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परिपक्व इश्क,, गाने गुनगुनाना, संगीत सुनना, अकेले में भी खुश रहना,, रास्तों पर निकलों तो परायों को अपना मानना, छोटे बच्चों को अपने ही घर का कोई बच्चा समझ लेना, बड़े बूढ़ों के पास बैठ के उनको महसूस करना,, उनका सम्मान करना,, किसी को दर्द में देख के सहम जाना इश्क़ है ,, ।। आधी रात में अकेले छत पर टहलना,, एक ही कमरे में सुबह से शाम कर देना,, अपने आप के संघर्षों की जीत को सोच के goosebumps आना,, संसार की औपचारिकताओं से दूर खुद के साथ रहना घंटों अकेले बीता देना,, इस भाग दौड़ वाले जमाने में,, पूरा दिन शहर करने के बाद अपने कमरे की तरफ़ भागना इश्क है,, कुछ ना बचने के बाद भी, कुछ बाकी रहें,, शायद उसे सोच के ही सही कुछ करते रहें,, ये जुनून रहे तो इश्क़ है बेपरवाह इस जमाने में, हम खुद की परवाह करे तो इश्क़ है।। .... क्योंकि प्रेम जीवन को आसान बनाने आता है, और हमारा जीवन सरल बनाता है, जटिल नहीं......
"बातें अधूरी रही" चांद रातों के सन्नाटों में आप मेरा सिर चूमकर, देर तलक सीने से लगाए , ये महामिलन ये आलिंगन, ये मेरा आना तुझे याद होता ! मेरी चंचल आंखे मेरा खुबसूरत मन, मैं तेरा बरसों का ख़्वाब, तूने अपने इरादों को परें रख,, थोड़ा सा गौर किया होता, मिलना याद होता ! ऐ मेरे लौट आने पर मुझे सितमगर कहने वाले, फुरसत के लम्हों में इश्क फरमाने वालें,, तुझे ज़रा सी फुरसत नहीं, तूने मेरा इंतज़ार ज़रा तो किया होता!!
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