anita Sinha

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