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मैं ख़्वाब हूँ किसी टूटे परिंदे का, जिसे पाने की चाह में वो दूर तक उड़ता गया। मैं उसके पंखों में बसी उम्मीद हूँ, उसकी तमन्नाओं का सबसे खूबसूरत मंजर । मैं ख़्वाब हूँ — जो उसके अश्कों से जन्मा, पर उसकी पलकों पर ठहरना मेरी किस्मत में कहाँ था… वो मुझे पाने की धुन में पंख फैलाए खुले गगन में उड़ा, थककर एक शाख़ पर ठहरा, आसमान देखा — मानो फिर से सँवरा। पर हवाओं ने छीन लिया बसेरा, और वो फिर गिरता चला गया। वो गिरा तो पंख टूटे उसके, पर दरक मैं भी उतना ही गया — फ़र्क बस इतना था… वो ज़मीन पर बिखर गया, और मैं उसकी रूह में उम्रभर की चुभन बन गया। ArUu ✍️
और कुछ लोग कहते है ज्यादा आजादी दे दी इसलिए इतनी नक्चढ़ी हो गई है तो भाई बता दूं तुम्हारी जानकारी के लिए पहली बात तो मुझे आजादी दी नहीं किसी ने मैंने अपने हक की आजादी छीनी है और दूसरी बात आजाद हूं इसलिए शांत हूं अगर कैद होती... तो इतनी उग्र होती कि तुमसे झेली नहीं जाती। इसलिए चुप चाप अपनी जिंदगी जीओ और जीने दो🙏🏻 जय हिंद जय भारत
लड़कियां उड़ाती रही पैसे लड़कों ने हिसाब दिया अपनी एक एक कमाई का - ArUu
अगर छूट गया मुझसे हाथ तुम्हारा — तो मैं ज़िंदगी को ज़हर, प्रेम को पाप, आत्मा को अंत, और तुम्हारे साथ को स्वर्ग लिखूंगी। हर धड़कन को सज़ा और हर याद को दाह-संस्कार लिखूंगी। मोहब्बत के देवता को अपनी तकदीर का गुनहगार लिखूंगी। जिस रास्ते पर तुम चले हो कभी, उसी राह की धूल में अपनी आख़िरी साँस लिखूंगी फिर जो भी बचेगा मुझमें वो तुमसे मिली बर्बादी का अमर प्रमाण लिखूंगी। और हाँ… अगर छूट ही गया तुमसे मेरा हाथ तो याद रखना, मैं टूटकर भी— खुद को तुम्हारी जीत लिखूंगी। ArUu ✍️
इतना खौफ का माहौल रहता है कि अपनी नौकरी पर proud भी नहीं कर सकते कभी मन कर भी जाए proud करने का तो भाई साहब नजर भी इतनी तेज गति से लगती है कि कब चार्जशीट हाथ में आ जाए पता भी न लगे लेकिन कुछ भी हो थोड़ा सा सुकून इस बात का है कि ये नहीं कहना पड़ता कि हम सरकारी पटवारी है😂😂
और मैंने जाने दिया उसे ये जानते हुए कि कोई उससे ज्यादा नहीं चाह सकता मुझे मैंने जाने दिया उसे मुझे मनाने की, मुझे समझाने की,मुझे थामे रखने की हर संभव कोशिश करने के बावजूद मैंने जाने दिया उसे उसने यत्न किए कि मैं रोक लु उसे, जाने से पहले उसकी बाह थाम लू उसे जाने न दूं... उम्र भर के लिए चुन लूं उसे पर निष्ठुर, निर्दयी, निर्मम,कठोर, क्रूर...सी बनी मैं और फिर मैंने जाने दिया उसे ArUu ✍️
और बताओ क्या श्री राम सच में अयोध्या लौट आए है? क्या छुआछूत से भरे इस देश में प्रभु राम अब भी सबरी के झूठे बेर खा लेंगे? क्या अब भी श्री राम अपने साथ युद्ध के लिए राजा महाराजाओं का साथ छोड़ कर उपेक्षित वर्ग का हाथ थाम पाएंगे? जिस अहिल्या को तार दिया श्राप से उसी तरह स्त्रियों की पीर समझ पाएंगे? लड़ मरते है भाई भाई आपस में कुछ जमीन के टुकड़े के लिए वहां क्या श्री राम अपना राज सिंहासन छोड़ पाएंगे ? जाने कितने बरसो पहले आए थे भगवन् राम अब शायद इस कलुषित समाज में फिर न आ पाएंगे आए भी तो कलयुगी इस मानव को देख अपनी आश्रुधारा न रोक पाएंगे। अब अगर लौट भी आएं प्रभु राम, तो किस जगह ठहर पाएंगे? जहाँ धर्म की परिभाषा नफ़रत में लिखी जाती है, और आस्था की दीवारें खून से सजाई जाती हैं। जहाँ इंसान, इंसान को देख डर जाए, जहाँ मंदिर ऊँचे और ज़मीर छोटे रह जाएं। जहाँ सत्य वनों में भटक रहा हो, और रावण राजमहल में बैठा मुस्कुरा रहा हो जहां जातियां ऊंची और मानवता अधम हो गई शायद अब राम को नहीं,रामत्व को लौटना होगा। क्योंकि राम मंदिरों में नहीं बसते, वो तो हर निष्कपट हृदय में जन्म लेते हैं और जिस दिन हम ये सारे भेद छोड़कर फिर से “मनुष्य” बन जाएंगे, उसी दिन सच में, श्रीराम अयोध्या लौट आएंगे। ArUu ✍️
कुछ अर्ज़ है किताबी, कुछ फ़र्ज़ है ज़िंदगी। चेहरा बदलती रहती है ये, पर मर्ज़ है ज़िंदगी। बड़ी बेनकाब, बेशर्म, निठल्ला किरदार है ये जिंदगी ArUu ✍️
कभी सिर्फ एक शख्स के छोड़ जाने से ही कुछ लोग पागल हो जाते है उन सरफिरे पागलों को दुनियां कवि, शायर और काव्यप्रणेता कहती हैं कभी कोई जुदाई शब्दों में ढल जाती है, कभी कोई खामोशी ग़ज़ल बन जाती है। जो रो नहीं पाते, वो लिखने लगते हैं, और जो लिखते हैं, वो अमर हो जाते हैं। हर दर्द में एक कविता जन्म लेती है, हर टूटन में कोई रचना संवरती है। वो जो बिखराव था किसी हृदय का, वही सृजन की शुरुआत बन जाता है। ArUu ✍️
कितनी अजीब दुनियां है न, कभी ज़िंदा लोग लाश बन जाते हैं, और कभी मुर्दे बतियाँ उठते हैं... यहाँ ज़िंदगी का अर्थ ही उलझा हुआ है, साँसें कभी ख़ामोश हो जातीं, और कभी ख़ामोशियाँ बोल उठती हैं। ArUu ✍️
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