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ALOK KUMAR SINGH

ALOK KUMAR SINGH

@as9486


हमने मुकम्मल इश्क़ की तलाश में कई नज्में ज़ाया कर दीं

इश्क का तोहफा बेवफाई हो ये मुमकिन है
अब मीर और ग़ालिब बस पढ़े जाते हैं,
मोहब्बत हुस्न के लिबास में कहीं गुम हो गई
अब के लड़के इश्क़ कहाँ फरमाते हैं।

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"सांप्रदायिकता, हठधर्मिता और उनकी वीभत्स वंशधर धर्मांधता इस सुंदर पृथ्वी पर बहुत समय तक राज कर चुकी हैं। वे इस धरती को हिंसा से भरती रही हैं व उसको बारम्बार मानवता के खून से नहलाती रही हैं और कई सभ्यताओं का नाश करती हुई पूरे के पूरे देशों को निराशा के गर्त में डालती रही हैं।"
विवेकानंद जयंती की अनंत शुभकामनायें। ❤️🇮🇳️🙏

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ये शहरे एहतिजाज है ख़ामोश मत रहो,
हक़ भी नहीं मिलेगा तकाज़ा किये बगै़र।
@Rana

ऊँची परवाज़ की हस़रतों ने परिंदों के पऱ कत़र दिए।